राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स Switch to English
शिरीष चंद्र मुर्मू नियुक्त हुए RBI के डिप्टी गवर्नर
चर्चा में क्यों?
भारत सरकार ने शिरीष चंद्र मुर्मू को भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के नए डिप्टी गवर्नर के रूप में नियुक्त किया है, जो 9 अक्तूबर, 2025 से प्रभावी होगा। वे एम. राजेश्वर राव का स्थान लेंगे।
प्रमुख बिंदु
- परिचय: शिरीष चंद्र मुर्मू, जो वर्तमान में RBI में कार्यकारी निदेशक के रूप में कार्यरत हैं, को तीन वर्षों की अवधि के लिये इस पद पर नियुक्त किया गया है।
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वे वर्ष 1991 में RBI में शामिल हुए और क्षेत्रीय निदेशक जैसे महत्त्वपूर्ण पदों के साथ-साथ बैंकिंग विनियमन, मुद्रा प्रबंधन और सूचना प्रौद्योगिकी में वरिष्ठ प्रबंधन पदों पर भी कार्य कर चुके हैं।
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कार्य: अपने नए पद पर वे बैंकिंग विनियमन, वित्तीय बाज़ार और मौद्रिक नीति सहित प्रमुख दायित्वों का निर्वहन करेंगे।
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नियुक्ति: उनकी नियुक्ति को कैबिनेट की नियुक्ति समिति (ACC) द्वारा अनुमोदित किया गया था।
- कैबिनेट की नियुक्ति समिति (ACC), जिसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री करते हैं और जिसमें गृह मंत्री सदस्य होते हैं, वरिष्ठ सरकारी नियुक्तियाँ करने के लिये ज़िम्मेदार है।
- संरचना: RBI अधिनियम, 1934 के अनुसार, केंद्रीय बैंक में चार डिप्टी गवर्नर होने आवश्यक हैं: दो RBI के भीतर से, एक वाणिज्यिक बैंकिंग क्षेत्र से, और एक अर्थशास्त्री जो मौद्रिक नीति विभाग का नेतृत्व करेगा।
- वर्तमान डिप्टी गवर्नर में शिरीष चंद्र मुर्मू के अलावा टी. रबी शंकर, स्वामीनाथन जे. और पूनम गुप्ता शामिल हैं।
उत्तर प्रदेश Switch to English
उत्तर प्रदेश में अपराध दर राष्ट्रीय औसत से कम
चर्चा में क्यों?
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) 2023 की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, पंजीकृत मामलों की अधिक संख्या होने के बावजूद, उत्तर प्रदेश ने प्रति लाख जनसंख्या पर अपराध दर के मामले में राष्ट्रीय औसत से बेहतर प्रदर्शन किया है।
प्रमुख निष्कर्ष
- राष्ट्रीय औसत बनाम उत्तर प्रदेश का प्रदर्शन:
- भारत की कुल अपराध दर: प्रति लाख जनसंख्या पर 448.3
- उत्तर प्रदेश: प्रति लाख जनसंख्या पर 335.3 (राष्ट्रीय औसत से 25% से अधिक कम)।
- उत्तर प्रदेश का विवरण:
- 24 करोड़ की जनसंख्या वाले उत्तर प्रदेश में भारतीय दंड संहिता (IPC) और विशेष एवं स्थानीय कानूनों (SLL) के तहत 7.93 लाख मामले दर्ज किये गए।
- अपराध दर के मामले में यह राज्य 28 राज्यों और 8 केंद्रशासित प्रदेशों में 11वें स्थान पर है।
- अन्य राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों से तुलना:
- केरल: सर्वोच्च अपराध दर, प्रति लाख 1,631.2
- दिल्ली (केंद्रशासित प्रदेश): प्रति लाख जनसंख्या पर 1,602
- वर्ष-दर-वर्ष तुलना (2022 बनाम 2023):
