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मसाला बॉण्ड

  • 06 Dec 2025
  • 44 min read

स्रोत: द हिंदू

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मसाला बॉण्ड के मुद्दे पर विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) और भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के निर्देशों का कथित उल्लंघन करने के लिये केरल के मुख्यमंत्री और पूर्व वित्तमंत्री को कारण बताओ नोटिस जारी किये हैं।

मसाला बॉण्ड क्या हैं?

  • परिचय: मसाला बॉण्ड वे रुपये-मूल्यवर्गित बॉण्ड होते हैं जिन्हें भारतीय कंपनियों द्वारा धन जुटाने के लिये विदेशी खरीदारों को जारी किया जाता है। इन बॉण्ड की कीमत भारतीय मुद्रा में निर्धारित होती है।
    • मुद्रा विनिमय का जोखिम भारतीय जारीकर्ता नहीं, बल्कि विदेशी निवेशक वहन करता है। यह भारतीय उधारकर्त्ताओं को रुपये के अवमूल्यन की अस्थिरता से सुरक्षा प्रदान करता है।
  • उत्पत्ति एवं उद्देश्य: इस शब्द को अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (IFC) ने भारत की सांस्कृतिक पहचान (मसाला का अर्थ है मसालों का मिश्रण) को दर्शाने के लिये प्रस्तुत किया था।
    • इसका मुख्य उद्देश्य भारतीय संस्थाओं को बिना विदेशी मुद्रा जोखिम के विदेशी पूँजी जुटाने में सहायता करना और भारतीय रुपये का अंतर्राष्ट्रीयकरण बढ़ावा देना है।
  • नियम: यह बाह्य वाणिज्यिक ऋण (ECB) ढाँचे के तहत RBI के दिशा-निर्देशों और भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) के मानकों द्वारा विनियमित होता है।
  • सूचीबद्धता: ये बॉण्ड आमतौर पर वैश्विक निवेशकों को आकर्षित करने के लिये लंदन स्टॉक एक्सचेंज (LSE) या सिंगापुर एक्सचेंज जैसे प्रमुख इंटरनेशनल एक्सचेंजों पर सूचीबद्ध किये जाते हैं।
    • पहला मसाला बॉण्ड नवंबर 2014 में IFC द्वारा लंदन स्टॉक एक्सचेंज पर जारी किया गया था।
  • परिपक्वता मानदंड: RBI दिशानिर्देशों के अनुसार, 50 मिलियन अमेरिकी डॉलर समतुल्य तक की राशि जुटाने वाले बॉण्ड की न्यूनतम परिपक्वता 3 वर्ष होती है और इससे अधिक राशि के लिये न्यूनतम परिपक्वता 5 वर्ष निर्धारित है।
  • पात्र निवेशक और जारीकर्त्ता: ये बॉण्ड उन योग्य विदेशी निवेशकों (जैसे संप्रभु संपत्ति निधि, वैश्विक पेंशन फंड और बीमा कंपनियाँ) को लक्षित करते हैं जो रुपये-मूल्यवर्गित जोखिम उठा सकते हैं। 
    • पात्र जारीकर्त्ता: भारतीय निगम, NBFC और सरकारी संबद्ध संस्थाएँ
  • फंड के अनुमत और प्रतिबंधित उपयोग:
    • अनुमत उपयोग: मौजूदा रुपये-मूल्यवर्गित ऋण का पुनर्वित्त करना, बुनियादी ढाँचे, किफायती आवास और एकीकृत टाउनशिप के वित्तपोषण के लिये उपयोग तथा कॉर्पोरेट कार्यशील पूंजी आवश्यकताओं को पूरा करना।
    • प्रतिबंधित उपयोग: रियल एस्टेट (स्वीकृत आवास परियोजनाओं को छोड़कर), FDI दिशानिर्देशों के तहत प्रतिबंधित गतिविधियाँ, घरेलू पूंजी/इक्विटी बाज़ारों में निवेश, भूमि खरीद या प्रतिबंधित गतिविधियों के लिये आगे ऋण देना।

