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अरावली ग्रीन वॉल पहल
चर्चा में क्यों?
विश्व पर्यावरण दिवस (5 जून, 2025) पर प्रधानमंत्री ने ‘अरावली ग्रीन वॉल परियोजना’ के तहत ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान पहल को आगे बढ़ाया, जिसका उद्देश्य दिल्ली से गुजरात तक अरावली पर्वत शृंखला में वनीकरण को प्रोत्साहित करना है।
- इस पहल के तहत, हरियाणा सरकार 25,000 हेक्टेयर बंजर वन भूमि को पुनः बहाल करेगी।
विश्व पर्यावरण दिवस (WED)
- इतिहास एवं परिचय:
- विश्व पर्यावरण दिवस की स्थापना वर्ष 1972 में स्टॉकहोम में आयोजित मानव पर्यावरण पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के दौरान की गई थी।
- उसी वर्ष बाद में, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने आधिकारिक तौर पर 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में घोषित किया।
- पहला उत्सव 1973 में “ओनली वन अर्थ” थीम के साथ मनाया गया, जो पर्यावरण जागरूकता के लिये सबसे बड़े वैश्विक मंच की शुरुआत थी।
- वर्ष 2021 में WED समारोह ने पारिस्थितिकी तंत्र बहाली पर संयुक्त राष्ट्र दशक (2021-2030) की शुरुआत की, जो वनों से लेकर खेतों तक, पहाड़ों की चोटियों से लेकर समुद्र की गहराई तक अरबों हेक्टेयर भूमि को पुनर्जीवित करने का एक वैश्विक मिशन है।
- विश्व पर्यावरण दिवस की स्थापना वर्ष 1972 में स्टॉकहोम में आयोजित मानव पर्यावरण पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के दौरान की गई थी।
- WED 2025:
- कोरिया गणराज्य विश्व पर्यावरण दिवस 2025 की मेज़बानी कर रहा है जिसका फोकस वैश्विक स्तर पर प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करने पर है।
- वर्ष 2025 की थीम है "बीट प्लास्टिक पॉल्यूशन", जो प्लास्टिक अपशिष्ट को कम करने पर वैश्विक ध्यान केंद्रित करता है।
- भारत ने वर्ष 2018 में 'बीट प्लास्टिक पॉल्यूशन' थीम के अंतर्गत विश्व पर्यावरण दिवस के 45 वें समारोह की मेज़बानी की थी।
प्रमुख बिंदु
- अरावली ग्रीन वॉल परियोजना के बारे में:
- अफ्रीका की ग्रेट ग्रीन वॉल पहल से प्रेरित होकर, अरावली ग्रीन वॉल परियोजना का उद्देश्य है-
- वर्ष 2027 तक 1.1 मिलियन हेक्टेयर से अधिक क्षरित भूदृश्यों को पुनः स्थापित करना।
- स्थानिक प्रजातियों के साथ वनरोपण, मृदा स्वास्थ्य सुधार और भूजल पुनःपूर्ति पर ध्यान केंद्रित करना।
- नगरीय ऊष्मा द्वीपों को कम करने के लिये एक "पारिस्थितिक दीवार" विकसित करना तथा NCR के लिये कार्बन सिंक के रूप में कार्य करना।
- अफ्रीका की ग्रेट ग्रीन वॉल पहल से प्रेरित होकर, अरावली ग्रीन वॉल परियोजना का उद्देश्य है-
- अरावली के लिये पर्यावरणीय खतरे:
- अरावली पर्वतमाला भारत की सबसे पुरानी पर्वतमालाओं में से एक है, जो दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात में फैली हुई है।
- यह क्षेत्र अवैध खनन और तेज़ी से हो रहे शहरीकरण के कारण गंभीर पर्यावरणीय गिरावट का सामना कर रहा है।
- नर्सरी विकास योजना:
- सरकार अरावली ग्रीन वॉल परियोजना के तहत बड़े पैमाने पर वनरोपण को बढ़ावा देने के लिये अरावली पर्वतमाला के 29 ज़िलों में 1,000 नर्सरियाँ विकसित करेगी।
