उत्तराखंड Switch to English
विद्या समीक्षा केंद्र
चर्चा में क्यों?
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने निजी स्कूलों को विद्या समीक्षा केंद्र (VSK) के अंतर्गत लाने की घोषणा की है,
- यह पहल डेटा आधारित शासन के माध्यम से शैक्षिक गुणवत्ता सुधारने की राज्य सरकार की व्यापक रणनीति के अनुरूप है।
मुख्य बिंदु
विद्या समीक्षा केंद्र (VSK):
- परिचय
- यह एक डिजिटल अवसंरचना आधारित तंत्र है, जो छात्र नामांकन, उपस्थिति, शैक्षणिक प्रदर्शन और शिक्षक प्रशिक्षण जैसे महत्त्वपूर्ण डेटा को ट्रैक और विश्लेषित करता है, जिससे प्रशासकों को विद्यालयी शिक्षा की प्रगति की प्रभावी निगरानी में सहायता मिलती है।
- यह प्रणाली राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 तथा विभिन्न शिक्षा योजनाओं के अनुरूप, डेटा-आधारित निर्णयों के माध्यम से परिवर्तनकारी सुधार को संभव बनाती है।
- उत्तराखंड में VSK कार्यान्वयन
- उत्तराखंड भारत का पहला राज्य है, जिसने गुजरात मॉडल पर आधारित विद्या समीक्षा केंद्र (VSK) को अपनाया है, जिससे स्कूल शिक्षा में डेटा-संचालित निगरानी और सुधार को बढ़ावा मिला है।
- बुनियादी ढाँचे का सुदृढ़ीकरण:
- राज्य में 141 पीएम श्री स्कूल और नेताजी सुभाष चंद्र बोस आवासीय विद्यालयों का निर्माण प्रगति पर है।
- प्रौद्योगिकी आधारित शिक्षा को बढ़ावा देने हेतु 13 ज़िलों के कई विद्यालयों में वर्चुअल कक्षाएँ स्थापित की गई हैं।
- शैक्षिक गुणवत्ता पर बल:
- सभी सरकारी विद्यालयों में NCERT की पाठ्यपुस्तकों को लागू किया गया है ताकि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित की जा सके।
- कक्षा 6 से 12 तक के मेधावी छात्रों को सरकारी व निजी दोनों प्रकार के विद्यालयों में छात्रवृत्ति प्रदान की जा रही है।
- नई मेधावी छात्र प्रोत्साहन योजना के तहत कक्षा 10वीं व 12वीं के प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को देशव्यापी शैक्षिक भ्रमण का अवसर दिया जा रहा है।
- खेल एवं रोज़गार को बढ़ावा:
- राज्य सरकार खेलों के प्रोत्साहन पर विशेष ध्यान दे रही है।
- राष्ट्रीय स्तर पर पदक विजेता खिलाड़ियों को प्रोत्साहन स्वरूप सरकारी नौकरियाँ प्रदान की जाएंगी।
पीएम श्री स्कूल
- पीएम श्री स्कूल भारत में 14,500 से अधिक स्कूलों को विकसित करने के लिये एक केंद्र प्रायोजित योजना है, जिसका प्रबंधन केंद्र, राज्य/केंद्रशासित प्रदेश सरकारों, स्थानीय निकायों, केंद्रीय विद्यालय संगठन (KVS) और नवोदय विद्यालय समिति (NVS) द्वारा किया जाता है।
- इसे वर्ष 2022-23 से 2026-27 तक क्रियान्वित किया जा रहा है।
- इस योजना का उद्देश्य एक सुरक्षित, समावेशी और संसाधन-समृद्ध शिक्षण वातावरण प्रदान करना है, जहाँ प्रत्येक छात्र को सम्मान और देखभाल का एहसास हो।
- यह NEP 2020 के अनुरूप है, जो छात्रों को सक्रिय, उत्पादक और ज़िम्मेदार नागरिक बनने के लिये प्रोत्साहित करती है।
- यह योजना गुणवत्तापूर्ण स्कूली शिक्षा को बढ़ावा देती है तथा नीति, अभ्यास और कार्यान्वयन में सहायता करती है।
उत्तराखंड में शिक्षा से संबंधित योजनाएँ:
- मुख्यमंत्री मेधावी छात्र प्रोत्साहन योजना: कक्षा 10वीं और 12वीं के मेधावी विद्यार्थियों को पूरे भारत में शैक्षिक भ्रमण के लिये भेजा जाता है।
- मुख्यमंत्री उच्च शिक्षा प्रोत्साहन छात्रवृत्ति योजना: सरकारी कॉलेजों में स्नातक और स्नातकोत्तर की पढ़ाई कर रहे मेधावी विद्यार्थियों के लिये छात्रवृत्ति।
- नंदा गौरा योजना: गरीब परिवारों की लड़कियों के लिये वित्तीय सहायता।
- बाल लाभ योजना (UKBOCWWB): पंजीकृत भवन एवं निर्माण श्रमिकों के बच्चों के लिये वित्तीय सहायता। कक्षा 1 से लेकर उच्च शिक्षा या व्यावसायिक पाठ्यक्रमों तक के छात्रों को सहायता प्रदान की जाती है।


झारखंड Switch to English
मंडल बाँध परियोजना का पुनरुद्धार
चर्चा में क्यों?
झारखंड सरकार ने पलामू टाइगर रिज़र्व (PTR) में मंडल बाँध के जलमग्न क्षेत्र में स्थित सात गाँवों के स्थानांतरण को मंजूरी दे दी है।
मुख्य बिंदु
मंडल बाँध परियोजना के बारे में:
- मंडल बाँध झारखंड के गढ़वा, लातेहार और पलामू ज़िलों के कुछ हिस्सों को कवर करते हुए PTR में उत्तरी कोयल नदी पर स्थित है, जो सोन नदी की एक सहायक नदी है।
- इस परियोजना की परिकल्पना कई दशक पहले की गई थी, लेकिन स्थानीय विरोध,पुनर्वास एवं पर्यावरण संबंधी चिंताओं पर आम सहमति के अभाव के कारण यह अक्रियाशील रही।
- मंजूरी में तेज़ी लाने के लिये वर्ष 2015 में एक टास्क फोर्स का भी गठन किया गया था।
- जनवरी 2019 में प्रधानमंत्री द्वारा आधारशिला रखे जाने के बाद इस परियोजना को नई गति मिली।
- इस परियोजना से PTR को लाभ होगा क्योंकि खाली की गई भूमि जलमग्न हो जाएगी, जिससे एक बड़ा जल निकाय बन जाएगा, जो ज़िलों में मानव-पशु संघर्ष की लगातार समस्या को कम करने में मदद कर सकता है।
- गाँवों का पुनर्वास: कुटकू, भजना, खुरा, खैरा, सनेया, केमो और मेराल सहित सात गाँवों को स्थानांतरित किया जाएगा।
- प्रत्येक परिवार को एक एकड़ ज़मीन और 15 लाख रुपए मुआवज़ा मिलेगा।
- ग्रामीणों को बेहतर जीवन स्थितियाँ प्रदान करने के लिये स्थानांतरित क्षेत्र को एक मॉडल क्लस्टर के रूप में विकसित किया जाएगा।
पलामू टाइगर रिज़र्व (PTR)
- PTR झारखंड के पश्चिमी लातेहार ज़िले में छोटा नागपुर पठार पर स्थित है।
- 'बेतला राष्ट्रीय उद्यान' पलामू टाइगर रिज़र्व के 226.32 वर्ग किमी. के क्षेत्र में स्थित है, जो कुल 1,129.93 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला हुआ है।
- परियोजना क्षेत्र में मुख्य रूप से साल वन, मिश्रित पर्णपाती वन और बाँस के वृक्ष हैं।
- यह रिज़र्व क्षेत्र तीन महत्त्वपूर्ण नदियों कोयल, बुरहा और औरंगा का जलग्रहण क्षेत्र है।
- इसका गठन वर्ष 1974 में प्रोजेक्ट टाइगर के तहत किया गया था और यह परियोजना के प्रारंभ में देश में स्थापित पहले नौ बाघ रिज़र्वों में से एक है।
- यह वर्ष 1932 में पदचिह्न के आधार पर बाघों की गणना करने वाला विश्व का पहला अभयारण्य था।
- प्रमुख प्रजातियों में बाघ, हाथी, तेंदुआ, ग्रे भेड़िया, गौर, सुस्त भालू, चार सींग वाला मृग, भारतीय रतल, भारतीय ऊदबिलाव और भारतीय पैंगोलिन शामिल हैं।


झारखंड Switch to English
झारखंड में जनजाति सलाहकार परिषद (TAC) की बैठक
चर्चा में क्यों?
