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प्रिलिम्स फैक्ट्स

रैपिड फायर

राइट टू डिस्कनेक्ट बिल, 2025

स्रोत: IE

लोकसभा में 'राइट टू डिसकनेक्ट बिल 2025' (Right to Disconnect Bill 2025) नामक एक निजी सदस्य विधेयक पेश किया गया है, जिसका लक्ष्य कर्मचारियों को काम के घंटों के बाद कार्य से जुड़े कॉल्स या ईमेल का जवाब देने के लिये कानूनी रूप से बाध्य होने से बचाना है, ताकि कार्य-जीवन संतुलन (work-life balance) को बढ़ावा दिया जा सके। 

  • मुख्य प्रावधान: विधेयक में एक कर्मचारी कल्याण प्राधिकरण की स्थापना का प्रस्ताव है, जो 10 या उससे अधिक कर्मचारियों वाली कंपनियों में राइट टू डिस्कनेक्ट के अधिकार को लागू करने, आधारभूत अध्ययन करने और कार्य समय के बाद काम से संबंधित शर्तों पर चर्चा करने का कार्य करेगा।
    • विधेयक के अनुसार, कर्मचारी जो निर्धारित समय के बाद संवाद करने से इनकार करते हैं, उनके खिलाफ कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं की जा सकेगी, और यदि उन्हें निर्धारित समय से अधिक काम दिया जाता है तो नियोक्ता को ओवरटाइम वेतन का भुगतान करना होगा। 
    • इसके अलावा, विधेयक में मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों—जैसे टेलीप्रेशर, तनाव और "इन्फो- ओबेसिटी (info-obesity) से निपटने के लिये परामर्श सेवाओं और डिजिटल डिटॉक्स केंद्रों की स्थापना का भी प्रस्ताव किया गया है।
  • वैश्विक संदर्भ में समानता: फ्राँस, पुर्तगाल और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों ने पहले ही इस प्रकार के अधिकार लागू कर दिये हैं, जो कर्मचारी कल्याण की अंतर्राष्ट्रीय मान्यता को दर्शाते हैं।
  • निजी सदस्य विधेयक: निजी सदस्य विधेयक एक ऐसा प्रस्तावित कानून है जिसे किसी सांसद (MP) द्वारा संसद में पेश किया जाता है, जो किसी मंत्री द्वारा प्रस्तुत नहीं किया जाता।
    • भारतीय संसदीय प्रणाली में, किसी सांसद को ‘निजी सदस्य’ तब माना जाता है जब वह किसी मंत्री पद पर न हो, चाहे वह सत्ता पक्ष का हो या विपक्ष का।
    • निजी सदस्यों के विधेयक, जो संसद सत्र के दौरान शुक्रवार को लिये जाते हैं, कभी-कभार ही पारित हो पाते हैं।
    • स्वतंत्रता के बाद से अब तक केवल 14 निजी सदस्य विधेयक (PMB) दोनों सदनों में पारित होकर राष्ट्रपति की स्वीकृति प्राप्त कर पाए हैं और वर्ष 1970 के बाद से कोई भी PMB दोनों सदनों में पारित नहीं हुआ है।

और पढ़ें: निजी सदस्यों के विधेयकों को पुनर्जीवित करना


रैपिड फायर

संयुक्त सैन्य अभ्यास हरिमौ शक्ति 2025

स्रोत: पी.आई.बी

आतंकवाद-रोधी अभियानों और शांति स्थापना परिदृश्यों में अंतर-संचालनीयता बढ़ाने के लिये भारत-मलेशिया द्विपक्षीय सैन्य अभ्यास हरिमौ शक्ति 2025 का 5वाँ संस्करण राजस्थान में शुरू हुआ।

  • वर्ष 2025 में प्रतिभागी: भारतीय डोगरा रेजिमेंट और मलेशिया की 25वीं बटालियन रॉयल मलेशियाई सेना।

