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उत्तर प्रदेश में बीज पार्क स्थापित
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश सरकार विभिन्न कृषि-जलवायु क्षेत्रों में पाँच अत्याधुनिक बीज पार्क स्थापित करके राज्य को उच्च गुणवत्ता वाले बीज उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य लेकर चल रही है।
मुख्य बिंदु
- बीज पार्क के बारे में:
- बीज पार्क क्षेत्र-विशिष्ट फसल आवश्यकताओं को पूरा करेंगे और अगले तीन वर्षों में 2,500 करोड़ रुपए के निवेश के साथ गुणवत्ता वाले बीजों की उपलब्धता सुनिश्चित करेंगे।
- कृषि विभाग ने मौजूदा बुनियादी ढाँचे (200 से 400+ हेक्टेयर) वाले छह बड़े फार्मों की पहचान की है, जिन्हें बीज उत्पादन के लिये निजी संस्थाओं को पट्टे पर दिया जाएगा।
- स्थान:
- बीज पार्क पश्चिमी उत्तर प्रदेश, तराई, मध्य उत्तर प्रदेश, बुंदेलखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में स्थापित किये जाएंगे।
- पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के नाम पर पहला बीज पार्क, अटारी, लखनऊ में स्थापित किया जाएगा।
- इसमें बीज उत्पादन, प्रसंस्करण, भंडारण, शीघ्र प्रजनन और संकर प्रयोगशालाओं की सुविधाएँ उपलब्ध होंगी।
- मॉडल:
- सरकार सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल का उपयोग कर रही है, जिसके तहत निजी निवेशकों को 30 वर्षों के लिये भूमि पट्टे पर देने के साथ प्रोत्साहन दिया जा रहा है, जिसे 90 वर्षों तक बढ़ाया जा सकता है।
- लाभ: अपने विस्तृत कृषि आधार के कारण, उत्तर प्रदेश को इस पहल से बहुत लाभ होगा। प्रमुख लाभों में शामिल हैं:
- रोज़गार सृजन: सभी पाँच पार्कों में लगभग 6,000 प्रत्यक्ष रोज़गार और 15,000 अप्रत्यक्ष रोज़गार सृजित होंगे, जिससे लगभग 40,000 बीज उत्पादक किसानों को लाभ मिलेगा।
- बीज उत्पादन में आत्मनिर्भरता: राज्य को स्थानीय स्तर पर बीज उत्पादन करके, स्थानीय अर्थव्यवस्था को मज़बूत करके तथा उत्पादन, रसद और परिवहन में रोज़गार सृजित करके प्रतिवर्ष लगभग 3,000 करोड़ रुपए की बचत होने की उम्मीद है।
- बीज प्रतिस्थापन दर (SRR): इस पहल से SRR में सुधार होने की उम्मीद है, जिसका सीधा असर फसल उत्पादन पर पड़ेगा।
- उत्तर प्रदेश में देश में सबसे अधिक कृषि योग्य भूमि और सर्वाधिक सिंचित क्षेत्र है, लेकिन प्रति हेक्टेयर उपज के मामले में यह पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों से पीछे है।
- गुणवत्ता संबंधी मुद्दे: इन बीज पार्कों की स्थापना से उत्तर प्रदेश के किसानों के लिये बेहतर बीज गुणवत्ता सुनिश्चित होगी।
- बीज परीक्षण रिपोर्ट 2023-2024 में 1,33,588 परीक्षण नमूनों में से 3,630 में खराब गुणवत्ता वाले बीजों की पहचान की गई है, जिसके कारण अंकुरण दर कम होती है, पुनः बुवाई में देरी होती है, भूमि की तैयारी और उर्वरकों में निवेश व्यर्थ होता है तथा अंततः फसल उत्पादन कम होता है।


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दिल्ली अपनाएगी उत्तर प्रदेश का डिजिटल शिकायत निवारण मॉडल
चर्चा में क्यों?
