मुख्य परीक्षा
पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (NBS) योजना
- 30 Oct 2025
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चर्चा में क्यों?
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने रबी सीजन 2025-26 (01.10.2025 से 31.03.2026 तक) के लिये फॉस्फेटिक और पोटाशिक (P&K) उर्वरकों पर पोषक तत्त्व आधारित सब्सिडी (NBS) दरें तय करने के उर्वरक विभाग के प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी।
- इस कदम का उद्देश्य उर्वरक इनपुट के नवीनतम वैश्विक मूल्य रुझानों को प्रतिबिंबित करते हुए किसानों के लिये किफायती उर्वरक उपलब्धता सुनिश्चित करना है।
पोषक तत्त्व आधारित सब्सिडी (NBS) योजना क्या है?
- परिचय: पोषक तत्त्व आधारित सब्सिडी (NBS) योजना: रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के उर्वरक विभाग द्वारा वर्ष 2010 में शुरू की गई एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है।
- इसका उद्देश्य किसानों को किफायती दामों पर फॉस्फेटिक और पोटाशिक ((P&K) उर्वरक उपलब्ध कराना है और साथ ही टिकाऊ कृषि के लिये संतुलित पोषक तत्त्व उपयोग को बढ़ावा देना है।
- NBS योजना की मुख्य विशेषताएँ:
- कवरेज: डाइ-अमोनियम फॉस्फेट (DAP) और NPKS ग्रेड सहित P&K उर्वरकों के 28 ग्रेड उपलब्ध कराना।
- पोषक तत्त्व सामग्री के आधार पर सब्सिडी: प्रति किलोग्राम पोषक तत्त्व (नाइट्रोजन (N), फॉस्फोरस (P), पोटाश (K) और सल्फर (S) पर एक निश्चित राशि की सब्सिडी वार्षिक या अर्द्ध-वार्षिक आधार पर तय की जाती है।
- प्रत्येक उर्वरक में पोषक तत्त्व सामग्री के आधार पर निर्माताओं/आयातकों को सब्सिडी प्रदान की जाती है।
- विशेष सहायता: वैश्विक अस्थिरता के दौरान कीमतों को स्थिर करने के लिये सरकार अतिरिक्त सब्सिडी (जैसे, डीएपी के लिए) प्रदान कर सकती है।
- P&K क्षेत्र का नियंत्रण: NBS के तहत P&K उर्वरकों को नियंत्रणमुक्त किया जाता है। उर्वरक कंपनियाँ उचित स्तर पर अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) तय कर सकती हैं, जिसकी निगरानी सरकार द्वारा सामर्थ्य सुनिश्चित करने के लिये की जाती है।
- यूरिया बहिष्करण: यूरिया पोषक तत्त्व आधारित सब्सिडी (NBS) योजना के अंतर्गत शामिल नहीं है; इसकी अधिकतम खुदरा कीमत (MRP) वर्ष 2018 से 45 किलोग्राम की एक बोरी के लिये ₹242 तय है।
- योजना का महत्त्व: यह किफायती कीमतों पर आवश्यक उर्वरकों की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करती है।
- पोषक तत्त्व संतुलन को बढ़ावा देता है और नाइट्रोजन-आधारित उर्वरकों के अति प्रयोग को कम करता है।
- सब्सिडी प्रबंधन में पारदर्शिता और वित्तीय अनुशासन को बढ़ाता है।
- मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन और सतत् कृषि पद्धतियों का समर्थन करता है।
पोषक तत्त्व आधारित सब्सिडी (NBS) के समक्ष क्या चुनौतियाँ हैं?
