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मध्य प्रदेश

पालोमर वेधशाला की पहली महिला प्रमुख

  • 30 Sep 2025
  • 18 min read

चर्चा में क्यों?

प्रोफेसर मानसी मनोज कासलीवाल ने पालोमर वेधशाला के नए निदेशक के रूप में नियुक्त होने वाली पहली महिला और दूसरी भारतीय मूल की व्यक्ति (PIO) बनकर इतिहास रच दिया है। इससे पहले श्रीनिवास कुलकर्णी 2006 से 2018 तक वेधशाला का नेतृत्व करने वाले पहले PIO थे।

प्रमुख बिंदु

  • परिचय: भारत के इंदौर में जन्मी, वह 15 वर्ष की आयु में संयुक्त राज्य अमेरिका चली गईं। उन्होंने वर्ष 2005 में कॉर्नेल विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री प्राप्त की और वर्ष 2011 में कैलटेक में खगोल विज्ञान में PhD पूरी की। कार्नेगी वेधशालाओं में पोस्टडॉक्टरल कार्यकाल के बाद, वह कैलटेक लौट आईं, जहाँ वह अब एक स्थायी प्रोफेसर हैं।
  • मान्यता: प्रोफेसर कसलीवाल, जो कैलटेक में खगोल विज्ञान की प्रोफेसर हैं, सुपरनोवा और न्यूट्रॉन तारा टकराव जैसी विस्फोटक ब्रह्मांडीय घटनाओं पर उनके अग्रणी कार्य के लिये अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जानी जाती हैं। ब्रह्मांडीय घटनाओं के विद्युत चुम्बकीय अनुवर्तन में उनके नेतृत्व के लिये उन्हें वर्ष 2022 में न्यू होराइज़न्स इन फ़िज़िक्स पुरस्कार से सम्मानित किया गया
  • प्रमुख योगदान और उपलब्धियाँ:
  • GROWTH परियोजना: ग्लोबल रिले ऑफ ऑब्जर्वेटरीज वॉचिंग ट्रांजिएंट्स हैपन (GROWTH) का नेतृत्व करती हैं, जो क्षणिक ब्रह्मांडीय घटनाओं को कैप्चर करने वाले दूरबीनों का एक वैश्विक नेटवर्क है।
  • पालोमर ट्रांज़िएंट फैक्ट्री & ज़्विकी ट्रांज़िएंट फैसिलिटी: दोनों सुविधाओं के डिज़ाइन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, हज़ारों सुपरनोवा और अन्य खगोलीय घटनाओं को उजागर किया।
  • मल्टी-मैसेंजर खगोल विज्ञान: लेज़र इंटरफेरोमीटर ग्रेविटेशनल-वेव ऑब्ज़र्वेटरी द्वारा पता लगाई गईं गुरुत्वाकर्षण तरंगों के अनुवर्ती अवलोकनों में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।

पालोमर वेधशाला

  • स्थान और स्वामित्व: कैलिफोर्निया के सैन डिएगो काउंटी के उत्तर में पालोमर पर्वत पर स्थित पालोमर वेधशाला, कैलटेक के स्वामित्व और संचालन वाला एक खगोलीय अनुसंधान केंद्र है।
  • अनुसंधान दूरबीनें: वेधशाला में तीन सक्रिय अनुसंधान दूरबीनें हैं: 200 इंच की हेल ​​दूरबीन, 48 इंच की सैमुअल ओशिन दूरबीन, और 60 इंच की दूरबीन, जो कैलटेक और सहयोगी संस्थानों के खगोलविदों के विविध समुदाय को सेवा प्रदान करती हैं।
  • ऐतिहासिक और निरंतर योगदान: लगभग एक शताब्दी पहले स्थापित, पालोमर वेधशाला खगोलीय अनुसंधान में अग्रणी रही है, जो वैज्ञानिक उन्नति, उपकरण विकास और छात्र प्रशिक्षण के लिये रात्रिकालीन कार्य करती है।
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