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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 26 May, 2025
  • 21 min read
प्रारंभिक परीक्षा

विश्व पशु स्वास्थ्य स्थिति रिपोर्ट

स्रोत: डाउन टू अर्थ

चर्चा में क्यों? 

विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन (WOAH) ने अपनी पहली "विश्व पशु स्वास्थ्य की स्थिति" रिपोर्ट जारी की है, जिसमें अफ्रीकन स्वाइन फीवर, एवियन इन्फ्लूएंज़ा और लंपी स्किन डिजीज/गाँठदार त्वचा रोग जैसी संक्रामक बीमारियों के बढ़ते प्रसार को लेकर चेतावनी दी गई है, जो कृषि-खाद्य प्रणाली की स्थिरता के लिये खतरा उत्पन्न करती हैं।

विश्व पशु स्वास्थ्य रिपोर्ट द्वारा उठाई गई प्रमुख चिंताएँ क्या हैं?

  • उच्च ज़ूनोटिक जोखिम: रिपोर्ट की गई बीमारियों में से 47% ज़ूनोटिक हैं, यानी वे इंसानों को संक्रमित करने में सक्षम हैं।
  • एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (AMR) का खतरा: यदि शीघ्र कार्रवाई नहीं की गई, तो AMR लगभग 2 बिलियन लोगों को प्रभावित कर सकता है और वर्ष 2050 तक 100 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का आर्थिक हानि पहुँचा सकता है।
  • क्रॉस-स्पीशीज़ ट्रांसमिशन में वृद्धि: एवियन इन्फ्लूएंज़ा जैसे संक्रामक रोगों का प्रसार तेज़ी से प्रजाति बाधाओं को पार कर रहा है तथा अपने पारंपरिक परपोषी के अतिरिक्त जानवरों की एक व्यापक श्रेणी को प्रभावित कर रहा है, क्योंकि स्तनधारियों में प्रकोप दोगुना हो गया है।
  • जूनोटिक रोग के कारक: जलवायु परिवर्तन पारिस्थितिकी तंत्र को बदल रहा है और रोगाणुओं को नए क्षेत्रों और प्रजातियों में फैलने में सक्षम बना रहा है। 
    • वैश्विक व्यापार तथा पशुओं और पशु उत्पादों की बढ़ती आवाजाही ने सीमाओं के पार रोग संचरण के जोखिम को बढ़ा दिया है।
    • मानव-वन्यजीव संपर्क के बढ़ने से जूनोटिक स्पिलओवर का खतरा बढ़ जाता है, जो विकासशील देशों में कमज़ोर व खराब पशु चिकित्सा प्रणालियों व टीकों की कमी के कारण और भी बदतर हो जाता है।

विश्व भर में पशुओं को प्रभावित करने वाले प्रमुख रोग कौन-से हैं?

रोग

कारण

विवरण

एवियन इन्फ्लूएंज़ा 

इन्फ्लूएंज़ा वायरस (ऑर्थोमिक्सोविरिडे परिवार)

यह एक अत्यधिक संक्रामक वायरल रोग है जो घरेलू और जंगली पक्षियों को प्रभावित करती है तथा कभी-कभी मनुष्यों सहित स्तनधारियों को भी। यह कई वायरस उपप्रकारों (जैसे, H5N1, H5N3, H5N8) के कारण होता है।

अफ्रीकी स्वाइन फीवर (ASF)

ASF वायरस (एस्फारविरिडे परिवार)

यह घरेलू और जंगली सूअरों का एक अत्यधिक संक्रामक वायरल रोग है, जिसमें मृत्यु दर 100% तक पहुँच सकती है।

खुरपका और मुँहपका रोग (FMD)

एफथोवायरस (पिकोर्नाविरिडे परिवार)

यह एक अत्यधिक संक्रामक वायरल रोग है, जो गाय, भेड़, बकरी और सूअर जैसे दो खुर वाले पशुओं को प्रभावित करता है, जिससे बुखार एवं छाले जैसे घाव हो जाते हैं।

पेस्टे डेस पेटिट्स रुमिनेंट्स 

मोर्बिलिवायरस (पैरामाइक्सोविरिडे परिवार)

यह बकरियों, भेड़ों और पालतू छोटे जुगाली करने वाले पशुओं की कुछ जंगली प्रजातियों के साथ-साथ ऊँटों को भी प्रभावित करता है। इसकी पहली रिपोर्ट वर्ष 1942 में आइवरी कोस्ट में दर्ज़ की गई थी।

