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स्टेट पी.सी.एस.

  • 08 Jul 2025
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हरियाणा Switch to English

नई अवकाश नीति: महिला कर्मचारियों के लिये कार्यबल भागीदारी को बढ़ावा देना

चर्चा में क्यों?

हरियाणा सरकार ने अपनी अवकाश नीति में संशोधन किया है, जिसके तहत हरियाणा कौशल रोज़गार निगम लिमिटेड (HKRN) के तहत कार्यरत महिला कर्मचारियाँ अब प्रति माह दो अतिरिक्त दिन की आकस्मिक छुट्टी की पात्र होंगी, जो प्रति वर्ष अधिकतम 22 दिन तक होगी।

  • यह पहल न केवल प्रगतिशील शासन को प्रतिबिंबित करती है बल्कि इसका उद्देश्य अधिकाधिक महिलाओं को कार्यबल में सम्मिलित करने तथा उनकी सक्रिय भागीदारी को बनाए रखने हेतु प्रोत्साहित करना भी है।

मुख्य बिंदु

  • महिला कार्यबल भागीदारी पर प्रभाव:
    • बेहतर कार्य-जीवन संतुलन: अतिरिक्त अवकाश का प्रावधान महिला कर्मचारियों को अपने व्यक्तिगत एवं पेशेवर जीवन के मध्य बेहतर संतुलन स्थापित करने के लिये आवश्यक लचीलापन प्रदान करता है। यह विशेष रूप से उन सामाजिक संदर्भों में महत्त्वपूर्ण है जहाँ महिलाओं को पारिवारिक दायित्वों का अपेक्षाकृत अधिक वहन करना पड़ता है।
    • स्वास्थ्य एवं कल्याण को बढ़ावा: यह अतिरिक्त अवकाश महिला कर्मचारियों को स्वास्थ्य संबंधी आवश्यकताओं, पारिवारिक देखभाल अथवा अन्य व्यक्तिगत कारणों हेतु समय लेने का अवसर प्रदान करता है, जिससे एक स्वस्थ, संतुलित एवं उत्पादक कार्यबल को बढ़ावा मिलेगा।
    • यह प्रावधान वैश्विक स्तर पर अपनाई जा रही उन सर्वोत्तम प्रथाओं के अनुरूप है, जो कर्मचारियों के शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देती हैं।
    • लिंग समावेशिता को बढ़ावा: यह नीति कार्यस्थल पर एक समावेशी कार्य वातावरण को प्रोत्साहित करते हुए लिंग समानता को सुदृढ़ करने की दिशा में एक सकारात्मक प्रयास है।
  • हरियाणा कौशल रोज़गार निगम लिमिटेड (HKRN) 
    • हरियाणा कौशल रोज़गार निगम लिमिटेड (HKRN) की स्थापना 13 अक्तूबर 2021 को कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत की गई थी।
    • इसका उद्देश्य हरियाणा राज्य के विभिन्न सरकारी विभागों एवं एजेंसियों को संविदात्मक जनशक्ति की आपूर्ति सुनिश्चित करना है।
    • निगम पारदर्शी, कुशल तथा न्यायसंगत प्रक्रिया के माध्यम से भर्ती करने के लिये कार्यरत है।
    • यह राज्य सरकार द्वारा संविदा आधार पर जनशक्ति की तैनाती हेतु अधिस्वीकृत एजेंसी के रूप में कार्य करता है।
  • प्रमुख लक्ष्य
    • सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित पृष्ठभूमि के अभ्यर्थियों को भर्ती प्रक्रिया में प्राथमिकता प्रदान की जाती है।
    • तैनात कर्मियों को वेतन एवं अन्य लाभों का समय पर वितरण सुनिश्चित किया जाता है।
    • अभ्यर्थियों का चयन करते समय राज्य आरक्षण नीति का सख्ती से अनुपालन किया जाता है।


उत्तर प्रदेश Switch to English

भारत का पहला अश्व रोग-मुक्त कंपार्टमेंट (EDFC)

चर्चा में क्यों?

विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन (WOAH) ने उत्तर प्रदेश के मेरठ स्थित रिमाउंट वेटरनरी कॉर्प्स (RVC) सेंटर एवं कॉलेज में स्थापित भारत के पहले अश्व रोग मुक्त कंपार्टमेंट (Equine Disease Free Compartment - EDFC) को आधिकारिक रूप से मान्यता प्रदान की है।

मुख्य बिंदु

अश्व रोग मुक्त कंपार्टमेंट (EDFC):

  • परिचय:
  • विशेषताएँ:
    • EDFC, विभिन्न क्षेत्रों में रोग मुक्त क्षेत्र स्थापित करने की एक व्यापक पहल का हिस्सा है।
    • भारत, पोल्ट्री उत्पादों के सुरक्षित निर्यात के लिये अत्यधिक रोगजनक एवियन इन्फ्लूएंजा (HPAI) मुक्त कंपार्टमेंट विकसित करने पर भी कार्य कर रहा है।
    • EDFC, वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं के अनुरूप रोग की रोकथाम, कीट नियंत्रण, सुरक्षा, स्वच्छता, स्वास्थ्य निगरानी, अपशिष्ट प्रबंधन तथा निरंतर निगरानी को समाहित करने वाले विस्तृत मानक प्रचालन प्रक्रियाओं (SOPs) का पालन करता है।
    • यह अनुमोदन, WOAH की स्थलीय पशु स्वास्थ्य संहिता के अनुरूप प्रदान किया गया है, जो सख्त जैव-सुरक्षा तथा पशु देखभाल प्रथाओं के माध्यम से रोग मुक्त पशु उप-जनसंख्या के प्रबंधन हेतु वैज्ञानिक दिशानिर्देश प्रदान करती है।
  • प्रमाणित रोग-मुक्त स्थिति:
    • EDFC को प्रमुख अश्व रोगों जैसे कि अश्व संक्रामक एनीमिया, अश्व इन्फ्लूएंजा, अश्व पिरोप्लास्मोसिस, ग्लैंडर्स और सुर्रा से मुक्त घोषित किया गया है।
      • भारत वर्ष 2014 से अफ्रीकी हॉर्स सिकनेस से मुक्त है।
  • महत्त्व:
    • अंतर्राष्ट्रीय भागीदारी: भारतीय खेल घोड़े अब अंतर्राष्टीय घुड़सवारी प्रतियोगिताओं में भाग ले सकेंगे, जिससे वैश्विक स्तर पर भारत की उपस्थिति एवं भागीदारी बढ़ेगी।
    • अश्व व्यापार और प्रजनन को बढ़ावा: EDFC, अश्व व्यापार एवं प्रजनन क्षेत्र में भारत की स्थिति को सशक्त बनाएगा, जिससे भारतीय घोड़ों के लिये वैश्विक बाज़ार खुलेंगे।
    • पशु स्वास्थ्य उत्कृष्टता: विश्व स्तर पर स्वीकृत प्रथाओं के साथ पशु स्वास्थ्य प्रणालियों को मज़बूत करने की भारत की प्रतिबद्धता, इसे पशु चिकित्सा उत्कृष्टता में अग्रणी बनाती है।

विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन (WOAH)

  • WOAH पशु स्वास्थ्य और कल्याण हेतु समर्पित एक अग्रणी अंतर्राष्टीय संस्था है।
  • इसकी स्थापना वर्ष 1924 में ऑफिस इंटरनेशनल डेस एपिज़ूटीज़ (OIE) के रूप में की गई थी तथा इसने मई 2003 में अपना वर्तमान नाम अपनाया।
  • यह एक अंतर-सरकारी संगठन के रूप में कार्य करता है, जहाँ सदस्य राष्ट्र पशु स्वास्थ्य के क्षेत्र में साझा वैश्विक लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु सहयोग करते हैं।
  • संगठन का मुख्य उद्देश्य वैश्विक पशु स्वास्थ्य में सुधार लाना है। इसका मुख्यालय पेरिस, फ्राँस में स्थित है।
  • वर्ष 2025 तक WOAH के 183 सदस्य देश हैं, जिनमें भारत भी शामिल है।
  • यह संगठन, सदस्य देशों को पशु रोगों के प्रवेश एवं प्रसार को रोकने में सहयोग देने के लिये स्थलीय पशु स्वास्थ्य संहिता जैसे वैज्ञानिक दिशानिर्देश तैयार करता है।
  • विश्व व्यापार संगठन (WTO) ने WOAH द्वारा निर्धारित मानकों को अंतर्राष्ट्रीय स्वच्छता दिशानिर्देश के रूप में स्वीकार किया है।


राजस्थान Switch to English

राजस्थान में सौर ऊर्जा विकास

चर्चा में क्यों?

