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चरक और सुश्रुत की विरासत

  • 27 May 2025
  • 2 min read

स्रोत: पी.आई.बी.

उपराष्ट्रपति ने गोवा के राजभवन में चरक और सुश्रुत की प्रतिमाओं का लोकार्पण किया तथा उनके योगदान को याद किया।

  • चरक: चरक (लगभग दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व और दूसरी शताब्दी ईसवी), जिन्हें चिकित्सा के पिता के रूप में जाना जाता है, कनिष्क (कुषाण साम्राज्य) के शाही चिकित्सक के रूप में कार्यरत थे।
    • उन्होंने चरक संहिता की रचना की जो आयुर्वेद का आधारभूत ग्रंथ है।
    • अग्निवेश संहिता, जिसे 7वीं शताब्दी ईसा पूर्व में अत्रेय के मार्गदर्शन में अग्निवेश ने लिखा था, को चरक ने संशोधित कर इसका नाम बदलकर चरक संहिता कर दिया तथा इसे आठ भागों में विभाजित किया, जिन्हें अष्टांग स्थान के रूप में जाना जाता है।
      • बाद में धबाला (आयुर्वेद के विद्वान) ने चरक संहिता में 17 अध्याय शामिल किये।

Charaka

  • सुश्रुत: सुश्रुत (7वीं-6ठी शताब्दी ईसा पूर्व), एक प्राचीन भारतीय चिकित्सक, को "शल्य चिकित्सा" एवं "प्लास्टिक सर्जरी का जनक" माना जाता है। 
    • सुश्रुत, राजा विक्रमादित्य (चंद्रगुप्त द्वितीय) के नवरत्नों में से एक धन्वंतरि के शिष्य थे।
    • उन्होंने सुश्रुत संहिता की रचना की, जो प्लास्टिक सर्जरी पर सबसे आरंभिक ग्रंथों में से एक है।
      • सुश्रुत संहिता, चरक संहिता और अष्टांग हृदय के साथ आयुर्वेद की महान त्रयी का एक हिस्सा है।
    • उन्होंने 300 से अधिक शल्यचिकित्सा प्रक्रियाओं का प्रदर्शन और दस्तावेज़ीकरण किया, जिसमें प्लास्टिक सर्जरी (जैसे, राइनोप्लास्टी), फ्रैक्चर प्रबंधन और यहाँ तक कि सिजेरियन डिलीवरी भी शामिल है।
      • उन्होंने ओष्ठ संधान (लोबुलोप्लास्टी) और कर्ण संधान (ओटोप्लास्टी) से संबंधित कई मामलों का भी निदान किया।

Sushruta

और पढ़ें: सर्जरी और आयुर्वेद

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