छत्तीसगढ़ Switch to English
छत्तीसगढ़ में नए विधानसभा भवन का उद्घाटन
चर्चा में क्यों?
राज्य की रजत जयंती (स्थापना दिवस) के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 1 नवंबर 2025 को नवा रायपुर में छत्तीसगढ़ के नए विधानसभा भवन का उद्घाटन करेंगे।
मुख्य बिंदु
- नए विधानसभा भवन के बारे में: 
- 324 करोड़ रुपए की लागत से निर्मित यह नया विधानसभा भवन, वर्ष 2000 में सूक्ष्म शुरुआत से लेकर आत्मनिर्भर विकास और संस्थागत परिपक्वता तक राज्य की यात्रा को दर्शाता है।
- नया भवन भविष्य में विधानसभा सीटों की वृद्धि की संभावना को ध्यान में रखते 100 वर्षों के दृष्टिकोण के साथ डिज़ाइन किया गया है।
 
- मुख्य सभागार की क्षमता 200 सीटें है, जिसे भविष्य की जरूरतों के अनुसार बढ़ाया जा सकता है; इसमें 24 मंत्रिमंडल कक्ष (प्रारंभ में 14 कार्यात्मक) और प्रत्येक विधायक के लिये व्यक्तिगत डेस्क सहित युग्मित बैठने की व्यवस्था है।
- इस परिसर में सम्मेलनों और कार्यक्रमों के लिये 520-1,000 सीटों वाला एक सभागार, मुख्य भवन के नीचे विधायी इतिहास को प्रदर्शित करने वाला एक संग्रहालय तथा 8-8 बिस्तरों वाली आयुर्वेदिक, एलोपैथिक और होम्योपैथिक देखभाल प्रदान करने वाली चिकित्सा सुविधाएँ शामिल हैं।
 
- 324 करोड़ रुपए की लागत से निर्मित यह नया विधानसभा भवन, वर्ष 2000 में सूक्ष्म शुरुआत से लेकर आत्मनिर्भर विकास और संस्थागत परिपक्वता तक राज्य की यात्रा को दर्शाता है।
- 'मेक इन छत्तीसगढ़' अवधारणा:
- ऊर्जा कुशल, सतत् और प्राकृतिक रूप से प्रकाशित, यह पर्यावरण अनुकूल है तथा स्थानीय सामग्रियों पर विशेष ज़ोर देता है।
- इसे पूरी तरह से स्थानीय सामग्री और विशेषज्ञता का उपयोग करके योजनाबद्ध, डिज़ाइन तथा निर्मित किया गया है।
- यह राष्ट्रीय 'मेक इन इंडिया' पहल के अनुरूप राज्य की आत्मनिर्भर दृष्टि को दर्शाता है।
 
- प्रथम विधानसभा सत्र:
- छत्तीसगढ़ राज्य 1 नवंबर 2000 को मध्य प्रदेश से अलग हुआ।
- 14 दिसंबर 2000 को मुख्यमंत्री अजीत जोगी के नेतृत्व में रायपुर के राजकुमार कॉलेज परिसर में एक अस्थायी तंबू में आयोजित किया गया।
- राजेंद्र प्रसाद शुक्ल पहले विधानसभा अध्यक्ष बने और नंद कुमार साय (BJP) पहले नेता प्रतिपक्ष बने।
- प्रारंभ में, विधानसभा सचिवालय DKS अस्पताल के दो कमरों और यहाँ तक कि पीपल वृक्ष के नीचे से संचालित होता था, बाद में इसे बरोंडा गाँव के वाटरशेड मिशन भवन में स्थानांतरित कर दिया गया।
 
राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स Switch to English
राष्ट्रीय एकता दिवस
चर्चा में क्यों?
राष्ट्रीय एकता दिवस प्रतिवर्ष 31 अक्तूबर को सरदार वल्लभभाई पटेल के भारत के एकीकरण में योगदान के सम्मान में मनाया जाता है।
- वर्ष 2025 में यह दिवस विशेष महत्त्व रखता है, क्योंकि यह सरदार पटेल की 150वीं जयंती का प्रतीक है।
मुख्य बिंदु
- राष्ट्रीय एकता दिवस: 
- यह दिवस सरदार वल्लभभाई पटेल द्वारा प्रतिपादित एकता, अखंडता और समावेशिता के मूल्यों का प्रतीक है।
- इसे पहली बार वर्ष 2014 में मनाया गया था, जब सरकार ने राष्ट्र-निर्माण में पटेल के ऐतिहासिक योगदान को सम्मानित करने का निर्णय लिया।
- वर्ष 2015 के आयोजन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ पहल की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य विभिन्न राज्यों के लोगों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान और परस्पर जुड़ाव को सशक्त करना था।
 
