प्रारंभिक परीक्षा
साहित्य अकादमी युवा एवं बाल साहित्य पुरस्कार 2025
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
साहित्य अकादमी ने वर्ष 2025 के लिये 24 भारतीय भाषाओं में 23 लेखकों को युवा पुरस्कार और 24 लेखकों को बाल साहित्य पुरस्कार प्रदान करने की घोषणा की।
साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार और साहित्य अकादमी बाल साहित्य पुरस्कार क्या है?
साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार
- परिचय: वर्ष 2011 में स्थापित यह वार्षिक पुरस्कार 35 वर्ष या उससे कम आयु के युवा भारतीय लेखकों को साहित्य अकादमी द्वारा मान्यता प्राप्त अंग्रेज़ी सहित 24 भारतीय भाषाओं में से किसी में भी उनके मौलिक साहित्यिक कार्यों के लिये प्रदान किया जाता है।
- पुरस्कार के मुख्य घटक: 50,000 रुपए नकद पुरस्कार, एक उत्कीर्ण ताम्र पट्टिका और एक प्रशस्ति-पत्र।
- पात्रता मानदंड: कार्य मौलिक (रचनात्मक या आलोचनात्मक) होना चाहिये, पिछले 5 वर्षों के भीतर प्रकाशित हुआ हो और कम से कम 49 पृष्ठ लंबा होना चाहिये।
- प्रत्येक लेखक को प्रति भाषा केवल एक बार यह पुरस्कार दिया जाता है।
- अनुचित (अयोग्य) कृतियों में अनुवाद, संक्षेपण, शोध-प्रबंध, ई-पुस्तकें, मरणोपरांत प्रकाशित रचनाएँ और प्रवासी भारतीय (NRI), भारतीय मूल के व्यक्ति (PIO) या दोहरी नागरिकता रखने वाले लेखकों की कृतियाँ शामिल हैं।
- चयन प्रक्रिया: सार्वजनिक प्रविष्टियों का आह्वान → विशेषज्ञों द्वारा प्रारंभिक मूल्यांकन → तीन सदस्यीय भाषा निर्णायक मंडल द्वारा अंतिम चयन → कार्यकारी बोर्ड द्वारा अनुमोदन → एक विशेष समारोह में विजेताओं की घोषणा।
साहित्य अकादमी बाल साहित्य पुरस्कार
- परिचय: इस पुरस्कार की स्थापना वर्ष 2010 में की गई थी। यह प्रतिवर्ष उन उत्कृष्ट बाल साहित्य कृतियों को सम्मानित करने हेतु प्रदान किया जाता है, जो 9 से 16 वर्ष की आयु के पाठकों के लिये लिखी गई हों और साहित्य अकादमी द्वारा मान्यता प्राप्त 24 भारतीय भाषाओं में से किसी एक में हों।
- पुरस्कार के घटक: 50,000 रुपए की पुरस्कार राशि, उत्कीर्ण पट्टिका (प्लाक), एक शॉल और प्रशस्ति पत्र।
- पात्रता मानदंड:
- कृति मौलिक और रचनात्मक होनी चाहिये तथा पिछले 5 वर्षों के भीतर प्रकाशित हुई हो।
- किसी भाषा में पुरस्कार पर विचार करने हेतु कम से कम 3 पात्र पुस्तकें होनी चाहिये।
- पौराणिक कथाओं के रूपांतरण स्वीकार्य हैं।
- मरणोपरांत कृतियाँ पात्र हैं यदि लेखक का निधन उस 5-वर्षीय अवधि के भीतर हुआ हो।
- अनुवाद, संकलन, संक्षेपण, शोध-प्रबंध तथा साहित्य अकादमी के बोर्ड सदस्यों, फेलो (Fellows) या भाषा सम्मान प्राप्तकर्त्ताओं की कृतियाँ अपात्र मानी जाती हैं।
साहित्य अकादमी और इसके पुरस्कार क्या हैं?
