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यूनेस्को का न्यूरोटेक्नोलॉजी एथिक्स फ्रेमवर्क

  • 20 Nov 2025
  • 90 min read

स्रोत: TH

चर्चा में क्यों?

UNESCO ने न्यूरोटेक्नोलॉजी की नैतिकता (एथिक्स) पर पहला ग्लोबल नॉर्मेटिव फ्रेमवर्क जारी किया है, जिसका उद्देश्य ब्रेन और न्यूरल डेटा को गलत इस्तेमाल से बचाकर इनोवेशन और ह्यूमन राइट्स के बीच संतुलन स्थापित करना है। 

यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब न्यूरोटेक तीव्र गति से विस्तार कर रहा है, जहाँ एक ओर यह महत्त्वपूर्ण चिकित्सीय लाभ प्रदान कर रहा है, वहीं दूसरी ओर प्राइवेसी, ऑटोनॉमी और मैनिपुलेशन को लेकर चिंताएँ भी बढ़ा रहा है।

न्यूरोटेक्नोलॉजी क्या है?

  • परिभाषा: न्यूरोटेक्नोलॉजी उन उपकरणों और प्रक्रियाओं को संदर्भित करती है जो तंत्रिका तंत्र, विशेष रूप से मानव मस्तिष्क तक पहुँच, जाँच और उस पर कार्य करने में सक्षम होती हैं। 
    • यह मस्तिष्क के संकेतों को रिकॉर्ड करके या मस्तिष्क के विशिष्ट क्षेत्रों को उत्तेजित करके कार्य में सुधार, क्षमताओं को बहाल करने या मस्तिष्क-मशीन संचार को सक्षम करने का कार्य करता है।
    • न्यूरोटेक्नोलॉजी का उपयोग चिकित्सा, सहायक उपकरणों, अनुसंधान, स्वास्थ्य तकनीक और उभरते वाणिज्यिक अनुप्रयोगों में किया जाता है।
  • न्यूरोटेक्नोलॉजी में प्रयुक्त तकनीकें:
    • इसमें EEG (इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राफी) और MRI (मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग) जैसी तकनीकों का उपयोग किया जाता है, जो वैज्ञानिकों और डॉक्टरों को मस्तिष्क की गतिविधि का वास्तविक समय में दृश्य प्रदान करती हैं। यह मस्तिष्क ट्यूमर, स्ट्रोक या मिर्गी जैसी स्थितियों के निदान में सहायता करती है।
    • न्यूरोस्टिम्यूलेशन: यह विशिष्ट मस्तिष्क क्षेत्रों को सक्रिय करने के लिये DBS (डीप ब्रेन स्टिमुलेशन) और TMS (ट्रांसक्रैनियल मैग्नेटिक स्टिमुलेशन) जैसे विद्युत या चुंबकीय तरीकों का उपयोग करता है, जिससे लक्षित विद्युत आवेगों को वितरित करके पार्किंसंस रोग जैसी स्थितियों का इलाज करने में मदद मिलती है।
    • न्यूरोमॉड्यूलेशन: यह तंत्रिका तंत्र को लक्षित विद्युत, विद्युत चुंबकीय या रासायनिक उत्तेजना प्रदान करके तंत्रिका गतिविधि को बदलता है, असामान्य तंत्रिका सर्किट को ठीक करके न्यूरोलॉजिकल और मनोरोग विकारों के इलाज में मदद करता है।
    • न्यूरोफीडबैक: यह तकनीक मस्तिष्क की विद्युत गतिविधि का वास्तविक समय में प्रतिपुष्टि (फीडबैक) देकर मस्तिष्क को स्वयं को प्रशिक्षित करने में सहायता करती है।
  • न्यूरोटेक्नोलॉजी के अनुप्रयोग:
    • चिकित्सा और नैदानिक ​​अनुप्रयोग
      • मूवमेंट डिसऑर्डर का उपचार:
        • डीप ब्रेन स्टिमुलेशन (डीबीएस) का उपयोग लक्षित विद्युत आवेगों को वितरित करके पार्किंसंस रोग, एसेंशियल ट्रेमोर और डिस्टोनिया के इलाज के लिये किया जाता है।
        • स्ट्रोक पुनर्वास में न्यूरोप्लास्टिसिटी को बढ़ावा देने और मोटर रिकवरी का समर्थन करने के लिये ट्रांसक्रेनियल मैग्नेटिक स्टिमुलेशन (TMS) का उपयोग किया जाता है।
      • मानसिक और तंत्रिका संबंधी स्वास्थ्य:
        • वेजस नर्व स्टिम्यूलेशन (VNS) का उपयोग उपचार-प्रतिरोधी अवसाद (Treatment-Resistant Depression, TRD) में किया जाता है।
        • रेस्पॉन्सिव न्यूरोस्टिम्यूलेशन (RNS) असामान्य मस्तिष्क गतिविधि का पता लगाकर मिर्गी के दौरे को रोकता है।
        • स्पाइनल कॉर्ड स्टिम्यूलेशन (SCS) का उपयोग पुरानी दर्द प्रबंधन में दर्द संकेतों को अवरुद्ध करने के लिये किया जाता है।
      • संवेदी पुनर्स्थापन (न्यूरोप्रोस्थेटिक्स):
        • रेटिनल इम्प्लांट (बायोनिक आई) रेटिनाइटिस पिगमेंटोसा जैसी बीमारियों के मरीज़ो को आंशिक दृष्टि प्रदान करते हैं।
      • निदान और निगरानी (न्यूरोइमेजिंग):
        • फंक्शनल MRI (fMRI) और पॉज़ीट्रॉन एमिशन टोमोग्राफी (PET) ट्यूमर, स्ट्रोक और मस्तिष्क की चोटों का पता लगाने में उपयोग होते हैं।
        • EEG (इलेक्ट्रोएन्सेफलोग्राफी) और MEG (मैग्नीटोएन्सेफलोग्राफी) मस्तिष्क की गतिविधियों का मानचित्रण करते हैं और मिर्गी, नींद संबंधी विकारों तथा अल्ज़ाइमर रोग के निदान में सहायक होते हैं।
    • सहायक और पुनर्स्थापनात्मक अनुप्रयोग
      • ब्रेन–कंप्यूटर इंटरफेस (BCI) प्रणालियाँ लकवे या अंग-विहीन व्यक्तियों के लिये मस्तिष्क-नियंत्रित कृत्रिम अंग (प्रोस्थेटिक्स) और एक्सोस्केलेटन को संभव बनाती हैं। 
      • BCI-संचालित व्हीलचेयर मस्तिष्क संकेतों के माध्यम से दिशा-निर्देशन की अनुमति देती हैं।
  • गैर-चिकित्सा, वाणिज्यिक और संवर्द्धन अनुप्रयोग (विकासशील चरण)
    • संज्ञानात्मक संवर्द्धन और कल्याण (वेलनेस): न्यूरोफीडबैक हेडसेट EEG-आधारित रियल-टाइम फीडबैक प्रदान करते हैं ताकि एकाग्रता में सुधार हो या तनाव कम हो सके।
      • उपभोक्ता ट्रांसक्रेनियल डायरेक्ट करंट स्टिमुलेशन (tDCS) का विपणन संज्ञानात्मक वृद्धि के लिये किया जाता है।
    • गेमिंग और मनोरंजन: EEG हेडसेट मस्तिष्क-नियंत्रित गेमिंग को संभव बनाते हैं, जहाँ ध्यान या मानसिक कमांड के माध्यम से वर्चुअल रियलिटी में क्रियाएँ की जा सकती हैं।
    • न्यूरोमार्केटिंग:  EEG और fMRI का उपयोग विज्ञापनों, पैकेजिंग और उत्पादों पर उपभोक्ताओं की अवचेतन प्रतिक्रियाओं को समझने के लिये किया जाता है।
    • सैन्य एवं रक्षा: BCI प्रणालियों पर शोध का उद्देश्य सैनिकों के प्रदर्शन में वृद्धि, निर्णय लेने की गति बढ़ाने और न्यूरल सिग्नलों के माध्यम से ड्रोन या वाहनों के नियंत्रण को संभव बनाना है।