- असंतुलित उर्वरक उपयोग: यूरिया को NBS (पोषक तत्त्व आधारित सब्सिडी) योजना से बाहर रखने और इसकी कम निश्चित कीमत के कारण नाइट्रोजन का अत्यधिक उपयोग तथा फॉस्फोरस (P) और पोटाश (K) पोषक तत्त्वों का कम उपयोग हुआ है।
- इससे दीर्घकालिक रूप से मिट्टी की गुणवत्ता में गिरावट आई है, जो कृषि की स्थिरता और खाद्य सुरक्षा के लिये खतरा है।
- गैर-यूरिया उर्वरकों की बढ़ती कीमतें: गैर-यूरिया उर्वरकों की कीमतों में वृद्धि के कारण, सब्सिडी के बावजूद किसानों की उत्पादन लागत बढ़ी है। कीमतों में अस्थिरता के कारण संतुलित उर्वरक उपयोग हतोत्साहित होता है और फसलों की लाभप्रदता प्रभावित होती है।
- राजकोषीय दबाव: उर्वरक सब्सिडी भारत की दूसरी सबसे बड़ी सब्सिडी है (खाद्य सब्सिडी के बाद), जो राजकोषीय घाटे में उल्लेखनीय योगदान करती है। अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में बढ़ती कीमतें सरकारी बजट पर अतिरिक्त दबाव डालती हैं और अन्य ग्रामीण योजनाओं के लिये निधियों की उपलब्धता सीमित करती हैं।
- आयात निर्भरता और संवेदनशीलता: भारत की उच्च आयात निर्भरता (यूरिया के लिये 25%, फॉस्फेट के लिये 90% और पोटाश के लिये 100%) उसे वैश्विक मूल्य में असंतुलन के प्रति संवेदनशील बनाती है।
- वैश्विक आपूर्ति शृंखला में किसी भी व्यवधान से उर्वरकों की उपलब्धता और वहनीयता पर सीधा प्रभाव पड़ता है।
- पर्यावरणीय प्रभाव: नाइट्रोजन-समृद्ध उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग से भूजल प्रदूषण और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में वृद्धि होती है। मिट्टी की जैविक सामग्री में गिरावट के कारण दीर्घकाल में मिट्टी की अनुकूलता और पारिस्थितिक संतुलन प्रभावित होता है।
भारत की पोषक तत्त्व आधारित सब्सिडी (NBS) योजना को मज़बूत करने के लिये किन सुधारों की आवश्यकता है?
- यूरिया को एनबीएस ढाँचे में शामिल करना: कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) की सिफारिश के अनुसार, यूरिया को पोषक तत्त्व आधारित सब्सिडी (NBS) के दायरे में शामिल किया जाना चाहिये ताकि सभी प्रमुख पोषक तत्त्वों के लिये समान सब्सिडी व्यवस्था सुनिश्चित की जा सके। इससे संतुलित उर्वरक उपयोग को बढ़ावा मिलेगा तथा नाइट्रोजन पर अत्यधिक निर्भरता में कमी आएगी।
- मिट्टी के स्वास्थ्य से सब्सिडी को जोड़ना: उर्वरक सब्सिडी को मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड (Soil Health Card) के आँकड़ों से जोड़ना चाहिये ताकि क्षेत्र-विशिष्ट पोषक तत्त्वों के प्रयोग को प्रोत्साहन मिल सके। स्थानीय कृषि-जलवायु परिस्थितियों के अनुरूप अनुकूलित उर्वरक मिश्रणों को बढ़ावा दिया जाना चाहिये।
- अत्यधिक सब्सिडी उपयोग पर सीमा निर्धारण: प्रत्येक किसान के लिये सब्सिडी प्राप्त उर्वरक बैगों की अधिकतम सीमा तय की जानी चाहिये, ताकि सब्सिडी के दुरुपयोग और विचलन को रोका जा सके।
- आधार-लिंक्ड और प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) प्रणालियों का उपयोग करके सब्सिडी को बेहतर ढंग से लक्षित किया जाना चाहिये।
- जैविक और जैव-उर्वरकों को प्रोत्साहित करना: रासायनिक उर्वरकों के साथ-साथ जैविक, जैव और नैनो उर्वरकों के उपयोग के लिये वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करना। इससे मृदा स्वास्थ्य में सुधार होगा और रसायनों पर निर्भरता कम होगी।
- जागरूकता और प्रशिक्षण को बढ़ावा देना: कृषि विज्ञान केंद्रों (KVKs) और विस्तार सेवाओं के माध्यम से किसानों को संतुलित उर्वरक उपयोग और स्थायी पोषक तत्त्व प्रबंधन के बारे में शिक्षित करना।
निष्कर्ष:
NBS योजना संतुलित और दीर्घकालिक उर्वरक उपयोग की दिशा में एक निर्णायक परिवर्तन का संकेत देती है। इसकी पूर्ण प्रभावशीलता सुनिश्चित करने के लिये भारत को सब्सिडी ढाँचे को अधिक तर्कसंगत बनाना होगा और समग्र पोषक तत्त्व प्रबंधन को प्रोत्साहित करना होगा। इन सुधारों की सुदृढ़ता भारत की उर्वरक नीति को अधिक स्थायी और किसान-उन्मुख बना सकती है।
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दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न: पोषक तत्त्व आधारित सब्सिडी (NBS) योजना के उद्देश्यों और इसकी प्रमुख चुनौतियों का मूल्यांकन कीजिये। साथ ही यह स्पष्ट कीजिये कि नीतिगत सुधार किस प्रकार किसान कल्याण और राजकोषीय स्थिरता के बीच संतुलन स्थापित कर सकते हैं। |
पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (NBS) योजना क्या है?
