सामाजिक न्याय
एनीमिया के खिलाफ भारत की लड़ाई
- 22 Apr 2025
- 11 min read
प्रिलिम्स के लिये:एनीमिया- कारण और प्रभाव, एनीमिया मुक्त भारत, 6X6X6 रणनीति, राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण -5, प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान। मेन्स के लिये:महिला एवं बाल कल्याण, प्रमुख स्वास्थ्य पहल। |
स्रोत: पी.आई.बी.
चर्चा में क्यों?
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने एनीमिया मुक्त भारत (AMB) अभियान पर प्रगति अपडेट जारी किया, जिसमें एनीमिया, जो एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती है, से निपटने के लिये भारत के निरंतर प्रयासों पर प्रकाश डाला गया।
एनीमिया मुक्त भारत (AMB) अभियान क्या है?
- परिचय: इसे वर्ष 2018 में 6x6x6 फ्रेमवर्क के माध्यम से एनीमिया को कम करने के उद्देश्य से लॉन्च किया गया था। इसमें NFHS-5 के प्रमुख आँकड़ों पर प्रकाश डाला गया है, जिसमें 67.1% बच्चे और 59.1% किशोर लड़कियाँ एनीमिया से पीड़ित हैं।
- 6x6x6 फ्रेमवर्क का लक्ष्य एनीमिया की व्यापकता को कम करने के लिये 6 संस्थागत तंत्रों के माध्यम से 6 प्रमुख हस्तक्षेपों के साथ 6 कमज़ोर समूहों को लक्षित करना है।
- 6 प्रमुख हस्तक्षेप:
- आयरन और फोलिक एसिड अनुपूरण: आयु-उपयुक्त आयरन-फोलिक एसिड (IFA) अनुपूरक प्रदान किये जाते हैं, जिसमें 6-59 महीने के बच्चों के लिये द्विसाप्ताहिक IFA सिरप और अन्य समूहों के लिये साप्ताहिक गोलियाँ शामिल हैं।
- कृमि मुक्ति: बच्चों और किशोरों (1-19 वर्ष) के लिये अर्द्धवार्षिक कृमि मुक्ति तथा गर्भवती महिलाओं के लिये प्रसवपूर्व कृमि मुक्ति।
- व्यवहार परिवर्तन अभियान: एनीमिया से निपटने के लिये प्रमुख व्यवहारों पर ध्यान केंद्रित करने वाले वर्ष भर चलने वाले अभियान।
- एनीमिया परीक्षण और उपचार: गर्भवती महिलाओं और किशोरों पर विशेष ध्यान देते हुए, एनीमिया जांच के लिये डिजिटल तरीकों का उपयोग।
- खाद्य पदार्थों का सुदृढ़ीकरण: सरकारी कार्यक्रमों में खाद्य पदार्थों को आयरन और फोलिक एसिड से युक्त करना अनिवार्य है।
- गैर-पोषण संबंधी कारणों के प्रति जागरूकता और उपचार: मलेरिया, हीमोग्लोबिनोपैथी और फ्लोरोसिस से प्रभावित क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
एनीमिया क्या है?
- एनीमिया मुख्य रूप से लौह की कमी के कारण होता है जिससे हीमोग्लोबिन का स्तर कम हो जाता है और अंगों को ऑक्सीजन की आपूर्ति कम हो जाती है, जिसके परिणामस्वरूप थकान, कमजोरी और शारीरिक एवं संज्ञानात्मक कार्य में कमी आती है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, प्रजनन आयु वर्ग की जिन महिलाओं में हीमोग्लोबिन का स्तर 12 ग्राम प्रति डेसीलिटर (g/dL) से कम होता है तथा 5 वर्ष से कम आयु के जिन बच्चों में हीमोग्लोबिन का स्तर 11.0 g/dL से कम होता है उन्हें एनीमिया से ग्रस्त माना जाता है।
- संवेदनशीलता एवं प्रभाव: 5 वर्ष से कम आयु के बच्चे (विशेषकर 2 वर्ष से कम आयु के), किशोरियाँ, मासिक धर्म वाली महिलाएँ तथा गर्भवती एवं प्रसवोत्तर महिलाएँ अधिक संवेदनशील होती हैं।
- एनीमिया से शिशुओं और छोटे बच्चों के संज्ञानात्मक विकास पर प्रभाव पड़ता है। वयस्कों में इससे कार्य क्षमता सीमित होती है। गर्भावस्था के दौरान इससे समय से पहले बच्चे का जन्म और कम वजन वाले बच्चों का जन्म जैसी समस्याएँ हो सकती हैं।
- भारत और विश्व स्तर पर विस्तार: विश्व स्तर पर 40% बच्चे (6-59 महीने), 37% गर्भवती महिलाएँ और 30% सामान्य महिलाएँ (15-49 वर्ष) एनीमिया से प्रभावित हैं।
