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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    किसी विशिष्ट परिस्थिति में हम किन मानदंडों पर किसी व्यक्ति की क्रिया को नैतिक या अनैतिक ठहरा सकते हैं? दैनिक जीवन में आने वाली नैतिक दुविधाओं को आप किस प्रकार सुलझाएंगे?

    21 Jul, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    सामान्यतः संविधान, मानवाधिकार स्थापित नियम, कानून, अधिनियम, मूल्य विभिन्न नैतिक मान्यताएँ पर्सनल लॉ इत्यादि के अनुसार कार्य को नैतिक माना जाता है, इनसे इतर कार्य को अनैतिक माना जाता है।

    नैतिक और अनैतिक मानने के लिये कुछ अन्य आधार भी हैं, जैसे- कर्त्ता कौन है? उसका इरादा क्या है? उसका प्रभाव क्या है? और उसकी परिस्थितियाँ क्या हैं?

    • यदि कर्त्ता 7 वर्ष से छोटा है तो उसके कार्यों को नीतिशून्य माना जाता है, वहीं यदि कर्त्ता वयस्क है तो वह अपने कार्यों के लिये उत्तरदायी होता है।
    • इसी प्रकार कर्त्ता का इरादा क्या है? यदि इरादा नकारात्मक है तो उसके कार्य अनैतिक होते हैं, किंतु यदि सरकारात्मक इरादा है और फिर भी कुछ नकारात्मक हो जाए तो उसे नैतिकता के अंतर्गत माना जाता है; जैसे चिकित्सक द्वारा इलाज करने पर भी रोगी की मृत्यु हो जाना। 
    • कार्य का प्रभाव क्या है? किसी काम को करने के बाद उसका प्रभाव नकारात्मक है या सकारात्मक; जैसे यदि कोई व्यक्ति ऐसा उपन्यास लिखता है जो वास्तव में सामाजिक स्थिति का विश्लेषण करता है, किंतु उसके कारण दंगा भड़क जाता है तो प्रयास सार्थक होते हुए भी नकारात्मक है। हालाँकि यह कार्य नैतिक था किंतु इसके परिणाम अनैतिक हो गए।

    यदि दैनिक जीवन में कोई दुविधा आए तो निम्नांकित आधारों पर फैसला करेंगे-

    • जब कानून में नैतिक दुविधा हो तो उस कानून पर ज़्यादा ज़ोर देंगे जो हमारे पेशे और सार्वजनिक जीवन को अधिक लाभ पहुँचाए।
    • व्यक्तिगत हित को हमेशा द्वितीय स्तर पर रखेंगे ताकि अधिक-से-अधिक सामाजिक लाभ हो।
    • जब दो मूल्यों में संघर्ष हो तो हम देखेंगे कि कौन-सा मूल्य अधिक महत्त्वपूर्ण है; जैसे मित्र की सहायता तथा बेहतर समाज निर्माण के योगदान में दुविधा हो तो सामाजिक ज़िम्मेदारी प्राथमिक होगी। 
    • नैतिक दुविधा में सामूहिक बुद्धिमत्ता को भी ध्यान में रखेंगे तथा पूर्व में किस तरह के निर्णय लिये गए थे इस बात को भी ध्यान में रखेंगे।
    • पारिवारिक मूल्यों से अधिक राष्ट्रीय मूल्यों को महत्त्व देंगे।

    निष्कर्षतः हम कह सकते हैं कि दैनिक जीवन में निर्णय लेते वक्त जातिवाद, क्षेत्रवाद, भाषावाद इत्यादि विचारों की बजाय जनहित, परहित और तार्किकता का भी ध्यान रखेंगे।

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