मध्य प्रदेश
मुख्यमंत्री द्वारा RTE शुल्क प्रतिपूर्ति हस्तांतरित
- 30 Sep 2025
- 19 min read
चर्चा में क्यों?
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम, 2009 के तहत प्रवेशित 8.45 लाख विद्यार्थियों की फीस प्रतिपूर्ति के रूप में 20,652 निजी विद्यालयों को एक क्लिक में 489 करोड़ रुपए हस्तांतरित किये।
- अगले शैक्षणिक सत्र से, निजी विद्यालयों के RTE विद्यार्थियों को भी निःशुल्क पाठ्यपुस्तकें और स्कूल बैग मिलेंगे।
- राज्य ने संदीपनी स्कूल की स्थापना की है और अन्य कल्याणकारी उपाय भी जारी रखे हैं, जैसे निःशुल्क साइकिलें, वर्दी, पाठ्यपुस्तकें, टॉपर्स के लिये स्कूटी और 75% या उससे अधिक अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों के लिये लैपटॉप।
RTE अधिनियम, 2009 के प्रमुख प्रावधान
- निःशुल्क एवं अनिवार्य प्रारंभिक शिक्षा का अधिकार: 6-14 वर्ष की आयु के बच्चे स्थानीय विद्यालयों में निःशुल्क, अनिवार्य शिक्षा के हकदार हैं और 6 वर्ष से अधिक आयु के उन बच्चों के लिये आयु-उपयुक्त कक्षा में नामांकन अनिवार्य है जो विद्यालय नहीं जाते।
- सहायता प्राप्त विद्यालयों को भी अपनी निधि के अनुपात में निःशुल्क शिक्षा प्रदान करनी होगी, लेकिन 25% से कम नहीं।
- प्राथमिक शिक्षा पूर्ण होने तक पूरी तरह निःशुल्क रहेगी, और किसी भी बच्चे को प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने से पहले रोका नहीं जा सकता, निष्कासित नहीं किया जा सकता या बोर्ड परीक्षा उत्तीर्ण करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।
- पाठ्यक्रम एवं मान्यता: प्राथमिक शिक्षा हेतु पाठ्यक्रम एवं मूल्यांकन प्रक्रिया का निर्धारण केंद्र या राज्य सरकार द्वारा नामित शैक्षिक प्राधिकरण द्वारा किया जाएगा।
- सभी विद्यालयों को स्थापना या मान्यता से पहले विद्यार्थी-शिक्षक अनुपात मानदंडों का पालन करना होगा और निर्धारित मानकों को पूरा करना होगा।
- शिक्षकों की अर्हता सुनिश्चित करने हेतु उपयुक्त सरकार द्वारा शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) का आयोजन किया जाता है।
- विद्यालयों और शिक्षकों की ज़िम्मेदारियाँ: शिक्षकों को जनगणना, आपदा राहत और चुनाव संबंधी कार्यों को छोड़कर, निजी ट्यूशन देने या गैर-शिक्षण कार्य करने से मना किया गया है।
- विद्यालयों को स्थानीय प्राधिकरण के प्रतिनिधियों, अभिभावकों, संरक्षकों और शिक्षकों से मिलकर विद्यालय प्रबंधन समितियाँ (SMC) स्थापित करनी होंगी ताकि स्कूल द्वारा सरकारी धन के उपयोग की निगरानी की जा सके और स्कूल विकास योजना बनाई जा सके।
- शिकायत निवारण: राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग सुरक्षा उपायों की समीक्षा करता है और शिकायतों की जाँच करता है तथा उसे सिविल न्यायालय के समान शक्तियाँ प्राप्त हैं; राज्य सरकार भी इसी प्रकार के कार्यों के लिये राज्य आयोग की स्थापना कर सकती है।