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भारत का इथेनॉल रोडमैप

  • 12 Jun 2021
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये

इथेनॉल और इथेनॉल सम्मिश्रण 

मेन्स के लिये

भारत का इथेनॉल रोडमैप और इथेनॉल सम्मिश्रण को बढ़ावा देने के लिये सुझाव, सरकार द्वारा की गई पहलें

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्र सरकार ने वर्ष 2025 तक भारत में इथेनॉल सम्मिश्रण के रोडमैप पर एक विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट जारी की है।

  • इस रोडमैप के तहत अप्रैल 2022 तक E10 ईंधन की आपूर्ति के लिये इथेनॉल-मिश्रित ईंधन के चरणबद्ध रोलआउट और अप्रैल 2023 से अप्रैल 2025 तक E20 के चरणबद्ध रोलआउट का प्रस्ताव दिया गया है।

प्रमुख बिंदु

रिपोर्ट के विषय में

  • पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय (MoP&NG) ने इथेनॉल के मूल्य निर्धारण, नए इंजन वाले वाहनों के लिये इथेनॉल की आपूर्ति, ऐसे वाहनों के मूल्य निर्धारण, विभिन्न इंजनों की ईंधन दक्षता जैसे मुद्दों का अध्ययन करने के लिये एक विशेषज्ञ समूह का गठन किया गया था।  

इथेनॉल सम्मिश्रण

  • इथेनॉल 
    • यह प्रमुख जैव ईंधनों में से एक है, जो प्रकृतिक रूप से खमीर अथवा एथिलीन हाइड्रेशन जैसी पेट्रोकेमिकल प्रक्रियाओं के माध्यम से शर्करा के किण्वन द्वारा उत्पन्न होता है।
  • सम्मिश्रण लक्ष्य
    • भारत सरकार ने वर्ष 2025 तक पेट्रोल (जिसे E20 भी कहा जाता है) में 20% इथेनॉल सम्मिश्रण का लक्ष्य निर्धारित किया है।
    • वर्तमान में भारत में पेट्रोल के साथ 8.5% इथेनॉल मिश्रित होता है।
  • इथेनॉल सम्मिश्रण का उद्देश्य
    • ऊर्जा सुरक्षा
      • इथेनॉल के अधिक उपयोग से तेल आयात बिल को कम करने में मदद मिल सकती है। वर्ष 2020-21 में भारत की शुद्ध आयात लागत 551 बिलियन अमेरिकी डॉलर है।
      • E20 कार्यक्रम देश के लिये प्रतिवर्ष 4 बिलियन अमेरिकी डॉलर (30,000 करोड़ रुपए) बचा सकता है।
    • किसानों के लिये प्रोत्साहन
      • तेल कंपनियाँ किसानों से इथेनॉल खरीदती हैं, जिससे गन्ना किसानों को फायदा होता है।
      • इसके अलावा सरकार की योजना पानी बचाने वाली फसलों जैसे कि मक्का आदि को इथेनॉल का उत्पादन करने और गैर-खाद्य फीडस्टॉक से इथेनॉल के उत्पादन को प्रोत्साहित करने की है।
    • उत्सर्जन पर प्रभाव
      • इथेनॉल-मिश्रित पेट्रोल के उपयोग से कार्बन मोनोऑक्साइड (CO), हाइड्रोकार्बन (HC) और नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) आदि के उत्सर्जन में कमी आती है।
      • हालाँकि एसीटैल्डिहाइड उत्सर्जन जैसे अनियमित कार्बोनिल उत्सर्जन सामान्य पेट्रोल की तुलना में E10 और E20 में अधिक होता है, किंतु यह उत्सर्जन अपेक्षाकृत काफी कम होता है।

