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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    G20 की अध्यक्षता के आलोक में भारत की थीम,’समावेशिता (Inclusivity)’ है। भारत के शहरी केंद्रों को दिव्यांगों के और अधिक अनुकूल बनाने से संबंधित चुनौतियों और अवसरों पर चर्चा कीजिये। (150 शब्द)

    13 Jun, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 2 सामाजिक न्याय

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • परिचय: भारत की G20 अध्यक्षता की थीम और समावेशिता के संदर्भ में इसकी प्रासंगिकता की व्याख्या करते हुए अपने उत्तर की शुरुआत कीजिये।
    • मुख्य भाग: भारत के शहरी केंद्रों को दिव्यांगों के और अधिक अनुकूल बनाने से संबंधित चुनौतियों और अवसरों पर सहायक तथ्यों तथा उदाहरणों के साथ चर्चा कीजिये।
    • निष्कर्ष: आगे की राह बताते हुए निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    • भारत की G20 अध्यक्षता की थीम ‘समावेशिता’ है, जिससे समावेशिता और रचनात्मकता के प्रति देश की आकांक्षा प्रदर्शित होती है। भारत की G20 अध्यक्षता भी वसुधैव कुटुम्बकम या एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य के मूल्य की पुष्टि करने के साथ वैश्विक कल्याण हेतु सामूहिक प्रयासों पर केंद्रित है।
    • भारत में शहरी केंद्रों को दिव्यांगों के और अधिक अनुकूल बनाना एक चुनौती के साथ-साथ समावेशिता के दृष्टिकोण को प्राप्त करने का अवसर है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार लगभग 8 मिलियन दिव्यांग लोग पहले से ही शहरों में रहते हैं। यहाँ पर केवल 3% भवन ही शारीरिक रूप से दिव्यांग लोगों के लिये सुलभ हैं।

    मुख्य भाग:

    शहरी केंद्रों को दिव्यांगों के और अधिक अनुकूल बनाने से संबंधित चुनौतियाँ:

    • दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों और आवश्यकताओं के बारे में विभिन्न हितधारकों के बीच जागरूकता और संवेदनशीलता का अभाव होना।
    • शहरी क्षेत्रों में दिव्यांग व्यक्तियों की संख्या, प्रकार और स्थितियों के बारे में पर्याप्त डेटा और जानकारी का अभाव होना।
    • शहरी नियोजन, विकास और सेवा वितरण में शामिल विभिन्न मंत्रालयों, विभागों और एजेंसियों के बीच समन्वय का अभाव होना।
    • अभिगम्यता मानकों और दिशानिर्देशों को डिज़ाइन करने, लागू करने तथा निगरानी करने के लिये पर्याप्त वित्तीय संसाधनों तथा तकनीकी विशेषज्ञता का अभाव होना।
    • निर्णय लेने की प्रक्रियाओं और शासन प्रणाली में दिव्यांग व्यक्तियों और उनके संगठनों की भागीदारी और प्रतिनिधित्व का अभाव होना।

    शहरी केंद्रों को दिव्यांगों के और अधिक अनुकूल बनाने से संबंधित अवसर::

    • दिव्यांगों हेतु सक्षम वातावरण विकसित करने तथा इनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने के लिये प्रौद्योगिकी और ICT का लाभ उठाना। उदाहरण के लिये इन्हें सेवाएँ प्रदान करने हेतु डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग करना, सहायक उपकरण प्रदान करना, ऑडियो-विज़ुअल सिग्नल प्रणाली स्थापित करना आदि।
    • दिव्यांग व्यक्तियों के आवागमन तथा कार्यस्थल, शिक्षा, खेल तक इनकी पहुँच स्थापित करने हेतु सुलभ बुनियादी ढाँचे में निवेश करना। उदाहरण के लिये ऐसे रैंप, लिफ्ट, शौचालय एवं रास्ते आदि का निर्माण करना जो विभिन्न प्रकार की अक्षमताओं के अनुकूल हों।
    • दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों और सम्मान के बारे में जागरूकता के प्रसार के साथ इनके प्रति सम्मान को बढ़ावा देने हेतु विभिन्न हितधारकों के व्यवहार परिवर्तन और क्षमता निर्माण को बढ़ावा देना। उदाहरण के लिये अधिकारियों, सेवा प्रदाताओं, नियोक्ताओं, शिक्षकों आदि को संवेदनशील बनाने के लिये प्रशिक्षण कार्यक्रम, अभियान, कार्यशाला आदि का आयोजन करना।
    • ऐसी समावेशी नीतियों और कानूनी ढाँचे को लागू करना जिससे विकलांग व्यक्तियों की रक्षा होने के साथ उनका सशक्तिकरण हो तथा निर्णय लेने की प्रक्रिया में भी उनकी भागीदारी सुनिश्चित हो सके। उदाहरण के लिये दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016 को लागू करना, जिसके तहत सार्वजनिक भवनों और परिवहन में दिव्यांग व्यक्तियों हेतु सुलभता मानकों को अनिवार्य किया गया है।
    • विभिन्न क्षेत्रों में परिवर्तन और विकास के एजेंट के रूप में दिव्यांग व्यक्तियों की क्षमता और योगदान का उपयोग करना।

    निष्कर्ष:

    भारत को पूरी तरह से समावेशी और सुलभ बनाने हेतु सरकार, नागरिक समाज, निजी क्षेत्र और अंतर्राष्ट्रीय भागीदारों द्वारा विभिन्न स्तरों पर सहयोगात्मक पहल करने की आवश्यकता है। इससे शहरी क्षेत्रों के सतत भविष्य की दिशा में तार्किक नीतियों और प्रणालियों को लागू करने में सहायता मिलेगी।

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