न्यूरोटेक्नोलॉजी से संबंधित मुख्य जोखिम क्या हैं?

  • गोपनीयता संबंधी जोखिम: मस्तिष्क का डेटा किसी व्यक्ति के विचारों, भावनाओं, इरादों और मानसिक पैटर्न को प्रकट कर सकता है, जिससे यह अत्यंत संवेदनशील हो जाता है।
    • कई उपयोगकर्त्ता, विशेषकर बच्चे, इस तकनीक को पूरी तरह से समझ नहीं पाते या इसके प्रति सहमति नहीं देते, इससे स्वायत्तता, संज्ञानात्मक स्वतंत्रता और मानसिक अखंडता को भी खतरा होता है।
    • चीन जैसे कुछ देशों में, कार्यस्थलों पर श्रमिकों की भावनाओं, अवधान और थकान पर नज़र रखने के लिये BCI उपकरणों का उपयोग किया गया है, जिससे स्वायत्तता और अनुपालन के लिये संभावित दबाव के बारे में चिंताएँ उत्पन्न हुई हैं।
  • मैनिपुलेशन संबंधी जोखिम: न्यूरोटेक का उपयोग लोगों के निर्णयों, व्यवहार, राजनीतिक विकल्पों या खरीद की आदतों को प्रभावित करने के लिये किया जा सकता है।
    • ब्रेनजैकिंग (जिसमें दुर्भावनापूर्ण तत्त्व तंत्रिका इंटरफेस को नियंत्रित कर लेते हैं) जैसे उभरते खतरे नियंत्रण और मैनिपुलेशन के बारे में चिंताओं को और बढ़ा देते हैं।
  • बच्चों की संवेदनशीलता: बच्चों का मस्तिष्क विकसित हो रहा होता है, इसलिये न्यूरोटेक के माध्यम से किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप उनके आजीवन सीखने, व्यक्तित्व और भावनात्मक विकास को प्रभावित कर सकता है।
  • कमज़ोर विनियमन: मौजूदा कानून मानसिक गोपनीयता, संज्ञानात्मक स्वतंत्रता और मानसिक अखंडता जैसे "न्यूरोराइट्स" की पर्याप्त रूप से रक्षा नहीं करते हैं।
    • विश्व स्तर पर कुछ प्रगति शुरू हुई है, चिली मानसिक अखंडता की संवैधानिक सुरक्षा करने वाला पहला देश बन गया है तथा कैलिफोर्निया ने वर्ष 2024 में नागरिकों के मस्तिष्क डेटा की सुरक्षा के लिये एक कानून पारित किया है।
    • भारत में उभरती न्यूरोटेक्नोलॉजी के संदर्भ में न्यूरो-राइट्स की सुरक्षा को स्पष्ट रूप से संबोधित करने वाले कोई विशिष्ट कानून वर्तमान में नहीं हैं।
    • इस बात पर बहुत कम शोध हुआ है कि न्यूरोटेक्नोलॉजी लंबे समय तक बच्चों, शिशुओं या विकलांग लोगों को किस प्रकार प्रभावित करती है।
  • डेटा सुरक्षा खतरे: हैकर्स, कंपनियाँ या यहाँ तक ​​कि सरकारें निगरानी या नियंत्रण के लिये तंत्रिका डेटा तक पहुँच या उसका दुरुपयोग कर सकती हैं।

न्यूरोटेक्नोलॉजी के नैतिक, सुरक्षित और ज़िम्मेदार इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिये क्या कदम उठाने ज़रूरी हैं?

न्यूरोटेक्नोलॉजी के उपयोग पर यूनेस्को की सिफारिशों के अनुसार: 

  • मानव अधिकारों और मानसिक गोपनीयता की रक्षा: यूनेस्को मानव गरिमा, स्वायत्तता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और मानसिक गोपनीयता की रक्षा के लिये सख्त सुरक्षा उपायों की सिफारिश करता है, यह सुनिश्चित करते हुए कि सभी न्यूरल डेटा को अत्यधिक संवेदनशील माना जाए और उसके दुरुपयोग से कड़ी सुरक्षा प्रदान की जाए।
  • प्रमुख नैतिक सिद्धांतों को अपनाना: यह ढाँचा सभी न्यूरोटेक्नोलॉजी उपयोग में परोपकार, आनुपातिकता, गैर-हानिकारकता, समावेशिता, गैर-भेदभाव, जवाबदेही, पारदर्शिता, विश्वसनीयता, ज्ञान संबंधी न्याय और भविष्य की पीढ़ियों की सुरक्षा का आह्वान करता है।
  • तंत्रिका डेटा के हेरफेरी उपयोग पर प्रतिबंध: यूनेस्को स्पष्ट रूप से हेराफेरी, भ्रामक, राजनीतिक, वाणिज्यिक या चिकित्सा उद्देश्यों के लिये तंत्रिका या मस्तिष्क संबंधी डेटा के उपयोग पर प्रतिबंध लगाता है, जिसमें प्रोफाइलिंग या व्यवहार को प्रभावित करना शामिल है।
  • कमज़ोर समूहों के लिये सुरक्षा को मज़बूत करना: यह बच्चों, वृद्धों और संज्ञानात्मक रूप से कमज़ोर आबादी के लिये विशेष सुरक्षा उपायों की मांग करता है, जिससे मज़बूत सहमति मानकों और शोषण से सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
  • न्यूरोटेक्नोलॉजी और न्यूरोडेटा को स्पष्ट रूप से परिभाषित करना: देशों को सलाह दी जाती है कि वे सुसंगत विनियमन और नैतिक निरीक्षण का समर्थन करने के लिये न्यूरोटेक्नोलॉजी, न्यूरोडेटा और संबंधित उपकरणों की स्पष्ट परिभाषा अपनाएँ।
  • उत्तरदायी अनुसंधान और नवाचार (RRI) को लागू करना: यूनेस्को राष्ट्रों से आग्रह करता है कि वे ऐसा शोध मॉडल अपनाएँ जो जोखिमों का पूर्वानुमान लगाए, लाभ-हानि का आकलन करे और न्यूरोटेक्नोलॉजी के विकास को सामाजिक-नैतिक मूल्यों के अनुरूप बनाए।
    • यह ढाँचा अनुसंधान डेटा, विधियों और उपकरणों के मुक्त साझाकरण को प्रोत्साहित करके ओपन साइंस को बढ़ावा देता है, साथ ही नवाचार को नैतिक सुरक्षा उपायों के साथ संतुलित करता है।