- भारत 2022: प्रति लाख 258
- उत्तर प्रदेश 2022: 71.6 प्रति लाख (4.01 लाख मामलों के साथ 18वें स्थान पर)।
- केरल वर्ष 2022 में भी शीर्ष पर रहा (661 प्रति लाख)।
- वर्ष 2023 में राष्ट्रीय स्तर और उत्तर प्रदेश दोनों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, लेकिन उत्तर प्रदेश अभी भी राष्ट्रीय औसत से कम है।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB)
- राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की स्थापना वर्ष 1986 में अपराध और अपराधियों से संबंधित जानकारी का भंडार तैयार करने के लिये की गई थी ताकि टंडन समिति, राष्ट्रीय पुलिस आयोग (1977-1981) और गृह मंत्रालय (MHA) टास्कफोर्स (1985) की सिफारिशों के आधार पर अपराध को अपराधियों से जोड़ने में जाँचकर्त्ताओं की सहायता की जा सके।
- यह गृह मंत्रालय का एक अंग है और इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है।
- NCRB भारतीय और विदेशी अपराधियों के फिंगरप्रिंट रिकॉर्ड के लिये एक "राष्ट्रीय भंडार" के रूप में भी कार्य करता है और फिंगरप्रिंट खोज के माध्यम से अंतरराज्यीय अपराधियों का पता लगाने में सहायता करता है।
- NCRB के चार खंड हैं: अपराध और अपराधी ट्रैकिंग नेटवर्क और सिस्टम (CCTNS), अपराध सांख्यिकी, फिंगरप्रिंट और प्रशिक्षण।
- NCRB के प्रकाशन:
- क्राइम इन इंडिया, आकस्मिक मृत्यु और आत्महत्याएँ, प्रिज़न स्टेटिस्टिक्स, और भारत में लापता महिलाओं और बच्चों पर रिपोर्ट।
- ये प्रकाशन न केवल पुलिस अधिकारियों के लिये बल्कि अपराधशास्त्रियों, शोधकर्त्ताओं, मीडिया और नीति-निर्माताओं के लिये भी अपराध संबंधी आँकड़ों का मुख्य संदर्भ स्रोत हैं, और यह केवल भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी उपयोगी हैं।
उत्तर प्रदेश Switch to English
17वाँ जनजातीय युवा आदान-प्रदान कार्यक्रम
चर्चा में क्यों?
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में 17वें जनजातीय युवा आदान-प्रदान कार्यक्रम को संबोधित किया।
- 25 सितंबर से 1 अक्तूबर, 2025 तक चलने वाले इस कार्यक्रम में मध्य प्रदेश, झारखंड, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और ओडिशा के लगभग 200 प्रतिभागी शामिल होंगे।
प्रमुख बिंदु
- परिचय: 17वाँ जनजातीय युवा आदान-प्रदान कार्यक्रम एक सप्ताह तक चलने वाली पहल है जिसका उद्देश्य जनजातीय युवाओं को राष्ट्रीय मुख्यधारा में शामिल करना तथा उन्हें भारत की विविध संस्कृति, इतिहास और विकास से परिचित कराना है।
- उद्देश्य:
- युवा आकांक्षाओं को बढ़ावा देना: पाँच राज्यों के 12 ज़िलों के दूरस्थ आदिवासी क्षेत्रों के युवाओं को देश की सांस्कृतिक, भाषाई और सामाजिक-आर्थिक विविधता को समझने के लिये भारत के 24 विविध स्थानों का भ्रमण करने का अवसर प्रदान करना।
- विकास के अवसरों से परिचित कराना: उन्हें तकनीकी, औद्योगिक और कौशल विकास की प्रगति के साथ-साथ शिक्षा और रोज़गार के अवसरों से परिचित कराना, साथ ही कल्याणकारी योजनाओं के बारे में जागरूकता बढ़ाना।
- सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण: आदिवासी युवाओं को उनकी समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं के प्रति संवेदनशील बनाना और उन्हें भावी पीढ़ियों के लिए अपनी विरासत को संरक्षित और संवर्धित करने के लिए प्रोत्साहित करना।
- आत्म-सम्मान का निर्माण: विभिन्न क्षेत्रों के आदिवासी युवाओं के बीच भावनात्मक बंधन को बढ़ावा देना, उनके आत्म-सम्मान को बढ़ाना और एकता की भावना का निर्माण करना।
- कॉरियर विकास: प्रमुख नेताओं, उपलब्धि प्राप्त करने वालों और विशेषज्ञों के साथ बातचीत का अवसर प्रदान करना और उनके व्यक्तिगत तथा व्यावसायिक विकास में सहायता के लिये कॉरियर परामर्श, जीवन कौशल प्रशिक्षण और सरकारी योजनाओं के बारे में जागरूकता प्रदान करना।
- प्रतिभागी: कांकेर जिले के नक्सल प्रभावित गाँवों से चुने गए 40 आदिवासी छात्रों का एक समूह भी 'भारत दर्शन' यात्रा का हिस्सा है।
- ये छात्र लखनऊ और अन्य स्थानों के प्रमुख सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और शैक्षिक स्थलों का भ्रमण करेंगे।
- आयोजक: नेहरू युवा केंद्र संगठन (NYKS) गृह मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से आदिवासी युवाओं के विकास के लिये जनजातीय युवा आदान-प्रदान कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है।
- 'भारत दर्शन' यात्रा का आयोजन सीमा सुरक्षा बल (BSF) और नेहरू युवा केंद्र संगठन (NYKS) द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है।
मध्य प्रदेश Switch to English
मुख्यमंत्री द्वारा RTE शुल्क प्रतिपूर्ति हस्तांतरित
चर्चा में क्यों?
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम, 2009 के तहत प्रवेशित 8.45 लाख विद्यार्थियों की फीस प्रतिपूर्ति के रूप में 20,652 निजी विद्यालयों को एक क्लिक में 489 करोड़ रुपए हस्तांतरित किये।
- अगले शैक्षणिक सत्र से, निजी विद्यालयों के RTE विद्यार्थियों को भी निःशुल्क पाठ्यपुस्तकें और स्कूल बैग मिलेंगे।
- राज्य ने संदीपनी स्कूल की स्थापना की है और अन्य कल्याणकारी उपाय भी जारी रखे हैं, जैसे निःशुल्क साइकिलें, वर्दी, पाठ्यपुस्तकें, टॉपर्स के लिये स्कूटी और 75% या उससे अधिक अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों के लिये लैपटॉप।
RTE अधिनियम, 2009 के प्रमुख प्रावधान
- निःशुल्क एवं अनिवार्य प्रारंभिक शिक्षा का अधिकार: 6-14 वर्ष की आयु के बच्चे स्थानीय विद्यालयों में निःशुल्क, अनिवार्य शिक्षा के हकदार हैं और 6 वर्ष से अधिक आयु के उन बच्चों के लिये आयु-उपयुक्त कक्षा में नामांकन अनिवार्य है जो विद्यालय नहीं जाते।
- सहायता प्राप्त विद्यालयों को भी अपनी निधि के अनुपात में निःशुल्क शिक्षा प्रदान करनी होगी, लेकिन 25% से कम नहीं।
- प्राथमिक शिक्षा पूर्ण होने तक पूरी तरह निःशुल्क रहेगी, और किसी भी बच्चे को प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने से पहले रोका नहीं जा सकता, निष्कासित नहीं किया जा सकता या बोर्ड परीक्षा उत्तीर्ण करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।