- वर्ष 2019 में एनीमिया के कारण स्वस्थ जीवन के 50 मिलियन वर्ष नष्ट हुए , जिसके मुख्य कारणों में आयरन की कमी, थैलेसीमिया, सिकल सेल और मलेरिया था।
- WHO की प्रतिक्रिया: WHO ने वैश्विक पोषण लक्ष्यों और सतत् विकास हेतु संयुक्त राष्ट्र के वर्ष 2030 के एजेंडा में 6 प्रमुख लक्ष्यों में से एक के रूप में एनीमिया में कमी को शामिल किया है।
- वर्ष 2021 के पोषण विकास शिखर सम्मेलन में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने यूनिसेफ के एनीमिया एक्शन अलायंस के साथ मिलकर एनीमिया की रोकथाम, निदान और प्रबंधन हेतु एक बहुक्षेत्रीय ढाँचा विकसित करने की प्रतिबद्धता जताई।
- वर्ष 2025 हेतु WHO के वैश्विक पोषण लक्ष्य (6 प्रमुख लक्ष्य):
- 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों में स्टंटिंग को 40% तक कम करना
- प्रजनन आयु की महिलाओं में एनीमिया को 50% तक कम करना
- जन्म के समय कम वजन वाले शिशुओं की सघनता को 30% तक कम करना
- बचपन की वेस्टिंग को 5% से नीचे लाना
- पहले 6 माह में केवल स्तनपान को 50% तक बढ़ाना
- बचपन में मोटापे को रोकना।
एनीमिया के उन्मूलन हेतु भारत की प्रमुख पहलें कौन-सी हैं?
- प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (PMSMA)
- स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली (HMIS)
- मिशन उत्कर्ष
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन
- मदर चाइल्ड ट्रैकिंग सिस्टम (MCTS): इसके अंतर्गत विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं में एनीमिया के मामलों को ट्रैक किया जाता है और रिपोर्ट किया जाता है।
- रक्त बैंक संचालन: एनीमिया के गंभीर मामलों में सहायता प्रदान करने हेतु ज़िला अस्पतालों में रक्त बैंकों का सुदृढ़ीकरण किया जाता है।
निष्कर्ष:
एनीमिया का उन्मूलन करने का भारत का संकल्प समावेशी और निवारक लोक स्वास्थ्य के प्रति उसकी व्यापक प्रतिबद्धता को दर्शाता है। एनीमिया मुक्त भारत रणनीति के अंतर्गत आयरन-फोलिक एसिड अनुपूरण, कृमि मुक्ति आदि के माध्यम से महिलाओं, बच्चों और किशोर बालकों की सहायता करने में महत्त्वपूर्ण प्रगति हुई है। कन्याओं, माताओं और छोटे बच्चों जैसे सर्वाधिक सुभेद्य वर्गों पर ध्यान केंद्रित करके, भारत पीढ़ी दर पीढ़ी कुपोषण के मूल कारणों का सक्रिय रूप से समाधान कर रहा है और दीर्घकालिक मानव विकास को बढ़ावा दे रहा है।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. भारत में एनीमिया की व्यापकता पर चर्चा कीजिये और विशेष रूप से सुभेद्य वर्गों में इसका उन्मूलन करने हेतु प्रभावी कार्यनीतियों का सुझाव दीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा एक, मानव शरीर में B कोशिकाओं और T कोशिकाओं की भूमिका का सर्वोत्तम वर्णन है? (2022) (a) वे शरीर को पर्यावरण प्रत्यूर्जकों (एलार्जनों) से संरक्षित करती हैं। उत्तर: (d) प्रश्न. एनीमिया मुक्त भारत रणनीति के अंतर्गत की जा रही व्यवस्थाओं के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः (2023)
उपर्युक्त कथनों में से कितने सही हैं? (a) केवल एक उत्तर: (c) मेन्स:प्रश्न. ल्यूकीमिया, थैलेसीमिया, क्षतिग्रस्त कॉर्निया व गंभीर दाह सहित सुविस्तृत चिकित्सीय दशाओं में उपचार करने के लिये भारत में स्टेम कोशिका चिकित्सा लोकप्रिय होती जा रही है। संक्षेप में वर्णन कीजिये कि स्टेम कोशिका उपचार क्या होता है और अन्य उपचारों की तुलना में इसके क्या लाभ हैं? (2017) |