- क्षरण को कम करने के लिये सरकार ने वृक्षारोपण बढ़ाने और पर्वतमाला पर हरित आवरण का विस्तार करने की योजना बनाई है।
- इस पहल का उद्देश्य जैवविविधता को बहाल करना, मृदा को स्थिर करना और पारिस्थितिक संतुलन को पुनर्जीवित करना है।
- अवक्रमित क्षेत्रों का वितरण:
- राजस्थान में सर्वाधिक 81% अवक्रमित भूमि है।
- गुजरात का हिस्सा 15.8% है।
- हरियाणा में 1.7% है।
- दिल्ली में कुल अवक्रमित क्षेत्र का 1.6% हिस्सा है।
अरावली पर्वत शृंखला
- परिचय:
- अरावली विश्व की सबसे प्राचीन भ्रंश पर्वतमाला है। भूवैज्ञानिक अध्ययनों के अनुसार, इसकी आयु लगभग तीन अरब वर्ष आंकी गई है।
- यह पर्वतमाला गुजरात से दिल्ली तक फैली हुई है (राजस्थान और हरियाणा होते हुए)।
- अरावली शृंखला की सबसे ऊँची चोटी माउंट आबू पर स्थित गुरु शिखर है।
- जलवायु पर प्रभाव:
- अरावली पर्वतमाला उत्तर-पश्चिम भारत और उससे आगे के क्षेत्रों की जलवायु पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव डालती है।
- मानसून के दौरान, पर्वत शृंखला मानसून के बादलों को धीरे-धीरे पूर्व की ओर शिमला और नैनीताल की ओर ले जाती है, जिससे उप-हिमालयी नदियों को पोषण मिलता है और उत्तर भारतीय मैदानों की सिंचाई संभव होती है।
- सर्दियों के महीनों में यह उपजाऊ जलोढ़ नदी घाटियों (सिंधु और गंगा) को मध्य एशिया से ठंडी पश्चिमी हवाओं के हमले से बचाती है।
- अरावली पर्वतमाला की पारिस्थितिक भूमिका:
- अरावली पर्वतमाला थार मरुस्थल के पूर्व की ओर विस्तार को रोककर मरुस्थलीकरण के विरुद्ध एक प्राकृतिक ढाल का कार्य करती है।
- यह दिल्ली, जयपुर और गुरुग्राम जैसे प्रमुख शहरों को मरुस्थली अतिक्रमण और बढ़ती शुष्कता से संरक्षित रखती है।
- नदियाँ:
- यह शृंखला चंबल, साबरमती और लूनी सहित कई महत्त्वपूर्ण नदियों का उद्गम स्थल है।
- ये नदियाँ उत्तर-पश्चिमी भारत में कृषि, पेयजल और क्षेत्रीय पारिस्थितिकी तंत्र के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
- अरावली पारिस्थितिकी तंत्र के लिये खतरे:
- अवैध खनन, अत्यधिक चारण और मानव अधिवास पूरे क्षेत्र में भूमि क्षरण को तेज़ कर रही हैं।
- ये गतिविधियाँ भूमिगत जलभृतों को क्षति पहुँचा रही हैं, झीलों को शुष्क बना रही हैं, तथा वन्यजीवों और जैवविविधता को सहारा देने की पर्वत शृंखला की क्षमता को कमज़ोर कर रही हैं।
एक पेड़ माँ के नाम' अभियान
- परिचय: इसका उद्देश्य माताओं को सम्मानित करना है, जिसके तहत उनके नाम पर वृक्षारोपण को प्रोत्साहित किया जा रहा है। यह पहल पर्यावरण संरक्षण को मातृत्व को समर्पित एक श्रद्धांजलि के रूप में जोड़ती है, जो इस बात का प्रतीक है कि जैसे वृक्ष जीवन को पोषण और सहारा प्रदान करते हैं, वैसे ही माँ भी जीवन का पालन-पोषण करती हैं।
- इसे विश्व पर्यावरण दिवस, 5 जून, 2024 को प्रधानमंत्री द्वारा लॉन्च किया गया था।
- उद्देश्य: पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देना, वन क्षेत्र में वृद्धि करना और माताओं को सम्मान देते हुए सतत् विकास का समर्थन करना।
- विश्व रिकॉर्ड उपलब्धि: 22 सितंबर 2024 को, प्रादेशिक सेना की 128 इन्फैंट्री बटालियन और पारिस्थितिक कार्य बल ने जैसलमेर में एक घंटे में 5 लाख से अधिक पौधे लगाए।