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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 05 Jun, 2024
  • 18 min read
रैपिड फायर

चीता संरक्षण पर केन्या-भारत सहयोग

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

हाल ही में केन्याई प्रतिनिधिमंडल ने वन्यजीव संरक्षण प्रयासों के सहयोग पर चर्चा करने हेतु भारत का दौरा किया, जिसमें चल रहे चीता पुनरुत्पादन परियोजना (प्रोजेक्ट चीता) पर विशेष बल दिया गया है।

  • प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (National Tiger Conservation Authority - NTCA) के समक्ष सहयोग का प्रस्ताव करते हुए एक मसौदा समझौता ज्ञापन प्रस्तुत किया।
    • क्षमता निर्माण एवं ज्ञान साझा करने के साथ-साथ इसमें क्षेत्रीय गश्त और वन्यजीव संरक्षण प्रयासों को बढ़ाने के लिये केन्याई वन रेंजरों को उपकरण आपूर्ति करने का प्रावधान भी शामिल था।
  • प्रोजेक्ट चीता:
    • परियोजना का पहला चरण वर्ष 2022 में शुरू किया गया था, जिसका उद्देश्य देश में वर्ष 1952 में विलुप्त घोषित किये गए चीतों की आबादी को बहाल करना है।
      • इसमें दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से चीतों को कुनो राष्ट्रीय उद्यान में स्थानांतरित करना शामिल है।
      • यह परियोजना NTCA द्वारा मध्य प्रदेश वन विभाग और भारतीय वन्यजीव संस्थान (Wildlife Institute of India- WII) के सहयोग से कार्यान्वित किया गया है।
    • परियोजना के दूसरे चरण के अंतर्गत भारत समान आवासों के कारण केन्या से चीते मंगाने पर विचार कर रहा है।
      • चीतों को कुनो राष्ट्रीय उद्यान और गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य (मध्य प्रदेश) में स्थानांतरित किया जाएगा।

और पढ़ें: प्रोजेक्ट चीता का एक वर्ष, भारत में चीतों की पुनःवापसी, कूनो राष्ट्रीय उद्यान में चीता के शावक


प्रारंभिक परीक्षा

कोलंबो प्रक्रिया

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

वर्ष 2003 में कोलंबो प्रक्रिया की स्थापना के बाद, भारत हाल ही में पहली बार इस क्षेत्रीय समूह का अध्यक्ष बना है।

  • भारत वर्ष 2024-26 की अवधि तक इस समूह का नेतृत्व करेगा।

कोलंबो (Colombo) प्रक्रिया क्या है?

  • परिचय:
    • कोलंबो प्रक्रिया में 12 एशियाई देश शामिल हैं, यह एक क्षेत्रीय परामर्श मंच के रूप में कार्य करता है। इसका उद्देश्य दक्षिण एवं दक्षिण-पूर्व एशिया के उन देशों के लिये विदेशी रोज़गार से संबंधित सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करना है जो प्रवासी श्रमिकों को विदेश भेजते हैं।
    • इसके 12 सदस्य देशों में अफगानिस्तान, बांग्लादेश, कंबोडिया, चीन, भारत, इंडोनेशिया, नेपाल, पाकिस्तान, फिलीपींस, श्रीलंका, थाईलैंड और वियतनाम शामिल हैं।
      • संस्थापक राज्यों में बांग्लादेश, चीन, भारत, इंडोनेशिया, नेपाल, पाकिस्तान, फिलीपींस, श्रीलंका, थाईलैंड और वियतनाम शामिल हैं।
      • अतीत में इसकी अध्यक्षता अफगानिस्तान, नेपाल, श्रीलंका, फिलीपींस, इंडोनेशिया और बांग्लादेश ने की है।
    • कोलंबो प्रक्रिया के अंतर्गत निर्णय सर्वसम्मति से लिये जाते हैं और बाध्यकारी नहीं होते।
  • उद्देश्य:
    • अनुभव, सीखे गए सबक और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करना।
    • विदेशी श्रमिकों के सामने आने वाले मुद्दों पर परामर्श करना और व्यावहारिक समाधान सुझाना।
    • संगठित विदेशी रोज़गार से विकास लाभों को अधिकतम करना।
    • मंत्रिस्तरीय अनुशंसाओं के कार्यान्वयन की समीक्षा और निगरानी करना।
  • सचिवालय: अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन संगठन (International Organisation for Migration- IOM) कोलंबो प्रक्रिया को तकनीकी और प्रशासनिक सहायता प्रदान करता है।
    • श्रीलंका स्थित कोलंबो प्रक्रिया तकनीकी सहायता इकाई (Colombo Process Technical Support Unit- CPTSU) कोलंबो प्रक्रिया को उसके विषयगत क्षेत्रों में तकनीकी सहायता प्रदान करती है।
  • पाँच विषयगत प्राथमिकता वाले क्षेत्र:
    • कौशल और योग्यता मान्यता प्रक्रिया
    • नैतिक भर्ती प्रथाओं को बढ़ावा देना
    • प्रस्थान-पूर्व अभिविन्यास और सशक्तीकरण 
    • प्रेषण के किफायती, तेज़ और सुरक्षित हस्तांतरण को बढ़ावा देना
    • श्रम बाज़ार विश्लेषण
  • उपलब्धियाँ:
    • यूरोप में श्रमिकों की नियुक्ति और नैतिक भर्ती पर एशिया में रोज़गार एजेंसियों हेतु एक क्षेत्रीय कार्यशाला मनीला (2006) में आयोजित की गई थी।
    • खाड़ी सहयोग परिषद (Gulf Cooperation Council- GCC) के संविदा श्रम गंतव्य देशों में से एक में प्रवासी श्रमिक संसाधन केंद्र (Overseas Workers Resource Centre- OWRC) स्थापित करने हेतु व्यवहार्यता अध्ययन पूर्ण हो गया है।
    • वर्ष 2008 में ब्रुसेल्स (Brussels) में सर्वप्रथम "श्रम प्रवास पर एशिया-यूरोपीय संघ परामर्श" का आयोजन किया गया था, जिसमें कोलंबो प्रक्रिया देशों के अतिरिक्त 16 यूरोपीय संघ सदस्य देशों ने भाग लिया था।

अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन संगठन (International Organisation for Migration -IOM):

  • यह संयुक्त राष्ट्र प्रणाली का एक हिस्सा है, जो 1951 से सभी के लाभ के लिये मानवीय और व्यवस्थित प्रवासन को बढ़ावा देने वाला अग्रणी अंतर-सरकारी संगठन है। इसके 175 सदस्य देश हैं और वर्तमान में 171 देशों में इसकी उपस्थिति है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स: 

प्रश्न. भारत इनमें से किसका सदस्य है? (2008)

  1. एशियाई विकास बैंक
  2. एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग
  3. कोलंबो प्लान
  4. आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD)

नीचे दिये गए कूट का उपयोग करके सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 3
(b) केवल 2 और 4
(c) केवल 1, 2 और 3
(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: (a)


प्रारंभिक परीक्षा

इंदिरा गांधी प्राणि उद्यान (IGZP) में संरक्षण प्रजनन

स्रोत: द हिंदू

हाल ही में विशाखापत्तनम स्थित इंदिरा गांधी प्राणी उद्यान (Indira Gandhi Zoological Park- IGZP) भारत में वन्यजीव संरक्षण, विशेष रूप से धारीदार लकड़बग्घों (Striped hyena) और एशियाई जंगली कुत्तों (Dhole) के सफल प्रजनन एवं पालन-पोषण में अग्रणी रहा है।  

इंदिरा गांधी प्राणी उद्यान (IGZP) के बारे में मुख्य बातें क्या हैं?

Asiatic_Wild_Dogs

एशियाई जंगली कुत्ते (Dhole):

धारीदार लकड़बग्घा: 

  • परिचय: 
    • धारीदार लकड़बग्घा (हाइना हाइना) लकड़बग्घों की तीन प्रजातियों में से एक है।
      • लकड़बग्घे की अन्य प्रजातियों में भूरे और धब्बेदार लकड़बग्घे (सबसे बड़े) शामिल हैं।
    • ये प्रसिद्ध चित्तीदार लकड़बग्घे की तुलना में, आकार में छोटे और अल्प सामाजिक होते हैं।
  • संरक्षण की चुनौतियाँ: आवास की क्षति, मानव-वन्यजीव संघर्ष, अवैध शिकार और अवैध वन्यजीव व्यापार।
  • संरक्षण की स्थिति:

Striped_Hyenas


रैपिड फायर

प्रवाह सॉफ्टवेयर

स्रोत: द हिंदू

हाल ही में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation- ISRO) ने एयरोस्पेस व्हीकल एयरो-थर्मो-डायनेमिक एनालिसिस Parallel RANS Solver for Aerospace Vehicle Aero-thermo-dynamic Analysis- PraVaHa) के लिये पैरेलल RANS सॉल्वर नामक कम्प्यूटेशनल फ्लुइड डायनेमिक्स (Computational Fluid Dynamics- CFD) सॉफ्टवेयर विकसित किया है।

  • प्रवाह (PraVaHa) एक सॉफ्टवेयर उपकरण है जिसे विशेष रूप से प्रक्षेपण वाहनों और पंखयुक्त तथा बिना पंखयुक्त (Winged and Unwinged) पुनः प्रवेश वाहनों जैसे एयरोस्पेस वाहनों के वायुगतिकी एवं ऊष्मागतिकी का विश्लेषण करने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
  • यह एयरोस्पेस वाहनों के चारों ओर वायु प्रवाह का अनुकरण करता है तथा परिणामी बलों और तापीय प्रभावों की गणना करता है, जो इन निकायों के लिये आवश्यक आकार, संरचना एवं थर्मल प्रोटेक्शन सिस्टम (TPS) को डिज़ाइन करने के लिये आवश्यक है।
  • इसका उपयोग मानव-योग्य प्रक्षेपण वाहनों, जैसे HLVM3, क्रू एस्केप सिस्टम ( Crew Escape System- CES) और क्रू मॉड्यूल (CM) के वायुगतिकीय विश्लेषण के लिये गगनयान मिशन में व्यापक पैमाने पर किया गया है।
  • प्रक्षेपण या पुन: प्रवेश के दौरान पृथ्वी के वायुमंडल से गुज़रते समय कोई भी एयरोस्पेस वाहन बाह्य दबाव और ऊष्मा प्रवाह के संदर्भ में गंभीर वायुगतिकीय एवं वायुतापीय भार के अधीन होता है।
    • कम्प्यूटेशनल फ्लुइड डायनेमिक्स (CFD) वायुगतिकीय एवं वायुतापीय भार की भविष्यवाणी करने के लिये एक ऐसा उपकरण है जो अवस्था के समीकरण के साथ द्रव्यमान, संवेग और ऊर्जा के संरक्षण के समीकरणों को संख्यात्मक रूप से हल करता है।