गांठदार त्वचा रोग

गांठदार त्वचा रोग वायरस (पोक्सविरिडे परिवार)।

यह मवेशियों से संबंधित रोग है, जिससे बुखार, त्वचा पर गांठें, वज़न में कमी तथा लिम्फ नोड्स में सूजन जैसी समस्याएँ होती हैं।

ब्लूटंग

ब्लूटंग वायरस (रिओविरिडे परिवार)

यह एक संक्रामक, गैर-संक्रामक, वेक्टर जनित वायरल रोग है जो भेड़, बकरी, मवेशी, भैंस, हिरण, अफ्रीकी मृग और ऊंट जैसे जंगली एवं घरेलू जुगाली करने वाले पशुओं को प्रभावित करता है।

न्यू वर्ल्ड स्क्रूवॉर्म

NWS फ्लाई लार्वा (कैलिफोरिडे परिवार)

यह गर्म रक्त वाले पशुओं के जीवित मांस को संक्रमित करता है, सबसे अधिक पशुधन को और पक्षियों, पालतू पशुओं एवं मनुष्यों को समान्यत: कम।

निपाह वायरस

निपाह वायरस (पैरामाइक्सोविरिडे परिवार)

यह रोग सबसे पहले मलेशिया और सिंगापुर में सूअरों में पाई गई थी। यह सूअरों और घोड़ों जैसे पशुओं को प्रभावित करती है, जिससे श्वसन एवं तंत्रिका संबंधी लक्षण उत्पन्न होते हैं एवं मनुष्यों में भी इसके फैलने की गंभीर संभावना होती है।

रिंडरपेस्ट

मोर्बिलिवायरस (पैरामाइक्सोविरिडे परिवार)

इसे मवेशी प्लेग के नाम से भी जाना जाता है, यह एक अत्यधिक संक्रामक वायरल रोग है जो मुख्य रूप से मवेशियों, भैंसों और अन्य सम-उँगलियों वाले खुर वाले पशुओं को प्रभावित करती है। रिंडरपेस्ट टीकाकरण द्वारा विश्व स्तर पर समाप्त किया जाने वाला पहला पशु रोग था।

विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन क्या है?

  • परिचय: WOAH, जिसे मूल रूप से वर्ष 1924 में ऑफिस इंटरनेशनल डेस एपिज़ूटीज़ (OIE) के नाम से स्थापित किया गया था, एक अंतर-सरकारी संगठन है जिसका मुख्यालय पेरिस, फ्राँस में स्थित है।
    • यह वैश्विक रिंडरपेस्ट महामारी के जवाब में स्थापित किया गया था।
    • वर्ल्ड असेंबली ऑफ डेलीगेट्स, WOAH का सर्वोच्च निर्णय लेने वाला निकाय है, जिसमें भारत सहित सभी 183 सदस्य देशों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं।
      • इसकी बैठक प्रतिवर्ष पेरिस में होती है, जिसमें प्रत्येक देश को एक वोट का अधिकार होता है।
  • WOAH के मानक और दिशानिर्देश: WOAH एक व्यापक संदर्भ दस्तावेज़ों का सेट विकसित करता है और उनका रखरखाव करता है, जिनमें शामिल हैं:
    • स्थलीय पशु स्वास्थ्य संहिता और इसका डायग्नोस्टिक टेस्ट एवं टीकों का मैनुअल (जो स्तनधारियों, पक्षियों, सरीसृपों और मधुमक्खियों को कवर करता है)।
    • जलीय पशु स्वास्थ्य संहिता और इसका डायग्नोस्टिक मैनुअल (जो मछलियों, उभयचरों, शंखियों और क्रस्टेशियनों को कवर करता है)।
  • WOAH और WTO: WOAH को विश्व व्यापार संगठन (WTO) के सैनिटरी और फाइटोसैनिक उपायों के अनुप्रयोग (SPS) समझौते के तहत पशु स्वास्थ्य के लिये अंतर्राष्ट्रीय मानक निर्धारित करने वाली संस्था के रूप में औपचारिक रूप से मान्यता प्राप्त है।
    • WTO सदस्यों को प्रोत्साहित किया जाता है कि वे अपने सैनिटरी उपायों को WOAH के मानकों पर आधारित रखें ताकि वैश्विक स्तर पर नियमों का समन्वय हो सके और व्यापार को सुगम बनाया जा सके।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. H1N1 वायरस का उल्लेख प्रायः समाचारों में निम्नलिखित में से किस एक बीमारी के संदर्भ में किया जाता है? (2015)