दिल्ली शासन में सुधार और कुशल शिकायत प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिये उत्तर प्रदेश की एकीकृत शिकायत निवारण प्रणाली (IGRS) तथा सीएम डैशबोर्ड को लागू करेगी।
मुख्य बिंदु
- IGRS के बारे में:
- यह उत्तर प्रदेश में एक व्यापक शिकायत निवारण प्रणाली है, जिसका उद्देश्य उन्नत प्रौद्योगिकी के उपयोग और सभी हितधारकों को शामिल करके सुशासन को बढ़ावा देना है।
- प्रमुख विशेषताएँ:
- नागरिक आसानी से और सुविधाजनक ढंग से शिकायत दर्ज करा सकते हैं, विभिन्न प्लेटफार्मों पर उनकी निगरानी कर सकते हैं तथा गुणवत्ता और समाधान दोनों के संदर्भ में समय पर तथा संतोषजनक प्रतिक्रिया प्राप्त कर सकते हैं।
- यह प्रणाली नागरिकों को सरकारी विभागों/कार्यालयों के साथ पारदर्शी तरीके से बातचीत करने की सुविधा प्रदान करती है, जिससे संचार प्रक्रिया सुचारू हो जाती है।
- सभी शिकायतें, चाहे उनका स्रोत कुछ भी हो, एक ही मंच पर केंद्रीकृत की जाती हैं, जिससे संबंधित विभागों द्वारा पहुँच, निगरानी और प्रभावी समाधान में सुधार होता है।
यूपी-दर्पण डैशबोर्ड (सीएम डैशबोर्ड)
- मुख्यमंत्री के लिये यूपी-दर्पण डैशबोर्ड विभागीय रैंकिंग, ज़िला रैंकिंग, टाइमलाइन शृंखला और सांख्यिकीय ग्राफिकल रिपोर्ट के माध्यम से परियोजनाओं/योजनाओं की विश्लेषणात्मक समीक्षा में मदद करता है।
- दर्पण (देश भर में परियोजनाओं की विश्लेषणात्मक समीक्षा के लिये डैशबोर्ड) राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC) का एक विन्यास योग्य बहुभाषी उत्पाद है।
- यह योजना, मूल्यांकन और निगरानी के लिये अधिकारियों के सभी स्तरों (राज्य, प्रभाग, ज़िला) को चयनित सरकारी योजनाओं/परियोजनाओं के प्रमुख प्रदर्शन संकेतकों (KPI) पर वास्तविक समय डाटा की प्रस्तुति की सुविधा प्रदान करता है।
- दर्पण पूर्व निर्धारित आवृत्ति पर डाटा के स्वचालित अद्यतन के लिये सुरक्षित API के माध्यम से उपयोगकर्त्ता रिपोजिटरी के साथ निर्बाध प्रमाणीकरण और एकीकरण प्रदान करता है।
- दर्पण (देश भर में परियोजनाओं की विश्लेषणात्मक समीक्षा के लिये डैशबोर्ड) राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC) का एक विन्यास योग्य बहुभाषी उत्पाद है।


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पवित्र जल विनिमय कार्यक्रम
चर्चा में क्यों?
28 जुलाई 2025 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने काशी विश्वनाथ मंदिर और श्री रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग के बीच पवित्र जल विनिमय कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
मुख्य बिंदु
- पृष्ठभूमि:
- यह विनिमय कार्यक्रम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की काशी-तमिल संगमम् पहल का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य काशी (वाराणसी) और तमिलनाडु के लोगों के बीच घनिष्ठ संबंधों को बढ़ावा देना है।
- पवित्र जल और रेत का विनिमय:
- इस विनिमय के अंतर्गत कलशों में भरा गया पवित्र जल और रेत शामिल थे- प्रयागराज के त्रिवेणी संगम (गंगा, यमुना तथा पौराणिक सरस्वती का संगम) का पवित्र जल एवं रेत व रामेश्वरम् कोड़ी तीर्थम् (तमिलनाडु स्थित रामेश्वरम् मंदिर का पवित्र जल)।
