झारखंड Switch to English
झारखंड में पैक्स का डिजिटलीकरण
चर्चा में क्यों?
राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) ने घोषणा की है कि डिजिटलीकरण अभियान के दूसरे चरण के अंतर्गत वह झारखंड की 1,297 प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS) का कंप्यूटरीकरण करेगा।
मुख्य बिंदु
- पृष्ठभूमि
- सहकारिता मंत्रालय की केंद्र-प्रायोजित डिजिटलीकरण परियोजना ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS) को आर्थिक तथा सामाजिक गतिविधियों के केंद्र में परिवर्तित करने हेतु कार्य कर रही है।
- राज्य में कुल 4,454 PACS हैं, जो ग्रामीण समुदायों की सेवा करने वाली प्राथमिक स्तर की सहकारी ऋण संस्थाओं के रूप में कार्य करती हैं।
- परियोजना के प्रथम चरण में नाबार्ड ने 1,500 PACS का सफलतापूर्वक डिजिटलीकरण किया है।
- कंप्यूटरीकृत PACS की विशेषताएँ:
- आधुनिक PACS को हार्डवेयर और विशेष सॉफ़्टवेयर दोनों से सुसज्जित किया जा रहा है, जिससे राष्ट्रीय ग्रिड के साथ एकीकरण सुनिश्चित होगा।
- इससे वे विभिन्न प्रकार की सेवाएँ प्रदान करने में सक्षम होंगे, जिनमें शामिल हैं:
- प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) तथा प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण जैसी सरकारी योजनाओं का कार्यान्वयन।
- उर्वरक और बीज जैसे कृषि आदानों का वितरण।
- जन औषधि केंद्र, पेट्रोल एवं गैस डीलरशिप तथा ग्राहक सेवा केंद्रों का संचालन।
- कृषि उपज के भंडारण हेतु ग्रामीण गोदामों की स्थापना।
- नाबार्ड की भूमिका:
- नाबार्ड ने ग्रामीण अवसंरचना विकास कोष (RIDF) के अंतर्गत 100 करोड़ रुपये का कोष स्थापित किया है, जिसका उपयोग भंडारण सुविधाओं और संबंधित बुनियादी ढाँचे के निर्माण में किया जाएगा
- PACS कंप्यूटरीकरण की नोडल एजेंसी के रूप में नाबार्ड निम्न दायित्व भी निभा रहा है
- नए डिजिटल सिस्टम के उपयोग में कर्मचारियों को प्रशिक्षण देना।
- निरंतर तकनीकी सहायता प्रदान करना।
- बुनियादी ढाँचे के विकास को सुविधाजनक बनाना।
राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड)
- नाबार्ड एक विकास बैंक है जो प्राथमिक तौर पर देश के ग्रामीण क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करता है। यह कृषि और ग्रामीण विकास हेतु वित्तपोषण प्रदान करने वाला शीर्ष बैंकिंग संस्थान है।
- नाबार्ड एक वैधानिक निकाय है, जिसे राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक अधिनियम, 1981 के अंतर्गत वर्ष 1982 में स्थापित किया गया।
- इसका मुख्यालय मुंबई (देश की वित्तीय राजधानी) में स्थित है।
- कृषि के अतिरिक्त, नाबार्ड लघु उद्योगों, कुटीर उद्योगों तथा ग्रामीण परियोजनाओं के विकास के लिये भी उत्तरदायी है।
प्राथमिक कृषि ऋण समितियाँ (PACS)
- ये मूलतः ऋण समितियाँ हैं, जो संबंधित राज्य के सहकारी समिति अधिनियम के तहत पंजीकृत हैं।
- PACS प्राथमिक स्तर की सहकारी ऋण संस्थाएँ हैं, जो किसानों को सुलभ ऋण, बैंकिंग सेवाएँ और कृषि सहायता प्रदान करती हैं।
- ये ज़िला केंद्रीय सहकारी बैंकों (DCCB) और राज्य सहकारी बैंकों (SSB) के साथ भारत की त्रि-स्तरीय सहकारी ऋण संरचना का आधार बनाती हैं।
- 1.08 लाख PACS में से लगभग 63,000 कंप्यूटरीकरण के उन्नत चरण में हैं तथा सरकार का लक्ष्य उनमें से 80,000 को पूर्णतः डिजिटल बनाना है।
बिहार Switch to English
भारत ने पुरुष हॉकी एशिया कप 2025 जीता
चर्चा में क्यों?
भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने 7 सितंबर 2025 को बिहार के राजगीर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में हॉकी एशिया कप के फाइनल में दक्षिण कोरिया को 4-1 से हराया।
- इस जीत के साथ भारत ने आठ साल का इंतजार समाप्त करते हुए महाद्वीपीय खिताब पुनः अर्जित किया और इंटरनेशनल हॉकी फेडरेशन (FIH) पुरुष हॉकी विश्व कप 2026 (नीदरलैंड एवं बेल्जियम) के लिये क्वालीफाई किया।
मुख्य बिंदु
- फाइनल में भारत की यह 9वीं उपस्थिति थी, जो किसी भी टीम द्वारा सर्वाधिक थी।
- हॉकी इंडिया ने खिलाड़ियों के लिये 3 लाख रुपये तथा सहयोगी स्टाफ के लिये 1.5 लाख रुपये की घोषणा की।
- भारत ने अंतिम बार वर्ष 2017 (ढाका) में एशिया कप जीता था।
- टूर्नामेंट की स्थिति:
- चैंपियन: भारत (चौथा एशिया कप खिताब)
- उपविजेता: दक्षिण कोरिया (कुल मिलाकर रिकॉर्ड 5 खिताब)
- तीसरा स्थान: मलेशिया ने चीन को 4-1 से हराया
- पाँचवाँ स्थान: जापान ने बांग्लादेश को 6-1 से हराया
- पूर्व विजेता:
- दक्षिण कोरिया: 5 खिताब (1994, 1999, 2009, 2013, 2022)
- भारत: 4 खिताब (2003, 2007, 2017, 2025)
- पाकिस्तान: 3 खिताब (1982, 1985, 1989)
राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स Switch to English
यूएस ओपन 2025
चर्चा में क्यों?
18 अगस्त से 7 सितंबर, 2025 तक न्यूयॉर्क के USTA बिली जीन किंग नेशनल टेनिस सेंटर में आयोजित यूएस ओपन 2025, एकल और युगल श्रेणियों में महत्त्वपूर्ण जीत के साथ संपन्न हुआ।
इस टूर्नामेंट में प्रत्येक एकल विजेता के लिये 5 मिलियन डॉलर की रिकॉर्ड पुरस्कार राशि रखी गई थी, जो पुरुष और महिला दोनों श्रेणियों में समान थी।
मुख्य बिंदु
- पुरुष एकल विजेता: कार्लोस अल्काराज़ (स्पेन) ने जैनिक सिनर (इटली) को हराकर अपना दूसरा अमेरिकी ओपन और कुल मिलाकर छठा ग्रैंड स्लैम खिताब अर्जित किया।
- महिला एकल विजेता: आर्यना सबालेंका (बेलारूस) ने अमांडा अनिसिमोवा (अमेरिका) को हराकर अपना खिताब बरकरार रखा और WTA रैंकिंग में शीर्ष पर अपनी स्थिति सुदृढ़ की।
- पुरुष युगल विजेता: मार्सेल ग्रैनोलर्स (स्पेन) और होरासियो ज़ेबालोस (अर्जेंटीना) ने फाइनल में जो सैलिसबरी और नील स्कूप्स्की (यूनाइटेड किंगडम) को हराकर खिताब जीता।
- महिला युगल विजेता: गैब्रिएला डाब्रोव्स्की (कनाडा) और एरिन रूटलिफ़ (न्यूज़ीलैंड) ने कैटरीना सिनियाकोवा (चेक गणराज्य) तथा टेलर टाउनसेंड (USA) को हराया।
- मिश्रित युगल विजेता: सारा इरानी और एंड्रिया वावसोरी (इटली) ने इगा स्वीटेक (पोलैंड) तथा कैस्पर रूड (नॉर्वे) को हराकर मिश्रित युगल का खिताब जीता।
ग्रैंड स्लैम
- इसका अर्थ है कि एक ही कैलेंडर वर्ष में सभी चार प्रमुख टेनिस चैंपियनशिप जीतना: ऑस्ट्रेलिया, फ्राँस, ब्रिटेन (विंबलडन) और अमेरिका।
- यह उपलब्धि अब तक 5 अलग-अलग खिलाड़ियों द्वारा 6 बार हासिल की गई है।
- डॉन बज टेनिस में ग्रैंड स्लैम हासिल करने वाले प्रथम खिलाड़ी थे, जिन्होंने वर्ष 1938 में सभी चार प्रमुख चैंपियनशिप जीती थीं।
उत्तर प्रदेश Switch to English
विश्व का पहला सिरेमिक वेस्ट पार्क
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश में शीघ्र ही ‘अनोखी दुनिया’ नामक विश्व का प्रथम पार्क उद्घाटित होने जा रहा है, जो पूर्णतः सिरेमिक अपशिष्ट से निर्मित है।
- सिरेमिक एक अकार्बनिक तथा अधात्विक पदार्थ है, जिसे प्रायः मिट्टी अथवा ऑक्साइड जैसे खनिजों को आकार देकर तथा उच्च तापमान पर पकाकर कठोर एवं दीर्घकालिक उत्पाद के रूप में तैयार किया जाता है।
मुख्य बिंदु
