उत्तर प्रदेश Switch to English
नमामि गंगे मिशन
चर्चा में क्यों?
विश्व पर्यावरण दिवस 2025 (5 जून 2025) पर नमामि गंगे मिशन के तहत एक विशेष कार्यक्रम बुलंदशहर, उत्तर प्रदेश में आयोजित किया गया, जिसमें पारिस्थितिक बहाली, टिकाऊ प्रथाओं और नदी संरक्षण के लिये आधुनिक तकनीक पर ध्यान केंद्रित किया गया।
- नोट: मॉन्ट्रियल में संयुक्त राष्ट्र जैवविविधता सम्मेलन में गंगा पुनरुद्धार कार्यक्रम को दुनिया की शीर्ष 10 पारिस्थितिकी तंत्र बहाली पहलों में से एक माना गया।
मुख्य बिंदु
- कार्यक्रम की मुख्य बातें:
- सीवेज और प्रदूषण नियंत्रण उपाय:
- गंगा बेसिन में स्थित सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट अनुपचारित अपशिष्ट जल को नदी में जाने से रोक रहे हैं।
- प्रदूषण फैलाने वालों के ख़िलाफ़ सख्त कार्रवाई पर ज़ोर दिया गया, साथ ही सामुदायिक नदी संरक्षकों (गंगा प्रहरियों) की महत्त्वपूर्ण भूमिका पर भी ज़ोर दिया गया।
- प्राकृतिक खेती को बढ़ावा:
- रासायनिक उर्वरक के उपयोग को कम करने, मृदा स्वास्थ्य में सुधार लाने तथा नदियों में अपवाह को रोकने के लिये प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया गया।
- सतत् कृषि और जल संरक्षण को बढ़ावा देने के लिये पारंपरिक जैव-आगतों की सिफ़ारिश की गई।
- तकनीकी एकीकरण की भूमिका:
- प्रदूषण के प्रमुख स्थानों की पहचान करने तथा नदी में प्रवेश करने वाले नालों का पता लगाने के लिये ड्रोन और LiDAR (लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग) सर्वेक्षण जैसे आधुनिक उपकरणों का उपयोग किया जा रहा है।
- ग्रामीण और अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों में पर्यावरण जागरूकता को बढ़ावा देने के लिये राष्ट्रीय पुस्तक न्यास (NBT) द्वारा एक मोबाइल लाइब्रेरी, पुस्तक परिक्रमा शुरू की गई।
- पारिस्थितिकी बहाली कार्य:
- जलीय जीवन को बहाल करने के लिये बसी घाट पर मछलियों और कछुओं को छोड़ा गया।
- गंगा डॉल्फ़िन और मीठे पानी के कछुओं के लिये बचाव केंद्र, लुप्तप्राय प्रजातियों के संरक्षण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- वृक्षारोपण एवं वनरोपण:
- "एक पेड़, माँ के नाम" पहल के तहत पेड़ लगाए गए, जिससे पारिस्थितिकी संतुलन में वनीकरण की भूमिका को मज़बूती मिली।
नमामि गंगे कार्यक्रम
- परिचय: यह प्रदूषण को कम करने, जल की गुणवत्ता में सुधार लाने और नदी के पारिस्थितिकी तंत्र को बहाल कर गंगा नदी और उसकी सहायक नदियों के संरक्षण के लिये एक प्रमुख कार्यक्रम है।
- कार्यान्वयन: गंगा नदी के संरक्षण हेतु पाँच स्तरीय संरचना।
- NGP के 8 स्तंभ:
- प्रमुख हस्तक्षेप:
- प्रदूषण उपशमन (निर्मल गंगा): उद्योगों और आवासों से निकलने वाले अपशिष्ट में कमी लाते हुए वाहित मल शोधन संयंत्र (STP) स्थापित करना।
- पारिस्थितिकी और प्रवाह में सुधार (अविरल गंगा): जल संरक्षण उपायों के क्रियान्वन के साथ प्राकृतिक प्रवाह और जैवविविधता को बहाल करना।
- जन-नदी संपर्क (जन गंगा) का सुदृढ़ीकरण: संरक्षण प्रयासों में स्थानीय हितधारकों को शामिल करते हुए सामुदायिक सहभागिता और जागरूकता को बढ़ावा देना।
- अनुसंधान और नीति को सुविधाजनक बनाना (ज्ञान गंगा): साक्ष्य-आधारित नीतियाँ तैयार करते हुए वैज्ञानिक अनुसंधान और अध्ययन का समर्थन करना।
एक पेड़ माँ के नाम अभियान
- परिचय: इस पहल का उद्देश्य माताओं के नाम पर पेड़ लगाकर उन्हें सम्मानित करना है, जो पर्यावरण संरक्षण और मातृत्व के प्रति श्रद्धांजलि को एक साथ जोड़ती है। यह इस बात का प्रतीक है कि जिस तरह पेड़ जीवन को पोषित और पालते हैं, ठीक वैसे ही माताएँ भी करती हैं।
- इस पहल की शुरुआत विश्व पर्यावरण दिवस, 5 जून, 2024 को प्रधानमंत्री द्वारा की गई थी।
- उद्देश्य: पर्यावरण संरक्षण और वन क्षेत्र को बढ़ाना तथा माताओं को सम्मान देते हुए सतत् विकास का समर्थन करना है।
- विश्व रिकॉर्ड उपलब्धि: 22 सितंबर, 2024 को, प्रादेशिक सेना की 128 इन्फैंट्री बटालियन और पारिस्थितिक कार्य बल ने जैसलमेर में एक घंटे में 5 लाख से अधिक पौधे लगाए।