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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    ‘अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में स्वहित की बढ़ती प्रवृत्ति ने कई वैश्विक समस्याओं को अनिवारित बना दिया है।’ सोदाहरण स्पष्ट करें। कुछ ऐसे नैतिक समाधान बताएँ जिससे इस प्रवृत्ति (स्वहित) को संतुलित किया जा सके।

    08 Dec, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    भूमिका में:


    अंतर्राष्ट्रीय नैतिकता में यथार्थवाद (अंतर्राष्ट्रीय संदर्भ में राष्ट्रहित को सर्वोपरि मानने वाली विचारधारा) की बढ़ती प्रवृत्ति को ध्यान में रखते हुए भूमिका लिखें तथा इस संदर्भ में अनिवारित वर्तमान वैश्विक समस्याएँ बताएँ। जैसे जलवायु परिवर्तन, शरणार्थी संकट आदि।

    विषय-वस्तु में:


    वर्तमान अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में आत्महित की बढ़ती प्रवृत्ति ने अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में नैतिकता को नेपथ्य में धकेल दिया है जिसका वर्तमान में सबसे प्रासंगिक उदाहरण पैरिस समझौते से अमेरिका का अलग होना, अमेरिका फर्स्ट की नीति तथा यूरोपीय आर्थिक संकट के समय ब्रिटेन द्वारा ब्रेक्जिट प्रक्रिया को प्रारंभ करना आदि है।

    वैश्विक स्तर पर इस स्वहित की प्रवृत्ति ने निम्न कारणों से वर्तमान वैश्विक समस्याओं (जैसे- जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद, साइबर आक्रमण, शरणार्थी संकट, समुद्री सीमा व नौवहन विवाद, नई-नई संक्रामक बीमारियाँ, अंतरिक्ष प्रदूषण आदि) को अनिवारित बना दिया है-

    • उपरोक्त सभी समस्याएँ अपने कारण, परिणाम तथा प्रकृति में राष्ट्रीय सीमाओं का अतिक्रमण करती हैं।
    • वर्तमान वैश्विक जुड़ाव ने समस्याओं के प्रभाव को भी वैश्विक कर दिया है।
    • स्वहित की बढ़ती प्रवृत्ति ने अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में सहयोग, मूल्यात्मक स्तर तथा आपसी विश्वास को कमजोर किया है जिसका परिणाम विभिन्न रास्तों की होड़ तथा ‘ट्रेडवार’ आदि के रूप में सामने आया।

    संक्षेप में कहें तो स्वहित की बढ़ती प्रवृत्ति ने अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में नैतिकता को कमजोर किया है जिससे अंतर्राष्ट्रीय (वैश्विक) प्रकृति की ये समस्याएँ अनिवारित हो रही हैं।

    स्वहित की वर्तमान वैश्विक प्रवृत्ति को संतुलित करने वाले नैतिक समाधान निम्नलिखित हो सकते हैं, जैसे-

    • अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में नैतिकता के बुनियादी मूल्यों, जैसे- अहिंसा, प्रेम, समानता, समावेशन, न्याय आदि तथा पंचशील जैसे सिद्धांतों का संवर्द्धन किया जाए।
    • नैतिक मूल्यों का प्रभावी पालन हो इसके लिये संस्थागत प्रयास मजबूत करने होंगे।
    • विश्वनगरवाद (Cosmopolitanism) जैसी अवधारणा को विस्तार देकर सभी के साझा हितों के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय नैतिकता को मजबूत कर सकते हैं। कुछ-कुछ ऐसा ही भाव भारतीय संस्कृति में ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के रूप में व्यक्त करके आपसी विश्वास व सहयोग को मजबूत करने का प्रयास किया गया है।

    निष्कर्ष:


    अंत में प्रश्नानुसार संक्षिप्त निष्कर्ष लिखें।

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