- स्थान: यह पार्क राज्य की ‘सिरेमिक राजधानी’ के रूप में प्रसिद्ध खुर्जा (ज़िला बुलंदशहर) में स्थापित किया गया है और सितंबर के अंत तक आम जनता के लिये खोल दिया जाएगा।
- निर्माण: बुलंदशहर-खुर्जा विकास प्राधिकरण (BKDA) द्वारा सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल पर विकसित इस पार्क का निर्माण 2 एकड़ क्षेत्रफल में किया गया है, जिसकी लागत लगभग 5.86 करोड़ रुपए है।
- विशेषता: इस पहल के अंतर्गत 80 टन से अधिक सिरेमिक अपशिष्ट को कलात्मक रूप प्रदान किया गया है।
- कलात्मक योगदान: छह कलाकारों तथा 120 कारीगरों की टीम ने मिलकर लगभग 100 सिरेमिक कलाकृतियाँ तैयार कीं, जिनमें 28 बड़े इंस्टॉलेशन भी शामिल हैं।
- टूटे घड़े, प्याले और केतलियों को पुनः उपयोग में लाकर इन्हें जीवंत तथा आकर्षक रूप प्रदान किया गया है।
- महत्त्व
- यह अभिनव परियोजना सतत् विकास और सांस्कृतिक संरक्षण की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि है।
- यह राज्य सरकार की ‘एक ज़िला-एक उत्पाद (ODOP) पहल’ के उद्देश्यों के अनुरूप पारंपरिक उद्योगों को प्रोत्साहन देती है।
- इसके माध्यम से खुर्जा की विशिष्ट शिल्पकला को न केवल राष्ट्रीय स्तर पर, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी पहचान प्राप्त होगी।
राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स Switch to English
अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस 2025
चर्चा में क्यों?
8 सितंबर 2025 को, विश्व में अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाया, जिसमें मानव प्रगति और परिवर्तन के सशक्त साधन के रूप में पढ़ने और लिखने की क्षमता पर प्रकाश डाला गया।
मुख्य बिंदु
- उत्पत्ति:
- अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस की उत्पत्ति वर्ष 1965 में तेहरान (ईरान) में आयोजित ‘शिक्षा मंत्रियों के विश्व सम्मेलन’ से मानी जाती है, जिसका मुख्य उद्देश्य निरक्षरता का उन्मूलन था।
- इसी सम्मेलन से एक ऐसे दिवस की परिकल्पना की गई जो वैश्विक स्तर पर साक्षरता को बढ़ावा देने के लिये समर्पित हो।
- यूनेस्को ने वर्ष 1966 में अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस की घोषणा की तथा इसे पहली बार 8 सितंबर 1967 को मनाया गया। तब से यह प्रतिवर्ष मनाया जाता है, ताकि साक्षरता की परिवर्तनकारी क्षमता को वैश्विक स्तर पर रेखांकित किया जा सके।
- विषय 2025: “डिजिटल युग में साक्षरता को बढ़ावा देना।”
- डिजिटल साक्षरता
- डिजिटल साक्षरता का आशय ऑनलाइन सामग्री तक पहुँचने, उसका मूल्यांकन करने, सृजन एवं संप्रेषण करने की क्षमता से है।
- इसमें आलोचनात्मक चिंतन (Critical Thinking) विकसित करना, विश्वसनीय सूचना की पहचान करना तथा जटिल डिजिटल वातावरण में सुरक्षित रूप से मार्गदर्शन करना शामिल है, जिससे यह आज एक आवश्यक कौशल बन गया है।
- साक्षरता
- राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (NSS) के अनुसार, साक्षरता का अर्थ किसी भी भाषा में साधारण संदेश को पढ़ने, लिखने और समझने की क्षमता से है।
- "सार्वभौमिक" शब्द का तात्पर्य सामान्यतः पूर्ण या लगभग पूर्ण कवरेज से है, जो आमतौर पर 100% के निकट होता है।
- यूनेस्को साक्षरता को केवल पढ़ने, लिखने और गिनने की क्षमता तक सीमित नहीं मानता, बल्कि इसे एक निरंतर विकसित होने वाला कौशल मानता है, जिसमें पहचानना, समझना तथा संप्रेषण करना शामिल है।
- आधुनिक संदर्भ में यह डिजिटल, मीडिया तथा रोज़गार-विशेष कौशलों तक विस्तारित हो चुका है।
- साक्षरता बढ़ाने हेतु सरकारी रणनीतियाँ:
राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स Switch to English
ब्लड मून
चर्चा में क्यों?