- पाठ्यक्रम एवं मान्यता: प्राथमिक शिक्षा हेतु पाठ्यक्रम एवं मूल्यांकन प्रक्रिया का निर्धारण केंद्र या राज्य सरकार द्वारा नामित शैक्षिक प्राधिकरण द्वारा किया जाएगा।
- सभी विद्यालयों को स्थापना या मान्यता से पहले विद्यार्थी-शिक्षक अनुपात मानदंडों का पालन करना होगा और निर्धारित मानकों को पूरा करना होगा।
- शिक्षकों की अर्हता सुनिश्चित करने हेतु उपयुक्त सरकार द्वारा शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) का आयोजन किया जाता है।
- विद्यालयों और शिक्षकों की ज़िम्मेदारियाँ: शिक्षकों को जनगणना, आपदा राहत और चुनाव संबंधी कार्यों को छोड़कर, निजी ट्यूशन देने या गैर-शिक्षण कार्य करने से मना किया गया है।
- विद्यालयों को स्थानीय प्राधिकरण के प्रतिनिधियों, अभिभावकों, संरक्षकों और शिक्षकों से मिलकर विद्यालय प्रबंधन समितियाँ (SMC) स्थापित करनी होंगी ताकि स्कूल द्वारा सरकारी धन के उपयोग की निगरानी की जा सके और स्कूल विकास योजना बनाई जा सके।
- शिकायत निवारण: राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग सुरक्षा उपायों की समीक्षा करता है और शिकायतों की जाँच करता है तथा उसे सिविल न्यायालय के समान शक्तियाँ प्राप्त हैं; राज्य सरकार भी इसी प्रकार के कार्यों के लिये राज्य आयोग की स्थापना कर सकती है।
मध्य प्रदेश Switch to English
पालोमर वेधशाला की पहली महिला प्रमुख
चर्चा में क्यों?
प्रोफेसर मानसी मनोज कासलीवाल ने पालोमर वेधशाला के नए निदेशक के रूप में नियुक्त होने वाली पहली महिला और दूसरी भारतीय मूल की व्यक्ति (PIO) बनकर इतिहास रच दिया है। इससे पहले श्रीनिवास कुलकर्णी 2006 से 2018 तक वेधशाला का नेतृत्व करने वाले पहले PIO थे।
प्रमुख बिंदु
- परिचय: भारत के इंदौर में जन्मी, वह 15 वर्ष की आयु में संयुक्त राज्य अमेरिका चली गईं। उन्होंने वर्ष 2005 में कॉर्नेल विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री प्राप्त की और वर्ष 2011 में कैलटेक में खगोल विज्ञान में PhD पूरी की। कार्नेगी वेधशालाओं में पोस्टडॉक्टरल कार्यकाल के बाद, वह कैलटेक लौट आईं, जहाँ वह अब एक स्थायी प्रोफेसर हैं।
- मान्यता: प्रोफेसर कसलीवाल, जो कैलटेक में खगोल विज्ञान की प्रोफेसर हैं, सुपरनोवा और न्यूट्रॉन तारा टकराव जैसी विस्फोटक ब्रह्मांडीय घटनाओं पर उनके अग्रणी कार्य के लिये अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जानी जाती हैं। ब्रह्मांडीय घटनाओं के विद्युत चुम्बकीय अनुवर्तन में उनके नेतृत्व के लिये उन्हें वर्ष 2022 में न्यू होराइज़न्स इन फ़िज़िक्स पुरस्कार से सम्मानित किया गया
- प्रमुख योगदान और उपलब्धियाँ:
- GROWTH परियोजना: ग्लोबल रिले ऑफ ऑब्जर्वेटरीज वॉचिंग ट्रांजिएंट्स हैपन (GROWTH) का नेतृत्व करती हैं, जो क्षणिक ब्रह्मांडीय घटनाओं को कैप्चर करने वाले दूरबीनों का एक वैश्विक नेटवर्क है।
- पालोमर ट्रांज़िएंट फैक्ट्री & ज़्विकी ट्रांज़िएंट फैसिलिटी: दोनों सुविधाओं के डिज़ाइन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, हज़ारों सुपरनोवा और अन्य खगोलीय घटनाओं को उजागर किया।
