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कोऑपरेटिव स्टैक: PACS के माध्यम से ग्रामीण योजनाओं का समन्वित क्रियान्वयन
- 09 Jul 2025
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स्रोत: ईटी
ग्रामीण भारत में कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन को अधिक सुगम और कुशल बनाने के लिये भारत सरकार एक व्यापक ‘कोऑपरेटिव स्टैक (Cooperative Stack)’ विकसित कर रही है, जो प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS) पर केंद्रित होगी।
- कोऑपरेटिव स्टैक: यह एक तकनीकी ढाँचा है जिसे ग्रामीण समुदायों को सीधे वित्तीय समावेशन, ऋण पहुँच और सरकारी सब्सिडी जैसी सेवाएँ प्रदान करने तथा डिजिटल प्लेटफॉर्म का लाभ उठाने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
- यह किसानों को सहयोग प्रदान करने और योजनाओं के क्रियान्वयन को अधिक प्रभावी बनाने के लिये AI-आधारित तकनीकों, जैसे कि स्वचालित मौसम परामर्श को अपनाएगा।
- PACS की भूमिका: PACS भारत की ग्रामीण ऋण प्रणाली की मूल संरचना हैं जो वित्तीय मध्यस्थ के रूप में कार्य करती हैं। सरकार इनका उपयोग योजनाओं के वितरण और क्रियान्वयन के लिये करके यह सुनिश्चित करती है कि विभिन्न लाभ एवं सेवाएँ ग्रामीण किसानों तथा समुदायों तक तेज़ी और दक्षता के साथ पहुँच सकें।
- PACS: ये मूलतः ऋण समितियाँ हैं जो संबंधित राज्य के सहकारी समिति अधिनियम के तहत पंजीकृत हैं।
- PACS ज़मीनी स्तर की सहकारी ऋण संस्थाएँ हैं जो किसानों को किफायती ऋण, बैंकिंग सेवाएँ और कृषि सहायता प्रदान करती हैं।
- वे ज़िला केंद्रीय सहकारी बैंकों (DCCB) और राज्य सहकारी बैंकों (SSB) के साथ भारत की त्रि-स्तरीय सहकारी ऋण संरचना का आधार बनाते हैं।
- 1.08 लाख PACS में से लगभग 63,000 कंप्यूटरीकरण के उन्नत चरण में हैं तथा सरकार का लक्ष्य उनमें से 80,000 को पूर्णतः डिजिटल बनाना है।
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