8 सितंबर 2025 को एशिया, ऑस्ट्रेलिया तथा अफ्रीका के कुछ क्षेत्रों में ब्लड मून (पूर्ण चंद्र ग्रहण) देखा गया, जिसमें पृथ्वी की छाया ने चंद्रमा को गहरे लाल रंग में परिवर्तित कर दिया।
- यह मार्च 2025 के बाद वर्ष का दूसरा पूर्ण चंद्र ग्रहण था, जो 82 मिनट की पूर्णता के साथ पाँच घंटे से अधिक समय तक चला।
- सूर्य ग्रहण के विपरीत, चंद्र ग्रहण को नंगी आँखों से देखना सुरक्षित है।
मुख्य बिंदु
- चंद्र ग्रहण: चंद्र ग्रहण तब घटित होता है जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीधी रेखा में आ जाते हैं तथा पृथ्वी बीच में स्थित होती है। इससे सूर्य का प्रकाश सीधे चंद्रमा तक नहीं पहुँच पाता।
- पूर्ण चंद्र ग्रहण: जब चंद्रमा पृथ्वी की आंतरिक और सबसे गहन छाया (Umbra) से होकर गुजरता है, तो वह गहरे धुंधले अथवा लाल रंग का प्रतीत होता है।
- आंशिक ग्रहण: जब चंद्रमा का केवल कुछ भाग प्रतिछाया से होकर गुजरता है।
- अर्द्धछाया ग्रहण: जब चंद्रमा केवल पृथ्वी की बाहरी छाया (पेनम्ब्रा) में प्रवेश करता है। इसमें प्रकाश का मंद पड़ना बहुत सूक्ष्म होता है और प्रायः स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देता।
- "ब्लड मून" प्रभाव:
- ब्लड मून प्रभाव इसलिये होता है क्योंकि पृथ्वी का वायुमंडल सूर्य के प्रकाश को चंद्रमा तक पहुँचने से पहले ही अवरुद्ध कर देता है। जब प्रकाश वायुमंडल से होकर गुजरता है, तो
- नीला प्रकाश सरलता से विसरित जाता है (इसी कारण आकाश नीला दिखाई देता है)।
- लाल प्रकाश पृथ्वी के चारों ओर मुड़कर चंद्रमा तक पहुँचता है, जिससे पूर्ण ग्रहण के दौरान चंद्रमा लाल अथवा ताँबे के रंग का हो जाता है।
- चमकदार लाल चंद्रमा शुद्ध एवं कम प्रदूषित वायु का सूचक है।
- गहरा लाल चंद्रमा वायु में अधिक धूल, राख अथवा प्रदूषण की उपस्थिति को दर्शाता है।
- ब्लड मून प्रभाव इसलिये होता है क्योंकि पृथ्वी का वायुमंडल सूर्य के प्रकाश को चंद्रमा तक पहुँचने से पहले ही अवरुद्ध कर देता है। जब प्रकाश वायुमंडल से होकर गुजरता है, तो
- वैज्ञानिक संबंध
- ब्लड मून की घटना के पीछे वही प्रक्रिया कार्य करती है, जो आकाश तथा सूर्यास्त को रंग प्रदान करती है: रेले प्रकीर्णन (Rayleigh Scattering), जिसकी व्याख्या भौतिक विज्ञानी जॉन विलियम स्ट्रट, तृतीय बैरन रेले ने की थी।
- दिवाकालीन आकाश: कम तरंग दैर्ध्य वाली नीली रोशनी सभी दिशाओं में प्रकीर्णित हो जाती है, जिसके कारण आकाश नीला दिखाई देता है।
- सूर्योदय और सूर्यास्त: इस समय सूर्य का प्रकाश वायुमंडल की मोटी परतों से होकर गुजरता है, जिससे नीला प्रकाश प्रकीर्णित होकर नष्ट हो जाता है। परिणामस्वरूप लंबी तरंग दैर्ध्य वाला प्रकाश (लाल, नारंगी और पीला) आकाश को रंग प्रदान करता है।
- चंद्र ग्रहण के समय, चंद्रमा पृथ्वी के वायुमंडल से होकर गुज़रती सारी सूर्यास्त की किरणों में घिरा प्रतीत होता है।