हरिमौ शक्ति अभ्यास

  • अभ्यास हरिमौ शक्ति: यह भारतीय सेना और मलेशियाई सेना के बीच एक द्विपक्षीय सैन्य अभ्यास है। यह जंगल युद्ध और आतंकवाद विरोधी अभियानों पर केंद्रित है।
    • वर्ष 2012 में शुरू किया गया यह अभियान भारत की एक्ट ईस्ट नीति और वैश्विक शांति स्थापना ढाँचे के प्रति प्रतिबद्धता को मज़बूत करता है।
  • उद्देश्य और अधिदेश: संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अध्याय VII के तहत उप-परंपरागत (Sub-Conventional) अभियानों का संयुक्त अभ्यास, जिसमें आतंकवाद-रोधी अभियानों जैसे कॉरडन-सर्च (घेराबंदी एवं तलाशी), हेलिबोर्न ऑपरेशन तथा घायल सैनिकों की निकासी (Casualty Evacuation) पर विशेष बल दिया गया है। इसके अतिरिक्त, अभ्यास पाठ्यक्रम में आर्मी मार्शल आर्ट्स रूटीन (AMAR), कॉम्बैट रिफ्लेक्स शूटिंग तथा योग भी शामिल हैं।
    • संयुक्त राष्ट्र अध्याय VII अंतर्राष्ट्रीय शांति प्रवर्तन के लिये सैन्य/गैर-सैन्य कार्रवाइयों (प्रतिबंध, नाकाबंदी, सैन्य तैनाती) को अधिकृत करता है।

भारत और मलेशिया के बीच अन्य सैन्य अभ्यास: 

malaysia

और पढ़ें:  भारत और मलेशिया के बीच व्यापक रणनीतिक साझेदारी


रैपिड फायर

भारत-US कर संधि विवाद

स्रोत: इकोनॉमिक टाइम्स

दोहरा कराधान बचाव समझौता (Double Taxation Avoidance Agreement- DTAA) की अमेरिकी व्याख्या में प्रस्तावित बदलाव से लौट रहे भारतीय पेशेवरों, सेवानिवृत्त कर्मचारियों और दूरस्थ कार्यकर्त्ताओं के लिये महत्त्वपूर्ण कर लाभ समाप्त होने का खतरा है।

  • वर्तमान लाभ: RNOR स्थिति ऐसे व्यक्तियों को केवल भारत में अर्जित या प्राप्त आय पर कर देने की अनुमति देती है, विदेशी आय (जैसे अमेरिकी वेतन, लाभांश, ब्याज, पूंजीगत लाभ) RNOR अवधि के दौरान भारत में अप्रभावित रहती है।
    • RNOR के लिये पात्रता: 120–182 दिन भारत में रहने या पिछले 10 वर्षों में 9 वर्षों तक NRI रहने या पिछले 7 वर्षों में ≤729 दिन भारत में रहने जैसे मानदंडों को पूरा करना आवश्यक है।
  • आगामी बदलाव: अमेरिका नए OECD टिप्पणी का हवाला देते हुए, RNOR को संधि के तहत भारतीय ‘कर निवासी’ के रूप में अब मान्यता नहीं दे सकता, क्योंकि भारत इस स्थिति के दौरान उनकी वैश्विक आय पर कर नहीं लगाता।
  • प्रभाव: इससे RNOR संधि लाभों से वंचित हो जाएंगे, जिससे अमेरिकी स्रोत कर दरों में वृद्धि होगी (जैसे, लाभांश पर 30% कर बनाम 15-25%, ब्याज पर 30% कर बनाम 15%)।
    • यह मौजूदा सीमा-पार निवेश संरचनाओं को जोखिम में डालता है और प्रभावित व्यक्तियों के लिये तत्काल वित्तीय पुनर्मूल्यांकन की आवश्यकता उत्पन्न करता है, भले ही भारत के घरेलू कर कानून में कोई बदलाव नहीं हुआ हो।
  • कानूनी महत्त्व: हालाँकि OECD टिप्पणी बाध्यकारी नहीं है, इसका प्रेरक प्रभाव मज़बूत है, विशेषकर क्योंकि भारत और अमेरिका दोनों OECD ढाँचे के साथ जुड़ते हैं, जिससे यह बदलाव एक संभावित गंभीर खतरा बन जाता है।

और पढ़ें: अग्रिम मूल्य निर्धारण समझौता और दोहरा कराधान बचाव समझौता


रैपिड फायर

गगनयान: एकीकृत मुख्य पैराशूट एयरड्रॉप का सफल परीक्षण

स्रोत: पी. आई. बी.

