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राजस्थान स्टेट पी.सी.एस.

  • 29 Oct 2025
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राजस्थान में घूमर महोत्सव का आयोजन

चर्चा में क्यों?

राजस्थान की उप-मुख्यमंत्री, दिया कुमारी, ने घोषणा की है कि राज्य सरकार नवंबर में राजस्थान के पारंपरिक शाही नृत्य रूप को मनाने और प्रचारित करने के लिये सातों संभागीय मुख्यालयों में घूमर उत्सव का आयोजन करेगी।

मुख्य बिंदु

  • आयोजन: 
    • पर्यटन विभाग 19 नवंबर 2025 को सातों संभागीय मुख्यालयों- जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, अजमेर, बीकानेर, भरतपुर और कोटा में एक साथ घूमर उत्सव का आयोजन करेगा।
  • उद्देश्य:
    • राजस्थान के पारंपरिक घूमर नृत्य को पुनर्जीवित और संरक्षित करना
    • सांस्कृतिक एवं पर्यटन गतिविधियों में महिलाओं की भागीदारी को प्रोत्साहित करना
    • राजस्थान को एक जीवंत सांस्कृतिक पर्यटन गंतव्य के रूप में प्रचारित करना।
  • भागीदारी: 
    • 12 वर्ष और उससे अधिक आयु की लड़कियाँ तथा महिलाएँ व्यक्तिगत या समूह में पंजीकरण कर भाग ले सकती हैं, जबकि प्रतियोगिता खंड के लिये केवल 20 से 25 सदस्यों की समूह प्रविष्टियों की अनुमति होगी।
  • पुरस्कार: 
    • इस महोत्सव में विभिन्न श्रेणियों में पुरस्कार प्रदान किये जाएंगे और विजेता समूहों को राज्य के प्रमुख पर्यटन कार्यक्रमों में प्रदर्शन करने का अवसर मिलेगा।
  • घूमर नृत्य के बारे में:
    • घूमर राजस्थान का एक पारंपरिक लोक नृत्य है, जो ऐतिहासिक रूप से विशेष अवसरों पर शाही महिलाओं द्वारा किया जाता है।
    • इस नृत्य की विशेषता सुंदर गोलाकार चाल, रंग-बिरंगे परिधान और लयबद्ध ताली तथा घुमाना है।
    • इसे राजस्थान में नारीत्व, सुंदरता और सांस्कृतिक पहचान के प्रतीक के रूप में मान्यता प्राप्त है।

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राजस्थान में स्वर्ण भंडार की खोज

चर्चा में क्यों?

भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) द्वारा राजस्थान के बांसवाड़ा ज़िले में नवीन स्वर्ण भंडार की खोज की गई है।

मुख्य बिंदु

  • स्वर्ण भंडार के बारे में: 
    • घाटोल तहसील के कांकरियागढ़ा ब्लॉक में नवीनतम खोज में अनुमानित 1.20 टन स्वर्ण, साथ ही ताँबा, निकल और कोबाल्ट के अंश भी शामिल हैं ।
    • यह इस क्षेत्र में स्वर्ण की लगातार तीसरी खोज है, जिससे कर्नाटक के बाद बांसवाड़ा के प्रमुख स्वर्ण खनन केंद्र बनने की संभावनाएं बढ़ गई हैं।
    • सरकार ने खनिज सामग्री, गुणवत्ता, मात्रा और गहराई की पुष्टि के लिये G-2 स्तर की विस्तृत जाँच को स्वीकृत दे दी है, जिसके आधार पर खनन निविदाएँ जारी की जाएंगी तथा वाणिज्यिक निष्कर्षण शुरू किया जाएगा।
  • संबद्ध खनिज: 
    • स्वर्ण के साथ-साथ, इस क्षेत्र में ताँबा (लगभग 1,000 टन), निकल और कोबाल्ट के भंडार भी हैं, जो बैटरी तथा नवीकरणीय ऊर्जा उद्योगों के लिये रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण हैं।
  • भूवैज्ञानिक संदर्भ: 
    • बांसवाड़ा अरावली पर्वतमाला के साथ स्थित है, जहाँ की चट्टानों की आयु अनुमानित रूप से 5,000 वर्ष से अधिक है।
    • समय के साथ भूवैज्ञानिक गतिविधियों ने खनिज-समृद्ध चट्टानों को पृथ्वी की सतह के निकट ला दिया है, जिससे इस क्षेत्र में स्वर्ण, ताँबा, निकल, कोबाल्ट और अन्य खनिज प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं।
  • आर्थिक संभावना: 
    • निष्कर्षण शुरू हो जाने के बाद, राजस्थान के कर्नाटक के बाद स्वर्ण का निष्कर्षण करने वाला दूसरा राज्य बनने की संभावना है, जो संभवतः भारत के कुल स्वर्ण उत्पादन में 25% से अधिक का योगदान देगा। 
    • इस विकास से स्थानीय रोज़गार में वृद्धि, नई अवसंरचना का निर्माण और क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था के सुदृढ़ होने की संभावना है
  • पूर्व की खोजें:
    • इससे पहले, GSI ने घाटोल तहसील के भुकिया और जगपुरा क्षेत्रों में 11.48 करोड़ टन स्वर्ण अयस्क की पहचान की थी। इन स्थलों में 13,739 टन कोबाल्ट तथा 11,146 टन निकल भी पाए गए थे।


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DFC पर यात्री ट्रेनों का परिचालन

चर्चा में क्यों?

