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सामाजिक न्याय

ग्रामीण भारत में प्रारंभिक शिक्षा की स्थिति 2023

  • 09 Aug 2023
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

ग्रामीण भारत में प्रारंभिक शिक्षा की स्थिति, स्मार्टफोन के उपयोग की व्यापकता, शैक्षिक गतिविधियों पर मनोरंजन को प्राथमिकता

मेन्स के लिये:

ग्रामीण भारत में प्राथमिक शिक्षा की स्थिति

चर्चा में क्यों?

हाल ही में शिक्षा मंत्रालय ने ग्रामीण भारत में प्रारंभिक शिक्षा की स्थिति- 2023 रिपोर्ट जारी की है, जिसमें छात्रों के बीच स्मार्टफोन के उपयोग की व्यापकता पर प्रकाश डाला गया है।

  • यह रिपोर्ट NGO ट्रांसफॉर्म रूरल इंडिया (NGO Transform Rural India) और संबोधि रिसर्च एंड कम्युनिकेशंस (Sambodhi Research and Communications) के सहयोग से डेवलपमेंट इंटेलिजेंस यूनिट (Development Intelligence Unit- DIU) द्वारा किये गए सर्वेक्षण पर आधारित थी।
  • इस सर्वेक्षण में 21 राज्यों के ग्रामीण समुदायों में 6-16 आयु वर्ग के स्कूली बच्चों के 6,229 माता-पिता से प्रतिक्रियाएँ एकत्र की गईं।

सर्वेक्षण के मुख्य निष्कर्ष:

  • स्मार्टफोन का उपयोग और मनोरंजन:
    • 49.3% छात्रों की स्मार्टफोन तक पहुँच है। 76.7% माता-पिता ने बताया कि उनके बच्चे स्मार्टफोन का उपयोग मुख्य रूप से वीडियो गेम खेलने के लिये करते हैं, जो शैक्षिक गतिविधियों पर मनोरंजन को प्राथमिकता देने का संकेत देता है। 
    • इसके अतिरिक्त 56.6% छात्र फिल्में डाउनलोड करने और देखने के लिये स्मार्टफोन का उपयोग करते हैं, जबकि 47.3% छात्र गाने डाउनलोड करने और सुनने हेतु स्मार्टफोन का उपयोग करते हैं।
    • इसके विपरीत केवल 34% छात्र अध्ययन-संबंधी सामग्री डाउनलोड करने के लिये स्मार्टफोन का उपयोग करते हैं और केवल 18% छात्र ट्यूटोरियल के माध्यम से ऑनलाइन शिक्षा ग्रहण करने के लिये इसका उपयोग करते हैं।

  • कक्षा के आधार पर विभेदक पहुँच:
    • कक्षा के विभिन्न स्तरों पर छात्रों की स्मार्टफोन तक पहुँच अलग-अलग होती है। उच्च कक्षाओं 
    • (आठवीं और उससे ऊपर) के छात्रों की  स्मार्टफोन तक अधिक पहुँच (58.32%) है, जबकि  42.1% छोटे छात्रों (कक्षा I-III) तक पहुँच है।
    • यह इंगित करता है कि मनोरंजन के लिये स्मार्टफोन का उपयोग सभी आयु समूहों में प्रचलित है, जो संभावित रूप से उनकी शिक्षा को प्रभावित कर रहा है।
  • माता-पिता की आकांक्षाएँ और व्यस्तता:
    • 78% माता-पिता अपने बच्चों को स्नातक स्तर या उससे ऊपर की शिक्षा दिलाना चाहते हैं, किंतु इस संदर्भ में अभिभावकों की अपने बच्चों के साथ सहभागिता काफी कम है।
    • केवल 40% माता-पिता अपने बच्चों के साथ उनकी स्कूली शिक्षा के बारे में दैनिक बातचीत करते हैं, जबकि 32% सप्ताह में कुछ दिन ऐसी बातचीत में संलग्न रहते हैं।
  • स्कूल ड्रॉपआउट का कारण:
    • लड़कियों के मामले में 36.8% माता-पिता ने उल्लेख किया कि पारिवारिक कार्यों में योगदान देने के कारण उनकी बेटियों को पढ़ाई छोड़नी पड़ती है।
      • इस बीच 31.6% ने अपने बच्चे की पढ़ाई में रुचि की कमी को स्कूल छोड़ने के लिये ज़िम्मेदार ठहराया और 21.1% का मानना था कि इसमें घरेलू ज़िम्मेदारियाँ भी अहम भूमिका निभाती हैं।
    • 71.8% उत्तरदाताओं के अनुसार, पढ़ाई छोड़ने का मुख्य कारण विषय-वस्तु में रुचि की कमी थी। इसके बाद 48.7% उत्तरदाताओं को परिवार की आर्थिक सहायता करने के लिये लड़कों की आवश्यकता महसूस हुई।
  • अभिभावक-शिक्षक बैठकें और सीखने का माहौल:
    • 84% अभिभावकों ने नियमित उपस्थिति दर्ज की। गैर-उपस्थिति के दो मुख्य कारण हैं- अल्प सूचना और इच्छा की कमी।
    • इसके अतिरिक्त 40% अभिभावकों द्वारा पाठ्यपुस्तकों के अलावा अन्य आयु-उपयुक्त पठन सामग्री की उपलब्धता की सूचना दी गई, जो घर पर बच्चों की शिक्षा में सहायता के लिये अतिरिक्त संसाधनों की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है।

सिफारिशें:

  • ये निष्कर्ष घर पर शैक्षिक माहौल बनाने तथा मनोरंजन और सीखने दोनों उद्देश्यों के लिये स्मार्टफोन के संतुलित उपयोग को बढ़ावा देने हेतु लक्षित प्रयासों की आवश्यकता पर ज़ोर देते हैं।

स्रोत: द हिंदू

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