एक उच्च स्तरीय बैठक में गुजरात और राजस्थान में 36,296 करोड़ रुपए से अधिक की 18 प्रमुख बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं को प्रभावित करने वाले मुद्दों की समीक्षा की गई, जिसमें परियोजना निगरानी समूह (PMG) तंत्र के माध्यम से बाधाओं को दूर करने पर ध्यान केंद्रित किया गया।

मुख्य बिंदु

  • बैठक का मुख्य लक्ष्य:
    • बैठक में ट्रांसमिशन सिस्टम सुदृढ़ीकरण योजना की समीक्षा की गई, जिसका उद्देश्य राजस्थान और गुजरात में नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्रों से सौर ऊर्जा निकालना है।
    • 14,147 करोड़ रुपए के अनुमानित निवेश के साथ, यह योजना राष्ट्रीय ग्रिड में सौर ऊर्जा को एकीकृत करने के लिये उच्च क्षमता वाली ट्रांसमिशन लाइनों और सबस्टेशनों के विकास पर केंद्रित है।
    • राजस्थान में यह परियोजना जैसलमेर, बीकानेर और बाड़मेर को कवर करती है, जबकि गुजरात में यह सुरेंद्रनगर, पाटन और कच्छ पर केंद्रित है, जो सौर ऊर्जा क्षमता से समृद्ध क्षेत्र हैं।
      • ये परियोजनाएँ पूरे भारत में उत्पादन क्षेत्रों से उपभोग केंद्रों तक विश्वसनीय विद्युत संचरण सुनिश्चित करने के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
    • बैठक में ट्रांसमिशन बुनियादी ढाँचे पर प्रगति को तीव्र करने के लिये मार्गाधिकार (RoW) और भूमि अधिग्रहण जैसी प्रमुख कार्यान्वयन चुनौतियों के समाधान को प्राथमिकता दी गई।
      • राज्य सरकार के अधिकारियों ने दूरदराज़ के क्षेत्रों में दूरसंचार बुनियादी ढाँचे की स्थापना के लिये महत्त्वपूर्ण वन संबंधी मंजूरी में तीव्रता लाने पर ध्यान केंद्रित किया।
  • राजस्थान में सौर ऊर्जा उत्पादन:
    • सौर ऊर्जा के मामले में राजस्थान भारत में प्रथम स्थान पर है, जिसकी स्थापित सौर क्षमता 22,860.73 मेगावाट है।
    • राज्य को प्रतिवर्ष 325 से अधिक सूर्य प्रकाशित दिन प्राप्त होते हैं, जो इसे सौर ऊर्जा उत्पादन के लिये आदर्श बनाता है।
    • राजस्थान ने सभी भारतीय राज्यों के बीच स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में 18.63% की उच्चतम वार्षिक वृद्धि दर दर्ज की।
    • वर्ष 2023 में, राजस्थान में ग्रिड से जुड़ी नवीकरणीय ऊर्जा की सबसे अधिक स्थापित क्षमता 22,398 मेगावाट होगी, जिसके बाद गुजरात में 19,436 मेगावाट की क्षमता होगी।
    • वर्ष 2024 तक राजस्थान ने 18 गीगावाट की स्थापित सौर क्षमता को पार कर लिया है, जिससे भारत में सौर ऊर्जा उत्पादन में अग्रणी राज्य के रूप में इसकी स्थिति मज़बूत हो गई है।
    • राजस्थान की एकीकृत स्वच्छ ऊर्जा नीति 2024 का लक्ष्य नवीकरणीय ऊर्जा, विशेष रूप से सौर ऊर्जा को महत्त्वपूर्ण रूप से बढ़ावा देना है, ताकि वर्ष 2030 तक 125 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता हासिल की जा सके।
    • यह नीति राज्य के प्रचुर प्राकृतिक संसाधनों का लाभ उठाने पर केंद्रित है और इसमें बड़े पैमाने पर सौर पार्क और छतों पर सौर ऊर्जा स्थापित करने के उपाय शामिल हैं।
    • यह पवन, हाइब्रिड और हरित हाइड्रोजन ऊर्जा पहल को भी बढ़ावा देता है।
  • नोट: अप्रैल 2025 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत वर्ष 2024 में पवन और सौर ऊर्जा से बिजली का उत्पादन करने वाला दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश बन गया, जो जर्मनी से आगे है।