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जनजाति सलाहकार परिषद (TAC) की बैठक की अध्यक्षता की।
- इसका उद्देश्य अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायत (पेसा) नियमों को प्रभावी ढंग से लागू करना, भूमि विक्रय संबंधी मानदंडों को सरल बनाना, जनजातीय कल्याण में सुधार करना तथा राज्य में जनजातीय संस्कृति और परंपराओं का संरक्षण सुनिश्चित करना है।
मुख्य बिंदु
जनजाति सलाहकार परिषद (TAC)
- संवैधानिक प्रावधान: संविधान की पाँचवीं अनुसूची के अनुच्छेद 244(1) के अनुसार:
- अनुसूचित क्षेत्रों वाले प्रत्येक राज्य में TAC की स्थापना की जानी चाहिये।
-
राष्ट्रपति उन राज्यों में TAC के गठन का निर्देश दे सकते हैं जहाँ अनुसूचित जनजातियाँ तो हैं लेकिन अनुसूचित क्षेत्र नहीं हैं।
- उद्देश्य: TAC राज्यपाल द्वारा संदर्भित किए जाने पर राज्य में अनुसूचित जनजातियों के कल्याण और उन्नति से संबंधित मुद्दों पर सलाह देने के लिये ज़िम्मेदार है।
- परिषद संरचना:
- TAC में 20 से अधिक सदस्य नहीं होंगे।
- राज्य विधानसभा में लगभग तीन-चौथाई अनुसूचित जनजाति (ST) के प्रतिनिधि होने चाहिये।
- 10 राज्यों के अनुसूचित क्षेत्रों में TAC का गठन किया गया है- आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा और राजस्थान।
-
TAC वाले लेकिन गैर-अनुसूचित क्षेत्र वाले राज्य: पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और उत्तराखंड।
अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायत विस्तार (पेसा) अधिनियम, 1996
- परिचय:
- पेसा अधिनियम 24 दिसंबर, 1996 को आदिवासी क्षेत्रों, जिन्हें अनुसूचित क्षेत्र कहा जाता है, में रहने वाले लोगों के लिये पारंपरिक ग्रामसभाओं, जिन्हें ग्रामसभा के रूप में जाना जाता है, के माध्यम से स्वशासन सुनिश्चित करने हेतु लागू किया गया था।
- इस अधिनियम ने पाँचवीं अनुसूची के राज्यों के जनजातीय क्षेत्रों में स्व-जनजातीय शासन प्रदान करके पंचायतों के प्रावधानों का विस्तार किया।
- विधान:
