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शुगर बोर्ड

  • 28 May 2025
  • 2 min read

स्रोत: द हिंदू

विद्यालयी बच्चों में अत्यधिक चीनी सेवन से उत्पन्न स्वास्थ्य जोखिमों से निपटने के लिये, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने पूरे भारत में 24,000 से अधिक संबद्ध विद्यालयों में 'शुगर बोर्ड' की स्थापना को अनिवार्य कर दिया है।

  • 'शुगर बोर्ड' सामान्य पेय पदार्थों और स्नैक्स में चीनी की मात्रा को प्रदर्शित करते हैं, तथा बच्चों को चीनी के चम्मच जैसी सरल, प्रासंगिक तुलनाओं का उपयोग करके उच्च चीनी सेवन के स्वास्थ्य जोखिमों के बारे में शिक्षित करते हैं।
  • राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने टाइप-2 मधुमेह में उल्लेखनीय वृद्धि को उजागर करते हुए राज्य बोर्डों सहित सभी स्कूलों से शुगर बोर्ड लागू करने का आग्रह किया है।
  • अध्ययनों से पता चलता है कि भारतीय बच्चे प्रतिदिन की कैलोरी का 13-15% हिस्सा चीनी से प्राप्त करते हैं, जो अनुशंसित 5% सीमा से कहीं अधिक है, जिससे उनके जीवनशैली संबंधी रोगों का जोखिम बढ़ जाता है।
  • भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने अभी तक विद्यालय भोजन और पैकिंग के अगले हिस्से पर लेबलिंग के लिये उच्च वसा, नमक और चीनी (HFSS) मानकों को अंतिम रूप नहीं दिया है।
  • भारत विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के दिशानिर्देशों का पालन करता है, जिसमें वयस्कों और बच्चों को दैनिक ऊर्जा के 10% से कम मुक्त चीनी का सेवन करने की सलाह दी गई है।
    • विशेषज्ञ स्थानीय स्तर पर हृदय रोग के उच्च जोखिम को देखते हुए अधिक कड़े मानकों की अनुशंसा करते हैं। उपयुक्त मानक तय करने के लिये एक राष्ट्रव्यापी अध्ययन आवश्यक है।

और पढ़ें: प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के सेवन पर अंकुश लगाना

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