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राष्ट्रीय एकता दिवस 2025: सरदार पटेल की 150वीं जयंती - एकता की विरासत
- 31 Oct 2025
- 69 min read
चर्चा में क्यों?
राष्ट्रीय एकता दिवस 2025 (नेशनल यूनिटी डे) सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती का प्रतीक है, जो भारत के राजनीतिक एकीकरण के शिल्पकार के रूप में प्रसिद्ध हैं। यह दिवस प्रतिवर्ष 31 अक्टूबर को मनाया जाता है और ‘रन फॉर यूनिटी’ तथा ‘एकता मार्च’ जैसे कार्यक्रम के माध्यम से उनके अमूल्य योगदान एवं विरासत का उत्सव मनाता है, जिससे राष्ट्रीय एकता और एकजुटता की भावना को पुनः सुदृढ़ किया जाता है।
राष्ट्रीय एकता दिवस क्या है?
- परिचय: राष्ट्रीय एकता दिवस की शुरुआत भारत सरकार ने वर्ष 2014 में की थी, ताकि सरदार वल्लभभाई पटेल की भारत के एकीकरण में ऐतिहासिक भूमिका को सम्मानित किया जा सके।
- यह दिवस राष्ट्रीय एकता, शांति और विविधता में एकता के आदर्शों का प्रतीक है।
- इसका उद्देश्य नागरिकों में राष्ट्रीय अखंडता और सामूहिक शक्ति के प्रति नवीन संकल्प उत्पन्न करना है।
- यह दिवस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वर्ष 2015 में आरंभ किये गए ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत (EBSB)’ कार्यक्रम को भी बढ़ावा देने का एक महत्त्वपूर्ण माध्यम है।
 
- स्टैच्यू ऑफ यूनिटी: इसका उद्घाटन 31 अक्टूबर, 2018 को केवड़िया, गुजरात में किया गया था। यह 182 मीटर ऊँची विश्व की सबसे ऊँची प्रतिमा है, जो सरदार वल्लभभाई पटेल को समर्पित है।
- यह नर्मदा नदी और सरदार सरोवर बाँध के दृश्य में स्थित साधु बेट की पहाड़ी पर है, यह राष्ट्रीय एकता तथा गर्व का प्रतीक है।
- वर्ष 2020 में भारत की स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के आठ अजूबों की सूची में शामिल किया गया था।
 
सरदार वल्लभभाई पटेल का राष्ट्रीय एकीकरण में योगदान क्या था?
- स्वतंत्रता के बाद भारत का एकीकरण: स्वतंत्रता के समय भारत में 17 ब्रिटिश प्रांत सीधे ब्रिटिश शासन के अधीन थे, जबकि लगभग 40% क्षेत्रफल रियासतों के नियंत्रण में था।
- भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, 1947 ने ब्रिटिश सर्वोच्चता को समाप्त कर दिया, जिससे रियासतों को यह विकल्प मिला कि वे भारत में विलय करें, पाकिस्तान में शामिल हों या स्वतंत्र रहें और यह भारत की राष्ट्रीय एकता के लिये एक बड़ी चुनौती थी।
- कई रियासतों के शासक स्वतंत्र रहने या पाकिस्तान में विलय पर विचार कर रहे थे, जिससे भारत की भौगोलिक और राजनीतिक अखंडता को गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया था।
 
- वल्लभभाई पटेल ने भारत के पहले उप प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के रूप में वर्ष 1947 के बाद 560 रियासतों को एकीकृत भारत में शामिल करने का कार्य किया।
- उन्होंने रियासतों से संबंध बनाने के लिये स्टेट्स डिपार्टमेंट बनाया, जिसका नेतृत्व वी. पी. मेनन ने किया।
- पटेल ने रियासतों को एकीकृत करने के लिये समझाने और दृढ़ता दोनों का सहारा लिया। उन्होंने शासकों को स्वायत्तता और प्रिवी पर्स की गारंटी दी और एकता के फायदों पर ज़ोर दिया।
- उनकी संतुलित कूटनीति के कारण अधिकांश रियासतों ने इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन (Instrument of Accession) पर हस्ताक्षर किये, जिससे शांतिपूर्ण एकीकरण सुनिश्चित हुआ।
 