और पढ़ें: गगनयान मिशन


रैपिड फायर

प्रेस्टन वक्र

स्रोत: द हिंदू

प्रेस्टन वक्र किसी देश में जीवन प्रत्याशा और प्रतिव्यक्ति आय के बीच अनुभवजन्य संबंध (empirical relationship) को संदर्भित करता है, जिसे 1975 में अमेरिकी समाजशास्त्री सैमुअल एच. प्रेस्टन द्वारा प्रस्तावित किया गया था।

  • वक्र से स्पष्ट है कि अमीर देशों के लोगों का जीवन काल आमतौर पर गरीब देशों के लोगों की तुलना में लंबा होता है, जो संभवतः स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, पोषण आदि तक बेहतर पहुँच के कारण होता है।
  • जब किसी गरीब देश की प्रतिव्यक्ति आय बढ़ती है, तो उसकी जीवन प्रत्याशा में शुरुआत में काफी वृद्धि होती है।
    • उदाहरण के लिये, भारत की प्रतिव्यक्ति आय 1947 में 9,000 से बढ़कर 2011 में 55,000 रुपए हो गई, जबकि जीवन प्रत्याशा 32 से बढ़कर 66 वर्ष हो गई।
  • हालाँकि, प्रतिव्यक्ति आय और जीवन प्रत्याशा के बीच सकारात्मक संबंध एक निश्चित बिंदु के बाद समाप्त होने लगता है, क्योंकि मानव जीवनकाल को अनिश्चित काल तक नहीं बढ़ाया जा सकता है।
  • प्रेस्टन वक्र (Preston Curve) द्वारा दर्शाया गया सकारात्मक संबंध अन्य विकास संकेतकों जैसे शिशु/मातृ मृत्यु दर, शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल आदि पर भी लागू किया जा सकता है।

और पढ़ें: लोरेन्ज़ वक्र और गिनी गुणांक


रैपिड फायर

सर्वोच्च न्यायालय ने विज्ञापनदाताओं के लिये स्व-घोषणा अनिवार्य की

स्रोत: पीआईबी

हाल ही में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिया है कि सभी विज्ञापनदाताओं/विज्ञापन एजेंसियों को किसी भी विज्ञापन को प्रकाशित या प्रसारित करने से पहले एक 'स्व-घोषणा प्रमाणपत्र' प्रस्तुत करना होगा।

  • इसका उद्देश्य पारदर्शिता, उपभोक्ता संरक्षण और ज़िम्मेदार विज्ञापन प्रथाओं को सुनिश्चित करना है।
  • ये नियम 18 जून, 2024 से सभी नए विज्ञापनों पर लागू होंगे।
  • यह केबल टेलीविज़न नेटवर्क (Cable Television Networks- CTN) नियम, 1994 के नियम 7 और भारतीय प्रेस परिषद के पत्रकारिता आचरण मानदंडों में दिये गए दिशानिर्देशों सहित सभी प्रासंगिक नियामक दिशानिर्देशों का अनुपालन भी सुनिश्चित करेगा।
    • CTN के नियम 7 में प्रावधान है कि विज्ञापनों को भारतीय कानूनों का पालन करना चाहिये तथा दर्शकों की नैतिकता, शालीनता और धार्मिक संवेदनशीलता को ठेस पहुँचाने से बचना चाहिये।
  • विज्ञापनदाता के अधिकृत प्रतिनिधि द्वारा हस्ताक्षरित प्रमाणपत्र प्रसारण सेवा पोर्टल (टी.वी./रेडियो विज्ञापनों के हेतु) और भारतीय प्रेस परिषद पोर्टल (प्रिंट व डिजिटल मीडिया विज्ञापनों हेतु) पर प्रस्तुत किया जा सकता है।
  • विज्ञापनदाताओं को संबंधित प्रसारक, मुद्रक, प्रकाशक या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया प्लेटफॉर्म के रिकॉर्ड हेतु  स्व-घोषणा प्रमाणपत्र अपलोड करने का प्रमाण उपलब्ध कराना आवश्यक होता है।

और पढ़ें: भारत में भ्रामक विज्ञापनों का विनियमन, केबल टेलीविज़न नेटवर्क नियमों में परिवर्तन, पत्रकारिता सूत्रों का प्रकटीकरण


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