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उत्तर प्रदेश में व्यावसायिक सुधार लागू
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश सरकार ने व्यावसायिक परिवेश में सुधार के लिये महत्त्वपूर्ण निर्णयों को स्वीकृति प्रदान की है, जिनमें सामान्य व्यावसायिक अपराधों को अपराध मुक्त करने के लिये अध्यादेश तथा पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन निदेशालय की स्थापना शामिल है।
मुख्य बिंदु
- व्यापार अपराधों का गैर-अपराधीकरण:
- उत्तर प्रदेश सरकार ने उत्तर प्रदेश सुगम्य व्यापार (व्यापार करने में सरलता) संशोधन अध्यादेश, 2025 पारित किया है, जो सामान्य व्यावसायिक अपराधों को अपराध मुक्त करने का प्रावधान करता है।
- अब अवैध तालाबंदी, छंटनी और अपंजीकृत व्यवसाय चलाने जैसे उल्लंघनों के लिये कारावास के प्रावधानों को मौद्रिक जुर्माना तथा प्रशासनिक दंड से परिवर्तित दिया गया है।
- अध्यादेश में कारखाना अधिनियम, दुकान एवं वाणिज्यिक प्रतिष्ठान अधिनियम, मोटर परिवहन श्रमिक अधिनियम और ठेका श्रम अधिनियम सहित 13 औद्योगिक एवं व्यावसायिक कानूनों में संशोधन किया गया है।
- प्रशासनिक न्याय निर्णयन प्रक्रिया अब आपराधिक अदालती कार्यवाही का स्थान लेगी, जैसा कि गन्ना अधिनियम, 1953 में विवाद समाधान को सुव्यवस्थित करने के लिए देखा गया है।
- ऐसे मामलों में गिरफ्तारी की अनुमति देने वाले प्रावधान, जिनमें अब कारावास की सज़ा नहीं होती, जैसे कि अग्नि निवारण और आपातकालीन सेवा अधिनियम, 2022 के तहत, को प्रशासनिक दंड से परिवर्तित दिया गया है।
- इस कदम से विनियामक भार में कमी, व्यापार में सुगमता तथा राज्य में निवेशकों का विश्वास बढ़ने की संभावना है।
- पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन निदेशालय का गठन:
- उत्तर प्रदेश ने पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन निदेशालय की स्थापना की है, जो भारत में राज्य स्तर पर इस तरह का पहला निदेशालय है।
- यह निदेशालय पर्यावरण संरक्षण, सतत् विकास पर ध्यान केंद्रित करेगा और राज्य को पेरिस समझौते तथा COP28 परिणामों के तहत भारत की जलवायु प्रतिबद्धताओं के अनुरूप बनाने में मदद करेगा।
- इस पहल से उत्तर प्रदेश जलवायु प्रशासन में सबसे सक्रिय राज्यों में से एक बन गया है और यह वर्ष 2070 तक भारत के नेट-जीरो उत्सर्जन लक्ष्य में योगदान देने का लक्ष्य रखता है।
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उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में लॉजिस्टिक्स हब
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश सरकार ने ग्रेटर नोएडा स्थित बोड़ाकी में एकीकृत औद्योगिक टाउनशिप तथा लॉजिस्टिक्स हब के विकास को स्वीकृति प्रदान कर दी है, जो उत्तर भारत के सबसे उन्नत मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स केंद्रों में से होगा।
मुख्य बिंदु
- लॉजिस्टिक्स हब के बारे में:
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8,000 करोड़ रुपए के निवेश वाली यह परियोजना 800 एकड़ भूमि पर विकसित की जाएगी तथा इसमें कंटेनर टर्मिनल, वेयरहाउसिंग कॉम्प्लेक्स और मल्टीमॉडल परिवहन अवसंरचना शामिल होगी।
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इन सभी का सीधा संबंध डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (DFC) से होगा। इसे दिल्ली-मुंबई औद्योगिक कॉरिडोर (DMIC) तथा एकीकृत औद्योगिक टाउनशिप (IIT) अवसंरचना के अंतर्गत विकसित किया जा रहा है।
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- उद्देश्य:
- दिल्ली-NCR, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान जैसे प्रमुख क्षेत्रों में लॉजिस्टिक्स क्षमता में सुधार तथा पारगमन समय में कमी लाना।