(a) एड्स
(b) बर्ड फलू
(c) डेंगू
(d) स्वाइन फ्लू

उत्तर: (d)


प्रश्न. 'ACE2' पद का उल्लेख किस संदर्भ में किया जाता है? (2021)

(a) आनुवंशिक रूप से रूपांतरित पादपों में पुरःस्थापित (इंट्रोड्यूस्ड) जीन
(b) भारत के निजी उपग्रह संचालन प्रणाली का विकास
(c) वन्य प्राणियों पर निगाह रखने के लिये रेडियो कॉलर
(d) विषाणुजनित रोगों का प्रसार

उत्तर: (d)


रैपिड फायर

ज़ेनॉन गैस

स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया

चार ब्रिटिश पर्वतारोही पहली बार ज़ेनॉन गैस का उपयोग करके अपनी अनुकूलन क्षमता को बढ़ाकर माउंट एवरेस्ट के शिखर पर पहुँचे।

  • ज़ेनॉन गैस: ज़ेनॉन एक दुर्लभ, रंगहीन, गंधहीन, रासायनिक रूप से स्थिर और गैर-प्रतिक्रियाशील गैस है जो पृथ्वी के वायुमंडल में अल्प मात्रा में पाई जाती है। यह ठोस, तरल और गैसीय अवस्था में उपलब्ध है।
    • व्यावसायिक रूप से, ज़ेनॉन को वायु पृथक्करण प्रक्रिया के उप-उत्पाद के रूप में प्राप्त किया जाता है, जहाँ वायु को आंशिक रूप से ऑक्सीजन और नाइट्रोजन में आसवित किया जाता है।  
    • ज़ेनॉन एक नोबल गैस (निष्क्रिय गैस) है और इसलिये यह किसी अन्य तत्त्व के साथ अभिक्रिया नहीं करती है। हालाँकि, ज़ेनॉन फ्लोरीन और ऑक्सीजन के साथ मिलकर यौगिक बना सकती है।

ज़ेनॉन के अनुप्रयोग: 

  • पर्वतारोहण: इसमें न्यूरोप्रोटेक्टिव गुण होते हैं जिससे ऑक्सीजन वितरण को बढ़ावा मिलने के साथ एल्टीट्यूड सिकनेस और हाइपोक्सिया से संबंधित क्षति से सुरक्षा मिलती है।
  • चिकित्सा: यह एक प्राकृतिक संवेदनाहारी है और ऑक्सीजन के साथ साँस द्वारा लिये जाने से इससे हार्मोन का उत्पादन उत्तेजित होता है जिससे लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या में वृद्धि होती है। इसका उपयोग रक्त प्रवाह को मापने एवं मस्तिष्क, हृदय और फेफड़ों की इमेज बनाने के लिये भी किया जाता है।
  • लाइटिंग: इसका उपयोग उच्च तीव्रता वाली लाइटिंग जैसे फ्लैश लैंप, स्ट्रोब लाइट और कार हेडलाइट्स में किया जाता है क्योंकि इससे चमकदार सफेद प्रकाश उत्सर्जित होता है।
  • उद्योग: ज़ेनॉन का उपयोग परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में, टेलीविजन और रेडियो हेतु ट्यूबों में गैस भरने में और ज़ेनॉन डाइफ्लोराइड का उपयोग करके सिलिकॉन माइक्रोप्रोसेसरों की एचिंग के लिये किया जाता है। 
  • अंतरिक्ष अन्वेषण: इसका उपयोग उपग्रहों और गहन अंतरिक्ष मिशनों में आयन प्रणोदन प्रणालियों हेतु ईंधन के रूप में किया जाता है। 
  • विषाक्तता: ज़ेनॉन यौगिक मज़बूत ऑक्सीकरण एजेंट हैं जो अत्यधिक विषाक्त एवं विस्फोटक होते हैं। 

और पढ़ें: K2-18b पर बायोसिग्नेचर गैसें 


रैपिड फायर

ऑटिज़्म

स्रोत: द हिंदू

ऑटिज़्म (जिसे ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ASD) भी कहा जाता है) एक जटिल स्थिति है जो आनुवंशिक और पर्यावरणीय कारकों से प्रभावित होती है, जिसके बढ़ते मामलों के कारण अनुसंधान को बढ़ावा मिल रहा है और शीघ्र निदान और सहायता की आवश्यकता है।