- मल्टी-मैसेंजर खगोल विज्ञान: लेज़र इंटरफेरोमीटर ग्रेविटेशनल-वेव ऑब्ज़र्वेटरी द्वारा पता लगाई गईं गुरुत्वाकर्षण तरंगों के अनुवर्ती अवलोकनों में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।
पालोमर वेधशाला
- स्थान और स्वामित्व: कैलिफोर्निया के सैन डिएगो काउंटी के उत्तर में पालोमर पर्वत पर स्थित पालोमर वेधशाला, कैलटेक के स्वामित्व और संचालन वाला एक खगोलीय अनुसंधान केंद्र है।
- अनुसंधान दूरबीनें: वेधशाला में तीन सक्रिय अनुसंधान दूरबीनें हैं: 200 इंच की हेल दूरबीन, 48 इंच की सैमुअल ओशिन दूरबीन, और 60 इंच की दूरबीन, जो कैलटेक और सहयोगी संस्थानों के खगोलविदों के विविध समुदाय को सेवा प्रदान करती हैं।
- ऐतिहासिक और निरंतर योगदान: लगभग एक शताब्दी पहले स्थापित, पालोमर वेधशाला खगोलीय अनुसंधान में अग्रणी रही है, जो वैज्ञानिक उन्नति, उपकरण विकास और छात्र प्रशिक्षण के लिये रात्रिकालीन कार्य करती है।
उत्तर प्रदेश Switch to English
उत्तर प्रदेश: पूर्ण एग्री-स्टैक पंजीकरण की ओर
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश सरकार ने ज़िलाधिकारियों को एग्री-स्टैक योजना के तहत 100% किसान पंजीकरण सुनिश्चित करने के साथ-साथ डिजिटल फसल सर्वेक्षण (DCS) और किसान रजिस्ट्री को पूरा करने का निर्देश दिया है।
प्रमुख बिंदु
- परिचय: एग्री स्टैक एक सरकारी नेतृत्व वाली डिजिटल फाउंडेशन है जिसे कृषि क्षेत्र में सभी हितधारकों को एक साथ लाने, किसानों के लिये परिणामों में सुधार करने और डेटा-संचालित समाधानों के माध्यम से नई सेवाओं को सक्षम करने के लिएये डिज़ाइन किया गया है।
- कार्यान्वयन: कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा शुरू की गई यह पहल इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा विकसित इंडिया एंटरप्राइज़ आर्किटेक्चर (InDEA) 2.0 ढाँचे पर आधारित है।
- एग्री स्टैक एक खुले, संघीय मॉडल का अनुसरण करता है, जिसके डिज़ाइन के केंद्र में राज्य सरकारें होती हैं, जो इस क्षेत्र के डिजिटल विकास में समावेशिता और सामूहिक भागीदारी सुनिश्चित करती हैं।
- घटक:
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किसान और कृषिभूमि भूखंड रजिस्ट्री: किसानों के लिये एक केंद्रीकृत डेटाबेस, जो योजना, परामर्श और योजना वितरण के लिये उनके कृषिभूमि भूखंड रिकॉर्ड से जुड़ा हुआ है, जिसमें आधार पर आधारित एक अद्वितीय किसान ID है।
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एकीकृत किसान सेवा इंटरफेस (UFSI): एग्री स्टैक में हितधारकों के बीच निर्बाध डेटा विनिमय के लिये एक प्रणाली, जो सरकार, बैंकों, कृषि-तकनीक कंपनियों और निजी उपयोगकर्त्ताओं के लिये आसान पहुँच को सक्षम बनाती है।
- फसल बोई रजिस्ट्री: उन्नत प्रौद्योगिकी (स्मार्टफोन, ड्रोन, सैटेलाइट) का उपयोग करके अधिक सटीक और कुशल फसल डेटा संग्रह के लिये एक रजिस्ट्री, जो सरकार द्वारा बेहतर फसल उत्पादन अनुमान लगाने में सहायता करती है।
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