सामाजिक न्याय
खाद्य सुरक्षा और पोषण की स्थिति (SOFI, 2025) रिपोर्ट
- 30 Jul 2025
- 73 min read
प्रिलिम्स के लिये:खाद्य एवं कृषि संगठन, स्टंटिंग, एनीमिया, सतत् विकास लक्ष्य 2, मिलेट, एनीमियामुक्त भारत मेन्स के लिये:भारत में खाद्य एवं पोषण सुरक्षा, सतत् विकास लक्ष्य 2 (भूखमरी उन्मूलन) प्राप्त करने में चुनौतियाँ, भारत में मोटापा एक सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता के रूप में |
स्रोत: DTE
चर्चा में क्यों?
विश्व में खाद्य सुरक्षा एवं पोषण की स्थिति (SOFI) 2025 रिपोर्ट से पता चलता है कि वैश्विक भुखमरी घटकर 673 मिलियन रह गई है, लेकिन भारत में अभी भी पाँच वर्ष से कम आयु के दुर्बल बच्चों की संख्या सबसे अधिक है।
नोट:
SOFI रिपोर्ट को खाद्य और कृषि संगठन (FAO), अंतर्राष्ट्रीय कृषि विकास कोष (IFAD), संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF), संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा संयुक्त रूप से तैयार किया जाता है।
SOFI 2025 में वैश्विक भुखमरी और खाद्य असुरक्षा की वर्तमान स्थिति क्या है?
वैश्विक
- भूखमरी के रुझान: वर्ष 2024 में, विश्व की 8.2% आबादी (लगभग 673 मिलियन लोग) भूख का सामना कर रही थी, जो वर्ष 2023 के 8.5% से कम है। हालाँकि, कोविड-19 से पहले के स्तर की तुलना में भूखमरी अब भी अधिक बनी हुई है, जो अपूर्ण सुधार का संकेत प्रदान करती है।
- वर्ष 2030 तक, लगभग 512 मिलियन लोग स्थायी रूप से कुपोषण के शिकार रहेंगे। सतत् विकास लक्ष्य 2 (भूखमरी से मुक्ति) को प्राप्त करने के लिये नीति, वित्त पोषण और खाद्य प्रणालियों में बड़े बदलाव की आवश्यकता होगी।
- खाद्य असुरक्षा: वैश्विक स्तर पर 2.3 बिलियन लोग मध्यम या गंभीर रूप से खाद्य असुरक्षा से ग्रस्त हैं, जो विश्व की जनसंख्या का एक महत्त्वपूर्ण अंग है।
- महामारी और यूक्रेन युद्ध ने वैश्विक खाद्य मूल्य मुद्रास्फीति को और बदतर बना दिया है, जिससे वर्ष 2023 और 2024 तक स्वस्थ आहार की लागत बढ़ जाएगी । फिर भी, ऐसे आहार का खर्च वहन करने में असमर्थ लोगों की संख्या 2019 में 2.76 अरब से घटकर 2024 में 2.60 अरब रह गई है।
- क्षेत्रीय विभाजन: एशिया में कुपोषित लोगों की संख्या सबसे अधिक 323 मिलियन है, जिसके बाद अफ्रीका (307 मिलियन) और लैटिन अमेरिका तथा कैरिबियन (34 मिलियन) का स्थान है।
भारत का पोषण विरोधाभास
- अल्पपोषण और आहार सामर्थ्य: भारत की लगभग 12% आबादी (172 मिलियन लोग) अल्पपोषित है। हालाँकि यह वर्ष 2006 के 243 मिलियन से बेहतर है, फिर भी भारत अभी भी अल्पपोषण के मामले में विश्व स्तर पर 48वें तथा एशिया में सातवें स्थान पर है।
- भारत में, 42.9% लोग स्वस्थ आहार का खर्च नहीं उठा सकते हैं, क्योंकि क्रय शक्ति समता (PPP) के संदर्भ में खाद्य लागत 2.77 अमेरिकी डॉलर (2017) से बढ़कर 4.07 अमेरिकी डॉलर (2024) हो गई है।
- कुपोषण का दोहरा बोझ: अधिक वजन वाले बच्चों की संख्या 2.7 मिलियन (2012) से बढ़कर 4.2 मिलियन (2024) हो गई है।
- वयस्क मोटापे की संख्या 33.6 मिलियन से बढ़कर 71.4 मिलियन हो गई, जो कुपोषण के साथ-साथ बढ़ते अतिपोषण को भी उजागर करती है।
- बाल दुर्बलता और स्टंटिंग: भारत में विश्व में बाल दुर्बलता दर सबसे अधिक (18.7%) है, जहाँ 21 मिलियन से अधिक बच्चे हैं ।
- पांच वर्ष से कम आयु के 37.4 मिलियन बच्चे अविकसित हैं, जो दीर्घकालिक कुपोषण का शिकार हैं।
- महिलाओं में एनीमिया: भारत में 15-49 वर्ष की आयु की 53.7% से अधिक महिलाएँ एनीमिया से पीड़ित हैं (कुल 203 मिलियन)। एनीमिया की व्यापकता के मामले में भारत विश्व स्तर पर चौथे स्थान पर है, जो गैबॉन, माली और मॉरिटानिया से पीछे है।
बच्चों में कुपोषण
संकेतक |
परिभाषा |
परिणाम और प्रभाव |