भारतीय रेलवे के इतिहास में पहली बार, डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (DFC) नेटवर्क पर यात्री ट्रेनों का परिचालन शुरू किया गया है।

मुख्य बिंदु

  • पारंपरिक रूप से, डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (DFCs) विशेष रूप से माल परिवहन के लिये विकसित किये गए थे, जिनका उद्देश्य लॉजिस्टिक्स की दक्षता बढ़ाना को बढ़ाना और मौजूदा रेलवे लाइनों पर भीड़ को कम करना था।
  • हालाँकि, छठ पूजा (25-28 अक्तूबर 2025) के दौरान भारी भीड़ के कारण, रेलवे ने पहली बार खाली पैसेंजर कोचिंग रैक और विशेष ट्रेनों को DFC पर चलाने की अनुमति दी।
  • इस कदम से त्योहार के समय अधिक संख्या में पैसेंजर और एक्सप्रेस ट्रेनें संचालित करना संभव हुआ।

DFC का स्वरूप:

  • ईस्टर्न DFC (EDFC): ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर लुधियाना (पंजाब) से शुरू होकर उत्तर प्रदेश और बिहार होते हुए दनकुनी (पश्चिम बंगाल) तक लगभग 1,839 किमी की लंबाई में विस्तृत है। EDFC का अधिकांश वित्तपोषण विश्व बैंक द्वारा किया जा रहा है।
  • वेस्टर्न DFC (WDFC): यह जवाहरलाल नेहरू पोर्ट टर्मिनल (JNPT), मुंबई से दादरी तक लगभग 1,506 किमी लंबा है।। WDFC का वित्तपोषण जापान अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (JICA) द्वारा किया जा रहा है।


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8वें वेतन आयोग की संदर्भ शर्तें स्वीकृत

चर्चा में क्यों?

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 8वें केंद्रीय वेतन आयोग (CPC) के लिये संदर्भ की शर्तों (ToR) को स्वीकृति दे दी है।

  • यह आयोग केंद्रीय सरकार के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के वेतन संरचना और सेवानिवृत्ति लाभों की समीक्षा और सिफारिश करने के लिये उत्तरदायी है।

मुख्य बिंदु

  • 8वीं केंद्रीय वेतन आयोग (CPC) के गठन की घोषणा जनवरी 2025 में की गई थी और इसके संदर्भ की शर्तों (ToR) को 28 अक्तूबर 2025 को मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित किया गया था।
  • आयोग अपने गठन के 18 महीने के भीतर अपनी सिफारिशें प्रस्तुत करेगा, जिससे लगभग 50 लाख केंद्रीय सरकारी कर्मचारी (रक्षा कार्मिकों सहित) एवं 69 लाख पेंशनभोगी प्रभावित होंगे।
  • आयोग की रिपोर्ट प्रस्तुत होने के बाद संशोधित वेतन एवं पेंशन संरचना जनवरी 2026 से लागू होने की संभावना है। 
  • 8 वें केन्द्रीय वेतन आयोग की संरचना:

पद

नाम / पदनाम

अध्यक्ष

न्यायमूर्ति रंजन प्रकाश देसाई (पूर्व सर्वोच्च न्यायालय न्यायाधीश)

अंशकालिक सदस्य

प्रो० पुलक घोष (भारतीय प्रबंधन संस्थान, बंगलूरू)

सदस्य सचिव

पंकज जैन (पेट्रोलियम सचिव)

  • संदर्भ की शर्तें (ToR):
    • 8वें केंद्रीय वेतन आयोग को निम्नलिखित विषयों पर विचार करने के बाद सिफारिशें करने का कार्य सौंपा गया है:
    • देश की आर्थिक स्थिति एवं राजकोषीय सतर्कता की आवश्यकता।
    • विकासात्मक व्यय एवं कल्याणकारी उपायों के लिये संसाधनों की उपलब्धता।
    • गैर-अंशदायी पेंशन योजनाओं की अवित्तपोषित लागत (विशेषकर 2004 से पूर्व की पेंशन देयताएँ)।
    • राज्य के वित्त पर प्रभाव, क्योंकि राज्य सरकारें अक्सर अपने वेतनमान को केंद्र के अनुरूप करती हैं।
    • केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (CPSU) एवं निजी क्षेत्र में कर्मचारियों की वर्तमान पारिश्रमिक संरचना, लाभ एवं कार्य स्थितियाँ।
  • पृष्ठभूमि: 
    • वेतन आयोग का गठन आमतौर पर प्रत्येक 10 वर्ष में एक बार किया जाता है ताकि सरकारी कर्मचारियों के भत्ते, वेतन संरचना एवं पेंशन में बदलाव की समीक्षा एवं सिफारिश की जा सके।
    • 7वें केंद्रीय वेतन आयोग का गठन वर्ष 2014 में किया गया था और इसकी सिफारिशें 1 जनवरी 2016 से लागू की गईं।


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