  • ऑटिज़्म: यह मस्तिष्क के विकास से संबंधित विभिन्न स्थितियों का एक समूह है, जिसमें सामाजिक संपर्क, संचार और असामान्य व्यवहार में कठिनाइयाँ होती हैं।
    • विश्व भर में लगभग 100 में से 1 बच्चा ऑटिज्म से पीड़ित है, हालाँकि इसकी व्यापकता अलग-अलग हो सकती है और निम्न एवं मध्यम आय वाले देशों में प्रायः इसकी रिपोर्टिंग कम ही की जाती है।
    • ऑटिज़्म से पीड़ित लोगों में प्रायः मिर्गी, अवसाद, दुश्चिंता जैसे सहवर्ती रोग भी पाए जाते हैं और वे नींद की समस्याओं या आत्मक्षति जैसे व्यवहार भी प्रदर्शित कर सकते हैं। उनकी बौद्धिक क्षमताएँ गंभीर कमी से लेकर औसत से ऊपर के स्तर तक होती हैं।
  • कारण: ऑटिज़्म संभवतः आनुवंशिक कारकों (जैसे पारिवारिक इतिहास, वृद्ध माता-पिता या डाउन सिंड्रोम जैसी आनुवंशिक स्थितियाँ) और गर्भावस्था या जन्म के दौरान पर्यावरणीय प्रभावों (जैसे प्रदूषण के संपर्क में आना या समय से पहले जन्म) के संयोजन से उत्पन्न होता है। ये कारक जोखिम बढ़ा सकते हैं लेकिन सीधे ऑटिज़्म का कारण नहीं बनते हैं।
    • बचपन में लगाए जाने वाले टीके से ऑटिज़्म का खतरा नहीं बढ़ता।
  • मूल्यांकन और देखभाल: प्रारंभिक साक्ष्य-आधारित हस्तक्षेप ऑटिज़्म से पीड़ित व्यक्तियों के जीवन की गुणवत्ता को काफी हद तक बेहतर बना सकते हैं।
  • ऑटिज़्म के लिये भारत की पहल: राष्ट्रीय न्यास अधिनियम 1999 ऑटिज़्म से पीड़ित व्यक्तियों के लिये कानूनी संरक्षकता और कल्याण सेवाएँ प्रदान करता है।
    • DISHA योजना दिव्यांग बच्चों (0-10 वर्ष) के लिये शीघ्र हस्तक्षेप और विद्यालय हेतु तैयार करने की सुविधा प्रदान करती है।
    • सहयोगी योजना देखभालकर्त्ता प्रकोष्ठों (CAC) के माध्यम से केयर एसोसिएट्स को प्रशिक्षण देती है, ताकि वे दिव्यांगजनों को कुशल देखभाल प्रदान कर सकें।

Autism

और पढ़ें: ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ASD)


रैपिड फायर

शासकीय गुप्त बात अधिनियम 1923

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

हरियाणा के एक ट्रैवल ब्लॉगर को कथित गुप्तचरी और पाकिस्तान समर्थक सामग्री को बढ़ावा देने के आरोप में शासकीय गुप्त बात अधिनियम, 1923 की धारा 3 और 5 तथा भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 152 के तहत गिरफ्तार किया गया

शासकीय गुप्त बात अधिनियम (OSA), 1923

  • परिचय:  इसका गठन औपनिवेशिक युग के भारतीय शासकीय गुप्त बात अधिनियम, 1889 के दौरान हुआ था, जिसका उद्देश्य प्रेस की असहमति को दबाना था एवं वर्ष 1904 में लॉर्ड कर्जन के अधीन इसे और अधिक कठोर बना दिया गया तथा अंततः वर्ष 1923 में इसे संशोधित किया गया
  • उद्देश्य: इसका उद्देश्य गुप्तचरी और वर्गीकृत संवेदनशील जानकारी के अनधिकृत प्रकटीकरण को रोकना, भारत की संप्रभुता, अखंडता एवं सामरिक हितों की रक्षा करना है, विशेष रूप से विदेशी खतरों से।
  • प्रयोज्यता: यह भारत और विदेश में सरकारी अधिकारियों सहित सभी भारतीय नागरिकों पर लागू है तथा गैर-नागरिकों पर भी लागू है, यदि वे गुप्तचरी के कृत्यों में शामिल हैं।

