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जयपुर में निवेशक शिविर का आयोजन
चर्चा में क्यों?
निवेशक शिक्षा एवं संरक्षण निधि प्राधिकरण (IEPFA) ने भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) तथा बाज़ार अवसंरचना संस्थानों (MII) के साथ साझेदारी में जयपुर में एक ‘निवेशक शिविर’ आयोजित किया।
मुख्य बिंदु
- उद्देश्य: शिविर ने छह से सात वर्षों से लंबित अघोषित लाभांश और अघोषित शेयरों की सीधी सुविधा प्रदान की, तत्काल अपने ग्राहक को जानें (KYC) और नामांकन अपडेट प्रदान किये तथा लंबित निवेशक शिक्षा और संरक्षण निधि प्राधिकरण (IEPFA) दावा मुद्दों का समाधान किया।
- संपर्क- पुणे, हैदराबाद और अमृतसर में सफल आयोजनों के बाद, जयपुर अगला मेज़बान शहर बना, जिसने निवेशक शिक्षा और संरक्षण निधि प्राधिकरण (IEPFA) की पारदर्शी, सुलभ और निवेशक-केंद्रित वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र के प्रति प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
निवेशक शिक्षा और संरक्षण निधि प्राधिकरण (IEPFA)
- भारत सरकार ने निवेशक शिक्षा एवं संरक्षण निधि के प्रशासन की देखरेख के लिये कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 125 के अंतर्गत 7 सितंबर, 2016 को निवेशक शिक्षा एवं संरक्षण निधि प्राधिकरण की स्थापना की।
- प्राधिकरण निवेशक शिक्षा एवं संरक्षण निधि का प्रबंधन करने, दावा न किये गए लाभांश, शेयरों तथा परिपक्व जमा या डिबेंचर के लिये रिफंड की प्रक्रिया करने तथा निवेशकों के बीच वित्तीय जागरूकता को बढ़ावा देने के लिये उत्तरदायी है।
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राजस्थान में बाल विवाह विरोधी अभियान
चर्चा में क्यों?
एक नागरिक समाज नेटवर्क ने राजस्थान के 38 उच्च-जोखिम वाले ज़िलों की पहचान की है, जहाँ पूरे वर्ष तक चलने वाले अभियान के माध्यम से बाल विवाह को समाप्त करने के लिये सामुदायिक सक्रियता और कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
मुख्य बिंदु
- पूर्व सफलता: जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन (JRC) नेटवर्क, 17 साझेदार संगठनों के साथ काम करते हुए, पिछले वर्ष राजस्थान में 22,480 बाल विवाहों को रोकने में सफल रहा।
- सरकारी सहायता: यह पहल राज्य सरकार के प्रयासों को पूरक करेगी, जिसमें पंचायत स्तर के संसाधनों का उपयोग करके दूरदराज के गाँवों में जागरूकता अभियान का विस्तार किया जाएगा।
- उच्च-प्रसार क्षेत्र: चयनित ज़िलों को राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (NFHS-5) 2019-21 के आँकड़ों के आधार पर उच्च-प्रसार क्षेत्रों के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
- सामुदायिक सहभागिता: JRC बाल विवाह को बच्चों के विरुद्ध अपराध बताते हुए, इसे सामूहिक रूप से समाप्त करने हेतु सामुदायिक समूहों, धार्मिक नेताओं, पंचायतों तथा नागरिकों की भागीदारी पर ज़ोर देता है।
- सहयोगात्मक कार्रवाई: राजस्थान सरकार ने स्वास्थ्य, पंचायती राज, ग्रामीण विकास, शिक्षा तथा उच्च शिक्षा विभागों के अधिकारियों को बाल-विवाह विरोधी अभियान को सक्रिय समर्थन एवं सुदृढ़ करने के लिये निर्देश दिया है।
- राष्ट्रीय पहल:
- केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) के अनुरूप वर्ष 2030 तक बाल विवाह समाप्त करने के उद्देश्य से 100 दिवसीय राष्ट्रव्यापी आंदोलन शुरू किया है।