- परिचय: यह एक स्वायत्त संगठन है जिसकी स्थापना वर्ष 1952 में की गई थी और इसका औपचारिक उद्घाटन वर्ष 1954 में हुआ था। इसका उद्देश्य भारत की विभिन्न भाषाओं में साहित्य के प्रचार-प्रसार को समर्पित है। इसे सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत वर्ष 1956 में एक सोसायटी के रूप में पंजीकृत किया गया था।
- इसका मुख्यालय दिल्ली में स्थित है तथा इसके क्षेत्रीय कार्यालय कोलकाता, बेंगलुरु, मुंबई, चेन्नई और अगरतला में हैं।
- कार्य:
- अंतर-भाषीय साहित्यिक संवाद, परस्पर अनुवाद, और साहित्यिक कृतियों के प्रकाशन को प्रोत्साहित करता है।
- पत्रिकाएँ, मोनोग्राफ, संकलन, विश्वकोश, ग्रंथ-सूचियाँ तथा साहित्य का इतिहास प्रकाशित करता है।
- पुरस्कार एवं सम्मान: साहित्य अकादेमी प्रत्येक मान्यता प्राप्त भाषा में एक-एक कर कुल 24 वार्षिक साहित्य पुरस्कार प्रदान करती है, साथ ही भारतीय भाषाओं से और भारतीय भाषाओं में अनूदित कृतियों के लिये 24 अनुवाद पुरस्कार भी प्रदान करती है।
- यह अकादेमी गैर-मान्यता प्राप्त भाषाओं तथा शास्त्रीय/मध्यकालीन साहित्य में योगदान के लिये भाषा सम्मान भी प्रदान करती है।
- प्रख्यात साहित्यकारों को फेलोशिप (जैसे आनंद कुमारस्वामी और प्रेमचंद फैलोशिप) के माध्यम से सम्मानित किया जाता है और उन्हें अकादेमी के फेलो तथा मानद फेलो के रूप में चयनित किया जाता है।
- साहित्य अकादेमी पुरस्कार: वर्ष 1954 में स्थापित, ये वार्षिक साहित्यिक सम्मान साहित्य अकादेमी द्वारा उन उत्कृष्ट पुस्तकों को प्रदान किये जाते हैं जो संविधान की आठवीं अनुसूची में उल्लिखित 22 भाषाओं, साथ ही अंग्रेज़ी और राजस्थानी में साहित्यिक उत्कृष्टता के लिये प्रकाशित हुई हों।
- यह ज्ञानपीठ पुरस्कार के बाद भारत सरकार द्वारा दिया जाने वाला दूसरा सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान है।
रैपिड फायर
किंग कोबरा
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
कर्नाटक के पिलिकुला जैविक उद्यान से एक किंग कोबरा, जिसे मध्य प्रदेश में पशु विनिमय कार्यक्रम (2 कोबरा के बदले 2 बाघ) के तहत भोपाल के वन विहार राष्ट्रीय उद्यान में लाया गया था, की मृत्यु हो गई है।
- किंग कोबरा (ओफियोफैगस हन्नाह) के संबंध में: यह विश्व का सबसे लंबा विषैला सर्प है, जिसमें न्यूरोटॉक्सिक विष होता है जो तंत्रिका संकेतों को अवरुद्ध करके मांसपेशियों को पक्षाघात का कारण बनता है।
- जैविक और व्यवहारिक लक्षण: यह अंडप्रजक है, एकमात्र ऐसा सर्प है जो अंडे सेने तक अपना आवास बनाता है और उसकी रखवाली करता है और इसके जहर का उपयोग कोब्रोक्सिन और नाइलॉक्सिन जैसे दर्द निवारक दवाओं के उत्पादन के लिये किया जाता है।
- यह भारत में सर्पदंश से होने वाली मौतों के लिये ज़िम्मेदार चार बड़े सर्पों (रसेल वाइपर, सॉ-स्केल्ड वाइपर, कॉमन क्रेट) में से एक है।
- आहार: यह मुख्य रूप से अन्य सर्पों (जैसे कि रैट स्नेक, धामन और कोबरा ) का शिकार करता है और यह दिनचर है, अर्थात् यह दिन के दौरान सक्रिय रहता है।
- जैविक और व्यवहारिक लक्षण: यह अंडप्रजक है, एकमात्र ऐसा सर्प है जो अंडे सेने तक अपना आवास बनाता है और उसकी रखवाली करता है और इसके जहर का उपयोग कोब्रोक्सिन और नाइलॉक्सिन जैसे दर्द निवारक दवाओं के उत्पादन के लिये किया जाता है।