- भारत की राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति (NLP) का समर्थन करना, जिसका उद्देश्य लॉजिस्टिक्स लागत को घटाना और माल प्रबंधन को सुव्यवस्थित करना है।
- यह पहल विकसित भारत 2047 के विज़न के अनुरूप है और वर्ष 2035 तक सात ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था बनने के भारत के लक्ष्य को समर्थन करती है।
- अतिरिक्त अवसंरचना:
- बोड़ाकी हब के अतिरिक्त, दादरी में 1,200 करोड़ रुपए की लागत से एक लॉजिस्टिक पार्क विकसित किया जा रहा है, जिससे ग्रेटर नोएडा भारत का प्रमुख लॉजिस्टिक एवं औद्योगिक केंद्र बन सकेगा।
- प्रभाव:
- रोज़गार सृजन: यह लॉजिस्टिक्स हब हज़ारों प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोज़गार के अवसर उत्पन्न करेगा तथा लॉजिस्टिक्स प्रौद्योगिकी एवं गोदाम क्षेत्र में वैश्विक निवेश को आकर्षित करेगा।
- औद्योगिक विकास: यह हब शीघ्र माल परिवहन को बढ़ावा देगा, जिससे औद्योगिक विकास को बल मिलेगा तथा मुख्य बंदरगाहों एवं औद्योगिक केंद्रों से संपर्क और अधिक सुदृढ़ होगा।
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राजस्थान में FCM पिंक ड्राइव
चर्चा में क्यों?
राजस्थान स्वास्थ्य विभाग राज्य में गर्भवती महिलाओं में एनीमिया से निपटने के लिये फेरिक कार्बोक्सिमाल्टोज़ (FCM) इंजेक्शन के उपयोग की तैयारी कर रहा है।
मुख्य बिंदु
- पिंक ड्राइव के बारे में:
- राजस्थान स्वास्थ्य विभाग मातृ मृत्यु के प्रमुख कारण एनीमिया से निपटने के लिये 17 नवंबर से 30 नवंबर 2025 तक FCM पिंक ड्राइव अभियान शुरू करेगा।
- इस पहल का उद्देश्य फेरिक कार्बोक्सिमाल्टोज़ (FCM) इंजेक्शन के उपयोग को बढ़ावा देकर मातृ मृत्यु दर में कमी लाना है, जो आयरन की कमी से होने वाले एनीमिया के निदान और उपचार में प्रभावी है।
- FCM इंजेक्शन, जैसे कि ओरोफर FCM, शरीर में आयरन स्तर को बढ़ाने में मदद करते हैं, लाल रक्त कोशिका निर्माण और हीमोग्लोबिन को बढ़ावा देते हैं, जो ऑक्सीजन परिवहन के लिये आवश्यक हैं तथा गर्भवती महिलाओं में जटिलताओं को रोकते हैं।
- डिजिटल उपकरणों का शुभारंभ:
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के मिशन निदेशक डॉ. अमित यादव ने FCM पिंक ड्राइव की शुरुआत की और FCM उपयोग दिशानिर्देश, पोस्टर तथा डिजिटल गर्भ सूत्र ऐप्लिकेशन प्रस्तुत किया, जो सेवा प्रदाताओं के लिये सही खुराक की गणना करता है।
- ये डिजिटल उपकरण क्षमता निर्माण, वास्तविक समय निगरानी, और डेटा-आधारित निर्णय लेने को सुधारने के लिये डिज़ाइन किये गये हैं, जिससे बेहतर सेवा वितरण तथा मातृ स्वास्थ्य परिणामों में सुधार सुनिश्चित हो सके।
- सहयोग:
- स्वास्थ्य विभाग ने विकास साझेदार Jhpiego के साथ मिलकर राज्य स्तरीय कार्यशाला आयोजित की, जिसका उद्देश्य विभिन्न हितधारकों को गर्भवती महिलाओं में एनीमिया प्रबंधन हेतु FCM के प्रभावी उपयोग में प्रशिक्षण प्रदान करना था।
एनीमिया
- एनीमिया एक ऐसी स्थिति है, जो मुख्य रूप से आयरन की कमी के कारण उत्पन्न होती है, जिसके परिणामस्वरूप हीमोग्लोबिन का स्तर कम हो जाता है और अंगों को ऑक्सीजन की आपूर्ति घट जाती है।
- इसका प्रभाव थकान, कमज़ोरी और शारीरिक तथा संज्ञानात्मक कार्यक्षमता में कमी के रूप में दिखाई देता है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, प्रजनन आयु वर्ग की महिलाएँ जिनका हीमोग्लोबिन स्तर 12 ग्राम प्रति डेसिलिटर (g/dL) से कम हो और 5 वर्ष से कम आयु के बच्चे जिनका हीमोग्लोबिन स्तर 11.0 g/dL से कम हो, उन्हें एनीमिया ग्रसित माना जाता है।
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राजस्थान के 6 शहरों को स्मार्ट सिटी का दर्जा
चर्चा में क्यों?