 
- भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, 1947 ने ब्रिटिश सर्वोच्चता को समाप्त कर दिया, जिससे रियासतों को यह विकल्प मिला कि वे भारत में विलय करें, पाकिस्तान में शामिल हों या स्वतंत्र रहें और यह भारत की राष्ट्रीय एकता के लिये एक बड़ी चुनौती थी।
- विरोधी रियासतों से निपटना: जहाँ समझाने से काम नहीं बना, वहाँ पटेल ने निर्णायक कार्रवाई का सहारा लिया।
- जूनागढ़: जब नवाब ने पाकिस्तान में शामिल होने का निर्णय लिया, तब पटेल ने पुलिस कार्रवाई का आदेश दिया और बाद में जनमत संग्रह के माध्यम से उसकी भारत में सम्मिलन की पुष्टि की।
- हैदराबाद: 1948 में “ऑपरेशन पोलो” (Operation Polo) संचालित किया गया, जिसमें रज़ाकर मिलिशिया को दबाया गया और राज्य को भारत में एकीकृत किया गया।
- कश्मीर: भले ही इसे सीधे पटेल ने सॅंभाला नहीं, लेकिन उनकी दृढ़ नीति और प्रशासनिक समर्थन ने महाराजा हरि सिंह के भारत में सम्मिलन के बाद एकीकरण में मदद की।
- इन कार्रवाइयों ने एक मज़बूत और एकीकृत भारतीय राज्य की मिसाल स्थापित की।
 
- संस्थागत एकीकरण: पटेल ने प्रशासनिक एकता और दक्षता सुनिश्चित करने के लिये अनुच्छेद 312 के तहत अखिल भारतीय सेवाओं (All India Services - AIS) की स्थापना की।
- उन्होंने अखिल भारतीय सेवाओं (AIS) को भारत की स्टील फ्रेम कहा, जो संघीय ढाँचे में राष्ट्रीय एकता बनाए रखने के लिये अत्यंत आवश्यक थीं।
- वर्ष 1947 में IAS अधिकारियों के पहले बैच को दिया गया उनका संबोधन लोक सेवा की भावना के लिये आज भी एक आधारशिला माना जाता है।
 
- विरासत और दीर्घकालिक प्रभाव: विभाजन के बाद के अशांत वर्षों में उनके नेतृत्व ने उन्हें “भारत के लौह पुरुष” की उपाधि दिलाई।
- राष्ट्रीय एकता पर आधारित उनके सहकारी संघवाद के मॉडल ने भारत के शासन तंत्र को आज भी मार्गदर्शन प्रदान किया है।
- पुडुचेरी (1954) और गोवा, दमन तथा दीव (1961) का एकीकरण पटेल द्वारा रखी गई नींव का ही परिणाम था।
 
- तुलनात्मक दृष्टिकोण: पटेल की तुलना अक्सर जर्मनी के ओट्टो वॉन बिस्मार्क से की जाती है, लेकिन पटेल के तरीके लोकतांत्रिक और संवादात्मक थे, सैन्यवादी नहीं।
- पटेल ने सर्वसम्मति निर्माण, विविधता के प्रति सम्मान और विधि के शासन पर ज़ोर दिया, जो भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों के अनुरूप था।
 
एक भारत श्रेष्ठ भारत (EBSB) पहल क्या है?
- परिचय: 31 अक्तूबर, 2015 को शुरू की गई एक भारत श्रेष्ठ भारत (EBSB) पहल का उद्देश्य राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के लोगों के बीच सांस्कृतिक, भाषाई और सामाजिक आदान-प्रदान के माध्यम से पटेल की राष्ट्रीय एकता और एकीकरण की दृष्टि को आगे बढ़ाना है।
- मुख्य उद्देश्य: विभिन्न क्षेत्रों के नागरिकों के बीच भावनात्मक संबंधों को मज़बूत करना।
- राज्यों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान और भाषाई सराहना को बढ़ावा देना।
- संरचित अंतर-राज्य सहयोग के माध्यम से राष्ट्रीय एकीकरण को बढ़ावा देना।
- भारत की विविध कला, विरासत और परंपराओं को उजागर करना।
- परस्पर सीखने और सर्वोत्तम प्रथाओं के आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करना।
 
