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K2-18b पर बायोसिग्नेचर गैसें

  • 19 Apr 2025
  • 2 min read

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के शोधकर्त्ताओं ने जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST) का उपयोग करके एक्सोप्लैनेट K2-18b के वायुमंडल में डाइमिथाइल सल्फाइड (DMS) और डाइमिथाइल डाइसल्फाइड (DMDS) जैसी बायोसिग्नेचर गैसों का पता लगाया है।

  • ये गैसें ज़्यादातर पृथ्वी पर जैविक प्रक्रियाओं द्वारा उत्पादित होती हैं, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या अंतरग्रहीय जीवन संभव है। हालाँकि वे जीवन के निर्णायक सबूत नहीं हैं, लेकिन DMS और DMDS का अस्तित्त्व एक शक्तिशाली संभावित बायोसिग्नेचर (जैविक संकेत) है।
    • यद्यपि मंगल और शुक्र जैसे ग्रहों पर पिछले अध्ययनों में फॉस्फीन और जीवन से संबंधित अन्य गैसें पाई गई हैं, लेकिन उनमें से कोई भी जीवन का ठोस प्रमाण नहीं देता है।
  • K2-18b: वर्ष 2015 में खोजा गया, यह 120 प्रकाश वर्ष दूर स्थित एक सुपर-अर्थ एक्सोप्लैनेट है। इसका द्रव्यमान पृथ्वी से 8.92 गुना है तथा यह प्रत्येक 32.9 दिनों में अपने M-प्रकार के तारे की परिक्रमा करता है। यह ग्रह रहने योग्य क्षेत्र में स्थित है तथा पृथ्वी से 2.6 गुना बड़ा है।
  • JWST: यह अब तक निर्मित सबसे उन्नत इन्फ्रारेड अंतरिक्ष वेधशाला है, जिसे वर्ष 2021 में नासा , यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA ) और कनाडाई अंतरिक्ष एजेंसी (CSA) के सहयोग से लॉन्च किया गया है। 

और पढ़ें: K2-18b: संभावित रूप से रहने योग्य ग्रह

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