उत्तर प्रदेश Switch to English

उत्तर प्रदेश ने वैश्विक विनिर्माण बदलाव का लक्ष्य रखा

चर्चा में क्यों?

उत्तर प्रदेश बहुराष्ट्रीय निर्माताओं को आकर्षित करने के लिये, विशेष रूप से चाइना+1 रणनीति के माध्यम से, अपनी वैश्विक पहुँच को तीव्र कर रहा है, जो कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के राज्य को 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था में बदलने के दृष्टिकोण का हिस्सा है।

मुख्य बिंदु

  • चीन+1 रणनीति के बारे में:
    • यह वैश्विक प्रवृत्ति को संदर्भित करती है, जिसमें कंपनियाँ चीन के अतिरिक्त अन्य देशों में परिचालन स्थापित करके अपनी विनिर्माण एवं आपूर्ति शृंखला में विविधता लाने का प्रयास करती हैं।
    • इस रणनीति का उद्देश्य किसी एक देश पर अत्यधिक निर्भरता से उत्पन्न जोखिमों को कम करना है, विशेष रूप से भू-राजनीतिक तनावों एवं आपूर्ति शृंखला में व्यवधानों के परिप्रेक्ष्य में।
  • निवेश आकर्षित करने के लिये वैश्विक पहुँच:
    • अपनी चीन+1 रणनीति के अंतर्गत, राज्य की नोडल निवेश प्रोत्साहन एजेंसी- इन्वेस्ट यूपी, एक वैश्विक आउटरीच पहल का नेतृत्व कर रही है।

    • इस अभियान में फॉर्च्यून 500 कंपनियों और वैश्विक औद्योगिक नेताओं को आकर्षित करने के लिये संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोप और यूनाइटेड किंगडम में रोड शो और रणनीतिक व्यापारिक कार्यक्रम शामिल हैं।

    • इस आउटरीच में न्यूयॉर्क, लंदन, पेरिस आदि जैसे वैश्विक व्यापार केंद्रों में बिज़नेस-टू-गवर्नमेंट (B2G) बैठकें तथा गोलमेज़ चर्चाएँ सम्मिलित हैं।

    • ये कार्यक्रम भारतीय दूतावासों, अमेरिका-भारत व्यापार परिषद (USIBC), भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) तथा भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (FICCI) जैसे प्रमुख व्यापार संघों के सहयोग से आयोजित किये जा रहे हैं।

  • उत्तर प्रदेश में क्षेत्रीय विकास और प्रमुख निवेश:
    • इलेक्ट्रॉनिक्स: 3,700 करोड़ रुपए का HCL-फॉक्सकॉन OSAT निवेश राज्य की सेमीकंडक्टर महत्त्वाकांक्षाओं में एक मील का पत्थर है।
    • वस्त्र: उत्तर प्रदेश पीएम मित्र मेगा टेक्सटाइल पार्क तथा सिंथेटिक, रक्षा और चिकित्सा वस्त्रों पर केंद्रित मिनी पार्कों के माध्यम से अपनी वस्त्र मूल्य शृंखला को सुदृढ़ कर रहा है।
    • इलेक्ट्रिक वाहन (EV): EV नीति 2023 के तहत, उत्तर प्रदेश ने वर्ष 2028 तक 36 गीगावाट-घंटे (GWh) बैटरी उत्पादन क्षमता का लक्ष्य रखा है।
    • डिजिटल ढाँचा: नोएडा-ग्रेटर नोएडा भारत के अग्रणी डाटा सेंटर हब के रूप में उभर रहा है, जहाँ एकीकृत AI सिटी विकसित करने की योजना है।

