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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

क्रू एस्केप सिस्टम पर परीक्षण

  • 24 Oct 2023
  • 11 min read

प्रिलिम्स के लिये:

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO), क्रू एस्केप सिस्टम, ह्यूमन स्पेस फ्लाइट मिशन, फ्लाइट टेस्ट व्हीकल एबॉर्ट मिशन-1 (TV-D1), LVM3 रॉकेट, GSLV Mk III रॉकेट, क्रू मॉड्यूल एटमॉस्फेरिक री-एंट्री एक्सपेरिमेंट (CARE) , अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS)

मेन्स के लिये:

भारत के गगनयान मिशन पर क्रू एस्केप सिस्टम के हालिया परीक्षणों का प्रभाव, विज्ञान और प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ।   

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस  

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने संभवत: 2025 तक गगनयान मिशन के उद्देश्यों को पूरा करने के उद्देश्य से फ्लाइट टेस्ट व्हीकल एबॉर्ट मिशन-1 (टी.वी.-डी.1) नामक सिस्टम और प्रक्रियाओं की शृंखला का पहला परीक्षण किया।

TV-D1 टेस्ट:

  • परिचय: 
    • फ्लाइट टेस्ट व्हीकल एबॉर्ट मिशन-1 (TV-D1) गगनयान परियोजना के क्रू एस्केप सिस्टम को प्रदर्शित करता है।
    • यह फ्लाइट सुरक्षा तंत्र का परीक्षण करने वाले दो अबॉर्ट मिशनों में से एक है जो गगनयान चालक दल को आपातकालीन स्थिति में अंतरिक्ष यान छोड़ने की अनुमति देगा।
    • टेस्ट व्हीकल एक सिंगल-स्टेज लिक्विड रॉकेट है जिसे इस अबॉर्ट मिशन के लिये विकसित किया गया है। पेलोड में क्रू मॉड्यूल (CM) और क्रू एस्केप सिस्टम (CES) के साथ उनके तेज़ी से काम करने वाले ठोस मोटर, CM फेयरिंग (CMF) तथा इंटरफेस एडेप्टर भी शामिल हैं।
  • कार्य प्रणाली: 
    • परीक्षण अभ्यास में रॉकेट को अबॉर्ट सिग्नल ट्रिगर होने से पूर्व लगभग 17 किमी की ऊँचाई तक देखा जाएगा, जिससे क्रू मॉड्यूल अलग हो जाएगा, जो बंगाल की खाड़ी में स्पलैशडाउन के लिये पैराशूट का उपयोग करके उतरेगा।
    • रॉकेट ISRO का नया, कम लागत वाला परीक्षण व्हीकल, उड़ान के दौरान 363 मीटर/सेकंड (लगभग 1307 किमी/घंटा) के चरम सापेक्ष वेग तक पहुँच जाएगा और परीक्षण के लिये चालक दल का मॉड्यूल रिक्त हो जाएगा।  
    • कम लागत वाले परीक्षण वाहन का क्रू मॉड्यूल उड़ान के दौरान खाली रहेगा और यह 363 मीटर प्रति सेकंड की अधिकतम सापेक्ष गति प्राप्त करेगा।
  • प्रासंगिकता मानदंड:
    • यह क्रू मॉड्यूल के एक मूल संस्करण प्रदर्शित करेगा जिसमें गगनयान मानव अंतरिक्ष उड़ान के दौरान अंतरिक्ष यात्रियों को बैठाया जाएगा।
    • यह परीक्षण मध्य-उड़ान आपातकालीन स्थिति (निरस्त मिशन) और अंतरिक्ष यात्रियों के पलायन की स्थिति में रॉकेट से क्रू मॉड्यूल को अलग करने हेतु सिस्टम की कार्यप्रणाली की जाँच करेगा।  

TV-D1 में उपयोग किया जाने वाला नया परीक्षण व्हीकल:

  • नये परीक्षण व्हीकल का परिचय:
    • ISRO ने वर्ष 2024 में मानव-रेटेड LVM3 रॉकेट का उपयोग करके एक पूर्ण क्रू मॉड्यूल परीक्षण उड़ान आयोजित करने की योजना बनाई है। हालाँकि TV-D1 मिशन के लिये ISRO ने एक कम लागत वाला परीक्षण वाहन विकसित किया है जो विशेष रूप से विभिन्न प्रणालियों के मूल्यांकन हेतु डिज़ाइन किया गया है।
  • परीक्षण व्हीकल की विशेषताएँ:
    • परीक्षण व्हीकल में मौजूदा तरल प्रणोदन तकनीक शामिल है।
      • उल्लेखनीय नवाचारों में थ्रॉटलेबल और पुनः आरंभ करने योग्य L110 विकास इंजन शामिल है, जो LVM3 रॉकेट के दूसरे चरण का एक मुख्य घटक है तथा प्रणोदक उपयोग पर बेहतर नियंत्रण प्रदान करता है।
  • GSLV Mk III का लागत प्रभावी विकल्प:
  • विभिन्न अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों के लिये टेस्ट व्हीकल का उपयोग:
    • टेस्ट व्हीकल पुन: प्रयोज्य अंतरिक्ष प्रक्षेपण यानों के लिये स्क्रैमजेट इंजन टेक्नोलॉजी सहित कई अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों के परीक्षण एवं विकास के लिये एक मंच के रूप में कार्य करेगा। 
    • यह टेस्ट व्हीकल भविष्य की अंतरिक्ष परियोजनाओं के लिये एक महत्त्वपूर्ण उपकरण है। ISRO ने भारी लागत का भुगतान किये बिना गगनयान मिशन के क्रू एस्केप सिस्टम का बार-बार परीक्षण करने के महत्त्व को पहचाना है। 