निष्कर्ष:

न्यूरोटेक्नोलॉजी शक्तिशाली चिकित्सकीय और वैज्ञानिक प्रगति का मार्ग प्रशस्त करती है, लेकिन इसकी तीव्र बढ़त मज़बूत नैतिक सुरक्षा उपायों की मांग करती है। यूनेस्को का नया ढाँचा मानसिक गोपनीयता की रक्षा, दुरुपयोग को रोकने और ज़िम्मेदार नवाचार को दिशा देने के लिये एक वैश्विक आधार प्रदान करता है। भारत और विश्व के लिये इन मानकों को अपनाना महत्त्वपूर्ण होगा, ताकि न्यूरोटेक मानव कल्याण को आगे बढ़ाऍं, न कि मानवाधिकारों से समझौता करें।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न: मेंटल प्राइवेसी की रक्षा करना मौलिक अधिकारों का नया सीमांत है। न्यूरोराइट्स के संदर्भ में इस कथन का विश्लेषण कीजिये।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

1. न्यूरोटेक्नोलॉजी क्या है?

न्यूरोटेक्नोलॉजी का मतलब ऐसे टूल और प्रोसेस से है जो ब्रेन और नर्वस सिस्टम को एक्सेस करते हैं, उनका असेसमेंट करते हैं या उनको प्रभावित करते हैं, जिसमें न्यूरोइमेजिंग, न्यूरोस्टिम्यूलेशन, न्यूरोमॉड्यूलेशन और ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस शामिल हैं।

2. ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस (BCIs) क्या हैं?

BCIs ऐसे डिवाइस हैं जो कम्युनिकेशन या कंट्रोल के लिये ब्रेन सिग्नल को रिकॉर्ड या इंटरप्रेट करते हैं, वे इनवेसिव (इम्प्लांटेड) या नॉन-इनवेसिव (एक्सटर्नल हेडसेट) हो सकते हैं।

3. न्यूरोटेक्नोलॉजी में इस्तेमाल होने वाली मुख्य टेक्नीक क्या है?

मुख्य टेक्नीक न्यूरोइमेजिंग, न्यूरोस्टिम्यूलेशन, न्यूरोमॉड्यूलेशन और न्यूरोफीडबैक हैं।

4. न्यूरोटेक्नोलॉजी से क्या चिकित्सा संबंधी लाभ प्राप्त होते हैं?

यह न्यूरल रेस्टोरेशन के ज़रिये पैरालिसिस, एपिलेप्सी, स्ट्रोक, पार्किंसंस डिज़ीज़, डिप्रेशन और स्पीच या मूवमेंट लॉस जैसी कंडीशन का डायग्नोसिस और ट्रीटमेंट करने में मदद करता है।

5. UNESCO का न्यूरोटेक्नोलॉजी फ्रेमवर्क क्या है?

UNESCO का फ्रेमवर्क न्यूरोटेक्नोलॉजी के लिये पहला ग्लोबल एथिकल स्टैंडर्ड है जो रिस्पॉन्सिबल रिसर्च एंड इनोवेशन (RRI) को बढ़ावा देते हुए मेंटल प्राइवेसी, ऑटोनॉमी और न्यूरल डेटा की सुरक्षा करता है।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न

प्रश्न 1. विकास की वर्तमान स्थिति में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence), निम्नलिखित में से किस कार्य को प्रभावी रूप से कर सकती है? (2020)

  1. औद्योगिक इकाइयों में विद्युत की खपत कम करना  
  2. सार्थक लघु कहानियों और गीतों की रचना  
  3. रोगों का निदान  
  4. टेक्स्ट-से-स्पीच (Text-to-Speech) में परिवर्तन  
  5. विद्युत ऊर्जा का बेतार संचरण

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1, 2, 3 और 5
(b) केवल 1, 3 और 4
(c) केवल 2, 4 और 5
(d) 1, 2, 3, 4 और 5

उत्तर: (b)

मेन्स: 

प्रश्न. निषेधात्मक श्रम के कौन-से क्षेत्र हैं, जिनका रोबोटों के द्वारा धारणीय रूप से प्रबंधन किया जा सकता है ? ऐसी पहलों पर चर्चा कीजिये, जो प्रमुख अनुसंधान संस्थानों में मौलिक और लाभप्रद नवाचार के लिये अनुसंधान को आगे बढ़ा सकें। (2015)

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