इन्वेस्ट यूपी

  • परिचय:
    • इन्वेस्ट यूपी, जिसे पहले उद्योग बंधु के नाम से जाना जाता था, उत्तर प्रदेश सरकार की निवेश संवर्द्धन एवं सुविधा एजेंसी है।
    • यह एजेंसी राज्य में नए निवेश को आकर्षित करने तथा विद्यमान एवं संभावित उद्योगों द्वारा सामना की जा रही समस्याओं के समाधान के लिये समर्पित है।
  • दृष्टिकोण:
    • इन्वेस्ट यूपी का दृष्टिकोण उत्तर प्रदेश को भारत का सबसे पसंदीदा निवेश गंतव्य बनाने का है।
    • इसका उद्देश्य निवेश नीतियों के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु एक प्रेरक शक्ति के रूप में कार्य करना है तथा विश्व-स्तरीय व्यापारिक परिवेश और अधोसंरचना उपलब्ध कराकर आर्थिक विकास को बढ़ावा देना और राज्य की जनता के जीवन स्तर को ऊँचा उठाना है।
  • लक्ष्य (Mission):
    • राज्य की निवेश संवर्द्धन एवं सुविधा एजेंसी के रूप में इन्वेस्ट यूपी का उद्देश्य है कि वह राज्य में उद्योगों और अधोसंरचना के तीव्र विकास के लिये नीतियों के निर्माण में सक्रिय योगदान देकर निवेश आकर्षित करे।
    • यह संस्था संभावित एवं वर्तमान उद्यमियों की समस्याओं के समाधान के लिये परामर्श सेवाएँ प्रदान करती है।


झारखंड Switch to English

छत्तीसगढ़ में जल संरक्षण सप्ताह

चर्चा में क्यों?

छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा 'मोर गाँव, मोर पानी' अभियान के तहत जल संरक्षण सप्ताह का आयोजन किया गया।

मुख्य बिंदु

  • मोर गाँव, मोर पानी' अभियान के बारे में: 
  • अन्य जल संरक्षण पहल:
    • जल शक्ति अभियान (JSA)
      • जल शक्ति मंत्रालय द्वारा वर्ष 2019 में प्रारंभ इस अभियान के अंतर्गत पूरे भारत के 256 जल-संकटग्रस्त ज़िलों के 2,836 ब्लॉकों में से 1,592 ब्लॉकों को कवर किया गया।
    • कैच द रेन अभियान:
      • वर्ष 2021 में, सरकार ने जल शक्ति अभियान: कैच द रेन (JSA: CTR) लॉन्च किया, जिसका विषय था "कैच द रेन- व्हेयर इट फॉल्स, व्हेन इट फॉल्स।"
      • इस चरण में अभियान का विस्तार देश भर के ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों के सभी ब्लॉकों तक किया गया।
    • जल शक्ति अभियान: वर्षा जल संचयन 2025
      • विश्व जल दिवस (22 मार्च 2025) पर, जल शक्ति मंत्रालय ने JSA: कैच द रेन 2025 लॉन्च किया।
      • विषय: “जल संचय जन भागीदारी– जन जागरूकता की ओर”
      • यह अभियान 22 मार्च से 30 नवंबर 2025 तक संचालित किया जा रहा है, जिसमें प्री-मानसून तथा मानसून सीज़न पर विशेष ज़ोर दिया गया है।
      • इसका लक्ष्य केंद्रीय भूजल बोर्ड (CGWB) द्वारा चिह्नित 148 जल संरक्षण हेतु महत्त्वपूर्ण ज़िलों को कवर करना है।
      • वर्ष 2025 संस्करण में ज़मीनी स्तर पर गहन भागीदारी, अंतर-क्षेत्रीय अभिसरण और नवीन वित्त पोषण तंत्र पर ज़ोर दिया गया है।
        • मध्य प्रदेश का खंडवा इस पहल के लिये आदर्श ज़िला बनकर उभरा है।
  • प्रमुख फोकस क्षेत्र
    • जल संरक्षण एवं वर्षा जल संचयन
    • जल निकायों की जियो-टैगिंग एवं वैज्ञानिक सूचीकरण
    • प्रत्येक ज़िले में जल शक्ति केंद्रों की स्थापना
    • गहन वनरोपण
    • जन-जागरूकता एवं आउटरीच अभियान