गगनयान मिशन का क्रू एस्केप सिस्टम (CES): 

  • रूसी सोयुज़ रॉकेट की विफलता से सीख:
    • वर्ष 2018 में अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के अभियान 57 के दौरान सोयुज़ FG रॉकेट की विफलता के कारण चालक दल को आपातकालीन निकास करना पड़ा। 50 कि.मी. की ऊँचाई पर क्रू मॉड्यूल रॉकेट से अलग हो गया, जिससे अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित हुई। यह 55 मिशनों में पहली सोयुज़ FG विफलता एवं वर्ष 1975 के बाद सोयुज़ रॉकेट की पहली मध्य-उड़ान विफलता थी।
  • गगनयान में चालक दल/क्रू की सुरक्षा सुनिश्चित करना:
    • गगनयान परियोजना में ISRO चालक दल की सुरक्षा को प्राथमिकता देता है और इसीलिये मिशन को सुरक्षित बनाने के लिये निर्धारित समय सीमा को वर्ष 2022 से आगे बढ़ाया गया। आपात स्थिति के लिये एक विश्वसनीय निकासी व्यवस्था के अतिरिक्त, चालक दल मॉड्यूल को अत्यधिक ऊष्मा एवं दबाव सहन करने में सक्षम होना चाहिये। 
    • अंतरिक्ष यात्रियों को खतरे में डालने वाली विसंगतियों की पहचान करने व मिशन को अबॉर्ट करने के लिये ISRO एकीकृत स्वास्थ्य प्रबंधन प्रणाली जीवन समर्थन प्रणाली विकसित कर रहा है।
  • TV-D1 मिशन चरण:
    • TV-D1 उड़ान में क्रू एस्केप सिस्टम लगभग 11.7 किमी की ऊँचाई पर परीक्षण वाहन से अलग हो जाता है। लगभग 90 सेकंड के बाद क्रू मॉड्यूल अलग हो जाता है, पैराशूट तैयार करता है और सात मिनट में धीरे-धीरे नीचे उतरता है।
    • भारतीय नौसेना, बंगाल की खाड़ी में उतारने के बाद इसे पुनर्प्राप्त करेगी, जो गगनयान कार्यक्रम के विकास में एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि साबित होगा।
  • गगनयान मिशन की स्थिति:
    • गगनयान मिशन की समय सीमा फिलहाल 2024 या उसके बाद है, जिसमें जल्दबाज़ी से अधिक सुरक्षा पर ज़ोर दिया गया है। अगले वर्ष की शुरुआत में एक मानवरहित मिशन की योजना बनाई गई है और उसी वर्ष उसे निरस्त करने की भी योजना बनाई गई है।
    • विभिन्न परिदृश्यों के आधार पर मानवयुक्त मिशन की शुरुआत वर्ष 2024 के अंत तक या या वर्ष 2025 के आरंभ तक हो सकती है।
    • इसरो ने पहले ही महत्त्वपूर्ण रॉकेट घटकों के लिये मानव सुरक्षा रेटिंग हासिल कर ली है और क्रू एस्केप सिस्टम डिज़ाइन समय सीमा के भीतर अंतरिक्ष यात्रियों व सुरक्षा तंत्र सुनिश्चित करने हेतु बाध्य है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. भारत के उपग्रह प्रक्षेपण यान के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)

  • PSLVs पृथ्वी के संसाधनों की निगरानी के लिये उपयोगी उपग्रहों को लॉन्च करते हैं, जबकि GSLVs को मुख्य रूप से संचार उपग्रहों को लॉन्च करने के लिये डिज़ाइन किया गया है। 
  • PSLVs द्वारा प्रक्षेपित उपग्रह पृथ्वी पर किसी विशेष स्थान से देखने पर आकाश में उसी स्थिति में स्थायी रूप से स्थिर प्रतीत होते हैं। 
  • GSLV Mk-III एक चार चरणों वाला प्रक्षेपण यान है जिसमें पहले और तीसरे चरण में ठोस रॉकेट मोटर्स का उपयोग तथा दूसरे व चौथे चरण में तरल रॉकेट इंजन का उपयोग किया जाता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 2
(d) केवल 3

उत्तर: (a)


मेन्स:

प्रश्न. भारत का अपना अंतरिक्ष स्टेशन बनाने की क्या योजना है और इससे हमारे अंतरिक्ष कार्यक्रम को क्या लाभ होगा? (2019)

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