- अधिनियम में अनुसूचित क्षेत्रों को अनुच्छेद 244(1) में उल्लिखित क्षेत्रों के रूप में परिभाषित किया गया है, जिसमें कहा गया है कि पाँचवीं अनुसूची असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिज़ोरम के अलावा अन्य राज्यों में अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित जनजातियों पर लागू होती है।
- भारत के अनुसूचित क्षेत्र, जो राष्ट्रपति द्वारा अधिसूचित क्षेत्र हैं, जहाँ मुख्य रूप से जनजातीय समुदाय निवास करते हैं।
- 10 राज्यों ने पाँचवीं अनुसूची के क्षेत्रों को अधिसूचित किया है, जो प्रत्येक राज्य के कई ज़िलों को (आंशिक या पूर्ण रूप से) कवर करते हैं।
- इनमें आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान और तेलंगाना शामिल हैं।
- महत्त्वपूर्ण प्रावधान:
- पेसा अधिनियम ग्राम सभा को विकास प्रक्रिया में सामुदायिक भागीदारी हेतु एक मंच के रूप में स्थापित करता है। यह विकास परियोजनाओं की पहचान करने, विकास योजनाएँ तैयार करने और इन योजनाओं को लागू करने के लिये ज़िम्मेदार है।
- अधिनियम में विकास गतिविधियों को संचालित करने और समुदाय को बुनियादी सेवाएँ प्रदान करने के लिये ग्राम पंचायत, ग्रामसभा तथा पंचायत समिति सहित ग्राम स्तरीय संस्थाओं की स्थापना का प्रावधान है।
- ग्रामसभा और ग्राम पंचायत को प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन और आर्थिक गतिविधियों के विनियमन से संबंधित महत्त्वपूर्ण शक्तियाँ और कार्य प्रदान किये गए हैं।
- यह अधिनियम अनुसूचित क्षेत्रों में जनजातीय समुदायों के भूमि अधिकारों के संरक्षण का प्रावधान करता है, जिसके तहत किसी भी भूमि के अधिग्रहण या हस्तांतरण से पहले उनकी सहमति लेना आवश्यक है।
- यह अधिनियम अनुसूचित क्षेत्रों में जनजातीय समुदायों की सांस्कृतिक और सामाजिक प्रथाओं की रक्षा करता है तथा इन प्रथाओं में किसी भी प्रकार के हस्तक्षेप पर रोक लगाता है।
नोट
- झारखंड में भारत की 12वीं सबसे बड़ी जनजातीय आबादी है, जो देश की अनुसूचित जनजातियों का 8.3% है।
- झारखंड की प्रमुख जनजातियाँ:
- गोंड (भारत के सबसे बड़े समूहों में से एक)
- मुंडा (भारत की सबसे बड़ी अनुसूचित जनजातियों में से एक)
- संथाल (जनसंख्या की दृष्टि से झारखंड राज्य की सबसे बड़ी जनजाति)


मध्य प्रदेश Switch to English
क्षय रोग उन्मूलन शिविर एवं स्वस्थ यकृत मिशन
चर्चा में क्यों?