- राज्य सांख्यिकी:
- राजस्थान में बाल विवाह का कुल प्रचलन 25.4% है, जो राष्ट्रीय औसत 23.3% से थोड़ा अधिक है।
- चित्तौड़गढ़ और भीलवाड़ा में यह दर 40% से अधिक है, जबकि नौ ज़िले, जिनमें झालावाड़, टोंक, सवाई माधोपुर और अलवर शामिल हैं, में यह दर 30% से अधिक है।
- अन्य नौ ज़िले 23%–29.9% सीमा में आते हैं, जो पूरे राज्य में व्यापक संवेदनशीलता को दर्शाता है।
राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स Switch to English
डॉ. अंबेडकर महापरिनिर्वाण दिवस
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने महापरिनिर्वाण दिवस पर डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर को श्रद्धांजलि अर्पित की।
मुख्य बिंदु
दिवस के बारे में:
- महापरिनिर्वाण दिवस हर वर्ष 6 दिसंबर को भारतीय संविधान के प्रमुख निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर की पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
- यह दिवस उनके सामाजिक सुधार, न्याय और समानता पर पड़े परिवर्तनकारी प्रभाव को सम्मानित करता है।
- “महापरिनिर्वाण” शब्द बौद्ध दर्शन से लिया गया है, जिसका अर्थ है जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति और यह बौद्ध कैलेंडर में सबसे पवित्र दिवस माना जाता है।
प्रमुख योगदान:
- सशक्तीकरण: शिक्षा को बढ़ावा देने, सामाजिक-आर्थिक स्थितियों में सुधार लाने और बहिष्कृत समुदायों को सशक्त बनाने के लिये बहिष्कृत हितकारिणी सभा (1923) की स्थापना की।
- वकालत: उत्पीड़ितों को मंच प्रदान करने और सामाजिक असमानताओं को चुनौती देने के लिये मूकनायक (मौन लोगों का नेता) समाचार-पत्र की स्थापना की।
- समानता: सार्वजनिक जल संसाधनों तक समान पहुँच की वकालत करते हुए महाड़ सत्याग्रह (1927) सहित ऐतिहासिक आंदोलनों का नेतृत्व किया।
- मुक्ति: वर्ष 1930 में पूजा स्थलों में जाति-आधारित प्रतिबंधों को तोड़ने के लिये कालाराम मंदिर प्रवेश आंदोलन (नासिक सत्याग्रह) का नेतृत्व किया, जो अस्पृश्यता के खिलाफ एक व्यापक लड़ाई का प्रतीक था।
- प्रतिनिधित्व: पूना समझौते पर बातचीत में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसने दलितों के लिये पृथक निर्वाचन क्षेत्रों के स्थान पर आरक्षित सीटें स्थापित कीं, जिससे उनके राजनीतिक प्रतिनिधित्व का मार्ग प्रशस्त हुआ।
- संविधान: वर्ष 1947 में नियुक्त प्रारूप समिति के अध्यक्ष के रूप में, डॉ. अंबेडकर ने विश्व के सबसे बड़े लिखित संविधान को तैयार करने की सावधानीपूर्वक प्रक्रिया की देखरेख की।
- अर्थशास्त्र: डॉ. अंबेडकर के डॉक्टोरल शोध ने भारत में वित्त आयोग की स्थापना और वर्ष 1934 के RBI अधिनियम के नीतिगत ढाँचे को प्रभावित किया।
पुरस्कार और सम्मान:
- भारत रत्न पुरस्कार: डॉ. अंबेडकर को वर्ष 1990 में मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
- अंबेडकर सर्किट: अंबेडकर के जीवन से जुड़े पाँच स्थानों को तीर्थस्थल के रूप में विकसित किया गया (पंचतीर्थ विकास):
- महू में जन्मस्थान
- लंदन में स्मारक (शिक्षा भूमि)
- नागपुर में दीक्षा भूमि
- मुंबई में चैत्य भूमि
- दिल्ली में महापरिनिर्वाण भूमि
- संविधान दिवस: संविधान वास्तुकार के रूप में भूमिका को सम्मानित करने हेतु वर्ष 2015 से 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है।
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