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RBI का स्वर्ण भंडार 100 बिलियन डॉलर से अधिक

  • 30 Oct 2025
  • 52 min read

स्रोत: मिंट

चर्चा में क्यों?

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने अपने स्वर्ण प्रत्यावर्तन (Gold Repatriation) प्रयासों को और तीव्र किया है और अप्रैल से सितंबर 2025 के बीच विदेशों से लगभग 64 टन सोना वापस लाते हुए भारत के स्वर्ण भंडार को 108 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ा दिया है।

  • पिछले एक दशक में, भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में सोने की हिस्सेदारी 7% से लगभग दोगुनी होकर लगभग 15% हो गई।
  • सितंबर 2025 तक, RBI के पास कुल 880.8 टन सोना था जिसमें से 575.8 टन भारत में, 290.3 टन विदेशों में (बैंक ऑफ इंग्लैंड और बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स) रखा गया था और 14 टन सोना जमा (Deposits) के रूप में था।

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा स्वर्ण भंडार बढ़ाने के प्रमुख कारण क्या हैं?

  • विदेशी मुद्रा भंडार का विविधीकरण: भारत के विदेशी मुद्रा भंडार मुख्यतः अमेरिकी डॉलर, यूरो और अन्य मुद्राओं में हैं। स्वर्ण भंडार बढ़ाने से इन भंडारों में विविधता आती है, जिससे मुद्रा विनिमय दर में उतार-चढ़ाव से सुरक्षा मिलती है।
  • वैश्विक अनिश्चितता के विरुद्ध सुरक्षा: जब वैश्विक स्तर पर युद्ध, मुद्रास्फीति में वृद्धि या वित्तीय अस्थिरता जैसी परिस्थितियाँ उत्पन्न होती हैं तब सोना एक सुरक्षित परिसंपत्ति के रूप में कार्य करता है।
    • बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव और बाज़ार की अनिश्चितता के बीच RBI अपने स्वर्ण भंडार को एक सुरक्षा कवच के रूप में बढ़ा रहा है।
  • अच्छा प्रतिफल: स्वर्ण कीमतें दीर्घकाल में निरंतर बढ़ोतरी दर्शाती हैं और प्राय: अनिश्चित परिस्थितियों में मुद्राओं से बेहतर प्रदर्शन करती हैं। RBI द्वारा स्वर्ण भंडार बढ़ाने से परिसंपत्ति पर लाभ और भंडार की सुरक्षा दोनों सुनिश्चित होते हैं।
  • डि-डॉलराइजेशन प्रवृत्ति: चीन, रूस, तुर्की और पोलैंड जैसे कई केंद्रीय बैंक अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता कम करने के लिये लगातार सोना खरीद रहे हैं।
    • RBI की यह सोने की खरीदारी इसी डि-डॉलराइजेशन प्रवृत्ति के अनुरूप है, जो मौद्रिक स्वायत्तता को मज़बूत करती है।
  • घरेलू कारक और प्रबंधन: RBI के स्वर्ण भंडार में वृद्धि का एक हिस्सा घरेलू बैंकों से आता है, जो सोने का आयात करते हैं और इस प्रकार विदेशी मुद्रा का उपयोग किये बिना भंडार में वृद्धि करते हैं।
    • यह कदम विवेकपूर्ण भंडार प्रबंधन की पुनःस्थापना को दर्शाता है, जो वर्ष 1991 के आर्थिक संकट और वर्ष 2008 की वैश्विक वित्तीय मंदी से प्राप्त अनुभवों का परिणाम है।

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार

  • ये परिसंपत्तियाँ अमेरिकी डॉलर, यूरो, पाउंड स्टर्लिंग और जापानी येन जैसी प्रमुख मुद्राओं में रखी जाती हैं।
  • भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बनाए रखा गया स्वर्ण भंडार।
  • अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के पास रिज़र्व बैंक की वित्तीय होल्डिंग्स।
  • विशेष आहरण अधिकार (SDR), IMF द्वारा अपने सदस्य देशों की आरक्षित परिसंपत्तियों को बढ़ाने के लिये बनाई गई एक आरक्षित परिसंपत्ति है, जिस पर ब्याज मिलता है।
  • आरक्षित अंश स्थिति (RTP): यह किसी देश के IMF कोटे और IMF द्वारा उस देश की मुद्रा की होल्डिंग के बीच का अंतर होता है, जिसे देश बिना कठोर शर्तों के निकाल सकता है।
  • कुल भंडार: अक्तूबर 2025 तक भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 702.28 अरब अमेरिकी डॉलर है।
  • भंडार की संरचना:
    • विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियाँ (FCA): 570.411 अरब अमेरिकी डॉलर
    • स्वर्ण भंडार: 108.546 अरब अमेरिकी डॉलर
    • विशेष आहरण अधिकार (SDRs): 18.722 अरब अमेरिकी डॉलर
    • IMF में आरक्षित स्थिति: 4.602 अरब अमेरिकी डॉलर

RBI भारत के स्वर्ण भंडार का कुछ हिस्सा विदेश में क्यों रखता है?