OSA, 1923 की धाराएँ:

  • शासकीय गुप्त बात अधिनियम की धारा 3 गुप्तचरी और राष्ट्रीय सुरक्षा के विरुद्ध कृत्यों को अपराध मानती है, जिसमें संवेदनशील दस्तावेज़ों को रखना या गुप्त कोड को साझा करना शामिल है, जिसके लिये 14 वर्ष तक के कारावास की सज़ा हो सकती है।
  • धारा 5 में सरकारी दस्तावेज़ों के अनाधिकृत प्रकटीकरण, कब्ज़े, प्रतिधारण या उन्हें वापस न करने पर दंड का प्रावधान है, इसमें वे लोग भी शामिल हैं जो दुर्भावनापूर्ण ऐसी सूचना प्राप्त करते हैं।
  • धारा 10 गुप्तचरों को शरण देने पर दंड से संबंधित है।

BNS की धारा 152

  • BNS की धारा 152 (राजद्रोह से संबंधित) जानबूझकर किये गए ऐसे कृत्यों को अपराध मानती है - शब्दों, संकेतों, इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों या वित्तीय माध्यमों द्वारा- जो अलगाव, विद्रोह को प्रोत्साहित करता है या भारत की संप्रभुता और अखंडता को खतरा पहुँचाते हैं, जबकि सरकार की वैध व कानूनी आलोचना को छूट दी गई है।

और पढ़ें: शासकीय गुप्त बात अधिनियम, राजद्रोह के आरोप के तहत गिरफ्तारी।  


रैपिड फायर

बर्ड-विंग सोलर इवेंट

स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स

नासा ने एक विशाल सौर विस्फोट का निरीक्षण किया है, जिसे इसके पक्षी के पंख जैसे प्लाज्मा संरचना के कारण “बर्ड-विंग” घटना नाम दिया गया है। हालाँकि इसने एक गंभीर भू-चुंबकीय तूफान की चिंता उत्पन्न की लेकिन पृथ्वी सीधे हमले से बच गई, और केवल न्यूनतम प्रभाव का अनुभव किया।

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बर्ड-विंग सोलर इवेंटउत्पत्ति: यह विस्फोट सूर्य के उत्तरी गोलार्ध से उत्पन्न हुआ, जिसकी प्लाज़्मा (विस्फोट) संरचना एक मिलियन किलोमीटर से भी अधिक फैली हुई थी, जो पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी से दो गुना से भी अधिक है।

शामिल घटक:

  • इस घटना में सोलर फ्लेयर और कोरोनल मास इजेक्शन (CME) दोनों शामिल थे।
    • सोलर फ्लेयर सूर्य की सतह से निकलने वाले तीव्र और अचानक विद्युतचुंबकीय विकिरण के विस्फोट होते हैं, जो चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं के टूटने तथा पुनः संरेखित होने के कारण उत्पन्न होते हैं।
      • इन्हें एक्स-रे की चमक के आधार पर A से लेकर X वर्ग तक श्रेणीकृत किया जाता है।
      • वे प्रायः CME के साथ-साथ आते हैं और प्रकाश की गति से यात्रा करते हैं तथा लगभग 8 मिनट में पृथ्वी तक पहुँच सकते हैं।
      • कोरोनल मास इजेक्शन (CME) आवेशित सौर प्लाज्मा का अंतरिक्ष में विस्फोटक निष्कासन है, जो 250 से 3000 किमी/सेकेंड (सौर ज्वालाओं से भी धीमी) की गति से यात्रा करता है तथा पृथ्वी तक पहुँचने में 1-3 दिन का समय लेता है।

पृथ्वी पर प्रभाव:

  • सौर ज्वालाएँ भू-चुंबकीय तूफान उत्पन्न कर सकती हैं, जो पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र को बाधित कर देती हैं, जिसके परिणामस्वरूप रेडियो ब्लैकआउट, पावर ग्रिड विफलताएँ तथा निचले अक्षांशों पर दृश्यमान ध्रुवीय ज्योति उत्पन्न होती हैं। 
  • उच्च ऊर्जा वाले कण उपग्रहों, जी.पी.एस. और संचार प्रणालियों को हानि पहुँचा सकते हैं। 

Sun

और पढ़ें: कोरोनल मास इजेक्शन (CME), सोलर फ्लेयर


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