- इनका आदान-प्रदान श्री रामेश्वरम् ज्योतिर्लिंग के देवकोट्टई ज़मींदार फैमिली ट्रस्ट (DZFT) के प्रतिनिधियों और काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट के अधिकारियों के बीच संपन्न हुआ।
- आदान-प्रदान किये गए जल का उपयोग भगवान विश्वनाथ और भगवान रामनाथस्वामी दोनों के जलाभिषेक (अनुष्ठान स्नान) के लिये किया जाएगा।
- आगामी अनुष्ठान:
- भगवान विश्वनाथ का जलाभिषेक श्रावण पूर्णिमा, 9 अगस्त 2025 को रामेश्वरम से लाए गए जल से किया जाएगा।
- महत्त्व:
- यह पहल काशी और तमिलनाडु के बीच संबंधों को मज़बूत करती है, साथ ही शास्त्रों में वर्णित एक पवित्र परंपरा को भावी पीढ़ियों के लिये पुनर्जीवित तथा संरक्षित करती है।
काशी तमिल संगमम
- परिचय
- यह एक सांस्कृतिक पहल है, जिसका उद्देश्य तमिलनाडु और काशी (वाराणसी) के बीच ऐतिहासिक तथा सांस्कृतिक संबंधों का उत्सव मनाना एवं प्राचीन सभ्यतागत बंधन को मज़बूत करना है।
- यह आयोजन ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ पहल के अनुरूप है, जो भारत की विविध सांस्कृतिक विरासत के एकीकरण को बढ़ावा देती है।
- काशी-तमिल संगमम् (KTS 3.0) का तीसरा संस्करण उत्तर प्रदेश के वाराणसी में फरवरी 2025 में आयोजित हुआ, जो तमिलनाडु और काशी के बीच सांस्कृतिक संगम का प्रतीक है।
- ऐतिहासिक महत्त्व:
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काशी (उत्तर प्रदेश) और तमिलनाडु के बीच ऐतिहासिक संबंध 15वीं शताब्दी से चले आ रहे हैं, जब मदुरै के राजा पराक्रम पांड्य अपने मंदिर (शिवकाशी, तमिलनाडु) के लिये एक पवित्र शिवलिंग लाने हेतु काशी गए थे।
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पांड्य शासकों ने केरल सीमा के निकट दक्षिण-पश्चिमी तमिलनाडु में स्थित तेनकाशी में काशी विश्वनाथ मंदिर की भी स्थापना की।
- यह गहन आध्यात्मिक और सांस्कृतिक संबंध काशी तमिल संगमम् पहल के सार को रेखांकित करता है।
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मौसम सूचना नेटवर्क एवं डाटा प्रणाली (WINDS) परियोजना
चर्चा में क्यों?
राज्य सरकार ने चालू वित्त वर्ष (2025-26) के लिये आवंटित कुल 60 करोड़ रुपए में से मौसम सूचना नेटवर्क और डाटा सिस्टम (WINDS) परियोजना के लिये 9.77 करोड़ रुपए आवंटित किये हैं।
मुख्य बिंदु
- योजना के बारे में:
- WINDS एक कार्यक्रमगत पहल है जिसका उद्देश्य देश में मौसम डाटा अवसंरचना को सशक्त बनाना तथा एकल डिजिटल प्लेटफॉर्म से उत्तम गुणवत्ता वाले मौसम डाटा सेट उपलब्ध कराना है।
- इसे कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा जुलाई 2023 में प्रारंभ किया गया था। यह एक राष्ट्रीय स्तर की पहल है, जो भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD), विभिन्न राज्य सरकारों तथा सार्वजनिक/निजी तकनीकी संस्थानों की मौज़ूदा अवसंरचना एवं विशेषज्ञता को समेकित करती है।
- उद्देश्य:
- WINDS परियोजना का उद्देश्य अत्यधिक स्थानीय मौसम पूर्वानुमान उपलब्ध कराकर कृषि उत्पादकता को बढ़ाना है।
- प्रमुख घटक
- परियोजना के अंतर्गत ब्लॉक एवं पंचायत स्तर पर मौसम स्टेशनों और वर्षा मापी यंत्रों (Rain Gauges) की स्थापना की जाएगी।