- एक भारत श्रेष्ठ भारत (EBSB) कार्यक्रम और पहलें जो एकता को बढ़ावा देती हैं:
- राज्य और केंद्रशासित प्रदेश युग्मन: EBSB विभिन्न राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों को साथ में जोड़कर भाषाई, सांस्कृतिक एवं शैक्षिक आदान-प्रदान के माध्यम से भावनात्मक संबंध मज़बूत कर “विविधता में एकता” की भावना को बढ़ावा देता है।
- भाषा संगम ऐप: यह शिक्षा मंत्रालय की एक पहल है, जिसे "एक भारत श्रेष्ठ भारत (EBSB)" कार्यक्रम के अंतर्गत शुरू किया गया है। इसका उद्देश्य 22 भारतीय भाषाओं में दैनिक उपयोग के मूल वाक्यों को सिखाना और भाषाई समावेशन को प्रोत्साहित करना है।
- युवा संगम और EBSB क्लब: आपसी समझ बढ़ाने के लिये करने के लिये छात्र आदान-प्रदान कार्यक्रमों और अंतर-राज्यीय युवा सहभागिता को प्रोत्साहित किया जाता है।
- काशी तमिल संगमम: काशी और तमिलनाडु के बीच सांस्कृतिक और आध्यात्मिक बंधन का जश्न मनाता है। कला, भाषा और परंपराओं के आदान-प्रदान के माध्यम से एकता को बढ़ावा देता है।
- सांस्कृतिक और खाद्य उत्सव: अंतर-क्षेत्रीय प्रशंसा और पर्यटन को बढ़ावा देते हैं।
- डिजिटल आउटरीच: माई भारत पोर्टल और EBSB क्विज़ जैसे प्लेटफॉर्म ऑनलाइन नागरिक भागीदारी और सांस्कृतिक जागरूकता को प्रोत्साहित करते हैं।
 
- प्रभाव: यह राष्ट्रीय एकता दिवस की भावना को एक दिन तक सीमित न रखकर उसे राष्ट्रीय एकता के सतत् अभियान  में परिवर्तित कर देता है।
- लाखों प्रतिभागियों की भागीदारी के साथ, यह देखो अपना देश (पर्यटन) जैसी पहल और स्थानीय खेलों के प्रोत्साहन का समर्थन करता है, जिससे भारत की सामूहिक पहचान और भी सुदृढ़ होती है।
 
निष्कर्ष:
राष्ट्रीय एकता दिवस 2025 न केवल "भारत के लौह पुरुष" को श्रद्धांजलि है, बल्कि विविधता में एकता को मज़बूत करने का एक नया आह्वान भी है। EBSB पहल के साथ मिलकर यह आयोजन, पटेल के आदर्शों को एक जीवंत राष्ट्रीय लोकाचार में परिवर्तित करता है, जो तेज़ी से बदलती दुनिया में एकता, विविधता और सामूहिक ज़िम्मेदारी को बढ़ावा देता है।
| दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न: देशी रियासतों के एकीकरण में सरदार वल्लभभाई पटेल की “दृढ़ता के साथ समझाने” की नीति का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिये | 
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
1. राष्ट्रीय एकता दिवस क्या है?
राष्ट्रीय एकता दिवस (राष्ट्रीय एकता दिवस) 31 अक्तूबर को सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती और रियासतों को भारतीय संघ में एकीकृत करने में उनकी भूमिका के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
2. विलय पत्र क्या था?
विलय पत्र एक कानूनी दस्तावेज़ था जिसके द्वारा रियासतों ने भारतीय संघ को कुछ विषय (रक्षा, विदेश मामले, संचार) सौंपे थे।
3. अखिल भारतीय सेवाओं का गठन क्यों और किस संवैधानिक प्रावधान के तहत किया गया था?
अखिल भारतीय सेवाओं का गठन केंद्र और राज्यों में एक एकीकृत, योग्यता-आधारित नागरिक प्रशासन सुनिश्चित करने और प्रशासनिक सामंजस्य बनाए रखने के लिये किया गया था, इनका गठन संविधान के अनुच्छेद 312 के तहत अधिकृत है।
4. एक भारत श्रेष्ठ भारत (EBSB) क्या है?
वर्ष 2015 में शुरू किया गया, EBSB राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को सांस्कृतिक और शैक्षिक आदान-प्रदान (भाषा संगम, युवा संगम, त्योहार) के लिये जोड़ता है, भावनात्मक बंधनों को मज़बूत करता है तथा "विविधता में एकता" को बनाए रखता है।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्न (PYQs)
प्रिलिम्स:
प्रश्न. 1931 में भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस के कराची अधिवेशन के लिये, सरदार पटेल की अध्यक्षता में, जिन्होंने मौलिक अधिकार और आर्थिक कार्यक्रम पर संकल्प का मसौदा तैयार किया? (2010)
(a) महात्मा गांधी
(b) पंडित जवाहरलाल नेहरू
(c) डॉ. राजेंद्र प्रसाद
(d) डॉ. बी. आर. अंबेडकर
उत्तर: (b)
 
            
 
     
                  
                 
  