इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    किसी राष्ट्र की प्रगति को सुनिश्चित करने तथा प्रशासनिक व्यवस्था को कायम करने के लिये लोक सेवाओं में नैतिकता की उपस्थिति अपरिहार्य मानी जाती है। लेकिन, वर्तमान में लोक सेवाओं में ‘नैतिकता के पतन’ की स्थिति चिंतित करती है। आपकी दृष्टि में लोकसेवाओं में नैतिकता के पतन के क्या कारण हैं?

    29 Apr, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    सरदार पटेल ने देश की व्यवस्था को कायम करने के लिये सार्वजनिक सेवाओं (लोक सेवाओं) को देश का ‘स्टीलफ्रेम’ कहा था। भारत जैसे विकाशील देश के लिये यह बहुत जरूरी है कि राष्ट्र के त्वरित विकास हेतु लोकसेवा तंत्र नैतिक मूल्यों का पालन करते हुए अपनी जिम्मेदारियों/कर्त्तव्यों को निष्ठापूर्वक निभाएँ। कौटिल्य ने भी सरकारी अधिकारियों (लोकसेवकों) में नैतिक-मूल्यों के समावेश की वकालत की थी और नैतिक जिम्मेदारी निभाने में असफल अधिकारियों के लिये सख्त सजा का प्रावधान किया था।

    आज हमारे देश के सामने विभिन्न प्रकार की चुनौतियाँ एवं समस्याएँ उपस्थित हैं, यथा- भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, गरीबी, अशिक्षा, आतंकवाद, नक्सलवाद, राजनीति का अपराधीकरण, साम्प्रदायिकता, कुपोषण आदि। इन समस्याओं और चुनौतियों से निपटने पर ही राष्ट्र की प्रगति सुनिश्चित हो पाएगी। इसके लिये महज राजनीतिक इच्छाशक्ति से काम नहीं चलेगा अपितु एक निष्ठावान, कर्त्तव्यपरायण, जिम्मेदार एवं नैतिक प्रशासनिक संरचना का होना भी बहुत आवश्यक है।

    परंतु, वर्तमान में देश की लोक सेवाओं में नैतिकता के पतन की स्थिति चिंतित करती है। लोक सेवाओं में व्याप्त भ्रष्टाचार, लालफीताशाही, स्वार्थपूर्ण राजनीति, लोक सेवाओं में संवेदनशीलता एवं देश के प्रति सेवाभाव व सत्यनिष्ठा का अभाव न केवल देश की प्रगति में बाधक है बल्कि स्वस्थ लोकतांत्रिक व्यवस्था के संचालन में भी बड़ी बाधा है।

    लोकसेवाओं में नैतिकता के पतन के कारणः

    • भारतीय नौकरशाही का सामन्तवादी आचरण।
    • राजनीतिक विकेन्द्रीकरण का अभाव तथा प्रशासन का केन्द्रीकृत नियंत्रण।
    • व्यवसायियों, राजनेताओं एवं नौकरशाही के मध्य गठजोड़।
    • प्रशासन के पास अत्यधिक विवेकी शक्तियों का होना।
    • राजनीतिक नेतृत्व की अक्षमता।
    • भ्रष्टाचार निषेध कानूनों का उचित ढंग से लागू न हो पाना।
    • लेखा-परीक्षण प्रणाली का कमजोर होना।
    • आम जनता में लोक प्रशासन तथा कानून के सैद्धान्तिक पहलुओं की जानकारी की कमी।

    इन सब कारणों को दूर करके तथा लोकसेवाओं में नैतिक मूल्यों का गहराई से समावेश करके ही देश की प्रगति तथा सुशासन की संकल्पना, दोनों को साकारित किया जा सकता है।

    To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

    Print
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2