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ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    तकनीकी नवाचारों ने छोटे पैमाने की रिश्वतों को कम किया लेकिन यह प्रकट किया कि बड़े स्तर का भ्रष्टाचार भारत में अभी भी फल-फूल रहा है। कथन को स्पष्ट करते हुए इस संदर्भ में अपनाए जाने वाले उपायों की चर्चा करें।

    21 Jul, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा

    • प्रभावी भूमिका में प्रश्नगत कथन को स्पष्ट करें।
    • तार्किक एवं संतुलित विषय-वस्तु में ‘एक देश, एक चुनाव’ के पक्ष-विपक्ष पर संक्षिप्त चर्चा करते हुए इसकी सफलता की संभावनाओं का उल्लेख करें।
    • प्रश्नानुसार संक्षिप्त एवं सारगर्भित निष्कर्ष लिखें।

    1980 के दशक में शुरू हुए भारतीय उदारीकरण से अपेक्षा तो यह थी कि भ्रष्टाचार पर रोक लगेगी, लेकिन परिणाम इसके विपरीत ही रहा। विकास में तेज़ वृद्धि हुई, जिसने प्राकृतिक संसाधनों और सरकारी अनुबंधों के महत्त्व में वृद्धि की। यह वृद्धि इतनी तेज़ रही कि शक्तियों में कमी के बावजूद सरकारी नीलामियों के आर्थिक लगान में मजबूत वृद्धि हुई। हालाँकि, तकनीकी नवाचारों ने छोटे पैमाने की रिश्वतों (जैसे-पासपोर्ट जारी करने के लिये रिश्वत लेना) को कम किया, लेकिन यह प्रकट है कि बड़े स्तर का भ्रष्टाचार भारत में अभी भी फल-फूल रहा है। इस संदर्भ में कई उपाए किये गए, जैसे –
    (i) निचले स्तर पर कई गठबंधनों का किया जाना क्योंकि निचले स्तर के गठबंधन प्रभाव दिखाते हैं जो व्यक्तिगत प्रतिरोध से अधिक प्रभावी हैं।
    (ii) भ्रष्टाचार के विरुद्ध सामाजिक प्रतिबंध और भ्रष्टाचार मुक्त होने के लिये आर्थिक प्रोत्साहन जो कि कानूनी कार्यवाही की अपेक्षा बेहतर काम करते हैं।
    (iii) इस संबंध में एक और नया विचार यह है कि बिज़नेस कम्युनिटी इंस्टीट्यूट नामक संस्थान का गठन किया जाए।

    बीसीआई मीडिया, नागरिक समाज और ‘ज़ीरो रुपए नोट’ व आई-पेड-ब्राइब साइट जैसे पहले से मौजूद उपायों की सहायता से भ्रष्टाचार के विरुद्ध  संदेश प्रसारित कर सकती है और 1 से 3 स्टार तक की एक पारदर्शी रेटिंग प्रणाली विकसित कर सकती है जिससे नागरिकों को आसानी से पता चल सके कि कौन सी फर्म भ्रष्टाचार मुक्त है।

    सामाजिक प्रतिबंधों की एक प्रभावी प्रणाली भ्रष्टाचार मुक्त फर्मों को बेहतर प्रतिभाओं के नियोजन, सस्ती पूंजी या मज़बूत मूल्य निर्धारण शक्ति के माध्यम से व्यवसाय लागत कम रखने में भी मदद करेगी। यदि यह प्रक्रिया गति पकड़ती है तो कंपनियाँ यह महसूस करेंगी कि वस्तुतः भ्रष्टाचार मुक्त होना उनके लाभ को और बढ़ा रहा है।

    केवल सरकार पर निर्भर होकर एवं कानून का अधिनियमन व अनुपालन कर भारत की भ्रष्टाचार संस्कृति में परिवर्तन नहीं आएगा। यह बदलाव तभी आएगा जब युवा, आदर्शवादी, उपभोक्ता, उद्यमी, प्रबंधक, शिक्षाविद् व मीडिया आदि सभी अपना योगदान दें और भ्रष्टाचार के विरुद्ध एक गठबंधन का निर्माण करें।

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