- मौसम स्टेशन: चयनित ब्लॉकों में कुल 308 स्वचालित मौसम स्टेशनों की स्थापना की जाएगी, जो स्थानीय स्तर पर सटीक एवं वास्तविक समय पर मौसम डाटा उपलब्ध कराएंगे
- वर्षामापी यंत्र: वर्षा को मापने और स्थानीय वर्षा पैटर्न निर्धारित करने के लिये ग्राम पंचायतों में लगभग 55,570 वर्षामापी यंत्र स्थापित किये जाएंगे।
- अतिरिक्त बुनियादी ढाँचा:
- राजस्व विभाग और भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) द्वारा 518 मौसम केंद्रों का निर्माण कार्य चल रहा है।
- अपेक्षित लाभ:
- कृषि उत्पादकता: सटीक मौसम पूर्वानुमानों के माध्यम से किसान सूखा, बाढ़ एवं तूफानों जैसे चरम मौसमीय घटनाओं के लिये बेहतर ढंग से तैयार रह सकेंगे।
- इससे किसानों को अपनी फसलों की सुरक्षा के लिये पूर्व-निवारक उपाय करने तथा इष्टतम कटाई समय की योजना बनाने में मदद मिलेगी।
- जोखिम मूल्यांकन एवं हानि आकलन: WINDS, चरम मौसम की स्थिति के दौरान बागवानी फसलों को होने वाले नुकसान का आकलन करने में सहायता करेगा, जिससे हितधारकों को प्रभावी ढंग से प्रतिक्रिया करने में मदद मिलेगी।
- फसल बीमा एवं कृषि कार्यक्रम: इस परियोजना से प्राप्त मौसम डाटा का उपयोग फसल बीमा निर्धारण तथा अन्य कृषि कार्यक्रमों में किया जाएगा, जिससे समग्र कृषि उत्पादकता में वृद्धि होगी।
- वायु गुणवत्ता निगरानी: यह परियोजना कम लागत वाले, विश्वसनीय सेंसर आधारित प्रणालियों के विकास द्वारा वायु गुणवत्ता निगरानी को भी बेहतर बनाने पर केंद्रित है।
- तकनीकी लाभ: WINDS कृषि के लिये कार्रवाई योग्य जानकारी प्रदान करने के लिये उन्नत मौसम डाटा विश्लेषण का उपयोग करता है।
- इस प्रणाली का उद्देश्य अति-स्थानीय मौसम डाटा उत्पन्न करना है, जो किसानों को सिंचाई, बुवाई और कटाई के संबंध में सूचित निर्णय लेने में सहायता करेगा।


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खिलाड़ियों को रोज़गार देकर सम्मानित किया
चर्चा में क्यों?
गोरखनाथ मंदिर में आयोजित उत्तर प्रदेश सीनियर कुश्ती प्रतियोगिता के समापन समारोह में, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घोषणा की कि खेलों को बढ़ावा देने के लिये राज्य की प्रतिबद्धता के तहत उत्तर प्रदेश में 500 से अधिक एथलीटों को सरकारी नौकरी प्रदान की गई है।
मुख्य बिंदु
- कुश्ती पुरस्कार एवं सम्मान:
- कुश्ती प्रतियोगिता के दौरान, मुख्यमंत्री ने विजेताओं को यूपी केसरी, यूपी कुमार और यूपी वीर अभिमन्यु जैसे प्रतिष्ठित खिताब प्रदान किये।
- पुरस्कार विजेताओं में शामिल थे:
- यूपी केसरी: जोंटी भाटी (गौतम बौद्ध नगर) को 1.01 लाख रुपए और एक गदा मिली।
- यूपी कुमार: सौरभ (गोरखपुर) को 1.01 लाख रुपए और एक गदा मिली।
- यूपी वीर अभिमन्यु: मोनू (गोंडा) को 51,000 रुपए और एक गदा मिली।
- मुख्यमंत्री ने प्रत्येक श्रेणी में तीसरे स्थान के विजेताओं को 21,000 रुपए और चौथे स्थान के विजेताओं को 11,000 रुपए का पुरस्कार भी प्रदान किया।
- एथलीटों के लिये सरकारी नौकरियाँ:
- राज्य की खेल नीति के तहत, ओलंपिक, एशियाई खेल, राष्ट्रमंडल खेल, विश्व चैंपियनशिप और राष्ट्रीय खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले एथलीटों को सरकारी रोज़गार प्रदान किया जा रहा है।