मध्य प्रदेश के राज्यपाल ने 100 दिवसीय नि-क्षय शिविर अभियान के हितधारकों को सम्मानित किया और भोपाल में राज्यव्यापी स्वस्थ यकृत मिशन का शुभारंभ किया।
मुख्य बिंदु
100 दिवसीय नि-क्षय शिविर अभियान
- राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत, राज्य ने टीबी के मामलों की पहचान करने, समय पर उपचार सुनिश्चित करने और रोग के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिये विशेष स्वास्थ्य शिविर आयोजित किये।
- इस अभियान ने नागरिकों को स्वास्थ्य विभाग, गैर सरकारी संगठनों, जन प्रतिनिधियों और नागरिक समाज के संयुक्त प्रयासों से परीक्षण और परामर्श प्राप्त करने में सक्षम बनाया।
- इस अभियान के तहत 5,000 से अधिक ग्राम पंचायतों को टीबी मुक्त घोषित किया गया है।
- सिवनी और बैतूल ज़िलों ने लगातार तीन वर्षों तक सबसे अधिक संख्या में टीबी मुक्त ग्राम पंचायतें घोषित की हैं।
- कन्हार (मंडला), पटवा (बालाघाट) और सावरवानी (छिंदवाड़ा) ने टीबी-मुक्त दर्जा प्राप्त कर लिया है।
- राज्य सरकार इस पहल के तहत 100% कवरेज के लिये प्रयासरत है, जिसका लक्ष्य वर्ष 2028 तक राज्य से टीबी को पूरी तरह समाप्त करना है।
स्वस्थ यकृत मिशन
- इस पहल का उद्देश्य यकृत से संबंधित बीमारियों से निपटना है।
- फैटी लीवर रोग की रोकथाम में भारत विश्व में अग्रणी है तथा मध्य प्रदेश देश में शीर्ष प्रदर्शन करने वाला राज्य बनकर उभरा है।
- मिशन के अंतर्गत हेपेटाइटिस बी और सी, फैटी लीवर और सिरोसिस जैसी स्थितियों के बारे में जागरूकता, शीघ्र पहचान, उपचार और रोकथाम पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
- इसके अंतर्गत स्वास्थ्य विभाग पूरे राज्य में जाँच शिविर आयोजित करेगा, चिकित्सा प्रशिक्षण और परामर्श देगा तथा निःशुल्क दवाइयाँ वितरित करेगा।
राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम (NTEP)
- वर्ष 2020 में, संशोधित राष्ट्रीय क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम (RNTCP) का नाम बदलकर NTEP कर दिया गया,जिसका उद्देश्य भारत से टीबी (TB) को वर्ष 2025 तक समाप्त करना है, जो कि वैश्विक लक्ष्य 2030 से पाँच वर्ष पहले है।
- यह कार्यक्रम राष्ट्रीय रणनीतिक योजना (2017-2025) द्वारा निर्देशित है, जो निम्नलिखित रणनीतिक स्तंभों पर आधारित है: पता लगाना (Detect) – उपचार करना (Treat) – रोकथाम करना (Prevent) – निर्माण करना (Build), जिसे DTPB कहा जाता है।
- NTEP मुख्य रूप से शीघ्र निदान, गुणवत्तापूर्ण उपचार, निजी प्रदाताओं को शामिल करने, उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में संपर्क का पता लगाने तथा बहु-क्षेत्रीय दृष्टिकोण के माध्यम से सामाजिक निर्धारकों को संबोधित करने पर ज़ोर देता है।
- इस कार्यक्रम में अब तक के सर्वाधिक मामले दर्ज किये गए, जिसमें वर्ष 2023 में 25.5 लाख टीबी मामले और वर्ष 2024 में 26.07 लाख मामले दर्ज किये गए।
- NTEP के तहत, भारत ने बेहतर दवा प्रतिरोधी टीबी उपचार शुरू किये, जिसमें सुरक्षित, कम समय तक चलने वाला पूर्ण-मौखिक बेडाक्विलाइन उपचार शामिल है, जिससे सफलता दर वर्ष 2020 में 68% से बढ़कर वर्ष2022 में 75% हो गई।
- mBPaL उपचार (बेडाक्विलाइन, प्रीटोमैनिड, लाइनज़ोलिड) MDR-TB के लिये 80% सफलता प्रदान करता है, जिससे उपचार की अवधि छह महीने तक कम हो जाती है।
फैटी लिवर रोग
- फैटी लिवर रोग (हेपेटिक स्टीएटोसिस) यकृत कोशिकाओं में अत्यधिक वसा के जमा होने की स्थिति है।
- यह स्थिति तब होती है, जब वसा यकृत कोशिकाओं (हेपाटोसाइट्स) के 5% से अधिक हो जाती है, जिससे यकृत की कार्यप्रणाली और चयापचय प्रभावित होते हैं।
- यह दो प्रकार का होता है — नॉन-एल्कोहलिक फैटी लिवर डिज़ीज़ (NAFLD) और एल्कोहलिक फैटी लिवर डिज़ीज़ (AFLD

