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बिहार स्टेट पी.सी.एस.

  • 29 May 2025
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बिहार से पद्म पुरस्कार 2025 के विजेता

चर्चा में क्यों?

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में 139 विशिष्ट व्यक्तियों को पद्म पुरस्कार 2025 प्रदान किये। इनमें बिहार की सात हस्तियों को पद्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

मुख्य बिंदु

बिहार के पद्म पुरस्कार विजेता

नाम

पुरस्कार

क्षेत्र

विवरण

डॉ. शारदा सिन्हा

पद्म विभूषण (मरणोपरांत)

कला

  • उन्हें “बिहार कोकिला” के नाम से भी जाना जाता था। 
  • उन्होंने अपने छठ गीतों के लिये राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त की, जो छठ त्योहार के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पहलुओं से गहराई से जुड़े थे।

सुशील कुमार मोदी

पद्म भूषण (मरणोपरांत)

सार्वजनिक मामलों

  • वह बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री थे और उन्हें सार्वजनिक मामलों में उनकी विशिष्ट सेवा के लिये मरणोपरांत यह पुरस्कार प्रदान किया गया था।

किशोर कुणाल

पद्म श्री (मरणोपरांत)

सिविल सेवा

  • किशोर कुणाल एक पूर्व आईपीएस अधिकारी थे और महावीर मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष रह चुके थे। 
  • उन्हें धार्मिक और धर्मार्थ सेवा में उनके योगदान के लिये सम्मानित किया गया।

भीम सिंह भावेश

पद्म श्री

सामाजिक कार्य

  • वह एक पत्रकार हैं, जिन्होंने बिहार के हाशिये पर पड़े मुसहर समुदाय के बच्चों को औपचारिक शिक्षा तक पहुँच बनाने में मदद करने के लिये व्यापक स्तर पर कार्य किया है।

हेमंत कुमार

पद्म श्री

चिकित्सा 


  • उन्होंने किडनी रोगों के उपचार और निवारक शिक्षा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिससे जागरूकता बढ़ाने और रोगियों के परिणामों में सुधार लाने में मदद मिली है।

निर्मला देवी

पद्म श्री

कला

  • वह एक कलाकार हैं और उन्हें लोक तथा पारंपरिक कला (सुजनी कढ़ाई) के क्षेत्र में उनके काम के लिये पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।
  • सुजनी बिहार की एक पारंपरिक लोक वस्त्र कला है, जो टांकों के माध्यम से कहानी कहने के लिये जानी जाती है।

विजय नित्यानंद सूरीश्वर जी महाराज

पद्म श्री

अन्य– अध्यात्मवाद

  • बिहार में आध्यात्मिक शिक्षा और अभ्यास में उनके योगदान के लिये उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया।

पद्म पुरस्कार

  • पद्म पुरस्कार भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक हैं, जिनकी स्थापना वर्ष 1954 में की गई थी।
  • इन्हें प्रतिवर्ष गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर घोषित किया जाता है और भारत के राष्ट्रपति द्वारा प्रदान किया जाता है।
  • ये पुरस्कार तीन श्रेणियों में दिये जाते हैं:
    • पद्म विभूषण (असाधारण एवं विशिष्ट सेवा के लिये)
    • पद्म भूषण (उच्च कोटि की विशिष्ट सेवा के लिये)
    • पद्मश्री (किसी भी क्षेत्र में विशिष्ट सेवा के लिये)
  • पात्रता:
    • सभी व्यक्ति, चाहे उनकी जाति, व्यवसाय या लिंग कुछ भी हो, पात्र हैं।
    • सरकारी कर्मचारी (डॉक्टरों और वैज्ञानिकों को छोड़कर) पात्र नहीं हैं।
  • क्षेत्र:
    • कला (संगीत, सिनेमा, चित्रकला, आदि)
    • सामाजिक कार्य और सार्वजनिक मामले
    • विज्ञान एवं इंजीनियरिंग, चिकित्सा, साहित्य एवं शिक्षा
    • सिविल सेवा, व्यापार और उद्योग, खेल
    • अन्य श्रेणियाँ जैसे मानव अधिकार, पर्यावरण संरक्षण और भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देना।
  • चयन एवं नामांकन:
    • पद्म पुरस्कारों के लिये नामांकन सार्वजनिक रूप से खोले जाते हैं और स्व-नामांकन (Self-nomination) भी मान्य है।
    • प्रधानमंत्री द्वारा प्रतिवर्ष गठित की जाने वाली पद्म पुरस्कार समिति सभी नामांकनों का मूल्यांकन करती है।
    • इस समिति की अध्यक्षता कैबिनेट सचिव करते हैं तथा इसमें गृह सचिव, राष्ट्रपति सचिवालय के सचिव, और 4 से 6 प्रतिष्ठित व्यक्ति शामिल होते हैं।
  • पुरस्कार प्रस्तुति एवं नियम:
    • पुरस्कार आमतौर पर प्रत्येक वर्ष मार्च/अप्रैल में प्रदान किये जाते हैं।
    • प्रत्येक प्राप्तकर्त्ता को एक प्रमाण-पत्र (सनद) और एक पदक मिलता है; इसकी प्रतिकृति आधिकारिक आयोजनों के दौरान पहनी जा सकती है।
    • पुरस्कार विजेताओं के नाम भारत के राजपत्र में प्रकाशित किये जाते हैं।
    • यह पुरस्कार कोई उपाधि नहीं है और इसका प्रयोग उपसर्ग या प्रत्यय के रूप में नहीं किया जा सकता।
    • सामान्यतः प्रति वर्ष अधिकतम 120 पद्म पुरस्कार प्रदान किये जाते हैं (हालाँकि इसमें मरणोपरांत, प्रवासी भारतीय, विदेशी नागरिक एवं OCI कार्डधारक शामिल नहीं होते)।
    • मरणोपरांत पुरस्कार बहुत कम ही दिये जाते हैं, लेकिन अत्यंत योग्य मामलों में अपवाद स्वरूप प्रदान किये जा सकते हैं।
  • एक ही व्यक्ति को दो पद्म पुरस्कारों के बीच कम-से-कम पाँच वर्ष का अंतराल आवश्यक होता है, जब तक कि कोई विशेष रूप से उचित और असाधारण कारण न हो।


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