प्रश्न 1. अप्रैल 2010 को शुरू की गई पोषक तत्त्व आधारित सब्सिडी (NBS) योजना, 28 ग्रेड के P&K उर्वरकों के लिये पोषक तत्त्वों N, P, K और S पर एक निश्चित सब्सिडी (₹/किग्रा) प्रदान करती है, जिसका भुगतान खुदरा कीमतों को वहन करने योग्य बनाए रखने के लिये निर्माताओं/आयातकों को किया जाता है।
प्रश्न 3: यूरिया को NBS से बाहर रखने से उर्वरक के उपयोग पर क्या प्रभाव पड़ता है?
यूरिया का अलग मूल्य नियंत्रण (निश्चित MRP) नाइट्रोजन के अत्यधिक उपयोग को प्रोत्साहित करता है, जिससे पोषक तत्त्वों का असंतुलन, मृदा क्षरण और फॉस्फेटिक तथा पोटाशिक उर्वरकों का कम उपयोग होता है।
प्रश्न 4. वर्तमान उर्वरक नीति में मुख्य राजकोषीय और आपूर्ति जोखिम क्या हैं?
उर्वरक सब्सिडी भारत की दूसरी सबसे बड़ी सब्सिडी है, जो राजकोषीय दबाव को प्रभावित करती है; P&K के लिये उच्च आयात निर्भरता भारत को वैश्विक मूल्य और आपूर्ति व्यवधानों के प्रति संवेदनशील बनाती है।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)
प्रश्न. भारत में रासायनिक उर्वरकों के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-
- वर्तमान में रासायनिक उर्वरकों का खुदरा मूल्य बाज़ार-संचालित है और यह सरकार द्वारा नियंत्रित नहीं है।
- अमोनिया जो यूरिया बनाने में काम आता है, वह प्राकृतिक गैस से उत्पन्न होता है।
- सल्फर, जो फॉस्फोरिक अम्ल उर्वरक के लिये कच्चा माल है, वह तेल शोधन कारखानों का उपोत्पाद है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 2
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (b)
प्रश्न. भारत सरकार कृषि में 'नीम-लेपित यूरिया' (Neem-coated Urea) के उपयोग को क्यों प्रोत्साहित करती है? (2016)
(a) मृदा में नीम तेल के निर्मुक्त होने से मृदा सूक्ष्मजीवों द्वारा नाइट्रोजन यौगिकीकरण बढ़ता है
(b) नीम लेप, मृदा में यूरिया के घुलने की दर को धीमा कर देता है
(c) नाइट्रस ऑक्साइड, जो कि एक ग्रीनहाउस गैस है, फसल वाले खेतों से वायुमंडल में बिलकुल भी विमुक्त नहीं होती है
(d) विशेष फसलों के लिये यह एक अपतृणनाशी (वीडिसाइड) और एक उर्वरक का संयोजन है
उत्तर: (b)
मेन्स:
प्रश्न1. सहायिकियाँ सस्यन प्रतिरूप, सस्य विविधता और कृषकों की आर्थिक स्थिति को किस प्रकार प्रभावित करती हैं? लघु और सीमांत कृषकों के लिये, फसल बीमा, न्यूनतम समर्थन मूल्य तथा खाद्य प्रसंस्करण का क्या महत्त्व है? (2017)
प्रश्न2. प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डी.बी.टी.) के द्वारा कीमत सहायिकी का प्रतिस्थापन भारत में सहायिकियों के परिदृश्य का किस प्रकार परिवर्तन कर सकता है? चर्चा कीजिये। (2015)
प्रश्न3. राष्ट्रीय व राजकीय स्तर पर कृषकों को दी जाने वाली विभिन्न प्रकार की आर्थिक सहायताएँ कौन-कौन सी हैं? कृषि आर्थिक सहायता व्यवस्था का उसके द्वारा उत्पन्न विकृतियों के संदर्भ में आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिये। (2013)
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