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मध्य प्रदेश स्टेट पी.सी.एस.

  • 13 Aug 2025
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मध्य प्रदेश की मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना

चर्चा में क्यों?

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव 14 अगस्त 2025 को मध्य प्रदेश के किसानों के खातों में मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना के अंतर्गत वर्ष 2025-26 की दूसरी किस्त के रूप में 17,500 करोड़ रुपए अंतरित करेंगे।

  • मार्च 2025 तक इस योजना के तहत 83 लाख से अधिक लाभार्थियों को कुल 17,500 करोड़ रुपए प्रदान किये जा चुके थे, जिससे राज्य के कृषक समुदाय को सहायता मिली।

मुख्य बिंदु

मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना के बारे में 

  • परिचय
    • सितंबर 2020 में शुरू की गई इस योजना का उद्देश्य किसानों को प्रत्यक्ष वित्तीय सहायता प्रदान करना है।

    • मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना को PM किसान सम्मान निधि योजना के तहत मिलने वाले 6,000 रुपए के अतिरिक्त, सालाना 6,000 रुपए और प्रदान करके छोटे एवं सीमांत किसानों को सशक्त बनाने के लिये तैयार किया गया है। 
      • यह लाभ 2,000 रुपए की तीन किस्तों में दिया जाता है।
  • पात्रता मापदंड:
    • किसानों को PM किसान सम्मान निधि योजना (अनिवार्य ई-KYC) के तहत पंजीकृत होना चाहिये।
    • आवेदक मध्य प्रदेश का स्थायी निवासी होना चाहिये।
    • किसान के पास कृषि योग्य भूमि होनी चाहिये जहाँ वह कृषि कार्य कर सके।
    • अपात्र किसानों में आयकरदाता, निर्वाचित प्रतिनिधि और सरकारी कर्मचारी शामिल हैं।

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN)

  • शुरुआत: दिसंबर 2018
  • प्रकार: केंद्रीय क्षेत्रक योजना (100% वित्तपोषण भारत सरकार द्वारा)
  • उद्देश्य: पूरे भारत में भूमि-धारक किसान परिवारों को वित्तीय सहायता प्रदान करना
  • सहायता राशि: प्रतिवर्ष 6,000 रुपए (2,000 रुपए की 3 समान किस्तों में)
  • भुगतान: 100% प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) आधार-आधारित सत्यापन और वास्तविक समय भुगतान निगरानी के माध्यम से
  • पात्रता: सभी भूमि-धारक किसान परिवार (कुछ अपवादों के साथ)
  • लाभार्थी पहचान: दिशा-निर्देशों के अनुसार राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा
  • क्रियान्वयन एजेंसी: कृषि एवं किसान कल्याण विभाग (DA&FW)


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भोजपुर मंदिर में स्वच्छता अभियान

चर्चा में क्यों?

10 अगस्त, 2025 को मध्य प्रदेश पर्यटन बोर्ड ने राष्ट्रीय गौरव और पर्यावरणीय ज़िम्मेदारी का संदेश फैलाते हुए संभावित यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल भोजपुर मंदिर (भोजेश्वर महादेव मंदिर) में एक सफल स्वच्छता अभियान का आयोजन किया। 

  • यह कार्यक्रम "आज़ादी का उत्सव, स्वच्छता के संग" थीम पर आयोजित किया गया, जिसमें लोगों को स्वच्छता के साथ आज़ादी का उत्सव मनाने के लिये प्रोत्साहित किया गया।

मुख्य बिंदु

अभियान के बारे में: 

  • पर्यावरण जागरूकता: प्रतिभागियों ने पर्यावरण-अनुकूल अपशिष्ट निपटान, विशेषकर फूलों और प्रसाद के निपटान, स्वच्छता को बढ़ावा देने तथा विरासत के संरक्षण पर ध्यान केंद्रित किया।
  • आध्यात्मिक जागरूकता: भगवद्गीता से कर्म योग की शिक्षाएँ साझा की गईं, जिसमें सामाजिक, पर्यावरणीय और आध्यात्मिक चेतना का सम्मिश्रण था।

भोजेश्वर महादेव मंदिर 

  • अवस्थिति: भोजपुर, ज़िला रायसेन, मध्य प्रदेश
  • ऐतिहासिक महत्त्व: 11वीं शताब्दी में परमार वंश के राजा भोज द्वारा निर्मित, भगवान शिव को समर्पित। वर्ष 2024 में इसे यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों की अस्थायी सूची में शामिल किया गया।
  • वास्तुकला:
    • शैली: भूमिजा, शिखर पर द्रविड़ प्रभाव।
    • भूमिजा शैली की यह वास्तुकला बाद में उदयेश्वर और बीजामंडल जैसे मंदिरों को भी प्रभावित करती है।
  • उल्लेखनीय विशेषताएँ:
    • लिंगम: विशाल आकार का (2.3 मीटर ऊँचा और 5.4 मीटर परिधि)।
    • शिखर: ऊँचा, जटिल नक्काशी और उभारों से युक्त।
    • अपूर्ण संरचना: अधूरा मंडप और छत।
  • अद्वितीय तत्व:
    • समीपवर्ती चट्टानों पर उकेरे गए रेखाचित्र, जो इच्छित मंदिर के संरचना को दर्शाते हैं।
    • स्थल के चारों ओर नक्काशीदार चिनाई ब्लॉक और मिट्टी के रैंप।
  • मंदिर की विशिष्टता:
    • विशाल आकार, जटिल नक्काशी और विशाल लिंगम परमार वंश की स्थापत्य प्रतिभा को प्रदर्शित करते हैं।
    • राजा भोज और परमार वंश के धार्मिक, सांस्कृतिक संरक्षण तथा स्थापत्य दृष्टिकोण का परिचायक।
    • भोजेश्वर मंदिर आकार और भव्यता की दृष्टि से चोल वंश के बृहदेश्वर मंदिर (तंजावुर) के समकक्ष है।
    • यदि यह पूर्ण हो गया होता, तो भोजेश्वर का शिखर 100 मीटर की ऊँचाई के साथ बृहदेश्वर के 59.82 मीटर ऊँचे शिखर से अधिक ऊँचा होता।


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