विश्व जल दिवस

  • इसका उद्देश्य जल संरक्षण तथा इसके सतत् प्रबंधन के प्रति जन-जागरूकता बढ़ाना है।
  • इसकी संकल्पना वर्ष 1992 में रियो शिखर सम्मेलन के दौरान की गई थी तथा वर्ष 1993 में संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) द्वारा इसे प्रतिवर्ष मनाए जाने हेतु आधिकारिक मान्यता दी गई।
  • यह दिवस संयुक्त राष्ट्र के सतत् विकास लक्ष्य-6 के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य है: "वर्ष 2030 तक सभी के लिये जल एवं स्वच्छता की उपलब्धता और टिकाऊ प्रबंधन सुनिश्चित करना।"
  • थीम (वर्ष 2025): ग्लेशियर संरक्षण

केंद्रीय भूजल बोर्ड (CGWA)

  • जल संसाधन मंत्रालय (वर्तमान में जल शक्ति मंत्रालय) के अधीन स्थापित केंद्रीय भूजल बोर्ड (CGWA), भारत में भूजल संसाधनों के प्रबंधन, अन्वेषण, निगरानी, आकलन तथा विनियमन हेतु शीर्ष वैज्ञानिक निकाय है।
  • इसकी स्थापना वर्ष 1970 में अन्वेषणात्मक नलकूप संगठन के पुनर्गठन के रूप में की गई थी, जिसे बाद में वर्ष 1972 में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के भूजल विंग के साथ विलयित कर दिया गया।
  • पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत गठित केंद्रीय भूजल प्राधिकरण (CGWA), देश में भूजल के विकास एवं दोहन को विनियमित करने हेतु कार्यरत है, जिससे इसकी दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित की जा सके।
  • प्रमुख कार्य एवं उत्तरदायित्व:
  • भूजल प्रबंधन हेतु वैज्ञानिक विशेषज्ञता प्रदान करना, जिसमें भूजल अन्वेषण, निगरानी तथा जल गुणवत्ता का आकलन सम्मिलित है।
  • भूजल पुनर्भरण एवं वर्षा जल संचयन की वैज्ञानिक योजनाओं को क्रियान्वित कर भूजल स्तर में वृद्धि हेतु प्रयास करना।
  • राज्य तथा ज़िला स्तरीय जल-भूवैज्ञानिक रिपोर्ट, भूजल वर्ष पुस्तिका एवं भूजल एटलस का प्रकाशन।


छत्तीसगढ़ Switch to English

नियाद नेला नार पहल

चर्चा में क्यों?

नारायणपुर ज़िले के बस्तर संभाग में स्थित इरकाभट्टी पहले ऐसा गाँव था जहाँ माओवादी विद्रोह के कारण बुनियादी ज़रूरतें, विशेषकर शिक्षा, अप्राप्य थीं। 

  • हालाँकि, राज्य सरकार की 'नियाद नेला नार' योजना के माध्यम से शिक्षा, कनेक्टिविटी तथा बुनियादी ढाँचे में सुधार के लिये विशेष प्रयास किये गए हैं।