  • भू-राजनीतिक जोखिम में कमी: आरबीआई ने स्वर्ण भंडारण को केवल एक ही स्थान पर केंद्रित रखने के बजाय लंदन, न्यूयॉर्क और ज्यूरिख में वितरित किया है, ताकि किसी भी वैश्विक व्यवधान की स्थिति में सुरक्षित पहुँच और निरंतरता सुनिश्चित की जा सके।
  • अंतर्राष्ट्रीय तरलता: विदेशी केंद्रों में रखा गया सोना आवश्यकता पड़ने पर तेज़ी से नकदी में बदला जा सकता है तथा वैश्विक वित्तीय बाज़ारों तक तुरंत पहुँच प्रदान करता है।
  • आर्थिक अनुकूल: विदेशों में स्थित स्वर्ण भंडार को आईएमएफ या बीआईएस जैसी अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं के साथ गिरवी या विनिमय के रूप में उपयोग किया जा सकता है, जिससे संकट की घड़ी में भारत को विदेशी मुद्रा जुटाने और वित्तीय दायित्वों को पूरा करने में सहायता मिलती है।
  • विश्वसनीय संरक्षण: बैंक ऑफ इंग्लैंड और BSI जैसी संस्थाएँ स्वर्ण भंडारण के लिये सुरक्षित, स्थिर और विश्वसनीय तंत्र प्रदान करती हैं।
  • उन्नत सुरक्षा: लंदन, स्विट्ज़रलैंड और न्यूयॉर्क की तिजोरियों में मज़बूत संरचनाएँ, बायोमेट्रिक पहुँच प्रणाली और 24×7 निगरानी के माध्यम से उच्चतम स्तर की सुरक्षा सुनिश्चित की जाती है।

निष्कर्ष:

RBI का त्वरित स्वर्ण प्रत्यावर्तन, भू-राजनीतिक वित्तीय युद्ध से भारत की संप्रभु परिसंपत्तियों को जोखिम मुक्त करने तथा खंडित विश्व में आर्थिक संप्रभुता और वित्तीय सुरक्षा को बढ़ाने की दिशा में एक रणनीतिक कदम है।

दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न:

प्रश्न: वर्ष 2023 से आरबीआई के स्वर्ण प्रत्यावर्तन अभियान के पीछे रणनीतिक तर्क और भारत की वित्तीय संप्रभुता पर इसके प्रभावों का विश्लेषण कीजिये।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

1. RBI के पास घरेलू और विदेशी मुद्रा में कितना सोना है (सितंबर 2025)?

कुल 880.8 टन: 575.8 टन घरेलू, 290.3 टन बैंक ऑफ इंग्लैंड/BIS के पास, और 14 टन जमा राशि।

2. भारत के भंडार में सोने का कितना हिस्सा है?

भारत के विदेशी भंडार (सितंबर 2025) में सोने का हिस्सा 13.9% है, जिससे रणनीतिक भंडार विविधीकरण में वृद्धि होती है।

3. सोने का प्रत्यावर्तन भारत के आयात कवर को किस प्रकार प्रभावित करता है?

प्रत्यावर्तन से भंडार पर्याप्तता और आयात कवर (अब लगभग 11 महीने) में सुधार होता है, जिससे बाहरी दायित्वों को पूरा करने की क्षमता मज़बूत होती है।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. सरकार की 'संप्रभु स्वर्ण बॉण्ड योजना' एवं स्वर्ण मुद्रीकरण योजना का/के उद्देश्य क्या है/ हैं?  (2016)

  1. भारतीय गृहस्थों के पास निष्क्रिय पड़े स्वर्ण को अर्थव्यवस्था में लाना 
  2. स्वर्ण एवं आभूषण के क्षेत्र में एफ.डी.आई. (FDI) को प्रोत्साहित करना 
  3. स्वर्ण-आयात पर भारत की निर्भरता में कमी लाना

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: 

(a) केवल 1

(b) केवल 2 और 3

(c) केवल 1 और 3

(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (c)

प्रश्न. भारत की विदेशी मुद्रा आरक्षित निधि में निम्नलिखित में से कौन-सा एक मद समूह सम्मिलित है? (2013)

(a) विदेशी मुद्रा संपत्ति, विशेष आहरण अधिकार और विदेशों से ऋण

(b) विदेशी मुद्रा संपत्ति, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा धारित स्वर्ण और विशेष आहरण अधिकार

(c) विदेशी मुद्रा संपत्ति, विश्व बैंक से ऋण और विशेष आहरण अधिकार

(d) विदेशी मुद्रा संपत्ति, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा धारित स्वर्ण और विश्व बैंक से ऋण

उत्तर: B


मेन्स:

प्रश्न: सोने के लिये भारतीयों के उन्माद ने हाल के वर्षों में सोने के आयात में प्रोत्कर्ष (उछाल) उत्पन्न कर दिया है और भुगतान-संतुलन और रुपए के बाह्य मूल्य पर दबाव डाला है। इसको देखते हुए, स्वर्ण मुद्रीकरण योजना के गुणों का परीक्षण कीजिये। (2015)

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