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने एकीकृत मुख्य पैराशूट एरड्रॉप परीक्षण (Integrated Main Parachute Airdrop Test- IMAT) सफलतापूर्वक पूरा किया है, जो भारत के प्रथम मानव अंतरिक्ष मिशन, गगनयान (पहली तिमाही वर्ष 2027 में निर्धारित) की तैयारी में एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है। यह परीक्षण इसरो के मानव-मूल्यांकन प्रोटोकॉल और अंतरिक्षयात्री सुरक्षा तैयारी को और सुदृढ़ करता है।

एकीकृत मुख्य पैराशूट एरड्रॉप परीक्षण (IMAT)

परिचय: 

  • IMAT, गगनयान मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन के लिये इसरो द्वारा किया जाने वाला एक महत्त्वपूर्ण परीक्षण है।
  • इस परीक्षण में वास्तविक आकार की पैराशूट प्रणाली को ऊँचाई से छोड़ा जाता है, ताकि पुनः प्रवेश और लैंडिंग के समय उसके प्रदर्शन की पुष्टि की जा सके।
  • IMAT की सफलता भारत को अपने पहले मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन के और करीब ले जाती है।

विशेषताएँ: 

  • यह परीक्षण बेहद चुनौतीपूर्ण अवतरण स्थितियों का अनुकरण करता है, जिसमें पैराशूट के देर से खुलने जैसी परिस्थितियाँ भी शामिल होती हैं।
  • संरचनात्मक मज़बूती, भार वहन क्षमता और तनाव की स्थिति में स्थिरता की जाँच करता है।
  • अंतरिक्षयात्री सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये मानव-मूल्यांकन प्रमाणन का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है। 

गगनयान मिशन

  • परिचय:भारत का पहला मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम, जिसका उद्देश्य 3 अंतरिक्ष यात्रियों के दल को 400 कि.मी. की निम्न पृथ्वी कक्षा (LEO) में 3 दिनों के लिये भेजना और उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाना है।
    • इसमें मानव रहित परीक्षण मिशन शामिल होंगे, जिनके बाद पहला मानवयुक्त मिशन 2027 की शुरुआत में होने की संभावना है।
  • महत्त्व: गगनयान की सफलता भारत को उन चुनिंदा देशों (अमेरिका, रूस, चीन) की श्रेणी में शामिल करेगी जिनके पास मानव अंतरिक्ष उड़ान की क्षमता है।
  • चालक दल की सुरक्षा के लिये प्रमुख प्रौद्योगिकियाँ:
    • ह्यूमन-रेटेड लॉन्च व्हीकल (HLVM3): यह इसरो के LVM3 रॉकेट का संशोधित संस्करण है। इसमें ठोस, द्रव और क्रायोजेनिक चरण शामिल हैं, जिन्हें ह्यूमन-रेटेड लॉन्च व्हीकल की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये पुनर्गठित किया गया है।
      • यह रॉकेट ऑर्बिटल मॉड्यूल को 400 कि.मी. की निम्न पृथ्वी कक्षा में प्रक्षेपित करने में सक्षम है और इसमें क्रू एस्केप सिस्टम (CES) लगा है, जिसमें हाई बर्न-रेट वाले सॉलिड मोटर्स लगे हैं ताकि प्रक्षेपण या आरोहण के दौरान आपात स्थिति में चालक दल की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
      • CES प्रक्षेपण या आरोहण के दौरान किसी भी आपात स्थिति में सुरक्षित तरीके से मिशन को निरस्त करने की सुविधा प्रदान करता है।
    • ओर्बिट्स मॉड्यूल (OM): इसमें जीवन रक्षक, एवियोनिक्स और प्रणोदन प्रणालियों के साथ क्रू मॉड्यूल (CM) और सर्विस मॉड्यूल (SM) स्थित होते हैं।
      • क्रू मॉड्यूल (CM) एक रहने योग्य अंतरिक्षीय संरचना है, जिसमें पृथ्वी जैसे वातावरण की व्यवस्था की गई है। इसमें दबावयुक्त आंतरिक संरचना और दबावरहित बाहरी संरचना होती है।
      • सर्विस मॉड्यूल (SM) कक्षा में CM का समर्थन करता है। यह तापीय प्रणाली, प्रणोदन प्रणाली, विद्युत प्रणाली, एवियोनिक्स और परिनियोजन तंत्र प्रदान करता है, लेकिन यह दबावरहित रहता है।

और पढ़ें: गगनयान मिशन


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