राजस्थान
अंतर्राष्ट्रीय जैवविविधता दिवस 2025
- 23 May 2025
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चर्चा में क्यों?
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) ने राष्ट्रीय जैवविविधता प्राधिकरण, राजस्थान वन विभाग एवं राज्य जैवविविधता बोर्ड के सहयोग से 22 मई 2025 को "अंतर्राष्ट्रीय जैवविविधता दिवस" के अवसर पर उदयपुर में राष्ट्रीय स्तरीय कार्यक्रम का आयोजन किया।
- भारत 17 मेगा-जैवविविधता वाले देशों में से एक है, जिसका भू-क्षेत्र 329 मिलियन हेक्टेयर है और इसमें 1,00,000 से अधिक पशु प्रजातियाँ और 55,000 से अधिक पौधों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
मुख्य बिंदु
अंतर्राष्ट्रीय जैवविविधता दिवस
- यह दिवस विश्व में जैवविविधता के संरक्षण के महत्त्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिये प्रतिवर्ष 22 मई को मनाया जाता है।
- संयुक्त राष्ट्र द्वारा वर्ष 1992 में इसी दिन जैवविविधता पर कन्वेंशन को अपनाया गया था।
- वर्ष 2025 का विषय है 'प्रकृति के साथ सामंजस्य और सतत विकास'।
- वर्ष 2000 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने आधिकारिक तौर पर 22 मई को अंतर्राष्ट्रीय जैवविविधता दिवस के रूप में घोषित किया।
- UNCBD जैवविविधता के संरक्षण के लिये एक कानूनी रूप से बाध्यकारी संधि है।
- भारत इस संधि का एक पक्ष है तथा उसने जैवविविधता अधिनियम, 2002 पारित किया है।
- UNGA ने वर्ष 2011-2020 को जैवविविधता पर संयुक्त राष्ट्र दशक के रूप में नामित किया है, जिसका उद्देश्य जैवविविधता के लिये एक रणनीतिक योजना के कार्यान्वयन को आगे बढ़ाना है।
कार्यक्रम की मुख्य विशेषताएँ
- राष्ट्रीय अभियान का शुभारंभ:
- विश्व पर्यावरण दिवस 2025 (5 जून) की पूर्व संध्या पर ‘प्लास्टिक प्रदूषण समाप्ति’ पर आधारित एक पंद्रह दिवसीय राष्ट्रीय अभियान की शुरुआत की गई।
इस अभियान का उद्देश्य प्लास्टिक कचरे के उन्मूलन को लेकर जन-संपर्क और नीति-चर्चा को सशक्त बनाना है। - इस अवसर पर जैवविविधता और जैव संसाधन पर एक प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया गया, जिसमें भारत की स्वदेशी जैवविविधता, औषधीय पौधों, पारंपरिक फसल किस्मों और संरक्षण नवाचारों को प्रदर्शित किया गया।
- विश्व पर्यावरण दिवस 2025 (5 जून) की पूर्व संध्या पर ‘प्लास्टिक प्रदूषण समाप्ति’ पर आधारित एक पंद्रह दिवसीय राष्ट्रीय अभियान की शुरुआत की गई।
- जैवविविधता संरक्षण के लिये भारत की वैश्विक प्रतिबद्धता:
- भारत ने वर्ष 2024 में जैवविविधता कन्वेंशन (CBD) की 16वीं पक्षकार सम्मेलन (COP16) में कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैवविविधता ढाँचा (KMGBF) को आगे बढ़ाने में अपनी सक्रिय भूमिका प्रदर्शित की।
- भारत ने जैवविविधता संरक्षण में नेतृत्व निम्नलिखित रूपों में दिखाया:
- अद्यतन राष्ट्रीय जैवविविधता लक्ष्य प्रस्तुत करना (सितंबर 2024)
- 30 अक्तूबर 2024 को संशोधित राष्ट्रीय जैवविविधता रणनीति और कार्य योजना (NBSAP) जारी करना।
- भारत की संरक्षण उपलब्धियों में शामिल हैं:
- संरक्षित आर्द्रभूमि (Wetlands) का विस्तार, जिसमें 89 रामसर स्थलों के माध्यम से 1.35 मिलियन हेक्टेयर भूमि शामिल है।
- जैविक विविधता अधिनियम, 2002 के तहत 49 जैवविविधता विरासत स्थलों (Biodiversity Heritage Sites) की अधिसूचना।
- इस कार्यक्रम में ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान की सफलता पर प्रकाश डाला गया, जो विश्व पर्यावरण दिवस 2024 पर शुरू हुआ और जिसके तहत वैश्विक स्तर पर 142 करोड़ पेड़ लगाए गए, जिससे नागरिकों को पर्यावरण संरक्षण में सक्रिय भागीदार बनाया गया।
- कार्यक्रम के दौरान प्रकाशन:
- अद्यतन राष्ट्रीय जैवविविधता रणनीति और कार्ययोजना (NBSAP) 2024–2030
- भारत की सातवीं राष्ट्रीय रिपोर्ट (NR7) जैव विविधता कन्वेंशन (CBD) को
- भारत के जैवविविधता विरासत स्थलों पर संकलन (Compendium)
जैविक विविधता अधिनियम, 2002 के अंतर्गत 2025 की पहुँच एवं लाभ साझा नियमावली पर ब्रोशर
राजस्थान में रामसर स्थल
- केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (भरतपुर), एक विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त आर्द्रभूमि और पक्षी अभयारण्य है, जिसे भरतपुर पक्षी अभयारण्य के रूप में भी जाना जाता है।
- जयपुर, अजमेर और नागौर ज़िलों में स्थित सांभर झील भारत की सबसे बड़ी अंतर्देशीय खारी झील और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त रामसर साइट है।
- वर्ष 1990 में नामित यह झील अपनी अनूठी जैवविविधता के कारण पारिस्थितिक महत्त्व रखती है तथा प्रवासी पक्षियों के लिये महत्त्वपूर्ण शीतकालीन आवास के रूप में कार्य करती है, जिसमें फ्लेमिंगो, पेलिकन और कई अन्य प्रजातियाँ शामिल हैं।
कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैवविविधता फ्रेमवर्क (KMGBF)
- यह ढाँचा संयुक्त राष्ट्र के जैवविविधता कन्वेंशन (CBD) की 15वीं पक्षकार सम्मेलन (COP15) में दिसंबर 2022 में अपनाया गया।
- इसका उद्देश्य सतत् विकास लक्ष्यों (SDGs) की प्राप्ति में सहायता करना और पूर्व रणनीतिक योजनाओं को सुदृढ़ बनाना है।
- इस ढाँचे में वर्ष 2050 तक चार मुख्य लक्ष्य और वर्ष 2030 तक 23 लक्षित उद्देश्यों को निर्धारित किया गया है, जो योजना, निगरानी, रिपोर्टिंग, वित्त और क्षमता विकास को कवर करते हैं।
- लक्ष्य 3 के अंतर्गत यह सुनिश्चित किया गया है कि वर्ष 2030 तक विश्व के स्थलीय क्षेत्र का कम-से-कम 30% भाग संरक्षित क्षेत्र हो, जो वर्तमान में लगभग 16% है।
- साथ ही, यह सुनिश्चित किया जाता है कि वर्ष 2030 तक कम-से-कम 30% अव्यवस्थित स्थलीय, अंतर्देशीय जल, और समुद्री तथा तटीय पारिस्थितिक तत्त्व प्रभावी पुनरुद्धार के अधीन हों।