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छत्तीसगढ़

उदंती-सीतानदी टाइगर रिज़र्व

  • 21 May 2025
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

छत्तीसगढ़ के उदंती सीतानदी टाइगर रिज़र्व (USTR) में वन्यजीव गतिविधियों में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है, जो इस रिज़र्व के समृद्ध पारिस्थितिक आश्रयस्थल में परिवर्तन को दर्शाती है।

मुख्य बिंदु

  • USTR के बारे में:
    • यह छत्तीसगढ़ के गरियाबंद और धमतरी ज़िलों में स्थित है। इसका गठन उदंती और सीतानदी वन्यजीव अभयारण्यों को मिलाकर किया गया था।
    • यह तीन प्रमुख नदियों- महानदी, सीतानदी और उदंती का स्रोत है, जो छत्तीसगढ़ और ओडिशा दोनों को जीवंत रखती हैं।
    • रिज़र्व के घने जंगल प्राकृतिक स्पंज की तरह काम करते हैं, वर्षा जल का भंडारण करते हैं और जैवविविधता के साथ-साथ कृषि को भी बढ़ावा देते हैं।
  • पारिस्थितिक विविधता:
    • इसमें साल वृक्षों सहित विभिन्न प्रकार के वन शामिल हैं।
    • एशियाई जंगली भैंसा इस रिज़र्व में पाई जाने वाली एक प्रमुख लुप्तप्राय प्रजाति है। 
    • बाघ के अलावा अन्य लुप्तप्राय और दुर्लभ प्रजातियों में भारतीय भेड़िया, तेंदुआ, सुस्त भालू, चूहा और हिरण शामिल हैं।
  • सामरिक वन्यजीव गलियारा:
    • USTR एक प्रमुख बाघ गलियारे के रूप में कार्य करता है, जो महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जंगलों और छत्तीसगढ़ के इंद्रावती टाइगर रिज़र्व को ओडिशा के सुनाबेड़ा वन्यजीव अभयारण्य से जोड़ता है।
      • यह संबंध राज्य की सीमाओं के पार आनुवंशिक विविधता और लंबी दूरी के पशु आवागमन का समर्थन करता है।
      • राज्य सरकार द्वारा सुरक्षा उपाय:
  • समुदाय-केंद्रित संरक्षण मॉडल:
    • स्थानीय समुदाय, चरवाहा सम्मेलनों और सामुदायिक वन संसाधन (CFR) अधिकारों की मान्यता जैसी भागीदारी पहलों के माध्यम से महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
    • इन उपायों से विश्वास बढ़ा है, जिससे अवैध शिकार, अवैध कटाई और वनाग्नि को रोकने में स्थानीय लोगों की सक्रिय भागीदारी हुई है।
  • मानव-वन्यजीव संघर्ष शमन:
    • 'एलीफेंट अलर्ट ऐप' हाथियों की गतिविधियों के बारे में पूर्व चेतावनी देने और उन पर नज़र रखने के लिये एक प्रभावी उपकरण बन गया है, जिससे मानव-वन्यजीव संघर्ष में कमी आई है।

नोट: वर्ष 2022 में, छत्तीसगढ़ ओडिशा के बाद दूसरा राज्य बन गया जिसने राष्ट्रीय उद्यान यानी कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के अंदर CFR अधिकारों को मान्यता दी।

इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान

  • परिचय: 
    • यह छत्तीसगढ़ के बीजापुर ज़िले में स्थित है।
    • इसकी स्थापना 1981 में हुई थी और इसे भारत के प्रोजेक्ट टाइगर के तहत 1983 में बाघ अभयारण्य घोषित किया गया था।
    • इसका नाम इंद्रावती नदी के नाम पर रखा गया है, जो पूर्व से पश्चिम की ओर बहती है और महाराष्ट्र के साथ रिज़र्व की उत्तरी सीमा बनाती है।
  • वनस्पति प्रवर्द्धन: इसमें तीन प्रमुख वन प्रकार शामिल हैं:
    • सागौन सहित नम मिश्रित पर्णपाती वन।
    • सागौन रहित नम मिश्रित पर्णपाती वन।
    • दक्षिणी शुष्क मिश्रित पर्णपाती वन
  • वनस्पति:
    • सामान्य वृक्ष प्रजातियों में सागौन, अचार, कर्रा, कुल्लू, शीशम, सेमल, हल्दू, अर्जुन, बेल और जामुन शामिल हैं।.
  • जीव-जंतु:
    • यहाँ दुर्लभ जंगली भैंसों की अंतिम आबादियों में से एक मौजूद है।
    • अन्य प्रजातियों में नीलगाय, काला हिरण, सांभर, गौर, बाघ, तेंदुआ, चीतल, भालू आदि शामिल हैं।

सामुदायिक वन संसाधन (CFR)

  • परिचय: 
    • यह सामान्य वन भूमि है, जिसे किसी विशेष समुदाय द्वारा स्थायी उपयोग के लिये पारंपरिक रूप से सुरक्षित और संरक्षित किया जाता है। 
    • समुदाय द्वारा इसका उपयोग गाँव की पारंपरिक और प्रथागत सीमा के भीतर उपलब्ध संसाधनों तक पहुँच एवं ग्रामीण समुदायों के मामले में परिदृश्य के मौसमी उपयोग के लिये किया जाता है। 
    • प्रत्येक CRF क्षेत्र में समुदाय और उसके पड़ोसी गांँवों द्वारा मान्यता प्राप्त पहचान योग्य स्थलों की एक प्रथागत सीमा होती है। 

सामुदायिक वन संसाधन अधिकार: 

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