स्टंटिंग (Stunting) |
उम्र के अनुसार लंबाई WHO बाल वृद्धि मानक के मध्यक से -2 मानक विचलन (SD) से कम |
मानसिक विकास में देरी और विद्यालय में खराब प्रदर्शन |
वेस्टिंग (Wasting) |
ऊँचाई के अनुसार वजन WHO मानक के मध्यक से -2 SD से कम |
रोग प्रतिरोधक प्रणाली को कमज़ोर करता है, जिससे बीमारियाँ अधिक गंभीर और लंबी होती हैं; यह गंभीर कुपोषण का तात्कालिक संकेत है |
अधिक वजन (Overweight) |
ऊंचाई के अनुसार वजन WHO मानक के मध्यक से +2 SD से अधिक |
हृदय रोग, मधुमेह, अस्थि-संबंधी विकार (जैसे ऑस्टियोपोरोसिस), और कुछ प्रकार के कैंसर (एंडोमेट्रियल, स्तन, बृहदान्त्र) जैसे गैर-संक्रमणीय रोगों (NCDs) का बढ़ा हुआ जोखिम |
कम वजन (Underweight) |
उम्र के अनुसार वजन WHO मानक के मध्यक से -2 SD से कम |
गंभीर रूप से कम वजन वाले बच्चों की मृत्यु का खतरा अधिक होता है; विकास और मानसिक क्षमताओं में बाधा |
भारत में पोषण विरोधाभास (Nutrition Paradox) के कारण क्या हैं?
- निरंतर गरीबी और असमानता: कुपोषण और खाद्य असुरक्षा मुख्यतः सामाजिक-आर्थिक रूप से हाशिये पर स्थित समुदायों, विशेषकर ग्रामीण तथा जनजातीय क्षेत्रों में केंद्रित हैं।
- अपर्याप्त आहार विविधता: कैलोरी की उपलब्धता होने के बावजूद फल, सब्जियों और प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों की कमी के कारण ‘हिडन हंगर’ (सूक्ष्म पोषक तत्त्वों की कमी) बनी रहती है।
- पोषणयुक्त खाद्य पदार्थों की महँगाई: पोषक तत्त्वों से भरपूर खाद्य पदार्थों (जैसे दूध, दलहन, फल) की कीमतों में वृद्धि के कारण स्वस्थ आहार बड़ी आबादी के लिये आर्थिक रूप से दुर्गम हो गया है।
- स्वास्थ्य सेवाओं में कमियाँ: प्राथमिक स्वास्थ्य प्रणाली में प्रसवपूर्व देखभाल, एनीमिया की जाँच और पोषण परामर्श जैसी सेवाएँ अपर्याप्त हैं।
- पोषण संक्रमण (Nutrition Transition): शहरीकरण और आय वृद्धि के साथ-साथ प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की खपत बढ़ गई है, जिससे बच्चों और वयस्कों में मोटापे की दर में वृद्धि हो रही है।
भारत की खाद्य और पोषण सुरक्षा से संबंधित योजनाएँ
- सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS): वर्ष 2025 तक भारत की PDS प्रणाली 80 करोड़ से अधिक लोगों को शामिल करती है। इसमें 99.6% उचित मूल्य की दुकानों (FPS) का स्वचालन सुनिश्चित किया गया है, जिससे पारदर्शी तरीके से खाद्यान्न वितरण संभव हो सका है।
- प्रधानमंत्री पोषण योजना (PM POSHAN): स्कूली बच्चों को मिड-डे मील प्रदान करने वाली यह योजना पोषण सुधारने और स्कूल में उपस्थिति बढ़ाने का लक्ष्य रखती है।
- प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY): वर्ष 2025 तक 81.35 करोड़ लोगों को प्रतिमाह 5 किलोग्राम मुफ्त खाद्यान्न उपलब्ध कराती है। यह योजना वर्ष 2029 तक विस्तारित की गई है ताकि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
- पोषण अभियान (POSHAN Abhiyaan): महिलाओं, बच्चों और किशोरों में कुपोषण को लक्षित करती है। वर्ष 2024 तक इसके 10 करोड़ से अधिक लाभार्थी थे।
- प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम औपचारिकीकरण योजना (PMFME): सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को समर्थन प्रदान करती है। वर्ष 2023-24 तक 54,000 से अधिक इकाइयाँ स्थापित हुईं और लगभग 1.88 लाख रोज़गार सृजित हुए।
- मूल्य स्थिरीकरण प्रयास (Price Stabilization Efforts): प्याज़, आटा, दलहन और चावल जैसी आवश्यक वस्तुओं को किफायती बनाए रखने हेतु बफर स्टॉक तथा सब्सिडी युक्त भारत ब्रांड खाद्य उत्पादों का वितरण किया जाता है।
भारत के पोषण विरोधाभास से निपटने के लिये किन रणनीतियों की आवश्यकता है?