अन्य समान प्रकार के बॉण्ड

  • डिम सम बॉण्ड (चीन): रेनमिन्बी (RMB) में मूल्यवर्गित बॉण्ड, जो मुख्यभूमि चीन के बाहर (मुख्यतः हॉन्गकॉन्ग में) जारी किये जाते हैं।
    • पांडा बॉण्ड: RMB-मूल्यवर्गित बॉण्ड, जिन्हें विदेशी संस्थाओं द्वारा मुख्यभूमि चीन के भीतर जारी किया जाता है।
  • समुराई बॉण्ड (जापान): येन में मूल्यवर्गित बॉण्ड, जिन्हें विदेशी संस्थाओं द्वारा जापान में जारी किया जाता है।
  • यांकी बॉण्ड (संयुक्त राज्य): अमेरिकी डॉलर-मूल्यवर्गित बॉण्ड, जिन्हें विदेशी सरकारों या कंपनियों द्वारा अमेरिका में जारी किया जाता है।
  • कंगारू बॉण्ड (ऑस्ट्रेलिया): विदेशी बॉण्ड जो विदेशी कंपनियों द्वारा ऑस्ट्रेलियाई बाज़ार में जारी किये जाते हैं और ऑस्ट्रेलियाई डॉलर (AUD) में मूल्यवर्गित होते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

1. मसाला बॉण्ड क्या हैं?
मसाला बॉण्ड रुपये में मूल्यवर्गित ऑफशोर ऋण उपकरण हैं, जिनमें मुद्रा जोखिम भारतीय जारीकर्त्ताओं के बजाय विदेशी निवेशकों द्वारा वहन किया जाता है।

2. IFC ने ‘मसाला बॉण्ड’ शब्द क्यों पेश किया?
IFC ने वर्ष 2014 में यह शब्द भारत की सांस्कृतिक पहचान को दर्शाने और विदेशों में रुपये-मूल्यवर्गित फंड जुटाने को बढ़ावा देने के लिये पेश किया था।

3. भारत के लिये मसाला बॉण्ड क्यों महत्त्वपूर्ण हैं?
ये भारतीय कंपनियों को विदेशी पूंजी तक पहुँचने में सहायता करते हैं, वह भी बिना विनिमय दर के उतार-चढ़ाव के जोखिम उठाए। साथ ही, ये भारतीय रुपये की वैश्विक मांग बढ़ाते हैं और भारत के वित्तीय एकीकरण को समर्थन देते हैं।

सारांश

  • प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मसाला बॉण्ड जारी करने से जुड़े कथित FEMA उल्लंघनों के मामले में केरल के मुख्यमंत्री के खिलाफ कार्रवाई शुरू की है, जिससे इस वित्तीय साधन पर कानूनी और राजनीतिक जाँच तीव्र हो गई है।
  • मसाला बॉण्ड विदेशी निवेशकों के लिये जारी किये जाने वाले रुपया-मूल्यवर्गित ऑफशोर ऋण साधन हैं, जिनमें मुद्रा जोखिम विदेशी निवेशकों पर स्थानांतरित हो जाता है। इनका उद्देश्य विदेशी पूंजी आकर्षित करना और रुपये के अंतरराष्ट्रीयकरण को बढ़ावा देना है।
    • इनका विनियमन RBI के ECB ढाँचे द्वारा कड़ाई से नियंत्रित किया जाता है।
    • पात्र जारीकर्त्ता (कॉरपोरेट/NBFC) और अनुमत उपयोग (बुनियादी ढाँचा, ऋण पुनर्वित्त) पहले से निर्धारित होते हैं।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)

प्रश्न. भारत सरकार की बॉण्ड यील्ड निम्नलिखित में से किससे प्रभावित होती है? (2021)

  1. युनाइटेड स्टेट्स फेडरल रिज़र्व की कार्रवाइयों से।
  2.  भारतीय रिज़र्व बैंक के कार्य से।
  3.  मुद्रास्फीति और अल्पकालिक ब्याज़ं दरों के कारण।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)


प्रश्न. कभी-कभी समाचारों में दिखने वाले 'आइ-एफ-सी-मसाला बॉण्ड (IFC Masals Bonds)' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2016)

  1. अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (इंरनेशनल फाइनेंस कॉर्पोरेशन), जो इन बॉण्डों को प्रस्तावित करता है, विश्व बैंक की एक शाखा है।
  2.  ये रुपया अंकित मूल्य वाले बॉण्ड (Rupee-denominated Bonds) हैं और सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के ऋण वित्तीयन के स्रोत हैं।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (c)

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