राजस्थान सरकार ने स्वच्छ और हरित पारिस्थितिकी शहर पहल के अंतर्गत राज्य में छह शहरों को विकसित करने हेतु जयपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड (JSCL) के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की है।
मुख्य बिंदु
- परियोजना के बारे में:
- इस परियोजना का उद्देश्य राज्य की स्वच्छ और हरित पारिस्थितिकी शहर पहल के अनुरूप शहरी अवसंरचना को सुदृढ़ करना तथा स्थिरता को प्रोत्साहित करना है।
- प्रस्ताव के तहत मंडावा, खाटू श्यामजी, भिवाड़ी, अलवर, बीकानेर और भरतपुर को स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित किया जाएगा।
- इन शहरों के विकास के लिये जयपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड (JSCL) को परियोजना प्रबंधन सलाहकार नियुक्त किया गया है।
- बजट आवंटन:
- वर्ष 2025-26 के बजट में राजस्थान सरकार ने अगले तीन वर्षों में 900 करोड़ रुपए के निधि आवंटन के साथ एक दर्जन से अधिक स्वच्छ एवं हरित पारिस्थितिकी शहरों के विकास की घोषणा की है। प्रस्तावित शहरों में शामिल हैं:
- बीकानेर और भरतपुर को 80-80 करोड़ रुपए का बजट अनुदान।
- मंडावा और खाटू श्यामजी को 30-30 करोड़ रुपए।
- भिवाड़ी और अलवर का विकास क्रमशः 50 करोड़ रुपए और 60 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत से किया जाएगा।
- वर्ष 2025-26 के बजट में राजस्थान सरकार ने अगले तीन वर्षों में 900 करोड़ रुपए के निधि आवंटन के साथ एक दर्जन से अधिक स्वच्छ एवं हरित पारिस्थितिकी शहरों के विकास की घोषणा की है। प्रस्तावित शहरों में शामिल हैं:
स्वच्छ और हरित पारिस्थितिकी शहर पहल
- यह राज्य के पहले ‘ग्रीन बजट’ के हिस्से के रूप में वर्ष 2025 में प्रारंभ की जाने वाली एक महत्त्वपूर्ण शहरी स्थिरता पहल है।
- इसका उद्देश्य राजस्थान के 16 चयनित शहरों को एकीकृत पर्यावरणीय, तकनीकी एवं अवसंरचना उन्नयन के माध्यम से आदर्श शहरी केंद्रों के रूप में विकसित करना है।
- इसमें जलवायु लचीलापन, हरित ऊर्जा और शहरी जीवन की गुणवत्ता में सुधार पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
- यह पहल राष्ट्रीय स्मार्ट सिटी कार्यक्रम के अनुरूप तैयार की गई है, परंतु इसका मुख्य उद्देश्य पर्यावरण-अनुकूल विस्तार, स्थायी अवसंरचना और जलवायु अनुकूलन को बढ़ावा देना है।
- एक ‘ग्रीन फील्ड मॉडल’ के तहत प्रत्येक शहर में 3-4 वर्ग किमी के ‘लाइट हाउस क्षेत्र’ को सड़क, सौर ऊर्जा तथा एकीकृत उपयोगिताओं के उच्च मानकों के साथ विकसित किया जाएगा।
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