- खेल अवसंरचना विकास:
- मुख्यमंत्री ने गाँव, ब्लॉक और ज़िला स्तर पर खेल अवसंरचना विकसित करने के लिये वित्त आठ वर्षों में सरकार के प्रयासों पर ज़ोर दिया।
- प्रमुख विकास कार्यों में ग्राम स्तर पर खेल मैदानों का निर्माण, ब्लॉक स्तर पर मिनी स्टेडियमों का निर्माण तथा ज़िला स्तर पर पूर्ण स्टेडियमों का निर्माण शामिल है।
- मुख्यमंत्री ने गाँव, ब्लॉक और ज़िला स्तर पर खेल अवसंरचना विकसित करने के लिये वित्त आठ वर्षों में सरकार के प्रयासों पर ज़ोर दिया।
- व्यक्तिगत और सामाजिक विकास में खेलों की भूमिका:
उत्तर प्रदेश खेल नीति 2023
- उत्तर प्रदेश खेल विकास निधि (UPSD Fund) का निर्माण: बुनियादी ढाँचे, एथलीटों, संघों और अकादमियों, विशेष रूप से संसाधनों की कमी वाले अकादमियों को समर्थन देने के लिये 10 करोड़ रुपए का कोष।
- संस्थागत समर्थन: खेल नीति, प्रतिभा मानचित्रण और बुनियादी ढाँचे के विकास के प्रबंधन के लिये एक राज्य खेल प्राधिकरण का गठन।
- उत्कृष्टता केंद्र एवं बुनियादी ढाँचा:
- पीपीपी मॉडल के अंतर्गत 14 खेल-विशिष्ट उत्कृष्टता केंद्र।
- उत्कृष्ट प्रशिक्षण के लिये पाँच उच्च प्रदर्शन केंद्र।
- प्रत्येक ज़िले में बेहतर सुविधाओं (छात्रावास, फिटनेस विशेषज्ञ, आहार विशेषज्ञ) के साथ खेल केंद्र।
- ज़िला, ब्लॉक और ग्राम स्तर के खेल बुनियादी ढाँचे (स्टेडियम, मिनी स्टेडियम, खेल के मैदान) पर ध्यान केंद्रित करना।
- एथलीट विकास: एथलीटों को तीन स्तरों में विभाजित किया गया है:
- ग्रासरूट (शुरुआती)
- विकासात्मक (प्रतिभाशाली)
- एलीट (शीर्ष प्रदर्शनकर्ता)
- समावेशिता पर ध्यान केंद्रित करना:
- महिलाओं की भागीदारी और पैरा-एथलीटों (विशेष प्रशिक्षकों के साथ) पर विशेष ज़ोर देना।
- आयुष्मान योजना के तहत पंजीकृत खिलाड़ियों, कोचों और परिवारों के लिये 5 लाख रुपए तक का कैशलेस स्वास्थ्य बीमा।
- राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व करने वाले खिलाड़ियों को राज्य पेंशन।
- ई-स्पोर्ट्स और स्वदेशी खेलों को बढ़ावा देना:
- आधिकारिक नीति में ई-स्पोर्ट्स को शामिल करने वाला भारत का पहला राज्य।
- स्वदेशी/स्थानीय खेलों को प्रोत्साहन।
- शिक्षा से जुड़ाव:
- स्कूल की समय-सारिणी में 40 मिनट का खेल, शारीरिक शिक्षा या योग शामिल किया गया।
- स्कूलों में खेल नर्सरियों/अकादमियों को बढ़ावा देना।
- खेल उद्योग और पर्यटन:
- उत्तर प्रदेश को खेल सामग्री विनिर्माण का केंद्र बनाने के लिये समर्थन (जैसे, मेरठ क्लस्टर)।
- खेल पर्यटन को बढ़ावा देना।
- व्यापक प्रतिभा खोज और खेलो इंडिया एकीकरण:
- खेलो इंडिया विश्वविद्यालय खेलों में सक्रिय भागीदारी।
- विश्वविद्यालय और अकादमी प्रतियोगिताओं के माध्यम से प्रतिभा की पहचान।
- स्वास्थ्य एवं कल्याण उपाय:
- चोट के उपचार एवं कल्याण के लिये एकलव्य खेल निधि।
- एथलीटों और प्रशिक्षकों के लिये व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा।


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उत्तर प्रदेश का पहला ट्रांसकैथेटर महाधमनी वाल्व प्रत्यारोपण (TAVI)
चर्चा में क्यों?
