प्रारंभिक परीक्षा
ऑर्बिटिंग कार्बन ऑब्ज़र्वेटरी (OCO)
- 13 Aug 2025
- 29 min read
चर्चा में क्यों?
अमेरिका ने नासा को निर्देश दिया है कि वह दो महत्त्वपूर्ण उपग्रहों, OCO-2 और OCO-3 के शीघ्र संचालन-समापन की तैयारी करे, जो वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) का पता लगाते हैं और फसलों के स्वास्थ्य की निगरानी करते हैं।
ऑर्बिटिंग कार्बन ऑब्ज़र्वेटरी (OCO) क्या है?
- परिचय: OCO नासा के पृथ्वी अवलोकन उपग्रहों की एक शृंखला हैं, जिन्हें CO₂ के स्रोतों और अवशोषकों (Sinks) का पता लगाने और उनके वैश्विक जलवायु प्रणालियों पर प्रभाव के विषय में महत्त्वपूर्ण डेटा प्रदान करने हेतु बनाया गया है।
- पहला मिशन, OCO (2009), प्रक्षेपण यान के फेयरिंग में समस्या के कारण विफल हो गया।
- हालाँकि, इसके बाद का मिशन, OCO-2 (2014), सफलतापूर्वक प्रक्षेपित हुआ, जिसने वायुमंडलीय CO₂ को मापा, उसके स्रोतों और अवशोषकों की पहचान की तथा पौधों के प्रकाश-संश्लेषण की ‘दीप्ति’ के माध्यम से फसलों के स्वास्थ्य पर नज़र रखी।
- यह सूर्य-तुल्यकालिक ध्रुवीय कक्षा (Sun-synchronous polar orbit) में संचालित होता है, जिससे यह प्रतिदिन एक ही समय पर किसी भी स्थान का अवलोकन कर सकता है।
- ISS में स्थापित OCO-3 (2019) हर 90 मिनट में पृथ्वी की परिक्रमा करता है, जिससे दिन में कई बार एक ही स्थान का अवलोकन संभव होता है और OCO-2 को पूरक डेटा उपलब्ध होता है।
- महत्त्व: OCO उपग्रह वैश्विक स्तर पर उच्च-रिज़ॉल्यूशन CO₂ डेटा प्रदान करते हैं, जो मौसमी और क्षेत्रीय उतार-चढ़ाव को ट्रैक करता है।
- दशकों तक उष्णकटिबंधीय वर्षावनों को पृथ्वी के फेफड़ों के रूप में जाता था, जो बड़ी मात्रा में CO₂ को अवशोषित करते हैं। हालाँकि, OCO-2 के आँकड़ों से पता चला कि उच्च अक्षांशों में स्थित शंकुधारी वनों (टाइगा) यानी बोरियल फॉरेस्ट भी CO₂ अवशोषण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- इसके अतिरिक्त, OCO के आँकड़ों से यह भी सामने आया कि अनावृष्टि या वनों की कटाई जैसी घटनाओं के दौरान प्राकृतिक कार्बन सिंक, कार्बन के स्रोत में बदल सकते हैं।
- प्रकाश संश्लेषण से उत्पन्न प्रकाश का पता लगाकर, OCO वैश्विक पादप वृद्धि का मानचित्र तैयार करते हैं, जिससे जलवायु शमन, उत्सर्जन में कमी और नीति निर्माण में सहायता मिलती है।
CO₂ और वैश्विक कार्बन चक्र
- परिचय: CO₂ एक प्रमुख ग्रीनहाउस गैस है जो उस ऊष्मा को अवशोषित करती है, जिसका निर्गमन वापिस अंतरिक्ष में होता है और यह जीवन एवं पृथ्वी के वायुमंडलीय संतुलन को बनाए रखने के लिये आवश्यक है।
- CO₂ के स्रोत: जीवाश्म ईंधन का दहन, श्वसन, निर्वनीकरण और कार्बनिक पदार्थों का अपघटन।
- CO₂ के अवशोषक (Sinks): वनस्पति, वन और महासागर, जो मानव-निर्मित CO₂ का लगभग आधा भाग अवशोषित करते हैं।
- वैश्विक कार्बन चक्र: वैश्विक कार्बन चक्र वायुमंडल, महासागर, भूमि और जीवाश्म ईंधनों के बीच कार्बन का आदान-प्रदान है, जो कुछ सेकंड (प्रकाश संश्लेषण) से लेकर सहस्राब्दियों (जीवाश्म ईंधन का निर्माण) तक की अवधि में होता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)
प्रिलिम्स
प्रश्न. कार्बन डाइऑक्साइड के मानवोद्भवी उत्सर्जनों के कारण आसन्न भूमंडलीय तापन के न्यूनीकरण के संदर्भ में, कार्बन प्रच्छादन हेतु निम्नलिखित में से कौन-सा/से संभावित स्थान हो सकता/सकते है/हैं ? (2017)
- परित्यक्त एवं गैर-लाभकारी कोयला संस्तर
- निःशेष तेल एवं गैस भण्डार
- भूमिगत गभीर लवणीय शैलसमूह
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1,2 और 3
उत्तर: (d)
प्रश्न. कृषि में शून्य-जुताई (Zero-Tillage) का/के क्या लाभ है/हैं? (2020)
- पिछली फसल के अवशेषाें को जलाए बिना गेहूँ की बुआई संभव है।
- चावल की नई पौध की नर्सरी बनाए बिना, धान के बीजाें का नम मृदा में सीधे रोपण संभव है।
- मृदा में कार्बन पृथक्करण संभव है।
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये-
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर : (d)