- निवास स्थान: यह वर्षावनों, बांस के घने जंगलों, मैंग्रोव , उच्च ऊँचाई वाले घास के मैदानों और नदियों के पास पाया जाता है तथा इसका विस्तार भारत, दक्षिणी चीन और दक्षिण पूर्व एशिया तक फैला हुआ है।
- संरक्षण की स्थिति:
- IUCN लाल सूची : असुरक्षित
- CITES: परिशिष्ट II
- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम (1972 ): अनुसूची II
- वन विहार राष्ट्रीय उद्यान के संबंध में: वन विहार राष्ट्रीय उद्यान, भोपाल (मध्य प्रदेश) में स्थित है, यह बड़े तालाब के बगल में स्थित है, जो एक रामसर साइट और भोज वेटलैंड का हिस्सा है ।
- यह सर्कसों और संघर्ष क्षेत्रों से बचाए गए शेरों, बाघों, भालूओं और अन्य जानवरों के लिये बचाव केंद्र के रूप में कार्य करता है।
- यह उद्यान हार्ड ग्राउंड बारासिंघा और जिप्सी गिद्धों के लिये संरक्षण प्रजनन केंद्र भी है।
और पढ़ें: ओफियोफैगस कलिंगा
रैपिड फायर
भारत के पहले 3nm चिप डिज़ाइन सेंटर्स
स्रोत: द हिंदू
केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ने नोएडा और बंगलुरु में भारत के पहले 3-नैनोमीटर (3एनएम) चिप डिज़ाइन सेंटर्स का उद्घाटन किया, जिससे देश चिप प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अग्रणी कुछ चुनिंदा देशों की श्रेणी में आ गया है।
- एक अन्य घटनाक्रम में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने उत्तर प्रदेश के जेवर में डिस्प्ले ड्राइवर चिप विनिर्माण इकाई की स्थापना को मंज़ूरी दे दी है।
- यह उत्तर प्रदेश की पहली सेमीकंडक्टर निर्माण इकाई तथा भारतीय सेमीकंडक्टर मिशन (ISM) के चरण I के तहत स्वीकृत छठी इकाई है, जिसमें वर्ष 2027 तक उत्पादन शुरू होने की उम्मीद है।
- इसी दौरान इंज़ीनियरिंग छात्रों के बीच व्यावहारिक हार्डवेयर कौशल को मज़बूत करने के लिये डिज़ाइन की गई एक नई सेमीकंडक्टर लर्निंग किट के लॉन्च की भी घोषणा की गई।
- भारत सेमीकंडक्टर मिशन के माध्यम से पहले से ही उन्नत इलेक्ट्रॉनिक डिज़ाइन ऑटोमेशन (EDA) सॉफ्टवेयर टूल्स तक पहुँच प्राप्त कर चुके 270 से अधिक शैक्षणिक संस्थानों को अब ये प्रायोगिक किट्स भी प्रदान की जाएंगी।
- अन्य पहल:
- 3nm चिप प्रौद्योगिकी: 3nm चिप तकनीक में 5nm और 7nm चिप्स की तुलना में अधिक ट्रांज़िस्टर होते हैं, जिससे यह बेहतर प्रदर्शन, उन्नत ऊर्जा दक्षता और कम ताप उत्पादन प्रदान करती है। यह तकनीक उन्नत कंप्यूटिंग, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और मोबाइल उपकरणों के लिये अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
और पढ़ें: सेमीकंडक्टर चिप विनिर्माण प्रौद्योगिकी
रैपिड फायर
माउंट डेनाली
स्रोत: लाइव मिंट
केरल के एक पर्वतारोही और उनकी टीम ऑपरेशन सिंदूर के तहत सशस्त्र बलों को सम्मानित करने वाला बैनर प्रदर्शित करने के मिशन के दौरान माउंट डेनाली पर फँस गई। यह पर्वत अपने भीषण मौसम और खड़ी चढ़ाई के लिये जाना जाता है।
माउंट डेनाली (माउंट मैकिनली)
- परिचय: यह उत्तरी अमेरिका (अलास्का रेंज, अमेरिका का हिस्सा) की सबसे ऊँचा शिखर (6,190 मीटर) है और डेनाली राष्ट्रीय उद्यान एवं संरक्षित क्षेत्र की केंद्रीय विशेषता है।
- डेनाली सात समिट्स (प्रत्येक महाद्वीप का सबसे ऊँचा शिखर) में तीसरा सबसे ऊँचा शिखर है।
- भौगोलिक विशेषताएँ: यह एक विशाल ग्रेनाइट ब्लॉक है, जिसका निर्माण रैंगलिया कॉम्पोज़िट टेरेन (एक महासागरीय प्लेट) और उत्तरी अमेरिकी प्लेट की टक्कर से हुआ था। लगभग 60 मिलियन वर्ष पहले शुरू हुई टेक्टोनिक गतिविधियों के कारण यह क्षेत्र ऊँचा उठा।
