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डेली न्यूज़

  • 12 Nov, 2019
  • 45 min read
भारतीय विरासत और संस्कृति

तिरुवल्लुवर

प्रीलिम्स के लिये:

संगम साहित्य, तिरुवल्लुवर

मेन्स के लिये:

संगम साहित्य

चर्चा में क्यों?

हाल ही में प्राचीन संत तिरुवल्लुवर (Thiruvalluvar) राजनीतिक मुद्दों के कारण तमिलनाडु में चर्चा में रहे।

प्रमुख बिंदु

  • तिरुवल्लुवर एक तमिल कवि और संत थे जिन्हें वल्लुवर (Valluvar) के नाम से भी जाना जाता था।
  • धार्मिक पहचान के कारण उनकी कालावधि में विरोधाभास है सामान्यतः उन्हें तीसरी-चौथी या आठवीं-नौवीं शताब्दी का माना जाता है।
  • सामान्यतः उन्हें जैन धर्म से संबंधित माना जाता है। हालाँकि, हिंदुओं का दावा किया है कि तिरुवल्लुवर हिंदू धर्म से संबंधित थे।
  • द्रविड़ समूहों (Dravidian Groups) ने उन्हें एक संत माना क्योंकि वे जाति व्यवस्था में विश्वास नहीं रखते थे।
  • उनके द्वारा संगम साहित्य में तिरुक्कुरल या 'कुराल' (Tirukkural or ‘Kural') की रचना की गई थी।
  • इस रचना को तीन भागों में विभाजित किया गया है-
    • अराम- Aram (सदगुण- Virtue)।
    • पोरुल- Porul (सरकार और समाज)।
    • कामम- Kamam (प्रेम)।

संगम साहित्य

Sangam Literature

  • संगम ’शब्द संस्कृत शब्द संघ का तमिल रूप है जिसका अर्थ व्यक्तियों का समूह या संघ होता है।
  • तमिल संगम कवियों की एक अकादमी थी जो तीन अलग-अलग कालखंडों और विभिन्न स्थानों पर पांड्य राजाओं के संरक्षण में विकसित हुई।
  • तीसरे संगम के समय के साहित्य, ईसाई युग की शुरुआत की सामाजिक स्थितियों की जानकारी उपलब्ध कराते हैं।
  • ये साहित्य मुख्यतः सार्वजनिक और सामाजिक गतिविधियों जैसे सरकार, युद्ध दान, व्यापार, पूजा, कृषि जैसे धर्मनिरपेक्ष मामले से संबंधित थे।
  • संगम साहित्य में तोलक्कापियम, 10 कविताओं का समूह- पट्टुपट्टू (Pattupattu), एत्तुतोगई (Ettutogai) और पडिनेनकिलकानाक्कू (Padinenkilkanakku) जैसे तमिल रचनाएँ शामिल हैं।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


भारतीय विरासत और संस्कृति

विश्व स्मारक निगरानी सूची

प्रीलिम्स के लिये

कारेज़ प्रणाली, विश्व स्मारक कोष

मेन्स के लिये

सुरंगा बावड़ी

चर्चा में क्यों?

न्यूयार्क स्थित गैर सरकारी संगठन विश्व स्मारक कोष (World Monuments Fund-WMF) ने प्राचीन भूमिगत जल प्रणाली सुरंगा बावड़ी (Suranga Bawadi) को विश्व स्मारक निगरानी सूची-2020 में शामिल किया है।

मुख्य बिंदु

  • WMF द्वारा इस बावड़ी का चयन WMF द्वारा ‘दक्कन के पठार की प्राचीन जल प्रणाली’ (Ancient Water System of the Deccan Plateau) की श्रेणी के तहत किया गया है।
  • वर्ष 2020 के लिये इस सूची में विश्व के 25 स्थलों का चयन किया गया है।
  • इस सूची में शामिल होने के बाद इस बावड़ी के जीर्णोद्धार के लिये WMF द्वारा अगले 2 वर्षों के लिये जीर्णोद्धार (Restoration) वित्तीय सहायता उपलब्ध करवाई जायेगी।
  • WMF इसके जीर्णोद्धार के लिये स्थानीय प्रशासन व भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India-ASI) सहित अन्य हितधारकों के साथ मिल कर कार्य करेगा।

सुरंगा बावड़ी

(Suranga Bawadi)

  • सुरंगा बावड़ी कर्नाटक के विजयपुरा में स्थित है।
  • सुरंगा बावड़ी प्राचीन कारेज़ प्रणाली पर आधारित है।
  • इस बावड़ी का निर्माण 16वीं शताब्दी में आदिल शाह प्रथम ने करवाया था तथा आदिल शाह प्रथम के उत्तराधिकारी इब्राहिम आदिल शाह द्वितीय ने इसको मज़बूत करने के लिये इसमें कई संरचनात्मक सुधार किये थे।
  • इस बावड़ी का प्रयोग शहर को जलापूर्ति हेतु किया जाता था।

कारेज़ प्रणाली

(Karez system)

  • कारेज़ प्रणाली में भूमिगत नहरों का जाल होता है तथा इन नहरों के द्वारा शहर को जलापूर्ति की जाती थी।
  • यह प्रणाली भूमिगत जलस्रोतों (कुओं/झरनों) से जल का संग्रहण करती है।
  • इस प्रणाली की उत्पत्ति फारस में पहली शताब्दी ईसा पूर्व में हुई थी।

विश्व स्मारक कोष

(World Monuments Fund-WMF)

  • वर्ष 1965 में स्थापित WMF न्यूयार्क स्थित एक गैर-सरकारी संगठन (Non Governmental Organisations- NGO) है।
  • विश्व स्मारक निगरानी एक वैश्विक कार्यक्रम है जिसे वर्ष 1995 में शुरु किया गया।
  • कोष का उद्देश्य सांस्कृतिक विरासत स्थलों की पहचान करना और उनके संरक्षण के लिये वित्तीय एवं तकनीकी सहायता प्रदान करना है।

स्रोत: द हिंदू


शासन व्यवस्था

हाथीपाँव रोग

प्रीलिम्स के लिये:

हाथीपाँव रोग, हाथीपाँव रोग के उन्मूलन हेतु वैश्विक कार्यक्रम

मेन्स के लिये:

हाथीपाँव रोग के उन्मूलन से जुड़े विभिन्न मुद्दे

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा वर्ष 2021 तक ‘हाथीपाँव के उन्मूलन के लिये कार्रवाई करने का आह्वान’ नामक कार्य योजना प्रारंभ की गई है।

मुख्य बिंदु:

  • हाल ही में नई दिल्ली में ‘हाथीपाँव रोग के उन्मूलन के लिये एकजुट’ विषय पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
  • केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार, उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में उत्पन्न होने वाले संक्रामक रोगों से विश्व में लगभग 1.5 बिलियन से भी अधिक लोग प्रभावित होते हैं।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization- WHO) द्वारा वर्ष 2000 में ‘हाथीपाँव उन्मूलन के लिये वैश्विक कार्यक्रम’ (Global Programme to Eliminate Lymphatic Filariasis- GPELF) का प्रारंभ किया गया था।

हाथीपाँव रोग:

( Lymphatic Filariasis)

  • लसीका फाइलेरिया (Lymphatic Filariasis) को सामान्यतः हाथीपाँव रोग नाम से जाना जाता है।
  • यह एक उष्ण कटिबंधीय रोग है।
  • यह शरीर के लसीका तंत्र को प्रभावित करता है इससे शरीर के अंगों का असामान्य विकास, दर्द, गंभीर दिव्यांगता जैसी समस्याएँ उत्पन्न हो जाती हैं।
  • यह एक वेक्टर जनित रोग है जो फाइलेरोडिडीया (Filariodidea) परिवार के नीमेटॉडस (Nematodes) रूप में वर्गीकृत परजीवियों के संक्रमण के कारण होती है।
  • हाथीपाँव रोग का कारण धागेनुमा आकार के निम्नलिखित तीन प्रकार के फाइलेरियल परजीवी होते हैं-
    • वुचेरेरिया बैनक्रोफ्टी (Wuchereria Bancrofti) हाथीपाँव के लगभग 90% मामलों के लिये उत्तरदायी होता है।
    • ब्रुगिया मलाई (Brugia Malayi) हाथीपाँव रोग के प्रसार के लिये उत्तरदायी होता है।
    • ब्रुगिया तिमोरी(Brugiya Timori) इस रोग के प्रसार का कारण होता है।

हाथीपाँव उन्मूलन के लिये भारत के प्रयास:

  • हाथीपाँव रोग के उन्मूलन की प्रतिबद्धता को ध्यान में रखते हुए सरकार ने वर्ष 2018 में ‘हाथीपाँव रोग के तीव्र उन्मूलन की कार्य-योजना’ (Accelerated Plan for Elimination of Lymphatic Filariasis- APELF) नामक पहल की थी।
  • भारत ने इस रोग के उन्मूलन के लिये दोहरी रणनीति अपनाई है। इसके तहत हाथीपाँव निरोधक दो दवाओं (ईडीसी तथा एल्बेन्डाजोल-EDC and Albendazole) का प्रयोग, अंग विकृति प्रबंधन (Morbidity Management) और दिव्यांगता रोकथाम शामिल है।
  • केंद्र सरकार दिसंबर 2019 से ट्रिपल ड्रग थेरेपी (Triple Drug Therapy) को चरणबद्ध तरीके से आगे बढ़ाने के लिये प्रयासरत है।

लसीका तंत्र हाथीपाँव उन्मूलन के लिये वैश्विक कार्यक्रम

(Global Programme to Eliminate Lymphatic Filariasis- GPELF):

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा वर्ष 2000 में ‘हाथीपाँव उन्मूलन के लिये वैश्विक कार्यक्रम’ (Global Programme to Eliminate Lymphatic Filariasis- GPELF) प्रारंभ किया गया था।
  • वर्ष 2012 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वर्ष 2020 तक उष्णकटिबंधीय रोगों के उन्मूलन का लक्ष्य रखा।
  • GPELF का लक्ष्य सभी क्षेत्रों में उपलब्ध कराए जा रहे उपचार और प्रयासों तक हाथीपाँव रोग से पीड़ित व्यक्तियों की पहुँच स्थापित करके उनके जीवन स्तर में सुधार लाना है।

स्रोत-PIB


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

OECD डिजिटल कराधान प्रारूप मसौदा

प्रीलिम्स के लिये:

OECD, BEPS, गाफा कर, WTO

मेन्स के लिये:

डिजिटल कराधान से संबंधित मुद्दे और भारत पर प्रभाव

संदर्भ:

उदारीकरण के बाद विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं में प्रौद्योगिकी का प्रयोग तथा अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों का प्रवेश हुआ, इन अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों पर कर लगाना किसी दूसरे देश के लिये एक कठिन चुनौती होती है क्योंकि ये कंपनियाँ एक साथ कई देशों में व्यवसाय करती हैं।

डिजिटल कराधान से संबंधित चुनौतियाँ:

  • डिजिटल कंपनियों के व्यवसाय पर कराधान इसलिये कठिन होता है क्योंकि सामान्यतः जिस अर्थव्यवस्था में ये व्यवसाय कर रही होती हैं वहाँ पर इनकी भौतिक रूप से उपस्थिति नहीं होती है।
  • ये अक्सर कम कर प्रणालियों में (कम कर वाले देशों में) पंजीकृत होते हैं, जिससे ये अर्थव्यवस्था को लगातार प्रभावित करती रहती हैं अर्थात् अधिक व्यवसायिक लाभ प्राप्त करने के बाद भी उपरोक्त अर्थव्यवस्था में कम कर देती हैं।
  • वर्तमान समय में विश्व की बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियाँ बहुत कम कर भुगतान कर रही हैं जो एक चिंता का विषय बना हुआ है।

डिजिटल कराधान संबंधी प्रावधान:

  • आधार क्षरण एवं लाभ हस्तांतरण (Base Erosion and Profit Sharing- BEPS) रिपोर्ट के शुरुआती संस्करणों में आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (Economic Co-operation and Development- OECD) ने डिजिटल अर्थव्यवस्था पर तीन उपायों- समतुल्य लेवी (Equalisation Levy), विथहोल्डिंग कर (Withholding taxe) तथा न्यू नेक्सस नियम (New Nexus Rule) का उल्लेख किया।
  • पहले दो कर सकल कारोबार पर लगाए जाते हैं, जबकि न्यू नेक्सस नियम किसी देश में कंपनी की भौतिक उपस्थिति न होने जैसी स्थितियों से निपटते हैं।

भारतीय परिदृश्य:

  • भारत ने पहली बार वर्ष 2016 में समतुल्य लेवी लागू की थी। इस लेवी को आयकर अधिनियम के दायरे के बाहर रखा गया था और वर्तमान में यह डिजिटल विज्ञापन से संबंधित कार्य करने वाली कंपनियों के एक छोटे समूह पर लागू है।

वैश्विक परिदृश्य:

  • वैश्विक स्तर पर भी OECD के आह्वान को सर्वसम्मति से आगे बढ़ाते हुए कई उपायों को लागू करने के प्रयास किया गया। उदाहरण के लिये फ्राँस और हंगरी ने डिजिटल करों को लागू किया है, जबकि बेल्जियम, इटली, ब्रिटेन तथा स्पेन ने भी इसी प्रकार की व्यवस्था की।

समसामयिक मुद्दे:

  • वैश्विक स्तर पर कर सुधारों संबंधी कार्यवाही को एक राजनीतिक मुद्दा बनाया जा रहा है, जैसे कि फ्राँस द्वारा लगाए गए गाफा कर (Gafa Tax) का संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा इसलिये विरोध किया गया क्योंकि गाफा कर से प्रभावित कंपनियाँ संयुक्त राज्य अमेरिका की हैं।
  • वैश्विक स्तर पर डिजिटल कराधान व्यवस्था का विश्व व्यापार संगठन (World Trade Org- WTO) के नियमों के साथ भी समीकरण बैठाना मुश्किल कार्य है क्योंकि ज़्यादा कर लगाने से मुक्त व्यापार की अवधारणा प्रभावित होगी।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


शासन व्यवस्था

केंद्रीय एवं राज्य सांख्यिकी संगठनों का सम्मेलन

प्रीलिम्स के लिये:

राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग

मेन्स के लिये:

महत्वपूर्ण नहीं

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय एवं राज्य सांख्यिकी संगठनों का 27वाँ वार्षिक सम्मेलन कोलकाता में संपन्न हुआ।

मुख्य बिंदु:

  • केंद्रीय एवं राज्य सांख्यिकी संगठनों के 27वाँ वार्षिक सम्मेलन (Conference of Central and States Statistical Organizations- COCSSO) में केंद्रीय मंत्रालयों के प्रतिनिधियों, राज्य सरकारों, अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों, अकादमिक संस्थानों, सामुदायिक संगठनों के साथ-साथ अन्य हितधारकों ने भाग लिया।
  • इस वर्ष COCSSO का विषय (Theme) ‘सतत् विकास लक्ष्य’ (Sustainable Development Goals- SDGs) है।

पृष्ठभूमि:

  • वर्ष 1971 में COCSSO के प्रथम सम्मेलन का आयोजन हुआ था।
  • COCSSO का आयोजन प्रत्येक वर्ष भारत सरकार के सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय (Ministry Of Statistics and Programme Implementation- MoSPI) द्वारा आयोजित किया जाता है।
  • COCSSO, केंद्र एवं राज्य सांख्यिकी एजेंसियों के बीच समन्वय के लिये एक प्रमुख राष्ट्रीय फोरम है, जिसका उद्देश्य नियोजकों एवं नीति निर्माताओं को अधिक विश्वसनीय आँकड़े प्रदान करना है।
  • COCSSO सांख्यिकी हित के मुद्दों पर विचार-विमर्श करने के लिये सभी हितधारकों को एकजुट करने का एक महत्वपूर्ण फोरम है।
  • सितंबर 2016 में MoSPI ने सतत् विकास लक्ष्यों की निगरानी के लिये एक राष्ट्रीय संकेतक फ्रेमवर्क विकसित किया, जिसके अंतर्गत 306 सांख्यिकीय संकेतकों को शामिल किया गया।
  • नीति आयोग द्वारा 13 सतत् विकास लक्ष्यों (सतत् विकास लक्ष्य क्रमांक- 12, 13, 14 और 17 को छोड़कर) के आधार पर सतत् विकास लक्ष्य भारत सूचकांक (SDG India Index) ज़ारी किया जाता है।

27वें COCSSO से सबंधित तथ्य:

  • 27वें COCSSO के आयोजन के दौरान तकनीकी क्षेत्र में हो रही प्रगति के साथ-साथ विभिन्न बदलावों को ध्यान में रखते हुए पेशेवर सांख्यिकीविदों की तेजी से बदलती हुई भूमिका पर चर्चा की गई।
  • वर्तमान में सतत् विकास लक्ष्यों के प्रति भारत की प्रतिबद्धता के कारण सतत विकास लक्ष्यों की सुदृढ़ निगरानी प्रणाली की स्थापना हेतु अनेक कदम उठा रहा है ।
  • इस सत्र के दौरान MoSPI की नई पहलों जैसे अनेक महत्वपूर्ण सांख्यिकीय मुद्दों, इस क्षेत्र में सर्वोत्तम प्रयोगों को साझा करने, वास्तविक समय पर SDGs की निगरानी के लिये प्रौद्योगिकी की भूमिका, डेटा संबंधी चुनौतियों एवं सतत् विकास लक्ष्यों के लिए राष्ट्रीय एवं राज्य संकेतक फ्रेमवर्क (एसआईएफ) में सामंजस्य सुनिश्चित करने जैसे विषयों पर चर्चा की गई।

राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग

(National statistical Commission):

  • 1 जून 2005 को एक संकल्प के माध्यम से भारत सरकार ने 12 जुलाई 2006 को राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग की स्थापना की थी।
  • वर्ष 2001 में भारतीय सांख्यिकी प्रणाली के पुनर्विलोकन के लिए गठित रंगराजन आयोग द्वारा दी गईं अनुशंसाओं के आधार पर राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग की स्थापना की गई थी।
  • इस आयोग में अध्यक्ष के अतिरिक्त चार अन्य सदस्य होते हैं जो कि सांख्यिकी के विशेषज्ञ होते हैं।
  • इसका प्रमुख कार्य सांख्यिकी के क्षेत्र में नीतियाँ, प्राथमिकताएँ और मानक तय करना है।

स्रोत-PIB


भारतीय अर्थव्यवस्था

ईरान का नया तेल क्षेत्र

प्रीलिम्स के लिये:

खुज़ेस्तान और अहवाज़ की मानचित्र में स्थिति

मेन्स के लिये:

विश्व में संसाधनों का वितरण, ईरान अमेरिका परमाणु समझौता और भारत पर प्रभाव

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ईरान ने अपने दक्षिण-पश्चिमी प्रांत खुज़ेस्तान (Khuzestan) में एक नए तेल क्षेत्र की खोज की है।

Khuzestan

प्रमुख बिंदु

  • यह क्षेत्र लगभग 2,400 वर्ग किलोमीटर तक विस्तारित है तथा इसमें 50 बिलियन बैरल से अधिक कच्चे तेल (Cruide Oil) के पाए जाने की संभावना है।
  • यह खोज ऐसे समय में हुई है जब ईरान वर्ष 2015 के परमाणु समझौते से हटने के बाद से अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना कर रहा है।
  • इस समझौते में शामिल अन्य देश जैसे- जर्मनी, फ्राँस, ब्रिटेन, रूस और चीन इस समझौते को फिर से पटरी पर लाने हेतु प्रयासरत हैं।
    • हालाँकि ये देश अभी तक ईरान को दूसरे देशों में तेल बेचने का कोई समाधान या विकल्प उपलब्ध नहीं करा पाए हैं।
  • समझौते से पीछे हटते हुए ईरान, भंडार एवं संवर्द्धन की सीमा से आगे जा चुका है साथ ही इसने तेहरान के दक्षिण में स्थित भूमिगत फोराड संयंत्र (Fordow Plant) में यूरेनियम का संवर्द्धन फिर से शुरू कर दिया है।
    • अमेरिका के प्रतिबंधों के हटाने हेतु ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम को रोक दिया था और लंबे समय तक गुप्‍त रूप से काम कर रहे संयंत्र में यूरेनियम का संवर्द्धन बंद कर दिया था।

ईरान के तेल भंडार:

  • ईरान के पास लगभग 150 बिलियन बैरल तेल का भंडार है।
  • खुज़ेस्तान ईरान के महत्त्वपूर्ण तेल उद्योगों का केंद्र है।
    • अहवाज़ (65 बिलियन बैरल) के बाद खुज़ेस्तान तेल क्षेत्र ईरान का दूसरा सबसे बड़ा क्षेत्र है।
  • ईरान अरब की खाड़ी में क़तर के साथ विशाल अपतटीय क्षेत्र साझा करता है।
  • वर्तमान में ईरान कच्चे तेल के भंडार का चौथा तथा प्राकृतिक गैस का दूसरा सबसे बड़ा देश है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


भारतीय अर्थव्यवस्था

अनरेटेड ऋण और बैंक NPA

प्रीलिम्स के लिये:

NPA, इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड

मेन्स के लिये:

अनरेटेड ऋण और उससे संबंधित NPA को कम करने के उपाय

चर्चा में क्यों?

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा जारी हालिया आँकड़ों से पता चलता है कि देश में अनरेटेड ऋणों (Unrated Loans) की श्रेणी में NPA (गैर-निष्पादित परिसंपत्ति) वर्ष 2015 के 6 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2018 के अंत तक 24 प्रतिशत हो गया है।

  • ध्यातव्य है कि यह आँकड़ा उन ऋणों के बढ़ते जोखिम को इंगित करता है जो क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों द्वारा रेट नहीं किये गए हैं।

प्रमुख बिंदु

  • विदित हो कि विगत 4 वर्षों में बैंकों के कुल ऋणों में अनरेटेड ऋणों का अनुपात लगभग 40 प्रतिशत के आस-पास बना हुआ है, जबकि इस श्रेणी में NPA तेज़ी से बढ़ता जा रहा है।
  • केंद्रीय बैंक ने देश के अन्य बैंकों के लिये 5 करोड़ रुपए से अधिक के ऋण वाले उधारकर्त्ताओं की रिपोर्ट सेंट्रल रिपॉजिटरी ऑफ़ इनफार्मेशन ऑन लार्ज क्रेडिट (Central Repository of Information on Large Credits-CRILC) के साथ करने को अनिवार्य किया है।
  • RBI के अध्ययन में सामने आया है कि बड़े उधारकर्त्ताओं की कुल संख्या का 60 प्रतिशत हिस्सा और इसी श्रेणी में कुल जोखिम का 40 प्रतिशत हिस्सा अनरेटेड उधारकर्त्ताओं का है।
  • 150 करोड़ रुपए और इससे अधिक की कुल कार्यशील पूंजी रखने वाले उधारकर्त्ताओं को बड़े उधारकर्त्ता कहा जाता है।

अनरेटेड ऋण और उससे संबंधित NPA को कैसे कम किया जा सकता है?

  • ऋण जोखिम के संबंध में क्रेडिट रेटिंग को नियमित करके। ध्यातव्य है कि आरबीआई ने अनरेटेड ऋण पर जोखिम के भार को बढ़ाया है।
  • बैंकों को रेटेड जोखिमों पर भी विचार करने की आवश्यकता है, क्योंकि निजी क्षेत्र के कुछ बैंकों ने अपने जोखिमों में BB श्रेणी की क्रेडिट रेटिंग (और उसके नीचे) के ऋण खातों में काफी तनाव अनुभव किया है।
  • हालाँकि RBI की वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट ने सभी बैंकों के सकल NPA अनुपात का मार्च 2019 के 9.3 प्रतिशत से घटकर मार्च 2020 तक 9.0 प्रतिशत पर आने का अनुमान लगाया है।
    • इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड के तहत कुछ मामलों के समाधान के कारण वसूली की गति में तेज़ी आई है।

सेंट्रल रिपॉजिटरी ऑफ़ इनफार्मेशन ऑन लार्ज क्रेडिट

(Central Repository of Information on Large Credits-CRILC)

  • वर्ष 2014 में RBI द्वारा सभी उधारकर्त्ताओं के ऋण जोखिम पर डेटा एकत्र करने, संग्रहीत करने और प्रकाशित करने के लिये इसका गठन किया गया है।
  • विदित है कि बैंकों को अपने बड़े उधारकर्त्ताओं के बारे में CRILC को जानकारी देनी होती है।
  • यह अन्य संस्थानों के साथ जानकारी साझा कर वित्तीय संस्थानों और बैंकों को उनके गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (NPA) का आकलन करने में मदद करता है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


भारतीय अर्थव्यवस्था

भारत में कृषि उत्पादकता

प्रीलिम्स के लिये

PM-KISAN, APMC क्या है?

मेन्स के लिये

भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का योगदान।

संदर्भ :

भारत के पास चीन की तुलना में अधिक कृषि योग्य भूमि, कुल सिंचित क्षेत्र तथा सकल बुआई क्षेत्र है। इसके बावजूद भारत चीन से कृषि उत्पादन के मामले काफी पीछे है।

मुख्य बिंदु :

  • भारत तथा चीन दोनों देशों ने 1960 के दशक के मध्य में अपने उपलब्ध क्षेत्रों में कृषि उत्पादकता में वृद्धि करने के लिये आधुनिक तकनीक के प्रयोग का प्रारंभ किया। जिसके तहत उच्च उत्पादक किस्म (High Yield Variety-HYV) के बीजों, कुल सिंचाई क्षेत्र में वृद्धि एवं रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग को बढ़ावा दिया गया।

भारत-चीन तुलना (कृषि क्षेत्र में)

चीन भारत
कृषि योग्य भूमि 120 मिलियन हेक्टेयर 156 मिलियन हेक्टेयर
कुल सिंचित क्षेत्र 41 प्रतिशत 48 प्रतिशत
सकल बुआई क्षेत्र 166 मिलियन हेक्टेयर 198 मिलियन हेक्टेयर
कृषि उत्पादन (कीमतें डॉलर में) 1367 बिलियन डॉलर 407 बिलियन डॉलर
  • उपरोक्त आँकड़ों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि चीन ने भारत की तुलना में कृषि उत्पादकता में अधिक प्रगति की है। चीन में बढ़ते कृषि उत्पादन के लिये निम्नलिखित तीन कारक महत्त्वपूर्ण हैं जिससे भारत को सीख लेना चाहिये।
  1. कृषि संबंधी नवाचार, अनुसंधान एवं विकास में अधिक निवेश।
  2. कृषि बाज़ारों में सुधार के माध्यम से किसानों को अधिक लाभ प्रदान करना।
  3. प्रत्यक्ष आय सहायता योजना (Direct Income Support Scheme)।

1. कृषि संबंधी नवाचार, अनुसंधान एवं विकास

(Research & Development-R&D)

  • चीन द्वारा कृषि ज्ञान तथा नवाचार प्रणाली (Agriculture Knowledge and Innovation System-AKIS), जो कृषि संबंधी अनुसंधान तथा विकास के लिये जिम्मेदार है, के लिये वर्ष 2018-19 में 7.8 बिलियन डॉलर का निवेश किया गया, इसके विपरीत भारत ने इस क्षेत्र में मात्र 1.4 बिलियन डॉलर का निवेश किया।
  • कृषि संबंधी अनुसंधान एवं शिक्षा (Agricultural Research & Education: Agri-R&E) पर होने वाले निवेश का सकल घरेलु उत्पाद (Gross Domestic Product-GDP) पर क्या प्रभाव पड़ता है? इस विषय पर हुए एक शोध के माध्यम से यह पता चला कि यदि हम Agri-R&E पर 1 रुपए का निवेश करते हैं तो कृषि GDP में 11.2 रुपए की वृद्धि होती है। यदि हम Agri-R&E पर 10 लाख रुपए का निवेश करते हैं तो इससे 328 लोगों को गरीबी रेखा से बाहर निकाला जा सकता है।
  • चीन अपने कृषि-सकल मूल्य वर्धन (Agri-Gross Value Added) का 0.35 प्रतिशत Agri-R&E पर खर्च करता है जबकि भारत में यह खर्च 0.8 प्रतिशत है।
  • R&D पर किये गए उच्च निवेश से निर्मित बीजों के लिये अधिक उर्वरकों की आवश्यकता होती है। वर्ष 2016 में चीन में उर्वरक की खपत 503 किग्रा./हेक्टेयर थी, जबकि भारत के लिये यह खपत उसी वर्ष 166 किग्रा./हेक्टेयर की थी।
  • अतः कृषि संबंधी उत्पादन में वृद्धि के लिए भारत को Agri-R&E पर निवेश बढ़ाने की आवश्यकता है।

World bank

2. कृषि बाज़ारों में सुधार के माध्यम से किसानों को अधिक लाभ प्रदान करना:

  • चीन, उत्पादक सहायता अनुमान (Producer Support Estimates-PSEs) द्वारा किसानों को प्रोत्साहन राशि प्रदान करता है। इस मामले में चीन की स्थिति भारत से बेहतर है।
  • PSE संकल्पना विश्व के उन 52 देशों द्वारा अपनाई गई है जिनका विश्व के कुल कृषि उत्पादन में तीन-चौथाई का योगदान है। इसके तहत कृषि उपज से प्राप्त उस निर्गत मूल्य (Output Price) की गणना की जाती है जो कि किसान को मुक्त व्यापार की स्थिति में प्राप्त होती। इसमें किसानों द्वारा प्राप्त की गई लागत सब्सिडी (Input Subsidy) को भी शामिल किया जाता है।
  • चीन के किसानों के लिये PSE, उनके सकल फार्म प्राप्तियों (Gross Farm Receipts) के तीन वर्षों के औसत (Triennium Average Ending-TE) का 2018-19 में 15.3 प्रतिशत था। वहीं भारतीय किसानों के परिप्रेक्ष्य में इसी अवधि के दौरान -5.7 प्रतिशत था। इसका अर्थ यह है कि भारत का किसान, उसे प्राप्त होने वाली सब्सिडी से अधिक कर देता है।
  • निगेटिव PSE का अर्थ है कि भारतीय किसानों को प्रतिबंधित बाज़ार तथा व्यापार नीतियों के कारण उनकी उपज की सही कीमत नहीं प्राप्त होती जो उन्हें मुक्त बाज़ार की परिस्थितियों में प्राप्त होती।
  • कृषि बाज़ार से संबंधित इन कमियों को दूर करने के लिये भारत को बृहत् पैमाने पर कृषि उत्पाद बाज़ार समिति (Agricultural Produce Market Committee-APMC) तथा अत्यावश्यक वस्तु अधिनियम (Essential Commodities Act) में सुधार करने की आवश्यकता है।

3. प्रत्यक्ष आय सहायता योजना

(Direct Income Support Scheme):

  • चीन ने अपनी कई महत्वपूर्ण लागत सब्सिडियों को एक एकल योजना में समायोजित कर दिया है। जिसके तहत किसानों को प्रति हेक्टेयर के हिसाब से प्रत्यक्ष भुगतान किया जाता है तथा फसल उगाने में हुई कुल लागत को बाज़ार मूल्यों के आधार पर तय किया जाता है। इस क्षेत्र में चीन ने वर्ष 2018-19 के दौरान 20.7 बिलियन डॉलर का निवेश किया।
  • वहीं भारत ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (Pradhan Mantri Kisan Samman Nidhi: PM-KISAN) योजना के तहत प्रत्यक्ष आय सहायता में मात्र 3 बिलियन डॉलर का निवेश किया।
  • इसके विपरीत उर्वरक, विद्युत, सिंचाई, बीमा तथा ऋणों पर दी जाने वाली सब्सिडी पर 27 बिलियन डॉलर का निवेश किया। इस प्रकार का निवेश न सिर्फ इन सब्सिडियों के प्रयोग की अक्षमता को दिखाता है बल्कि इससे पर्यावरणीय समस्याएँ भी उत्पन्न होती हैं।
  • चीन के तर्ज पर भारत को भी सभी लागत सब्सिडियों को समेकित कर देना चाहिये तथा उसके बदले में किसानों को प्रत्यक्ष आय सहायता देनी चाहिये। इससे भारतीय किसानों में क्षमता विकास तथा कृषि उत्पादन जैसे क्षेत्र में दूरगामी परिणाम होंगे।

स्रोत : इंडियन एक्सप्रेस


भारतीय अर्थव्यवस्था

GDP की गणना के लिये नया आधार वर्ष

प्रीलिम्स के लिये:

GDP, GVA

मेन्स के लिये:

अर्थव्यवस्था के वृद्धि और विकास में आधार वर्ष में बदलाव का महत्त्व

चर्चा में क्यों?

केंद्रीय सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (Ministry of Statistics and Programme Implementation- MOSPI), सकल घरेलू उत्पाद की गणना के लिये आधार वर्ष (Base Year) को वर्ष 2011-12 से बदलकर 2017-18 करने पर विचार कर रहा है।

GDP

पृष्ठभूमि

  • केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (Central Statistics Office- CSO) ने वर्ष 2015 में आधार वर्ष 2004-2005 को संशोधित कर 2011-2012 कर दिया था।
  • जनवरी 2015 के बाद से आर्थिक संवृद्धि और विकास को सकल मूल्य वर्धन (Gross Value Added- GVA) के आधार पर मापा जाता था।
  • वर्ष 2018 में भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank Of India-RBI) ने आर्थिक संवृद्धि और विकास के मापन हेतु पुनः GDP का उपयोग करने का निर्णय लिया।

बदलाव की आवश्यकता क्यों है?

  • किसी अर्थव्यवस्था की GDP के आधार वर्ष में परिवर्तन, उस अर्थव्यवस्था की संरचनाओं में परिवर्तन को दर्शाता है।
  • GDP की गणना के लिये आधार वर्ष में बदलाव का उद्देश्य आर्थिक आँकड़ो की सटीकता को वैश्विक पद्धति के अनुरूप करना है।
  • वर्ष 2011-12 पर आधारित GDP वर्तमान आर्थिक स्थिति को सही ढंग से प्रदर्शित नहीं करती है वहीँ नए आधार वर्ष की शृंखला संयुक्त राष्ट्र के राष्ट्रीय खाते के दिशानिर्देशों-2018 (United Nations Guidelines in System of National Accounts-2018) के अनुरूप होगी।
  • सामान्यतः अर्थव्यवस्था के बदलते स्वरुप के अनुरूप चलने के लिये आधार वर्ष का बदलाव प्रत्येक 5 वर्षों में किया जाना चाहिये।

सकल घरेलू उत्पाद

(Gross Domestic Product- GDP)

  • किसी अर्थव्यवस्था या देश के लिये सकल घरेलू उत्पाद या GDP एक वित्तीय वर्ष में उस देश में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं का कुल मूल्य होता है।
    • भारत में एक वित्तीय वर्ष 1 अप्रैल से 31 मार्च तक माना जाता है।
    • GDP = निजी खपत + सकल निवेश + सरकारी निवेश + सरकारी खर्च + (निर्यात-आयात)

सकल मूल्य वर्धन

(Gross Value Added- GVA)

  • वित्तीय वर्ष 2015-2016 से GVA की अवधारणा को शुरू किया गया है।
  • GVA किसी देश की अर्थव्यवस्था में सभी क्षेत्रों जैसे-प्राथमिक क्षेत्र, द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्र द्वारा किया गया कुल अंतिम वस्तुओं एवं सेवाओं के उत्पादन का मौद्रिक मूल्य है।
    • GVA = GDP + सब्सिडी - उत्पादों पर कर

केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय

(Central Statistics Office- CSO)

  • ‘केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय’ (CSO) की स्थापना वर्ष 1951 में विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों एवं राज्य सरकारों के सांख्यिकीय गतिविधियों के मध्य समन्वयन एवं सांख्यिकीय मानकों के संवर्द्धन हेतु की गई थी।
  • यह राष्ट्रीय खातों को तैयार करने, औद्योगिक आँकड़ों को संकलित एवं प्रकाशित करने के साथ आर्थिक जनगणना एवं सर्वेक्षण कार्य भी आयोजित करता है।
  • यह देश में सतत् विकास लक्ष्य (Sustainable Development Goals-SDG) की सांख्यिकीय निगरानी के लिये भी उत्तरदायी है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

भारतीय मानव मस्तिष्क एटलस-100

प्रीलिम्स के लिये

भारतीय मानव मस्तिष्क एटलस 100

मेन्स के लिये

भारतीय मानव मस्तिष्क एटलस 100, एटलस की उपयोगिता

चर्चा में क्यों?

हैदराबाद स्थित अंतर्राष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (International Institute of Information Technology-Hyderabad, IIITH) ने पहले भारतीय मानव मस्तिष्क एटलस का निर्माण किया है।

Indian Brain

भारतीय मानव मस्तिष्क एटलस 100

(Indian Brain Atlas-IBA) 100

  • यह मानव मस्तिष्क एटलस कॉकेशियाई (Caucasian) मस्तिष्क के नमूने पर आधारित है एवं इसे IBA100 नाम दिया गया है। अन्य मस्तिष्क एटलसों में चीनी, कोरियाई और कॉकेशियाई मस्तिष्क के नमूने को शामिल किया जाता है।
  • इस एटलस के अनुसार-लंबाई, चौड़ाई और आयतन के संदर्भ में भारतीयों के मस्तिष्क का आकार पश्चिमी देशों और पूर्वी (चीन, द. कोरिया) देशों के लोगों के मस्तिष्क की तुलना में छोटा है।
  • भारतीयों के मस्तिष्क पर आधारित एटलस को 21 से 30 वर्ष आयु वर्ग के 50 भारतीय महिला व पुरुषों के मस्तिष्क का MRI स्कैन करके बनाया गया है।
  • इस एटलस को IIITH ने तिरुवनंतपुरम स्थित श्री चित्रा तिरुनल इंस्टीट्यूट फॉर मेडिकल साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी के इमेजिंग साइंसेज और इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी विभाग के सहयोग से तैयार किया है।

पृष्ठभूमि

  • वर्ष 1993 में मॉन्ट्रियल न्यूरोलॉजिकल इंस्टीट्यूट (Montreal Neurological Institute-MNI) एवं इंटरनेशनल कंसोर्टियम फॉर ब्रेन मैपिंग (International Consortium for Brain Mapping-ICBM) ने पहला डिजिटल मानव मस्तिष्क एटलस बनाया था। यह मानव मस्तिष्क एटलस भी कॉकेशियाई मस्तिष्क के नमूने पर आधारित है।
  • MNI और ICBM द्वारा कई अन्य मस्तिष्क एटलस भी जारी किये गए हैं जो तंत्रिका विज्ञान के अध्ययन में एक मानक के रूप में उपयोग किये जाते हैं।

एटलस की उपयोगिता

  • इस एटलस का उपयोग अल्जाइमर (Alzheimer), डीमेंशिया (Dementia) तथा पार्किंसंस (Parkinson) जैसी बीमारियों का इनके शुरुआती चरण में ही निदान करने में हो सकेगा।

स्रोत: बिजनेस लाइन


विविध

RAPID FIRE करेंट अफेयर्स (12 नवंबर)

  • गुजरात CNG पोर्ट टर्मिनल: गुजरात सरकार ने 1900 करोड़ रुपए से निर्मित होने वाले दुनिया के पहले CNG पोर्ट टर्मिनल प्रोजेक्ट को मंज़ूरी दे दी है। इस टर्मिनल को ब्रिटेन के फोरसाइट ग्रुप और मुंबई के पद्मनाभ मफतलाल समूह द्वारा संयुक्त रूप से तैयार किया जाएगा। प्रस्तावित CNG पोर्ट टर्मिनल में 6 मिलियन मैट्रिक टन ढुलाई की वार्षिक क्षमता होगी, जिससे पोर्ट की कुल ढुलाई क्षमता बढ़कर 9 मिलियन मैट्रिक टन हो जाएगी। गुजरात सरकार के गुजरात मैरिटाइम बोर्ड और लंदन स्थित फोरसाइट समूह ने इस वर्ष वाइब्रेंट गुजरात शिखर सम्मेलन के दौरान इस परियोजना के लिये समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे। इस टर्मिनल को भावनगर बंदरगाह के उत्तर की ओर विकसित किया जाएगा, जिसमें रो-रो टर्मिनल, लिक्विड टर्मिनल और कंटेनर टर्मिनल विकसित करने का प्रावधान है।
  • भारत में बांग्लादेश के नए उच्चायुक्त: बांग्लादेश ने मोहम्मद इमरान को भारत में अपना नया उच्चायुक्त नियुक्त किया है। ध्यातव्य है कि इमरान वर्ष 1986 में बांग्लादेश विदेश सेवा में शामिल हुए थे और वर्तमान में वे संयुक्त अरब अमीरात में बांग्लादेश के राजदूत के रूप में कार्य कर रहे हैं।
  • लिट्टे पर प्रतिबंध की पुष्टि: केंद्र सरकार द्वारा लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) पर पाँच साल का प्रतिबंध लगाने के फैसले की एक न्यायाधिकरण द्वारा पुष्टि की है। इस न्यायाधिकरण का गठन केंद्र सरकार ने इस बात की पड़ताल करने के लिये किया था कि क्या इस आतंकी संगठन पर प्रतिबंध जारी रहने चाहिये या नहीं। न्यायाधीश संगीता धींगरा सहगल की अध्यक्षता वाले न्यायाधिकरण ने छह नवंबर को लिट्टे पर प्रतिबंध की पुष्टि की और इससे संबंधित आदेश एक सीलबंद कवर में केंद्र सरकार को भेजा। उल्लेखनीय है कि वर्ष 1991 में लिट्टे द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के बाद भारत ने लिट्टे पर प्रतिबंध लगा दिया था। तब से इस संगठन पर लगाये गए प्रतिबंध को प्रत्येक पाँच साल बाद बढ़ा दिया जाता है।
  • एच1 बी वीज़ा शुल्क में बढ़ोतरी: हाल ही अमेरिका ने एच1 बी वीज़ा शुल्क में बढ़ोतरी की घोषणा की है। अब अमेरिका में कम करने के लिये एच1 बी वीज़ा के आवेदन शुल्क के तौर पर दस डॉलर ज़्यादा चुकाने होंगे। अमेरिका ने अपनी संशोधित चयन प्रक्रिया के तहत इस संबंध में घोषणा की है।
  • के-4 मिसाइल का परीक्षण: हाल ही में भारत ने अपनी के-4 परमाणु मिसाइल का परीक्षण किया। यह परिक्षण आठ नवंबर को आंध्र प्रदेश के तट से पनडुब्बी के ज़रिये प्रयोगिक तौर पर किया गया। इस मिसाइल को रक्षा एवं अनुसंधान विकास संस्थान (डीआरडीओ) द्वारा तैयार किया है जिसकी मारक क्षमता 3500 किलोमीटर है। यह दो हज़ार किलोग्राम का आयुध (वॉरहेड) ले जा सकती है। इस मिसाइल के परीक्षण के बाद भारत की पनडुब्बियों की मारक क्षमता बढ़ जाएगी।

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