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प्रश्न :
प्रश्न. मानव विकास सूचकांक (HDI) क्षमता को दर्शाता है, जबकि असमानता-समायोजित मानव विकास सूचकांक (IHDI) प्रदर्शन को प्रकट करता है। भारत के संदर्भ में विवेचना कीजिये। (150 शब्द)
17 Sep, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्थाउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- HDI और IHDI के संबंध में संक्षिप्त परिचय देते हुए उत्तर प्रस्तुत कीजिये।
- संभावना के संकेतक के रूप में HDI का गहन अध्ययन कीजिये।
- वास्तविक प्रदर्शन के प्रतिबिंब के रूप में IHDI पर प्रकाश डालिये।
- समावेशी विकास की दिशा में आगे बढ़ने के उपाय सुझाइए।
- उपयुक्त निष्कर्ष लिखिये।
परिचय:
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) द्वारा प्रस्तुत मानव विकास सूचकांक (HDI) किसी देश की स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन-स्तर के संदर्भ में संभावनाओं को मापता है। परंतु जब इसे असमानता के लिये समायोजित किया जाता है, तो असमानता-समायोजित मानव विकास सूचकांक (IHDI) वास्तव में लोगों द्वारा अनुभव किये गए वास्तविक प्रदर्शन को दर्शाता है।
मुख्य भाग:
- HDI: क्षमता का संकेतक
- रैंक और मूल्य में सुधार: भारत की HDI रैंक 133 (2022) से बढ़कर 130 (2023) हो गई है, जबकि मूल्य 0.676 से बढ़कर 0.685 हो गया है, जो “उच्च मानव विकास (High Human Development)” श्रेणी की ओर बढ़ने का संकेत है।
- दीर्घकालिक प्रगति: 1990 से भारत का HDI मूल्य 53% से अधिक बढ़ा है, जो वैश्विक और दक्षिण एशियाई औसत से तेज़ है, यह समावेशी विकास की क्षमता को इंगित करता है।
- नीतिगत सफलता: आयुष्मान भारत, पीएम पोषण, समग्र शिक्षा अभियान और स्किल इंडिया जैसी योजनाओं ने स्वास्थ्य, शिक्षा और आजीविका के परिणामों में सुधार किया है।
IHDI: वास्तविक प्रदर्शन का प्रतिबिंब
- उच्च असमानता हानि: असमानता के कारण भारत को HDI में 30.7% की हानि होती है, जो क्षमता और वास्तविक अनुभव के बीच के अंतर को रेखांकित करता है।
- आय असमानता: सबसे गरीब 40% के पास राष्ट्रीय आय का केवल 20.2% है, जबकि सबसे अमीर 10% के पास 25.5% है, जो असंतुलित वितरण को दर्शाता है।
- लैंगिक असमानता: महिला श्रम भागीदारी, वेतन असमानता और शैक्षिक अवसरों में कमी से मानव विकास के प्रभावी लाभ घट जाते हैं।
- क्षेत्रीय असंतुलन: दक्षिणी और पश्चिमी राज्य अक्सर उत्तरी और पूर्वी राज्यों से बेहतर प्रदर्शन करते हैं, जिससे विकास का असमान परिदृश्य बनता है।
समावेशी मानव विकास की ओर
- समावेशी विकास नीतियाँ: लक्षित सब्सिडी और प्रगतिशील कराधान जैसी पुनर्वितरणीय नीतियों को सुदृढ़ करना।
- शिक्षा एवं कौशल पर ध्यान: गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और व्यवसायिक प्रशिक्षण के माध्यम से अवसर असमानता को कम करना।
- लैंगिक मुख्यधारा में लाना: महिलाओं की कार्यबल भागीदारी बढ़ाने हेतु बाल देखभाल, अनुकूलनशील रोज़गार और सुरक्षा उपायों को प्रोत्साहित करना।
- क्षेत्रीय संतुलन: पिछड़े राज्यों को केंद्रीय निधियों और अवसंरचनात्मक निवेश में प्राथमिकता देना।
- डेटा-आधारित शासन: असमानता की निगरानी और नीतियों को परिष्कृत करने हेतु वास्तविक समय के पृथक आँकड़ों का उपयोग।
निष्कर्ष:
भारत का बढ़ता मानव विकास सूचकांक (HDI) इसके मानव पूंजी की क्षमता को दर्शाता है, जबकि असमानता-समायोजित मानव विकास सूचकांक (IHDI) में हानि यह बताती है कि असमानता के कारण वास्तविक प्रदर्शन पिछड़ रहा है। इस अंतर को पाटने के लिये समावेशी विकास, समान अवसर और लक्षित सामाजिक नीतियों की सतत् आवश्यकता है, ताकि मानव विकास के लाभ समाज के सभी वर्गों तक पहुँच सकें।
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