- भौतिक विशेषताएँ: इसमें दो प्रमुख शिखर हैं, जिनमें दक्षिणी शिखर अधिक ऊँचाई वाला है। इसका ऊपरी आधा भाग स्थायी हिम क्षेत्रों (बर्फ की चादरों) से ढका रहता है, जो कहिल्टना, मुल्ड्रो, पीटर्स, रूथ और ट्रलेइका जैसे हिमनदों को जल प्रदान करते हैं।
- नामकरण: पूर्व में इसे माउंट मैकिनली कहा जाता था, लेकिन वर्ष 2015 में इसे डेनाली नाम दिया गया ताकि मूल निवासी कोयुकोन जनजाति को सम्मान दिया जा सके। हालाँकि, वर्ष 2025 में अमेरिका के राष्ट्रपति ने इसका पुराना नाम माउंट मैकिनली पुनः बहाल कर दिया।
और पढ़ें: डेनाली फॉल्ट
रैपिड फायर
त्वचा रोग वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य प्राथमिकता
स्रोत: द हिंदू
78वीं विश्व स्वास्थ्य सभा (WHA) ने पहली बार त्वचा स्वास्थ्य को एक वैश्विक प्राथमिकता के रूप में मान्यता दी, और ‘त्वचा रोगों को एक वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य प्राथमिकता’ के रूप में एक प्रस्ताव पारित किया।
- इस प्रस्ताव का नेतृत्व कोट डी आइवर, नाइजीरिया और टोगो जैसे देशों ने किया। इसने त्वचा स्वास्थ्य को केवल सौंदर्य संबंधित चिंता से आगे बढ़ाकर वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य, समानता, और गरिमा का विषय घोषित किया। यह प्रस्ताव उन समस्याओं को केंद्र में लाता है जो 1.9 बिलियन से अधिक लोगों, विशेष रूप से निम्न और मध्यम आय वाले देशों (LMIC) को प्रभावित करती हैं।
त्वचा स्वास्थ्य पर WHA प्रस्ताव के प्रमुख बिंदु:
- वैश्विक कार्य योजना: WHA-80 (2027) तक एक वैश्विक कार्य योजना तैयार की जाएगी, जिसका मुख्य उद्देश्य रोकथाम, शीघ्र पहचान, उपचार, और पर्यावरणीय अनुकूलता को सशक्त बनाना होगा।
- निगरानी एवं निदान: इसमें रोग निगरानी और नैदानिक क्षमता को मज़बूत करने पर बल दिया गया है, साथ ही रोगाणुरोधी प्रतिरोध (AMR) और जलवायु से जुड़ी त्वचा संबंधी बीमारियों के समाधान की आवश्यकता को रेखांकित किया गया है।
- वैश्विक सहयोग: WHO के इस प्रस्ताव में त्वचा रोगों की देखभाल को प्राथमिक स्वास्थ्य प्रणालियों में एकीकृत करने, समावेशी अनुसंधान को बढ़ावा देने (विशेष रूप से गहरे रंग की त्वचा और उपेक्षित रोगों के संदर्भ में), उपचार तक बेहतर पहुँच सुनिश्चित करने, तथा राष्ट्रीय रजिस्ट्रियों और अग्रिम पंक्ति की क्षमताओं के विकास की सिफारिश की गई है।
- भारत, जहाँ त्वचा रोगों का बोझ अत्यधिक है, इस अवसर का उपयोग सार्वजनिक त्वचाविज्ञान सेवाओं को सुदृढ़ करने, अनुसंधान को प्रोत्साहित करने, प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल में प्रशिक्षण का विस्तार करने, तथा बीमा कवरेज के लिये नीति-स्तरीय पहल करने के रूप में कर सकता है।
विश्व स्वास्थ्य सभा (WHA)
- यह विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की निर्णय लेने वाली मुख्य इकाई है, जो प्रतिवर्ष जिनेवा में बैठक करती है। इसका कार्य नीतियों का निर्धारण, वित्तीय प्रशासन की निगरानी, तथा कार्यक्रम बजट को अनुमोदित करना है। यह वैश्विक स्वास्थ्य प्राथमिकताओं को तय करने और अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रतिक्रियाओं के समन्वय में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
और पढ़ें: विश्व स्वास्थ्य सभा का 76वाँ सत्र