रैपिड फायर
NASA का GRAIL मिशन
- 28 May 2025
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स्रोत: द हिंदू
NASA के ग्रेविटी रिकवरी एंड इंटीरियर लेबोरेटरी (GRAIL) मिशन ने यह स्पष्ट किया है कि चंद्रमा के समीपवर्ती और दूरवर्ती भागों के बीच उल्लेखनीय अंतर तापमान में भिन्नता, भूपर्पटी की मोटाई और प्राचीन ज्वालामुखीय गतिविधियों के कारण पाए जाते हैं।
- GRAIL मिशन ने चंद्रमा की आंतरिक संरचना का विस्तृत अध्ययन करने और चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण में होने वाले परिवर्तनों को मापकर उसकी अब तक की उच्चतम-रिज़ॉल्यूशन वाली गुरुत्वीय मानचित्रण तैयार करने के लिये ‘भाटा और बहाव (Ebb and Flow’ नामक द्वि-अंतरिक्ष यानों का उपयोग किया।
GRAIL मिशन के मुख्य निष्कर्ष:
- ज्वारबंधन (Tidal Locking): चंद्रमा की घूर्णन अवधि और उसकी परिक्रमण अवधि समान होने के कारण उसका एक ही भाग सदैव पृथ्वी की ओर रहता है, जबकि दूसरा भाग स्थायी रूप से पृथ्वी से छिपा रहता है।
- तापमान में भिन्नता: चंद्रमा का समीपवर्ती भाग (जो पृथ्वी की ओर है) अधिक उष्ण, अपेक्षाकृत नरम तथा कभी आंशिक रूप से पिघला हुआ था, जबकि दूरवर्ती भाग (जो पृथ्वी से छिपा है) अधिक शीत है और इसकी भूपर्पटी मोटी होने के कारण मैग्मा के विस्फोट को रोक देती है।
- ज्वालामुखीय इतिहास: चंद्रमा के समीपवर्ती भाग में अंधकारमय लावा मैदान (मारिया) पाए जाते हैं, जबकि दूरवर्ती भाग में भूपर्पटी अधिक मोटी है और वहाँ लावा प्रवाह बहुत कम हुआ है।
- तापीय विषमता (Thermal Asymmetry): अध्ययन में दोनों गोलार्द्धों के बीच 100–200 डिग्री सेल्सियस का तापमान अंतर अनुमानित किया गया। यह भी पाया गया कि चंद्रमा की भूपर्पटी पहले की अपेक्षा अधिक छिद्रयुक्त और पतली है।
- यह प्रक्रिया चंद्रमा के द्विमुखी स्वरूप को समझाने में सहायक है, जिसमें एक भाग उज्ज्वल और अत्यधिक गड्ढेदार है, जबकि दूसरा भाग अंधकारमय तथा समतल दिखाई देता है।"
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