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झारखंड

मंडल बाँध परियोजना का पुनरुद्धार

  • 22 May 2025
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

झारखंड सरकार ने पलामू टाइगर रिज़र्व (PTR) में मंडल बाँध के जलमग्न क्षेत्र में स्थित सात गाँवों के स्थानांतरण को मंजूरी दे दी है।

मुख्य बिंदु

मंडल बाँध परियोजना के बारे में: 

  • मंडल बाँध झारखंड के गढ़वा, लातेहार और पलामू ज़िलों के कुछ हिस्सों को कवर करते हुए PTR में उत्तरी कोयल नदी पर स्थित है, जो सोन नदी की एक सहायक नदी है।
  • इस परियोजना की परिकल्पना कई दशक पहले की गई थी, लेकिन स्थानीय विरोध,पुनर्वास एवं पर्यावरण संबंधी चिंताओं पर आम सहमति के अभाव के कारण यह अक्रियाशील रही।
    • मंजूरी में तेज़ी लाने के लिये वर्ष 2015 में एक टास्क फोर्स का भी गठन किया गया था।
  • जनवरी 2019 में प्रधानमंत्री द्वारा आधारशिला रखे जाने के बाद इस परियोजना को नई गति मिली।
  • इस परियोजना से PTR को लाभ होगा क्योंकि खाली की गई भूमि जलमग्न हो जाएगी, जिससे एक बड़ा जल निकाय बन जाएगा, जो ज़िलों में मानव-पशु संघर्ष की लगातार समस्या को कम करने में मदद कर सकता है।
  • गाँवों का पुनर्वास: कुटकू, भजना, खुरा, खैरा, सनेया, केमो और मेराल सहित सात गाँवों को स्थानांतरित किया जाएगा।
  • प्रत्येक परिवार को एक एकड़ ज़मीन और 15 लाख रुपए मुआवज़ा मिलेगा।
  • ग्रामीणों को बेहतर जीवन स्थितियाँ प्रदान करने के लिये स्थानांतरित क्षेत्र को एक मॉडल क्लस्टर के रूप में विकसित किया जाएगा।

पलामू टाइगर रिज़र्व (PTR) 

  • PTR झारखंड के पश्चिमी लातेहार ज़िले में छोटा नागपुर पठार पर स्थित है।
    • 'बेतला राष्ट्रीय उद्यान' पलामू टाइगर रिज़र्व के 226.32 वर्ग किमी. के क्षेत्र  में स्थित है, जो कुल 1,129.93 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला हुआ है। 
  • परियोजना क्षेत्र में मुख्य रूप से साल वन, मिश्रित पर्णपाती वन और बाँस के वृक्ष हैं। 
  • यह रिज़र्व क्षेत्र तीन महत्त्वपूर्ण नदियों कोयल, बुरहा और औरंगा का जलग्रहण क्षेत्र है।
  • इसका गठन वर्ष 1974 में प्रोजेक्ट टाइगर के तहत किया गया था और यह परियोजना के प्रारंभ में देश में स्थापित पहले नौ बाघ रिज़र्वों में से एक है।
    • यह वर्ष 1932 में पदचिह्न के आधार पर बाघों की गणना करने वाला विश्व का पहला अभयारण्य था।
  • प्रमुख प्रजातियों में बाघ, हाथी, तेंदुआ, ग्रे भेड़िया, गौर, सुस्त भालू, चार सींग वाला मृग, भारतीय रतल, भारतीय ऊदबिलाव और भारतीय पैंगोलिन शामिल हैं।

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