मुख्य बिंदु

  • 'नियाद नेल्ला नार' योजना:
    • नियाद नेला नार योजना छत्तीसगढ़ सरकार की एक पहल है, जिसका उद्देश्य राज्य के नक्सल प्रभावित गाँवों को बुनियादी सुविधाएँ एवं कल्याणकारी लाभ प्रदान करना है।
    • ‘नियाद नेला नार’ का अर्थ “आपका अच्छा गाँव” होता है, जो दंडामी बोली (दक्षिण बस्तर में बोली जाने वाली स्थानीय भाषा) से लिया गया है।
    • इस योजना का उद्देश्य विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों (PVTGs) के जीवन स्तर को सुधारना है।
    • यह योजना सुरक्षा शिविरों के एक किमी के दायरे में आवास, स्वास्थ्य सेवा, जल, बिजली, सड़क और शिक्षा जैसी आवश्यक सुविधाएँ उपलब्ध कराने पर केंद्रित है।
    • इन गाँवों में रहने वाले परिवारों को उज्ज्वला योजना के तहत नि:शुल्क गैस सिलेंडर, राशन कार्ड, सिंचाई पंप, नि:शुल्क बिजली, आँगनवाड़ी की सुविधा तथा वनाधिकार के प्रमाण-पत्र प्रदान किये जाएंगे।

प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY):

  • परिचय
    • प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना एक प्रमुख पहल है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण एवं आर्थिक रूप से कमज़ोर परिवारों को स्वच्छ ईंधन (LPG) उपलब्ध कराना है।
    • यह योजना 1 मई 2016 को उत्तर प्रदेश के बलिया ज़िले से प्रारंभ की गई थी।
    • इस योजना का लक्ष्य उन परिवारों को लाभ देना है, जो परंपरागत ईंधनों जैसे लकड़ी, कोयला एवं गोबर के उपलों पर निर्भर थे।
  • स्वास्थ्य और पर्यावरण पर प्रभाव:
    • परंपरागत ईंधनों के प्रयोग से विशेष रूप से ग्रामीण महिलाओं को घरेलू वायु प्रदूषण के कारण गंभीर स्वास्थ्य जोखिमों का सामना करना पड़ता था। साथ ही, यह वनों की कटाई और कार्बन उत्सर्जन के कारण पर्यावरणीय क्षरण में भी योगदान देता था।
  • उज्ज्वला 2.0, इस योजना का दूसरा चरण है, जिसे अगस्त 2021 में प्रारंभ किया गया था।

विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूह (PVTGs)

  • परिचय 
    • PVTG (विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूह), अनुसूचित जनजाति (ST) या ST के किसी हिस्से का उप-वर्गीकरण है, जिसे सामान्य ST की तुलना में अधिक असुरक्षित माना जाता है। 
    • भारत सरकार ने उनके जीवन स्तर को सुधारने के लिये PVTG सूची बनाई है।
  • राज्यवार वितरण:
    • भारत में कुल 75 PVTG हैं, जिनमें सबसे अधिक (13) ओडिशा में हैं, उसके बाद आंध्र प्रदेश (12) में हैं।
    • छत्तीसगढ़ में 7 PVTG हैं, जो राज्य के 33 ज़िलों में से 17 ज़िलों में निवास करते हैं। ये हैं- कमर, बैगा, पहाड़ी कोरवा, अबूझमाड़िया, बिरहोर, पंडो और भुजिया।
      • जहाँ पहली पाँच जनजातियों को केंद्र सरकार द्वारा PVTG घोषित किया गया है, वहीं पंडो तथा भुजिया को राज्य सरकार द्वारा घोषित किया गया है।
  • अनुच्छेद 342(1):
    • राष्ट्रपति किसी राज्य/केंद्रशासित प्रदेश के संबंध में (राज्य के लिये राज्यपाल से परामर्श के बाद) उस राज्य/केंद्रशासित प्रदेश में जनजातियों, जनजातीय समुदायों, जनजातियों के भागों या समूहों को अनुसूचित जनजाति (ST) के रूप में निर्दिष्ट कर सकते हैं।
    • संसद, विधि द्वारा अनुच्छेद 342(1) के अधीन जारी अधिसूचना में विनिर्दिष्ट ST की सूची में किसी जनजाति या जनजातीय समुदाय को अथवा उनके किसी भाग या समूह को सम्मिलित या अपवर्जित कर सकती है; परंतु उपर्युक्त के अतिरिक्त, उक्त अधिसूचना में किसी पश्चातवर्ती अधिसूचना द्वारा परिवर्तन नहीं किया जा सकता।


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