- स्थानीय खाद्य प्रणालियों में निवेश: PMFME जैसी योजनाओं के तहत किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) और स्थानीय खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को समर्थन प्रदान करना तथा मूल्य में उतार-चढ़ाव को प्रबंधित करने के लिये कृषि बाज़ार सूचना प्रणालियों को मज़बूत करना।
- स्थिरता के लिये राजकोषीय और मौद्रिक नीतियों को संरेखित करते हुए मज़बूत सामाजिक सुरक्षा जाल जैसे लक्षित राजकोषीय कदमों का उपयोग करना।
- किचन गार्डन, कदन्न (श्री अन्न) और क्षेत्रीय फसलों को प्रोत्साहित कर आहार में विविधता लाई जाए।
- महिलाओं में एनीमिया से मुकाबला: एनीमिया मुक्त भारत अभियान का विस्तार करते हुए, महिलाओं को आयरन-फोलिक एसिड की खुराक, कृमिनाशक दवाएँ और व्यक्तिगत आवश्यकताओं के अनुसार उपचारात्मक खुराक प्रदान की जानी चाहिये।
- आहार विविधता और प्रोटीन की पहुँच में सुधार: भारत का आहार अभी भी अत्यधिक अनाज-आधारित है। बाल कुपोषण से निपटने के लिये, अंडे और डेयरी जैसे प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों को मिड-डे मील तथा बाल पोषण कार्यक्रमों में नियमित रूप से शामिल किया जाना चाहिये।
- पीएम पोषण योजना तथा पोषण अभियान को सुदृढ़ करना ताकि मैक्रो और माइक्रोन्यूट्रिएंट (सूक्ष्म एवं स्थूल पोषक तत्त्वों) दोनों की कमी को दूर किया जा सके।
- "वन नेशन, वन राशन कार्ड" योजना के क्रियान्वयन में तेज़ी लाई जाए ताकि प्रवासी श्रमिकों को भी खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
- मोटापे की निगरानी करना और स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देना: भारत को 'सुपोषण अभियान' की आवश्यकता है, जो कुपोषण और बढ़ते मोटापे दोनों से निपटे तथा सजग खानपान को प्रोत्साहित करे।
- जंक फूड पर कर लगाया जाए, स्वस्थ खाद्य पदार्थों को सब्सिडी दी जाए और स्कूलों में पोषण की शिक्षा दी जाए (जैसे कि शुगर बोर्ड का उपयोग करके)।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. भारत में हिडन हंगर से निपटने में आहार विविधता के महत्त्व पर चर्चा कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा/से वह/वे सूचक है/हैं, जिसका/जिनका IFPRI द्वारा वैश्विक भुखमरी सूचकांक (ग्लोबल हंगर इंडेक्स) रिपोर्ट बनाने में उपयोग किया गया है? (2016)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (c) मेन्स:प्रश्न: महिला स्वयं सहायता समूहों को सूक्ष्म वित्त प्रदान करने से लैंगिक असमानता, निर्धनता एवं कुपोषण के दुष्चक्र को तोड़ने में किस प्रकार सहायता मिल सकती है? उदाहरण सहित समझाइये। (2021) प्रश्न. खाद्य सुरक्षा बिल से भारत में भूख व कुपोषण के विलोपन की आशा है। उसके प्रभावी कार्यान्वयन में विभिन्न आशंकाओं की समालोचनात्मक विवेचना कीजिये। साथ ही यह भी बताइये कि विश्व व्यापार संगठन (WTO) में इससे कौन-सी चिंताएँ उत्पन्न हो गई हैं? (2013) |