कानपुर स्थित LPS कार्डियोलॉजी संस्थान, वरिष्ठ रोगियों में हृदय वाल्व प्रतिस्थापन के लिये TAVI (Transcatheter Aortic Valve Implantation) की सुविधा प्रदान करने वाला उत्तर प्रदेश का पहला सरकारी मेडिकल कॉलेज बन गया है।
- TAVI बिना किसी गहन आक्रामक प्रक्रिया के नया वाल्व प्रत्यारोपित करके ओपन-हार्ट सर्जरी से बचाता है। यह तकनीक जोखिम को कम करने तथा वरिष्ठ हृदय रोगियों के जीवन की गुणवत्ता सुधारने की दिशा में महत्त्वपूर्ण उपलब्धि मानी जा रही है।
मुख्य बिंदु
- TAVI के बारे में:
- यह एक न्यूनतम आक्रामक प्रक्रिया है जिसमें रोगी के पैर की नस में कैथेटर डालकर एक नया महाधमनी वाल्व प्रत्यारोपित किया जाता है।
- पारंपरिक ओपन-हार्ट सर्जरी के विपरीत, TAVI में बड़े चीरों की आवश्यकता नहीं होती, जिससे रिकवरी का समय और जोखिम कम हो जाता है, विशेष रूप से वरिष्ठ रोगियों के लिये।
- प्रक्रिया और लाभ:
- पशु हृदय की झिल्ली से निर्मित नए वाल्व को क्षतिग्रस्त वाल्व के स्थान पर प्रत्यारोपित किया जाता है।
- धातु वाल्वों के विपरीत, जिनमें अधिक जोखिम होता है, पशु झिल्ली वाल्वों का जीवनकाल 15 वर्ष का होता है।
- वैश्विक महत्त्व और इतिहास:
- TAVI तकनीक की शुरुआत जर्मन विशेषज्ञ डॉ. एलेन क्रीबेयर ने 1990 के दशक के प्रारंभ में की थी और इसे पहली बार वर्ष 2002 में लागू किया गया था।
- भारत ने वर्ष 2010 में इस नवीन प्रक्रिया को अपनाया।
मानव हृदय
- कार्य:
- हृदय रक्त वाहिकाओं के माध्यम से पूरे शरीर में रक्त पंप करता है, जिससे ऑक्सीजन एवं पोषक तत्त्वों की आपूर्ति होती है तथा अपशिष्ट पदार्थों का निष्कासन होता है।
- हृदय की भित्ति (Heart Wall)
- एपिकार्डियम: बाहरी परत
- मायोकार्डियम: मध्य की पेशीय परत (हृदय संकुचन के लिये उत्तरदायी)
- एंडोकार्डियम: भीतरी परत
- हृदय के कक्ष:
- एट्रिया (ऊपरी कोटरें): रक्त प्राप्त करते हैं
- वेंट्रिकल्स (निचली कोटरें): रक्त पंप करते हैं
- दायाँ हृदय: दायाँ एट्रियम + दायाँ वेंट्रिकल
- बायाँ हृदय: बायाँ एट्रियम + बायाँ वेंट्रिकल
- सेप्टम (झिल्ली): हृदय के दाएँ और बाएँ भाग को विभाजित करता है
- हृदय वाल्व:
- ये रक्त के विपरीत प्रवाह को रोकते हैं और एक-दिशीय प्रवाह सुनिश्चित करते हैं।
- पेसमेकर एवं हृदय गति:
- हृदय की गति का नियंत्रण सिनोएट्रियल (SA) नोड द्वारा किया जाता है, जो विद्युत संकेत उत्पन्न करता है।
- सामान्य हृदय गति: विश्राम की स्थिति में 60–100 धड़कन प्रति मिनट
- रक्त प्रवाह:
- डीऑक्सीजन युक्त रक्त: शरीर → दायाँ एट्रियम → दायाँ वेंट्रिकल → फेफड़े (ऑक्सीजन युक्त)
- ऑक्सीजन युक्त रक्त: फेफड़े → बायाँ एट्रियम → बायाँ वेंट्रिकल → शरीर
- टैकीकार्डिया:
- हृदय गति > 100 धड़कन प्रति मिनट
- तनाव, दवाओं या अंतर्निहित हृदय स्थितियों के कारण।
- हृदय गति > 100 धड़कन प्रति मिनट
- मुख्य तथ्य:
- विलियम हार्वे: रक्त परिसंचरण की खोज की।
- डॉ. क्रिश्चियन बर्नार्ड: वर्ष 1967 में पहला सफल हृदय प्रत्यारोपण किया।

