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कस्टमाइज़्ड बेस एडिटिंग का पहला सफल प्रयोग

  • 28 May 2025
  • 5 min read

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों?

अमेरिका में वैज्ञानिकों ने पहली बार एक शिशु में CPS1 की कमी नामक दुर्लभ आनुवंशिक विकार के उपचार के लिये CRISPR आधारित जीन-एडिटिंग चिकित्सा का सफलतापूर्वक उपयोग किया है।

  • CPS1 की कमी एक दुर्लभ चयापचयी विकार है,जिसमें यकृत प्रोटीन चयापचय के उपोत्पादों को प्रभावी रूप से संसाधित नहीं कर पाता, जिससे शरीर में अमोनिया का विषाक्त स्तर जमा हो जाता है।

जीन एडिटिंग थेरेपी क्या है?

  • परिचय: जीन-एडिटिंग थेरेपी एक चिकित्सीय पद्धति है,जिसमें DNA को सटीक रूप से संशोधित कर आनुवंशिक दोषों को ठीक करने, रोगों का उपचार करने या जैविक कार्यों को बेहतर बनाने का प्रयास किया जाता है।
    • सबसे व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाने वाला उपकरण CRISPR-Cas9 है, जो विशिष्ट जीन को काटने और संपादित करने के लिये आणविक कैंची (molecular scissors ) की तरह कार्य करता है
  • अनुप्रयोग: आनुवंशिक विकारों का उपचार जैसे, सिकल सेल एनीमिया, कैंसर इम्यूनोथेरेपी जैसे, CAR T-सेल थेरेपी और कृषि उपयोग जैसे, सूखा प्रतिरोधी फसलें।
  • जीन संपादन के लिये प्रयुक्त उपकरण: CRISPR-Cas9 प्रौद्योगिकी जीन संपादन के लिये एक शक्तिशाली और सटीक उपकरण है, जो वैज्ञानिकों को जीवों के अंदर विशिष्ट स्थानों पर DNA को काटने और संशोधित करने की अनुमति देता है।
    • यह दोषपूर्ण DNA का पता लगाने और उसे काटने के लिये गाइड RNA का उपयोग करता है , जिससे वैज्ञानिकों को कोशिकीय मरम्मत के लिये इसे सही अनुक्रम के साथ बदलने में मदद मिलती है।
  • TALENs और ZFNs: ट्रांसक्रिप्शन एक्टिवेटर-लाइक इफेक्टर न्यूक्लिऐसिस (TALENs) और ज़िंक फिंगर न्यूक्लिऐसिस (ZFNs) पुरानी प्रौद्योगिकियाँ हैं, जो लक्षित DNA संशोधन की भी अनुमति देती हैं।

Working_of_CRISPR

बेस एडिटिंग पारंपरिक जीन एडिटिंग से किस प्रकार भिन्न है?

  • बेस एडिटिंग: CRISPR-Cas9 के विपरीत, जो DNA में डबल-स्ट्रैंड ब्रेक बनाता है, बेस एडिटिंग दोनों DNA स्ट्रैंड को काटे बिना एक DNA बेस को दूसरे में सीधे, सटीक रूप से परिवर्तित करने की अनुमति देती देता है।
    • इससे अनपेक्षित उत्परिवर्तन का जोखिम कम हो जाता है और सटीकता में सुधार होता है।
  • क्रियाविधि: बेस एडिटिंग तकनीक एक बेस परिवर्तक एंज़ाइम को Cas9 प्रोटीन के साथ जोड़कर कार्य करती है, जो विशिष्ट आधारों (जैसे दोषपूर्ण साइटोसिन को थाइमिन में बदलना) को परिवर्तित करती है और इस प्रकार आनुवंशिक रोगों के कारण बनने वाले दोषों को ठीक करती है।
  • सटीकता: बेस एडिटिंग की तुलना टाइपिंग की गलती को ठीक करने के लिये कैंची और गोंद के स्थान पर पेंसिल इरेज़र का उपयोग करने से की जा सकती है, जिससे अधिक सुरक्षित एवं लक्षित आनुवंशिक सुधार संभव हो जाता है।
    • वैज्ञानिकों ने CPS1 की कमी का कारण बनने वाले गलत युग्मित बेस की पहचान की तथा DNA में उसका सटीक पता लगाने और उसे ठीक करने के लिये बेस एडिटर का उपयोग किया।
      • इस व्यक्तिगत उपचार ने विषाक्त अमोनिया के संचयन को समाप्त कर दिया, जो बेस एडिटिंग का पहला ज्ञात सफल मानव मामला था।

Base_DNA_RNA_Genome

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स

प्रश्न. प्रायः समाचारों में आने वाला Cas9 प्रोटीन क्या है? (2019)

(a) लक्ष्य-साधित जीन संपादन (टारगेटेड जीन एडिटिंग) में प्रयुक्त आणविक कैंची
(b) रोगियों में रोगजनकों की ठीक-ठाक पहचान के लिये प्रयुक्त जैव संवेदक
(c) एक जीन,जो पादपों को पीड़क-प्रतिरोधी बनाता है
(d) आनुवंशिकतः रूपांतरित फसलों में संश्लेषित होने वाला एक शाकनाशी पदार्थ

उत्तर: (a)

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