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छत्तीसगढ़

नियाद नेला नार पहल

  • 08 Jul 2025
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

नारायणपुर ज़िले के बस्तर संभाग में स्थित इरकाभट्टी पहले ऐसा गाँव था जहाँ माओवादी विद्रोह के कारण बुनियादी ज़रूरतें, विशेषकर शिक्षा, अप्राप्य थीं। 

  • हालाँकि, राज्य सरकार की 'नियाद नेला नार' योजना के माध्यम से शिक्षा, कनेक्टिविटी तथा बुनियादी ढाँचे में सुधार के लिये विशेष प्रयास किये गए हैं।

मुख्य बिंदु

  • 'नियाद नेल्ला नार' योजना:
    • नियाद नेला नार योजना छत्तीसगढ़ सरकार की एक पहल है, जिसका उद्देश्य राज्य के नक्सल प्रभावित गाँवों को बुनियादी सुविधाएँ एवं कल्याणकारी लाभ प्रदान करना है।
    • ‘नियाद नेला नार’ का अर्थ “आपका अच्छा गाँव” होता है, जो दंडामी बोली (दक्षिण बस्तर में बोली जाने वाली स्थानीय भाषा) से लिया गया है।
    • इस योजना का उद्देश्य विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों (PVTGs) के जीवन स्तर को सुधारना है।
    • यह योजना सुरक्षा शिविरों के एक किमी के दायरे में आवास, स्वास्थ्य सेवा, जल, बिजली, सड़क और शिक्षा जैसी आवश्यक सुविधाएँ उपलब्ध कराने पर केंद्रित है।
    • इन गाँवों में रहने वाले परिवारों को उज्ज्वला योजना के तहत नि:शुल्क गैस सिलेंडर, राशन कार्ड, सिंचाई पंप, नि:शुल्क बिजली, आँगनवाड़ी की सुविधा तथा वनाधिकार के प्रमाण-पत्र प्रदान किये जाएंगे।

प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY):

  • परिचय
    • प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना एक प्रमुख पहल है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण एवं आर्थिक रूप से कमज़ोर परिवारों को स्वच्छ ईंधन (LPG) उपलब्ध कराना है।
    • यह योजना 1 मई 2016 को उत्तर प्रदेश के बलिया ज़िले से प्रारंभ की गई थी।
    • इस योजना का लक्ष्य उन परिवारों को लाभ देना है, जो परंपरागत ईंधनों जैसे लकड़ी, कोयला एवं गोबर के उपलों पर निर्भर थे।
  • स्वास्थ्य और पर्यावरण पर प्रभाव:
    • परंपरागत ईंधनों के प्रयोग से विशेष रूप से ग्रामीण महिलाओं को घरेलू वायु प्रदूषण के कारण गंभीर स्वास्थ्य जोखिमों का सामना करना पड़ता था। साथ ही, यह वनों की कटाई और कार्बन उत्सर्जन के कारण पर्यावरणीय क्षरण में भी योगदान देता था।
  • उज्ज्वला 2.0, इस योजना का दूसरा चरण है, जिसे अगस्त 2021 में प्रारंभ किया गया था।

विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूह (PVTGs)

  • परिचय 
    • PVTG (विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूह), अनुसूचित जनजाति (ST) या ST के किसी हिस्से का उप-वर्गीकरण है, जिसे सामान्य ST की तुलना में अधिक असुरक्षित माना जाता है। 
    • भारत सरकार ने उनके जीवन स्तर को सुधारने के लिये PVTG सूची बनाई है।
  • राज्यवार वितरण:
    • भारत में कुल 75 PVTG हैं, जिनमें सबसे अधिक (13) ओडिशा में हैं, उसके बाद आंध्र प्रदेश (12) में हैं।
    • छत्तीसगढ़ में 7 PVTG हैं, जो राज्य के 33 ज़िलों में से 17 ज़िलों में निवास करते हैं। ये हैं- कमर, बैगा, पहाड़ी कोरवा, अबूझमाड़िया, बिरहोर, पंडो और भुजिया।
      • जहाँ पहली पाँच जनजातियों को केंद्र सरकार द्वारा PVTG घोषित किया गया है, वहीं पंडो तथा भुजिया को राज्य सरकार द्वारा घोषित किया गया है।
  • अनुच्छेद 342(1):
    • राष्ट्रपति किसी राज्य/केंद्रशासित प्रदेश के संबंध में (राज्य के लिये राज्यपाल से परामर्श के बाद) उस राज्य/केंद्रशासित प्रदेश में जनजातियों, जनजातीय समुदायों, जनजातियों के भागों या समूहों को अनुसूचित जनजाति (ST) के रूप में निर्दिष्ट कर सकते हैं।
    • संसद, विधि द्वारा अनुच्छेद 342(1) के अधीन जारी अधिसूचना में विनिर्दिष्ट ST की सूची में किसी जनजाति या जनजातीय समुदाय को अथवा उनके किसी भाग या समूह को सम्मिलित या अपवर्जित कर सकती है; परंतु उपर्युक्त के अतिरिक्त, उक्त अधिसूचना में किसी पश्चातवर्ती अधिसूचना द्वारा परिवर्तन नहीं किया जा सकता।

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