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डेली न्यूज़

  • 11 Aug, 2022
  • 50 min read
जैव विविधता और पर्यावरण

जैव विविधता (संशोधन) विधेयक, 2021

प्रिलिम्स के लिये:

जैविक विविधता (संशोधन) विधेयक, आयुर्वेद योग प्राकृतिक चिकित्सा यूनानी सिद्ध और होम्योपैथी (आयुष)।

मेन्स के लिये:

जैव विविधता विधेयक 2021का महत्त्व और संबंधित चिंताएँ।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में जैव विविधता (संशोधन) विधेयक, 2021 की जाँच करने वाली संयुक्त संसदीय समिति (JPC) ने विधेयक पर अपने सुझाव प्रस्तुत किये हैं।।

  • JPC ने पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) द्वारा किये गये कई संशोधनों को स्वीकार कर लिया है।

जैव विविधता अधिनियम, 2002

  • परिचय:
    • जैविक विविधता अधिनियम, 2002 (BDA) को जैविक विविधता के संरक्षण, इसके घटकों के सतत् उपयोग, जैविक संसाधनों और पारंपरिक ज्ञान से उत्पन्न होने वाले लाभों के उचित और न्यायसंगत साझाकरण के लिये अधिनियमित किया गया था।
  • विशेषताएँ:
    • यह अधिनियम किसी भी व्यक्ति या संगठन को राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण से पूर्वानुमोदन के बिना, उसके अनुसंधान या वाणिज्यिक उपयोग के लिये भारत में होने वाले किसी भी जैविक संसाधन को प्राप्त करने से रोकता है।
    • इस अधिनियम में जैविक संसाधनों तक पहुँच को विनियमित करने के लिये एक त्रि-स्तरीय संरचना की परिकल्पना की गई थी:
      • राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण (NBA)
      • राज्य जैव विविधता बोर्ड (SBBs)
      • जैव विविधता प्रबंधन समितियाँ (BMCs) (स्थानीय स्तर पर)
    • अधिनियम के तहत सभी अपराधों को संज्ञेय और गैर-जमानती के रूप में निर्धारित किया गया है।

जैव विविधता विधेयक 2021 में किये गये संशोधन

  • भारतीय चिकित्सा प्रणाली को बढ़ावा देना: यह "भारतीय चिकित्सा प्रणाली" को बढ़ावा देना चाहता है, और भारत में उपलब्ध जैविक संसाधनों का उपयोग करते हुए अनुसंधान, पेटेंट आवेदन प्रक्रिया, अनुसंधान परिणामों के हस्तांतरण के तेज़ ट्रैकिंग की सुविधा प्रदान करता है।
    • यह स्थानीय समुदायों को विशेष रूप से औषधीय मूल्य जैसे कि बीज के संसाधनों का उपयोग करने में सक्षम होने के लिये सशक्त बनाना चाहता है।
    • यह विधेयक किसानों को औषधीय पौधों की खेती बढ़ाने के लिये प्रोत्साहित करता है।
    • जैवविविधता पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय के उद्देश्यों से समझौता किये बिना इन उद्देश्यों को प्राप्त किया जाना है।
  • कुछ प्रावधानों को अपराध से मुक्त करना: यह जैविक संसाधनों की शृंखला में कुछ प्रावधानों को अपराध से मुक्त करने का प्रयास करता है।
    • इन परिवर्तनों को वर्ष 2012 में भारत के नागोया प्रोटोकॉल (सामान्य संसाधनों तक पहुँच और उनके उपयोग से होने वाले लाभों का उचित तथा न्यायसंगत साझाकरण) के अनुसमर्थन के अनुरूप लाया गया था।
  • विदेशी निवेश की अनुमति: यह जैव विविधता के अनुसंधान में विदेशी निवेश की भी अनुमति देता है हालाँकि यह निवेश आवश्यक रूप से जैवविविधता अनुसंधान में शामिल भारतीय कंपनियों के माध्यम से करना होगा
    • विदेशी संस्थाओं के लिये राष्ट्रीय जैवविविधता प्राधिकरण से अनुमोदन आवश्यक है।
  • आयुष चिकित्सकों को छूट: विधेयक पंजीकृत आयुष चिकित्सकों और संहिताबद्ध पारंपरिक ज्ञान का उपयोग करने वाले लोगों को कुछ उद्देश्यों के लिये जैविक संसाधनों तक पहुँचने हेतु राज्य, जैवविविधता बोर्डों को पूर्व सूचना देने से छूट देने का प्रयास करता है।

प्रस्तावित संशोधनों के समक्ष प्रमुख चुनौतियाँ:

  • संरक्षण की तुलना में व्यापार को प्राथमिकता: यह जैविक संसाधन संरक्षण अधिनियम के प्रमुख उद्देश्य की कीमत पर बौद्धिक संपदा और वाणिज्यिक व्यापार को प्राथमिकता देता है।
  • बायो-पायरेसी का खतरा: आयुष प्रैक्टिशनर्स (AYUSH Practitioners) को छूट के लिये अब मंज़ूरी लेने की आवश्यकता नहीं है, इससे ‘बायो पायरेसी’ (Biopiracy) का मार्ग प्रशस्त होगा।
    • बायोपायरेसी के व्यापार में स्वाभाविक रूप से होने वाली आनुवंशिक या जैव रासायनिक सामग्री का दोहन करने की प्रथा है।
  • जैव विविधता प्रबंधन समितियों (BMCs) का हाशिये पर होना: प्रस्तावित संशोधन राज्य जैवविविधता बोर्डों को लाभ साझा करने की शर्तों को निर्धारित करने हेतु BMCs का प्रतिनिधित्व करने की अनुमति देते हैं।
    • जैवविविधता अधिनियम 2002 के तहत, राष्ट्रीय और राज्य जैवविविधता बोर्डों को जैविक संसाधनों के उपयोग से संबंधित कोई भी निर्णय लेते समय जैवविविधता प्रबंधन समितियों (प्रत्येक स्थानीय निकाय द्वारा गठित) से परामर्श करना आवश्यक है।
  • स्थानीय समुदाय को दरकिनार करना: विधेयक खेती वाले औषधीय पौधों को अधिनियम के दायरे से भी छूट देता है। हालांँकि यह पता लगाना व्यावहारिक रूप से असंभव है कि किन पौधों की खेती की जानी चाहिये और कौन-से पौधे जंगली हैं।
    • यह प्रावधान बड़ी कंपनियों को अधिनियम के दायरे और बेनिफिट-शेयरिंग प्रावधानों के तहत पूर्व अनुमोदन की आवश्यकता से बचने या स्थानीय समुदायों के साथ लाभ साझा करने की अनुमति दे सकता है।

समिति की सिफारिशें:

  • जैविक संसाधनों का संरक्षण:
    • जेपीसी ने सिफारिश की है कि, प्रस्तावित कानून के तहत जैव विविधता प्रबंधन समितियों तथा स्थानीय समुदायों को जैविक संसाधनों के संरक्षक के रूप में स्पष्टतः परिभाषित करके सशक्त बनाया जाना चाहिये।
  • देशी चिकित्सा को बढ़ावा देना:
    • औषधीय पौधों की खेती को बढ़ावा देकर जंगली औषधीय पौधों पर दबाव कम करें।
    • संहिताबद्ध पारंपरिक ज्ञान को स्पष्ट रूप से परिभाषित करके भारतीय चिकित्सा पद्धति को प्रोत्साहित किया जाना चाहिये।
    • अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता सम्मेलन के उद्देश्यों से समझौता किये बिना भारत में उपलब्ध जैविक संसाधनों का उपयोग करते हुए अनुसंधान के फास्ट-ट्रैकिंग, पेटेंट आवेदन प्रक्रिया, अनुसंधान परिणामों के हस्तांतरण की सुविधा के माध्यम से स्वदेशी अनुसंधान और भारतीय कंपनियों को बढ़ावा देना।
  • सतत् उपयोग को बढ़ावा देना:
    • राज्य सरकार के परामर्श से जैविक संसाधनों के संरक्षण, संवर्द्धन और सतत् उपयोग के लिये राष्ट्रीय रणनीति विकसित करना।
  • नागरिक अपराध:
    • एक नागरिक अपराध होने की वजह से, समिति ने आगे सिफारिश की है कि जैव विविधता अधिनियम, 2002 के उल्लंघन में किसी भी अपराध में समानुपातिक दंड के साथ नागरिक दंड को भी शामिल किया जाना चाहिये ताकि उल्लंघनकर्त्ता किसी भी प्रकार से दण्ड प्रावधानों से न बच पाए।
  • प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) का अंतर्वाह:
    • इसके अलावा भारत में कंपनी अधिनियम के अनुसार विदेशी कंपनियों एवं जैविक संसाधनों के उपयोग के लिये एक प्रोटोकॉल को परिभाषित कर, राष्ट्रीय हितों से समझौता किये बगैर अनुसंधान, पेटेंट और वाणिज्यिक उपयोग सहित जैविक संसाधनों की शृंखला में अधिक विदेशी निवेश को आकर्षित करने की आवश्यकता है।
  • आयुष चिकित्सकों को छूट:
    • समिति ने स्पष्ट किया कि आयुष चिकित्सक जो आजीविका के पेशे के रूप में भारतीय चिकित्सा पद्धति सहित स्वदेशी चिकित्सा का अभ्यास कर रहे हैं, उन्हें जैविक संसाधनों तक पहुँचने के लिये राज्य जैव विविधता बोर्डों को पूर्व सूचना से छूट प्रदान की गई है।

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न:

प्रश्न: भारत सरकार औषधि के पारंपरिक ज्ञान को दवा कंपनियों द्वारा पेटेंट कराने से कैसे बचा रही है? (मुख्य परीक्षा, 2019)

स्रोत:द हिंदू


भारतीय अर्थव्यवस्था

RBI के सर्वेक्षण और भारतीय अर्थव्यवस्था

प्रिलिम्स के लिये:

आरबीआई, आरबीआई सर्वे, मौद्रिक नीति

मेन्स के लिये:

मौद्रिक नीति समीक्षा, आरबीआई की भूमिका, सर्वेक्षण का महत्त्व

चर्चा में क्यों?

हाल ही में रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने अपनी नवीनतम मौद्रिक नीति समीक्षा और सात सर्वेक्षणों का अनावरण किया, जिसमें उपभोक्ता विश्वास से लेकर सकल घरेलू उत्पाद (GDP) वृद्धि की अपेक्षाएँ शामिल हैं, जो अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन के संदर्भ में जानकारी प्रदान करेगा।

  • बढ़ता व्यापार घाटा और रुपया के मूल्य में गिरावट भी भारतीय अर्थव्यवस्था के लिये प्रमुख चिंता का विषय है।

RBI द्वारा सर्वेक्षण:

  • उपभोक्ता विश्वास सर्वेक्षण (CCS):
    • परिचय:
      • CCS 19 शहरों के लोगों से उनकी वर्तमान धारणाओं (एक साल पहले की तुलना में) और सामान्य आर्थिक स्थिति, रोज़गार परिदृश्य, समग्र मूल्य स्थिति और आय एवं खर्च पर अग्रिम वर्ष की अपेक्षाओं के बारे में पूछता है।
    • सूचकांक:
      • वर्तमान स्थिति सूचकांक (CSI)
        • जुलाई 2021 के गिरावट के बाद से CSI में सुधार हो रहा है।
      • भविष्य अपेक्षा सूचकांक (FEI)
        • FEI सकारात्मक दायरे में है लेकिन अब भी यह महामारी से पहले के स्तर से नीचे है।
      • 100 अंक से नीचे का सूचकांक दर्शाता है कि लोग निराशावादी हैं और 100 से अधिक मूल्य आशावाद को दर्शाता है।
  • मुद्रास्फीति प्रत्याशा सर्वेक्षण (IES)
    • परिचय:
    • परिणाम:
      • मौजूदा अवधि के लिये परिवारों की मुद्रास्फीति की धारणा 80 बीपीएस घटकर 9.3% हो गई है।
  • OBICUS सर्वेक्षण:
    • परिचय:
      • OBICUS का मतलब ऑर्डर बुक्स, इन्वेंटरी और कैपेसिटी यूटिलाइज़ेशन सर्वे है।
      • इसने जनवरी 2022 से मार्च 2022 तक भारत के विनिर्माण क्षेत्र में मांग की स्थिति का जानकारी प्रदान करने के प्रयास में 765 विनिर्माण कंपनियों को कवर किया।
    • क्षमता उपयोग (CU):
      • CU के निम्न स्तर का अर्थ है कि विनिर्माण कंपनियाँ उत्पादन को बढ़ाए बिना भी आवश्यक मौजूदा मांग को पूरा कर सकती हैं।
        • इसका रोज़गार सृजन और अर्थव्यवस्था में निजी निवेश की संभावनाओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
    • निष्कर्ष:
      • CU महामारी से पहले के स्तर से काफी ऊपर है, जिससे पता चलता है कि भारत की कुल मांग में लगातार सुधार हो रहा है।
  • औद्योगिक आउटलुक सर्वेक्षण (IOS):
    • इस सर्वे में महिला/पुरुष कारोबारियों की भावनाओं को समझने की कोशिश की गई है।
    • सर्वेक्षण में भारतीय विनिर्माण कंपनियों द्वारा कारोबारी माहौल के गुणात्मक मूल्यांकन को शामिल किया गया है।
  • सेवाएँ और आधारभूत संरचना आउटलुक सर्वेक्षण (SIOS):
    • यह सर्वेक्षण इस बात का गुणात्मक मूल्यांकन करता है कि सेवा और आधारभूत संरचना क्षेत्रों में भारतीय कंपनियाँ वर्तमान स्थिति और भविष्य की संभावनाओं को कैसे देखती हैं।
    • सेवा क्षेत्र की कंपनियाँ आधारभूत संरचनाा क्षेत्र की कंपनियों की तुलना में कहीं अधिक आशावादी हैं।
  • बैंक ऋण सर्वेक्षण (BLS):
    • यह मुख्य आर्थिक क्षेत्रों के लिये प्रमुख अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (SCB) के क्रेडिट मापदंडों (ऋण की मांग और ऋण की सेवा- शर्तें) के गुणात्मक मूल्यांकन और अपेक्षाओं (MOOD) को जाँचता है।
  • पेशेवर पूर्वानुमानकर्ताओं का सर्वेक्षण (SPF):
    • यह चालू वर्ष और अगले वित्तीय वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर और मुद्रास्फीति दर जैसे प्रमुख व्यापक आर्थिक संकेतकों पर 42 पेशेवर पूर्वानुमानकर्ताओं (RBI के बाहर) का सर्वेक्षण है।

gdp-growth

  • जीडीपी प्रत्याशा:
    • वर्ष 2022-23 में भारत की वास्तविक GDP के 7.1% की दर से बढ़ने की उम्मीद है, पिछले सर्वेक्षण दौर के अनुमानों में 10 आधार अंकों की कमी आई है तथा वर्ष 2023-24 में इसके 6.3% की दर से बढ़ने की उम्मीद है।
  • निष्कर्ष:
    • पहली संभावना यह है कि सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि 7% -7.4% के बीच होगी, दूसरा सबसे संभावित परिणाम यह है कि विकास दर 6.5% -6.9% की सीमा तक कम हो जाएगी।

व्यापार घाटे की वर्तमान स्थिति और भारतीय रुपया:

  • व्यापार घाटा:

trade-deficit 

  • परिचय:
    • व्यापार के आँकड़े बताते हैं कि जुलाई 2022 में भारत ने कौन सी वस्तुओं (केवल वस्तुएँ न कि सेवाएँ) का आयात और निर्यात किया है। यह इसे मूल्य के संदर्भ में (भारतीय रुपए या अमेरिकी डॉलर में) प्रस्तुत करता है।
  • निष्कर्ष:
    • वित्त वर्ष 2022-23 के पहले चार महीनों में व्यापार घाटा, वित्त वर्ष 2021-22 के संपूर्ण वित्तीय वर्ष के घाटे के 50% से अधिक है।
      • साल-दर-साल (YoY) निर्यात में गिरावट आई है, जबकि जुलाई 2022 में उच्च कमोडिटी कीमतों के कारण आयात में तेज़ वृद्धि दर्ज की गई है।
      • आयात में सालाना 20 अरब डॉलर की बढ़ोत्तरी पेट्रोलियम उत्पादों और कोयले के कारण हुई, जिसने सोने के आयात में आई गिरावट से मिली राहत को भी निष्प्रभावी कर दिया।
  • भारतीय रुपया:

rupee-weakened 

  • अमेरिकी डॉलर की तुलना में भारतीय रुपया अगस्त 2021 में 74.2 रुपए से गिरकर जुलाई 2022 में 80 रुपए हो गया।

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs):

प्र. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:

  1. भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के गवर्नर की नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा की जाती है।
  2. भारत के संविधान में कुछ प्रावधान केंद्र सरकार को जनहित में RBI को निर्देश जारी करने का अधिकार देते हैं।
  3. RBI के गवर्नर भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम से अपनी शक्ति प्राप्त करते हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (c)

व्याख्या:

  • भारतीय रिज़र्व बैंक की स्थापना 1 अप्रैल, 1935 को भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के प्रावधानों के अनुसार की गई थी।
  • हालाँकि इस पर मूल रूप से निजी स्वामित्व था, वर्ष 1949 में राष्ट्रीयकरण के बाद से, रिज़र्व बैंक पूरी तरह से भारत सरकार के स्वामित्व में है।
  • RBI के मामले केंद्रीय निदेशक मंडल द्वारा शासित होते हैं। बोर्ड की नियुक्ति भारत सरकार द्वारा भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम के अनुरूप की जाती है। अत: कथन 1 सही है।
  • निदेशकों को चार वर्ष की अवधि के लिये नियुक्त/नामित किया जाता है।
  • यदि केंद्र सरकार की राय में बैंक अधिनियम द्वारा या उसके तहत उस पर लगाए गए किसी भी दायित्व को पूरा करने में विफल रहता है, तो केंद्र सरकार केंद्रीय बोर्ड को अधिक्रमित करने की घोषणा कर सकती है, और उसके बाद मामलों के सामान्य अधीक्षण और निर्देश को ऐसी एजेंसी को सौंपा जाएगा जो केंद्र सरकार निर्धारित करे।
  • केंद्र सरकार बैंक के गवर्नर के परामर्श से समय-समय पर बैंक को ऐसे निर्देश दे सकती है, जिसे जनहित में आवश्यक समझे। अतः कथन 2 सही नहीं है।
  • RBI के गवर्नर RBI अधिनियम की धारा 7(3) से अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हैं। गवर्नर सभी शक्तियों का प्रयोग कर सकता है और वह सभी कार्य कर सकता है जो RBI द्वारा प्रयोग किये जा सकते हैं। अत: कथन 3 सही है।

अतः विकल्प (c) सही उत्तर है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

एलएसी के पास हवाई क्षेत्र का उल्लंघन

प्रिलिम्स के लिये:

कॉन्फिडेंस बिल्डिंग मेजर्स, आउटर स्पेस ट्रीटी 1967,1994 शिकागो कन्वेंशन, LAC, ईस्टर्न लद्दाख, हवाई संप्रभुता, 1994 शिकागो कन्वेंशन, एयर ट्रैफिक कंट्रोल

मेन्स के लिये:

हवाई क्षेत्र उल्लंघन और संबंधित कानून, भारत चीन संघर्ष।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख के चुशुल-मोल्दो सीमा में हवाई क्षेत्र के उल्लंघन पर विशेष दौर की सैन्य वार्ता हुई।

  • यह वार्ता चीनी लड़ाकों द्वारा "उत्तेजक व्यवहार" की पृष्ठभूमि के खिलाफ आयोजित की गई थी, जो अक्सर LAC के करीब उड़ान भरते हुए 10-किमी नो-फ्लाई ज़ोन कॉन्फिडेंस बिल्डिंग मेज़र (CBM) का उल्लंघन करते थे।

ऐसी घटनाओं के कारण:

  • LAC पूरी तरह से सीमांकित नहीं है और संरेखण पर दोनों देशों में मतभेद हैं जिसके कारण ऐसी घटनाएँ होती रहती हैं।
  • एलएसी पर शांति बनाए रखने के लिये दोनों पक्ष ज़मीनी स्तर पर नियमित रूप से बातचीत करते हैं।
  • मई 2020 में पूर्वी लद्दाख में गतिरोध शुरू होने के बाद से दोनों पक्षों ने LAC पर वायु सेना को तैनात किया है तथा अपने-अपने ठिकानों की सुरक्षा को भी बढ़ाया है।

भारत-चीन के बीच हालिया विवाद:

  • जून 2020 में गलवान घाटी में झड़प – यह लाठी और डंडों से लड़ी गई न कि बंदूकों से, वर्ष 1975 के बाद से दोनों पक्षों के बीच पहला घातक टकराव था।
    • हालिया संघर्ष जनवरी 2021 में हुआ था, जिसमें दोनों पक्षों के सैनिक घायल हो गए थे। यह भारत के सिक्किम राज्य में सीमा पर हुआ जो भूटान और नेपाल के बीच स्थित है।
  • हाल ही में चीनीयों ने भारतीय वायुसेना द्वारा तिब्बत क्षेत्र में उनके द्वारा नियंत्रित क्षेत्र के भीतर संचालित चीनी वायु सेना के विमानों का पता लगाने के लिये अपनी क्षमता को उन्नत करने के बारे में शिकायत की है।
  • दोनों ने स्थिति और तनाव को कम करने के लिये कोर कमांडर-स्तरीय वार्ता के 16 दौर आयोजित किये हैं, जो चीन द्वारा वर्ष 2020 में LAC पर यथास्थिति को बदलने की कोशिशों के बाद शुरू हुआ था।

वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC):

  • परिचय: वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) एक प्रकार की सीमांकन रेखा है, जो भारत-नियंत्रित क्षेत्र और चीन-नियंत्रित क्षेत्र को एक दूसरे से अलग करती है।
    • LAC, पाकिस्तान के साथ लगी नियंत्रण रेखा (LoC) से भिन्न है:
      • दोनों देशों के बीच शिमला समझौते के बाद वर्ष 1972 में LoC को नामित कर इसे मानचित्र पर दर्शाया गया है।
      • लेकिन LAC पर दोनों देशों (भारत-चीन) द्वारा सहमति नहीं बन पाई है, न ही इसे मानचित्र पर दर्शाया गया है और न ही इसे भौगोलिक रूप से सीमांकित किया गया है।
  • LAC की लंबाई: भारत LAC की लंबाई 3,488 किमी मानता है; जबकि चीन इसे केवल 2,000 किमी के आसपास मानता है।
  • LAC का विभाजन:
    • इसे तीन क्षेत्रों में विभाजित किया गया है: पूर्वी क्षेत्र अरुणाचल प्रदेश से सिक्किम (1346 किमी), मध्य क्षेत्र उत्तराखंड से हिमाचल प्रदेश (545 किमी) और पश्चिमी क्षेत्र लद्दाख (1597 किमी) तक फैला है।
      • पूर्वी सेक्टर में LAC का संरेखण वर्ष 1914 की मैकमोहन रेखा के समरूप है।
      • यह वर्ष 1914 में भारत की तत्कालीन ब्रिटिश सरकार और तिब्बत के बीच शिमला समझौते के तहत अस्तित्व में आई थी।
    • LAC का मध्य क्षेत्र सबसे कम विवादित, जबकि पश्चिमी क्षेत्र दोनों पक्षों के मध्य सबसे अधिक विवादित है।

वायु-क्षेत्र पर भारत-चीन के मध्य समझौता:

  • भारत और चीन के बीच मौजूदा समझौतों के अनुसार, लड़ाकू विमानों और सशस्त्र हेलीकॉप्टरों का संचालन LAC से कुछ दूरी तक ही सीमित है।
  • वर्ष 1996 के 'भारत-चीन सीमा क्षेत्र में LAC के साथ शांति और सद्भाव के रखरखाव पर समझौते' के अनुसार, "लड़ाकू विमान (लड़ाकू, बमवर्षक, टोही, सैन्य प्रशिक्षक, सशस्त्र हेलीकॉप्टर और अन्य सशस्त्र विमान) LAC के 10 किमी के क्षेत्र में उड़ान नहीं भरेंगे।
  • वर्ष 1993 और 2012 के बीच दोनों देशों के बीच शांति बनाए रखने के लिये भारत और चीन द्वारा विश्वास निर्माण उपायों (CBM) के समझौते पर सहमति व्यक्त की गई थी।

विश्वास निर्माण के उपाय (CMB):

  • आमने-सामने की स्थिति में कोई भी पक्ष बल का प्रयोग नहीं करेगा और न ही बल प्रयोग करने की धमकी देगा,
  • दोनों पक्ष एक-दूसरे के साथ शिष्टाचार से पेश आएँगे और किसी भी भड़काऊ कार्रवाई से बचेंगे,
  • यदि दोनों पक्षों के सीमा कर्मी एलएसी के संरेखण पर मतभेदों के कारण आमने-सामने की स्थिति में आ जाते हैं, तो वे आत्म-संयम का प्रयोग करेंगे और स्थिति को बढ़ने से रोकने के लिये सभी आवश्यक कदम उठाएंगे।
  • पूर्व अनुमति के बिना किसी भी पक्ष का कोई भी सैन्य विमान LAC के पार उड़ान नहीं भरेगा।
  • एलएसी से दो किलोमीटर के भीतर कोई भी पक्ष गोली नहीं चलाएगा, बायोडिग्रेडेशन का कारण नहीं बनेगा, खतरनाक रसायनों का उपयोग नहीं करेगा, विस्फोट ऑपरेशन नहीं करेगा या बंदूकों या विस्फोटकों के साथ शिकार नहीं करेगा।

घटना के बाद की प्रतिक्रिया:

  • भारतीय पक्ष ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है।
  • अभी हाल ही में भारत और चीन ने विशेष सैन्य वार्ता के दौरान दो वायु सेनाओं के बीच "सीधे संपर्क के प्रस्ताव" पर चर्चा की है।
  • सीधा संपर्क तंत्र एक अलग हॉटलाइन या दोनों सेनाओं के बीच मौजूदा हॉटलाइन का उपयोग करके हो सकता है।
    • भारतीय और चीनी सेनाओं के पास उनके ग्राउंड कमांडरों के बीच, वर्तमान में छह हॉटलाइन हैं – पूर्वी लद्दाख, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में दो-दो।

वायु अंतरिक्ष और संबंधित कानून:

  • परिचय:
    • अंतर्राष्ट्रीय कानून में वायु क्षेत्र, एक विशेष राष्ट्रीय क्षेत्र के ऊपर का स्थान है, जिसे क्षेत्र को नियंत्रित करने वाली सरकार से संबंधित माना जाता है।
    • इसमें बाहरी अंतरिक्ष शामिल नहीं है, जिसे वर्ष 1967 की बाहरी अंतरिक्ष संधि के तहत मुक्त घोषित किया गया है और राष्ट्रीय विनियोग के अधीन नहीं है।
      • हालाँकि संधि ने उस ऊँचाई को परिभाषित नहीं किया जिस पर बाहरी अंतरिक्ष शुरू होता है और वायु स्थान समाप्त होता है।
  • वायु संप्रभुता:
    • यह एक संप्रभु राज्य का अपने हवाई क्षेत्र के उपयोग को विनियमित करने और अपने स्वयं के विमानन कानून को लागू करने का मौलिक अधिकार है।
    • राज्य अपने क्षेत्र में विदेशी विमानों के प्रवेश को नियंत्रित करता है और इस क्षेत्र में सभी व्यक्ति राज्य के कानूनों के अधीन आयेंगे।
    • हवाई अंतरिक्ष संप्रभुता का सिद्धांत पेरिस कन्वेंशन ऑन रेगुलेशन ऑफ एरियल नेविगेशन (1919) और बाद में अन्य बहुपक्षीय संधियों द्वारा स्थापित किया गया है।
    • शिकागो कन्वेंशन, 1944  के तहत अनुबंध करने वाले राज्य एवं अन्य अनुबंधित राज्यों में पंजीकृत और वाणिज्यिक गैर-अनुसूचित उड़ानों में लगे विमानों को पूर्व राजनयिक अनुमति के बिना अपने क्षेत्र में उड़ान भरने के साथ-साथ यात्रियों, कार्गो और मेल को लेने और छोड़ने की अनुमति देने के लिये सहमत हैं।
      • यह प्रावधान व्यवहार में मृत पत्र बन गया है।
  • निषिद्ध वायु क्षेत्र:
    • यह ऐसे हवाई क्षेत्र को संदर्भित करता है जिसके भीतर आमतौर पर सुरक्षा चिंताओं के कारण विमान की उड़ान की अनुमति नहीं है। यह कई प्रकार के विशेष उपयोग वाले हवाई क्षेत्र पदनामों में से एक है और इसे वैमानिकी चार्ट पर "पी" अक्षर के साथ अनुक्रमांक संख्या द्वारा दर्शाया गया है।
  • प्रतिबंधित वायु क्षेत्र:
    • निषिद्ध वायु क्षेत्र से भिन्न इस स्थान में आमतौर पर सभी विमानों के लिये प्रवेश वर्जित है और वायु यातायात नियंत्रण (ATC) या वायु क्षेत्र के नियंत्रण निकाय से मंज़ूरी के अधीन नहीं है।

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs)

प्रश्न. "संयुक्त राज्य अमेरिका चीन के रूप में एक अस्तित्वगत खतरे का सामना कर रहा है, जो कि तत्कालीन सोवियत संघ की तुलना में बहुत अधिक चुनौतीपूर्ण है।" समझाइये (मुख्य परीक्षा, 2021)


प्रश्न. "चीन अपने आर्थिक संबंधों और सकारात्मक व्यापार अधिशेष का उपयोग एशिया में संभावित सैन्य शक्ति की स्थिति विकसित करने के लिये उपकरण के रूप में कर रहा है"। इस कथन के आलोक में भारत पर उसके पड़ोसी देश के रूप में इसके प्रभाव की चर्चा कीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2017)

स्रोत: द हिंदू


जैव विविधता और पर्यावरण

टाइगर रेंज देशों का पूर्व शिखर सम्मेलन

प्रिलिम्स के लिये:

टाइगर की कंज़र्वेशन स्टेटस, कंज़र्वेशन एश्योर्ड/टाइगर स्टैंडर्ड्स (CA/TS), ग्लोबल टाइगर समिट, प्रोजेक्ट टाइगर

मेन्स के लिये:

बाघ संरक्षण और संबंधित पहल का महत्त्व , जैव विविधता के नुकसान के कारण

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत ने टाइगर रेंज देशों (TRCs) की पूर्व-शिखर बैठक की मेज़बानी की है।

प्रमुख बिंदु

  • बैठक में चीन और इंडोनेशिया को छोड़कर टाइगर/बाघ रेंज के 12 देशों ने भाग लिया।
    • 13 टाइगर रेंज देश (TRC) हैं: भारत, बांग्लादेश, भूटान, कंबोडिया, लाओस पीपुल्स डेमोक्रेटिक रिपब्लिक, मलेशिया, म्याँमार, नेपाल, रूस, थाईलैंड, वियतनाम, चीन और इंडोनेशिया।
  • भारत, टाइगर रिज़र्व नेटवर्क के तहत देश के सभी संभावित बाघ आवासों को लाने के लिये प्रतिबद्ध है।
  • बैठक का उद्देश्य शिखर सम्मेलन में अपनाए जाने वाले बाघ संरक्षण पर घोषणा को अंतिम रूप देना है।

बाघ संरक्षण का महत्त्व:

  • पारिस्थितिक प्रक्रियाओं को विनियमित करने में महत्त्वपूर्ण:
    • बाघ एक अनूठा जानवर है जो किसी स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र और उसकी विविधता में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
      • वनों को स्वच्छ हवा, पानी, परागण, तापमान विनियमन आदि जैसी पारिस्थितिक सेवाएँ प्रदान करने के लिये जाना जाता है।
  • आहार श्रृंखला बनाए रखना:
    • यह एक शीर्ष शिकारी है जो आहार शृंखला के शीर्ष पर है और जंगली (मुख्य रूप से बड़े स्तनपायी) आबादी को नियंत्रण में रखता है।
    • अतः बाघ शाकाहारियों का शिकार कर शाकाहारी और उस वनस्पति के बीच संतुलन बनाए रखने में मदद करता है जिस पर शाकाहारी जीव निर्भर करते हैं।

बाघ की संरक्षण स्थिति:

बाघ संरक्षण में भारतीय परिदृश्य:

  • भारत में 18 राज्यों में लगभग 75,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले 52 टाइगर रिज़र्व हैं।
  • वैश्विक स्तर पर भारत में लगभग 75% जंगली बाघ हैं।
  • भारत ने लक्षित वर्ष 2022 से चार साल पहले वर्ष 2018 में ही बाघों की संख्या दोगुनी करने का लक्ष्य हासिल कर लिया था।
  • देश में 17 टाइगर रिज़र्व को कंज़र्वेशन एश्योर्ड | टाइगर स्टैंडर्ड्स (CA|TS) अंतर्राष्ट्रीय मान्यता मिली है और दो टाइगर रिजर्व (सत्यमंगलम और पीलीभीत) को अंतर्राष्ट्रीय Tx2 पुरस्कार मिला है।
  • भारत के कई टाइगर रेंज देशों के साथ द्विपक्षीय समझौते और समझौता ज्ञापन हैं और जंगली बाघों को वापस लाने की दिशा में तकनीकी सहायता के लिये कंबोडिया के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।

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प्रश्न. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिए:

  1. दाम्पा टाइगर रिज़र्व : मिज़ोरम
  2. गुमटी वन्यजीव अभयारण्य : सिक्किम
  3. सारामती शिखर : नागालैण्ड

उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा/से सही सुमेलित है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (c)

  • दंपा टाइगर रिज़र्व सह वन्यजीव अभयारण्य पश्चिमी मिज़ोरम में स्थित है। इसमें अद्वितीय और लुप्तप्राय जंगली जानवरों के साथ उष्णकटिबंधीय वन पाए जाते हैं। अत: युग्म 1 सही सुमेलित है।
  • गुमटी वन्यजीव अभयारण्य त्रिपुरा के दक्षिण-पूर्वी किनारे पर स्थित है। यह हाथी, सांभर, भैंस और कई सरीसृप जैसे जानवरों का आवास है। अत: युग्म 2 सही सुमेलित नहीं है।
  • 3841 मीटर की ऊँचाई के साथ सरामती नगालैंड राज्य की सबसे ऊँची चोटी है। यह चोटी नगालैंड-म्याँमार सीमा पर स्थित है। अत: युग्म 3 सही सुमेलित है।
  • अतः विकल्प (C) सही उत्तर है।

प्रश्न. निम्नलिखित बाघ आरक्षित क्षेत्रों में “क्रांतिक बाघ आवास (Critical Tiger Habitat)” के अंतर्गत सबसे बड़ा क्षेत्र किसके पास है ?

(a) कॉर्बेट
(b) रणथम्बौर
(c) नागार्जुनसागर-श्रीसैलम
(d) सुंदरबन

उत्तर: (c)

  • “क्रांतिक बाघ आवास (Critical Tiger Habitat), जिसे टाइगर रिजर्व कोर क्षेत्र भी कहा जाता है, की पहचान वन्य जीवन संरक्षण अधिनियम (डब्ल्यूएलपी), 1972 के अंतर्गत की गई है। वैज्ञानिक प्रमाणों के आधार पर, अनुसूचित जनजाति या ऐसे अन्य वनवासियों के अधिकारों को प्रभावित किये बिना ऐसे क्षेत्रों को बाघ संरक्षण के लिये सुरक्षित रखा जाना आवश्यक है। सीटीएच की अधिसूचना राज्य सरकार द्वारा उद्देश्य के लिये गठित विशेषज्ञ समिति के परामर्श से की जाती है।
  • कोर/क्रांतिक बाघ आवास क्षेत्र:
    • कॉर्बेट (उत्तराखंड): 821.99 वर्ग किमी
    • रणथंभौर (राजस्थान): 1113.36 वर्ग किमी
    • सुंदरवन (पश्चिम बंगाल): 1699.62 वर्ग किमी
    • नागार्जुनसागर श्रीशैलम (आंध्र प्रदेश का हिस्सा): 2595.72 वर्ग किमी
  • अतः विकल्प (c) सही है।

प्रश्न. कभी-कभी समाचारों में देखा जाने वाला शब्द 'M-STrIPES' का उपयोग किस संदर्भ में किया जाता है? (2017)

(a) जंगली जीवों की वंश-वृद्धि पर रोक
(b) बाघ अभयारण्यों का रख-रखाव
(c) स्वदेशी उपग्रह नेविगेशन प्रणाली
(d) राष्ट्रीय राजमार्गों की सुरक्षा

उत्तर: (b)

व्याख्या:

  • M-STrIPES (Monitoring System for Tigers - Intensive Protection and Ecological Status) यानी बाघों के लिये निगरानी प्रणाली - गहन सुरक्षा और पारिस्थितिक स्थिति, एक ऐप आधारित निगरानी प्रणाली है, जिसे वर्ष 2010 में NTCA द्वारा भारतीय बाघ अभयारण्यों में लॉन्च किया गया था।
  • इस प्रणाली का उद्देश्य लुप्तप्राय बंगाल टाइगर की गश्त और निगरानी को मज़बूत करना है। बाघ अभयारण्यों में वन रक्षक व्यक्तिगत डिजिटल सहायकों और जीपीएस उपकरणों से लैस होते हैं, जो गश्त के दौरान बाघों की संख्या, उनकी मृत्यु, वन्यजीव अपराध और पारिस्थितिकी से संबंधित आँकड़ों को इकठ्ठा करते हैं।
  • अतः विकल्प (b) सही है।

स्रोत:पी.आई.बी.


भारतीय अर्थव्यवस्था

इथेनॉल संयंत्र

प्रिलिम्स के लिये:

इथेनॉल सम्मिश्रण, जैव ईंधन, कच्चा तेल, जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति, 2018

मेन्स के लिये:

इथेनॉल सम्मिश्रण और इसका महत्त्व

चर्चा में क्यों?

विश्व जैव ईंधन दिवस 2022 पर, भारत सरकार ने हरियाणा में इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन की रिफाइनरी में दूसरी पीढ़ी (2G) इथेनॉल संयंत्र स्थापित करने की घोषणा की।

  • यह इथेनॉल संयंत्र अतिरिक्त आय और हरित ईंधन पैदा करने के साथ-साथ दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र से वायु प्रदूषण को कम करने में मदद करेगा।

विश्व जैव ईंधन दिवस

  • परिचय:
    • यह प्रत्येक वर्ष 10 अगस्त को मनाया जाता है।
    • यह पारंपरिक जीवाश्म ईंधन के विकल्प के रूप में गैर-जीवाश्म ईंधन के महत्त्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिये मनाया जाता है।
  • पृष्ठिभूमि:
    • यहदिवस सर रुडोल्फ डीज़ल के सम्मान में मनाया जाता है।
      • वह डीज़ल इंजन के आविष्कारक थे और उन्होंने सबसे पहले जीवाश्म ईंधन की जगह वनस्पति तेल की संभावना की भविष्यवाणी की थी।

इथेनॉल संयंत्र के बारे में जानकारी:

  • यह 3 करोड़ लीटर इथेनॉल उत्पन्न करने के लिये लगभग 2 लाख टन चावल के भूसे (पराली) का उपयोग करके भारत के वेस्ट टू वेल्थ के प्रयासों को बढ़ावा देगा।
    • यह संयंत्र धान के भूसे के अलावा मक्का और गन्ने के कचरे का भी उपयोग एथनॉल के उत्पादन के लिये करेगा।
  • यह परियोजना संयंत्र संचालन में शामिल लोगों को प्रत्यक्ष रोज़गार प्रदान करेगी और चावल के भूसे की कटाई, हैंडलिंग, भंडारण आदि के लिए आपूर्ति शृंखला में अप्रत्यक्ष रोज़गार उत्पन्न होगा।
  • इस परियोजना में ज़ीरो लिक्विड डिस्चार्ज होगा।
    • चावल की भूसी को जलाने में कमी के माध्यम से परियोजना प्रति वर्ष लगभग 3 लाख टन कार्बन डाइऑक्साइड के समकक्ष ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने में योगदान देगी जो देश की सड़कों पर सालाना लगभग 63,000 कारों द्वारा उत्सर्जित ग्रीनहाउस गैसों के बराबर है।

इथेनॉल:

  • परिचय:
    • यह प्रमुख जैव ईंधनों में से एक है, जो प्रकृतिक रूप से खमीर अथवा एथिलीन हाइड्रेशन जैसी पेट्रोकेमिकल प्रक्रियाओं के माध्यम से शर्करा के किण्वन द्वारा उत्पन्न होता है।
    • यह घरेलू रूप से उत्पादित वैकल्पिक ईंधन है जो आमतौर पर मकई से बनाया जाता है। यह सेल्यूलोसिक फीडस्टॉक्स जैसे कि फसल अवशेष और लकड़ी से भी बनाया जाता है।
  • ईंधन के रूप में इथेनॉल:
    • आंतरिक दहन इंजनों के लिये ईंधन के रूप में इथेनॉल का उपयोग या तो अकेले या अन्य ईंधन के साथ मिश्रित रूप में किया जाता है, जीवाश्म ईंधन की अपेक्षा इसके संभावित पर्यावरणीय और दीर्घकालिक आर्थिक लाभों के कारण इस पर अधिक ध्यान दिया गया है।
    • इथेनॉल को शुद्ध इथेनॉल (E100) तक किसी भी सांद्रता में पेट्रोल के साथ जोड़ा जा सकता है
      • पेट्रोलियम ईंधन की खपत को कम करने के साथ-साथ वायु प्रदूषण को कम करने के लिये निर्जल इथेनॉल (जल के बिना इथेनॉल) को अलग-अलग मात्रा में पेट्रोल के साथ मिश्रित किया जा सकता है।

जैव ईंधन के संबंध में भारत की अन्य पहलें:

  • इथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम (EBP):
    • इसका उद्देश्य कच्चे तेल के आयात पर देश की निर्भरता को कम करना, कार्बन उत्सर्जन में कटौती करना और किसानों की आय को बढ़ाना है।
    • सम्मिश्रण लक्ष्य: भारत सरकार ने पेट्रोल में 20% इथेनॉल सम्मिश्रण (जिसे E20 भी कहा जाता है) के लक्ष्य को वर्ष 2030 से परिवर्तित कर वर्ष 2025 तक कर दिया है।
    • भारत ने पहले ही पेट्रोल में 10% इथेनॉल सम्मिश्रण का लक्ष्य हासिल कर लिया है, जिससे देश का इथेनॉल उत्पादन बढ़कर 400 करोड़ लीटर हो गया है।
  • जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति-2018:
    • यह वर्ष 2030 तक इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (EBP) कार्यक्रम के तहत 20% इथेनॉल सम्मिश्रण का सांकेतिक लक्ष्य प्रदान करता है।
  • ई-100 पायलट प्रोजेक्ट:
    • टीवीएस अपाचे जैसे दोपहिया वाहनों को E80 या शुद्ध इथेनॉल (E100) पर चलने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
  • प्रधानमंत्री जी-वन योजना, 2019:
    • इस योजना का उद्देश्य 2जी इथेनॉल क्षेत्र में वाणिज्यिक परियोजनाओं की स्थापना, अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने के लिये एक पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना है।
  • प्रयुक्त खाद्य तेल (RUCO) का पुन: उपयोग:
    • भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने यह पहल शुरू की है जो इस्तेमाल किये खाद्य तेल को बायोडीज़ल के रूप में संगृहीत और रूपांतरित करने में भी सक्षम बनाएगा।

आगे की राह:

  • कचरे से इथेनॉल:
    • कचरे से उत्पादित इथेनॉल पर ध्यान केंद्रित कर भारत टिकाऊ जैव ईंधन नीति में वैश्विक स्तर पर अग्रणी बन सकता है।
      • यह मज़बूत जलवायु और वायु गुणवत्ता दोनों लाभ पहुँचाएगा, क्योंकि वर्तमान में इन कचरे को अक्सर जलाया जाता है, जो वायु-प्रदूषण को बढ़ावा देता है।
  • फसल उत्पादन को प्राथमिकता:
    • घटते भूजल संसाधनों, कृषि योग्य भूमि की कमी, अनिश्चित मानसून और जलवायु परिवर्तन के कारण फसल की पैदावार में गिरावट के साथ, ईंधन के लिये फसलों पर खाद्य उत्पादन को प्राथमिकता दी जानी चाहिये।
  • वैकल्पिक तंत्र:
    • प्रमुख लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये, उत्सर्जन में कमी, इलेक्ट्रिक वाहन के क्षेत्र में तीव्र विकास, शून्य-उत्सर्जन रिचार्ज प्रणाली को बढ़ाने के लिये अतिरिक्त नवीकरणीय उत्पादन क्षमता की स्थापना आदि का मूल्यांकन करने की आवश्यकता है।

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न:

प्रश्न. जैव ईंधन पर भारत की राष्ट्रीय नीति के अनुसार, जैव ईंधन के उत्पादन के लिये निम्नलिखित में से किसका उपयोग कच्चे माल के रूप में किया जा सकता है? (2020)

  1. कसावा
  2. क्षतिग्रस्त गेहूंँ के दाने
  3. मूंँगफली के बीज
  4. चने की दाल
  5. सड़े हुए आलू
  6. मीठे चुकंदर

निम्नलिखित कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1, 2, 5 और 6
(b) केवल 1, 3, 4 और 6
(c) केवल 2, 3, 4 और 5
(d) 1, 2, 3, 4, 5 और 6

उत्तर: (a)

  • जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति, 2018 क्षतिग्रस्त खाद्यान्न जो मानव उपभोग के लिये अनुपयुक्त हैं जैसे- गेहूंँ, टूटे चावल आदि से इथेनॉल के उत्पादन की अनुमति देती है।
  • यह नीति राष्ट्रीय जैव ईंधन समन्वय समिति के अनुमोदन के आधार पर खाद्यान्न की अधिशेष मात्रा को इथेनॉल में परिवर्तित करने की भी अनुमति देती है।
  • यह नीति इथेनॉल उत्पादन में प्रयोग होने वाले तथा मानव उपभोग के लिये अनुपयुक्त पदार्थ जैसे- गन्ने का रस, चीनी युक्त सामग्री- चुकंदर, मीठा चारा, स्टार्च युक्त सामग्री तथा मकई, कसावा, गेहूंँ, टूटे चावल, सड़े हुए आलू के उपयोग की अनुमति देकर इथेनॉल उत्पादन हेतु कच्चे माल के दायरे का विस्तार करती है। अत: 1, 2, 5 और 6 सही हैं।

अत: विकल्प (a) सही उत्तर है।

स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स


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