- कार्यक्रम:
- केंद्रीय युवा मामले और खेल मंत्रालय द्वारा माई भारत मंच के माध्यम से आयोजित सरदार @150 एकता यात्रा का आयोजन किया गया, जिसका उद्देश्य युवाओं में एकता, देशभक्ति तथा नागरिक दायित्व की भावना को बढ़ावा देना था, जो ‘एक भारत, आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण के अनुरूप है।
- इसके अतिरिक्त, 31 अक्तूबर, 2025 को देश के प्रमुख शहरों में “रन फॉर यूनिटी” नामक राष्ट्रव्यापी दौड़ का आयोजन किया गया, जिसका शुभारंभ नई दिल्ली से हुआ।
 
- स्टैच्यू ऑफ यूनिटी:
- 31 अक्तूबर 2018 को सरदार पटेल की स्मृति में 182 मीटर (600 फीट) ऊँची विश्व की सबसे विशाल प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का उद्घाटन गुजरात के केवडिया में किया गया।
- यह प्रतिमा नर्मदा नदी के तट पर, सरदार सरोवर बाँध (जो कंक्रीट की मात्रा के आधार पर विश्व का दूसरा सबसे बड़ा गुरुत्व बांध है) के समीप साधु बेट पहाड़ी पर स्थित है।
- वर्ष 2020 में इसे शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के “आठ अजूबों” की सूची में भी शामिल किया गया था।
राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स Switch to English
न्यायमूर्ति सूर्यकांत 53वें मुख्य न्यायाधीश नियुक्त
चर्चा में क्यों?
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने न्यायमूर्ति सूर्यकांत को भारत का 53वाँ मुख्य न्यायाधीश (CJI) नियुक्त किया है।
मुख्य बिंदु
- परिचय:
- वे 24 नवंबर, 2025 को न्यायमूर्ति बी. आर. गवई के उत्तराधिकारी के रूप में पदभार ग्रहण करेंगे और 10 फरवरी, 2027 तक लगभग 15 माह का कार्यकाल पूरा करेंगे।
- वह हरियाणा से भारत के पहले मुख्य न्यायाधीश होंगे।
- वह पहली पीढ़ी के वकील हैं, जो अपनी स्पष्ट टिप्पणियों, संतुलित निर्णयों और संवैधानिक नैतिकता पर ज़ोर देने के लिये जाने जाते हैं।
- उनके कार्यकाल में न्यायिक सुलभता, प्रशासनिक सुधार और संवैधानिक व्याख्या में स्थिरता पर विशेष ध्यान दिये जाने की संभावना है।
 
- महत्त्वपूर्ण निर्णय:
- अनुच्छेद 370: पाँच-सदस्यीय पीठ के सदस्य रहे, जिसने अनुच्छेद 370 के निरसन को वैध ठहराया।
- अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का अल्पसंख्यक दर्जा: इस संबंध में महत्त्वपूर्ण निर्णय देने वाली पीठ का हिस्सा रहे।
- चुनाव आयोग की निगरानी: वर्तमान में बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया की देखरेख करने वाली पीठ की अध्यक्षता कर रहे हैं।
 
- अनुच्छेद 370: पाँच-सदस्यीय पीठ के सदस्य रहे, जिसने अनुच्छेद 370 के निरसन को वैध ठहराया।
भारत के मुख्य न्यायाधीश:
- अनुच्छेद 124 (2) के तहत मुख्य न्यायाधीश सहित सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
- वरिष्ठतम न्यायाधीश को सेवा की अवधि के आधार पर मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया जाता है ( यह परंपरा है, कोई कानूनी बाध्यता नहीं)।
- अर्हता: मुख्य न्यायाधीश के रूप में अर्हता प्राप्त करने के लिये व्यक्ति को
- भारत का नागरिक होना चाहिये,
- कम-से-कम 5 वर्ष उच्च न्यायालय के न्यायाधीश या
- 10 वर्ष अधिवक्ता के रूप में कार्य किया होना चाहिये,
- अथवा राष्ट्रपति की राय में एक प्रतिष्ठित विधिवेत्ता होना चाहिये।
 
- मुख्य न्यायाधीश को केवल संसद के दोनों सदनों में विशेष बहुमत से पारित प्रस्ताव के पश्चात् ही राष्ट्रपति द्वारा हटाया जा सकता है।
 
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