सुझाव

  • इथेनॉल सम्मिश्रण रोडमैप को अधिसूचित करना: MoP&NG को तत्काल प्रभाव से अप्रैल, 2022 तक E10 ईंधन की अखिल भारतीय उपलब्धता और उसके बाद पुराने वाहनों के लिये वर्ष 2025 तक इसकी निरंतर उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये एक योजना को अधिसूचित करना चाहिये और अप्रैल, 2023 से चरणबद्ध तरीके से देश में E20 का शुभारंभ करना चाहिये ताकि अप्रैल, 2025 तक E20 की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके। 
  • तेल विपणन कंपनियों के लिये बुनियादी अवसंरचना में वृद्धि: तेल विपणन कंपनियों को इथेनॉल भंडारण, हैंडलिंग, सम्मिश्रण और वितरण अवसंरचना की अनुमानित आवश्यकता के लिये तैयार करने की आवश्यकता है। 
  • विनियामक मंज़ूरी प्रक्रिया में तेज़ी लाना: वर्तमान में इथेनॉल उत्पादन संयंत्र ‘लाल श्रेणी’ के अंतर्गत आते हैं और नई व विस्तार परियोजनाओं के लिये वायु एवं जल अधिनियमों के तहत पर्यावरण मंज़ूरी की आवश्यकता होती है।
    • इसमें कई बार लंबा समय लग जाता है जिससे देरी हो जाती है।
    • पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत पर्यावरणीय मंज़ूरी (EC) में तेज़ी लाने के लिये कई कदम उठाए गए हैं, हालाँकि अभी भी ऐसे कई क्षेत्र हैं, जिनमें सुधार करने से देश में इथेनॉल संयंत्र की जल्द स्थापना में मदद मिलेगी।
  • इथेनॉल मिश्रित वाहन को प्रोत्साहन: विश्व स्तर पर उच्च इथेनॉल मिश्रण का अनुपालन करने वाले वाहनों को कर लाभ प्रदान किया जाता है।
    • इस प्रकार के दृष्टिकोण को अपनाया जाना महत्त्वपूर्ण है ताकि E20 के डिज़ाइन के कारण लागत में हुई वृद्धि को कुछ हद तक कम किया जा सके, जैसा कि कुछ राज्यों में इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिये किया जा रहा है।
  • इथेनॉल मिश्रित गैसोलीन का मूल्य निर्धारण: देश में उच्च इथेनॉल मिश्रण की बेहतर स्वीकार्यता प्रदान करने के लिये आवश्यक है कि ऐसे ईंधनों का खुदरा मूल्य सामान्य पेट्रोल से कम होना चाहिये ताकि मिश्रित ईंधन को प्रोत्साहित किया जा सके।
    • सरकार इथेनॉल पर ईंधन के रूप में टैक्स ब्रेक पर विचार कर सकती है।

इस संबंध में शुरू की गई अन्य पहलें

  • राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति-2018, वर्ष 2030 तक इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (EBP) कार्यक्रम के तहत 20% इथेनॉल सम्मिश्रण का एक सांकेतिक लक्ष्य प्रदान करती है।
  • केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने वाहनों पर उनकी E20, E85 या E100 अनुरूपता का उल्लेख करते हुए स्टिकर लगाना अनिवार्य कर दिया है।
    • इससे फ्लेक्स ईंधन वाले वाहनों का मार्ग प्रशस्त होगा।
    • फ्लेक्स ईंधन वाले वाहन मिश्रित पेट्रोल के किसी भी अनुपात (E20 से E100 तक) पर चल सकते हैं।
  • E100 पायलट प्रोजेक्ट: इसकी शुरुआत पुणे में की गई है।
    • ‘टीवीएस अपाचे’ दोपहिया वाहनों को E80 या शुद्ध इथेनॉल (E100) पर चलाने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
    • प्रधानमंत्री ‘जी-वन’ योजना 2019: इस योजना का उद्देश्य 2G इथेनॉल क्षेत्र में वाणिज्यिक परियोजनाओं की स्थापना और अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देने के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाना है।
    • गोबर-धन (गैल्वनाइजिंग जैविक जैव-एग्रो संसाधन) योजना: इस योजना का उद्देश्य गाँव की स्वच्छता पर सकारात्मक प्रभाव डालना और मवेशियों तथा जैविक कचरे से धन और ऊर्जा उत्पन्न करना है।
      • इसका उद्देश्य नए ग्रामीण आजीविका के अवसर पैदा करना और किसानों एवं अन्य ग्रामीण लोगों की आय में वृद्धि करना है।
    • रिपर्पज़ यूज़्ड कुकिंग आयल (RUCO): भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने यह पहल शुरू की है, जिसका उद्देश्य इस्तेमाल किये गए खाना पकाने के तेल को बायोडीजल में रूपांतरित करना है। 

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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