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अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस 2025
- 08 Sep 2025
- 16 min read
चर्चा में क्यों?
8 सितंबर 2025 को, विश्व में अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाया, जिसमें मानव प्रगति और परिवर्तन के सशक्त साधन के रूप में पढ़ने और लिखने की क्षमता पर प्रकाश डाला गया।
मुख्य बिंदु
- उत्पत्ति:
- अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस की उत्पत्ति वर्ष 1965 में तेहरान (ईरान) में आयोजित ‘शिक्षा मंत्रियों के विश्व सम्मेलन’ से मानी जाती है, जिसका मुख्य उद्देश्य निरक्षरता का उन्मूलन था।
- इसी सम्मेलन से एक ऐसे दिवस की परिकल्पना की गई जो वैश्विक स्तर पर साक्षरता को बढ़ावा देने के लिये समर्पित हो।
- यूनेस्को ने वर्ष 1966 में अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस की घोषणा की तथा इसे पहली बार 8 सितंबर 1967 को मनाया गया। तब से यह प्रतिवर्ष मनाया जाता है, ताकि साक्षरता की परिवर्तनकारी क्षमता को वैश्विक स्तर पर रेखांकित किया जा सके।
- विषय 2025: “डिजिटल युग में साक्षरता को बढ़ावा देना।”
- डिजिटल साक्षरता
- डिजिटल साक्षरता का आशय ऑनलाइन सामग्री तक पहुँचने, उसका मूल्यांकन करने, सृजन एवं संप्रेषण करने की क्षमता से है।
- इसमें आलोचनात्मक चिंतन (Critical Thinking) विकसित करना, विश्वसनीय सूचना की पहचान करना तथा जटिल डिजिटल वातावरण में सुरक्षित रूप से मार्गदर्शन करना शामिल है, जिससे यह आज एक आवश्यक कौशल बन गया है।
- साक्षरता
- राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (NSS) के अनुसार, साक्षरता का अर्थ किसी भी भाषा में साधारण संदेश को पढ़ने, लिखने और समझने की क्षमता से है।
- "सार्वभौमिक" शब्द का तात्पर्य सामान्यतः पूर्ण या लगभग पूर्ण कवरेज से है, जो आमतौर पर 100% के निकट होता है।
- यूनेस्को साक्षरता को केवल पढ़ने, लिखने और गिनने की क्षमता तक सीमित नहीं मानता, बल्कि इसे एक निरंतर विकसित होने वाला कौशल मानता है, जिसमें पहचानना, समझना तथा संप्रेषण करना शामिल है।
- आधुनिक संदर्भ में यह डिजिटल, मीडिया तथा रोज़गार-विशेष कौशलों तक विस्तारित हो चुका है।
- साक्षरता बढ़ाने हेतु सरकारी रणनीतियाँ: