उत्तर प्रदेश
बाल श्रम उन्मूलन अभियान
- 21 May 2025
- 6 min read
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश सरकार ने वर्ष 2027 तक बाल श्रम को समाप्त करने के लिये एक व्यापक राज्यव्यापी अभियान शुरू किया है।
मुख्य बिंदु
अभियान के बारे में:
- इस अभियान का उद्देश्य जागरूकता बढ़ाना, शिक्षा प्रदान करना और पुनर्वास का समर्थन करना है ताकि प्रत्येक बच्चे को विकास और सीखने के उचित अवसर मिल सकें।
- सरकार जन सहभागिता बढ़ाने के लिये विश्व बाल श्रम निषेध दिवस के अवसर पर 12 जून 2025 को विशेष जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करेगी।
बंधुआ मज़दूरी उन्मूलन और बाल पुनर्वास में उत्तर प्रदेश के प्रयास
- सरकार ने बंधुआ मज़दूरी के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है और वर्ष 2018-19 से 2024-25 के बीच 1,408 व्यक्तियों का पुनर्वास किया है।
- इन व्यक्तियों को 18.17 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता प्राप्त हुई है, जिससे उन्हें स्वतंत्र और सम्मानजनक जीवन जीने में मदद मिली ।
- वर्ष 2017-18 से 2024-25 के बीच, उत्तर प्रदेश सरकार ने 12,426 बच्चों का पुनर्वास किया है, जिससे उन्हें अपनी शिक्षा जारी रखने में मदद मिली है।
- राज्य ने 1,089 परिवारों को आर्थिक सहायता प्रदान की है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे आय के लिये बाल श्रम पर निर्भर न रहें।
- बाल श्रमिक विद्या योजना के अंतर्गत सरकार ने 2,000 कामकाजी बच्चों को स्कूलों में दाखिला दिलाया है।
- उत्तर प्रदेश सरकार ने लक्षित, संरचित दृष्टिकोण के माध्यम से बाल श्रम से निपटने के लिये वर्ष 2020 में इस राज्य-स्तरीय पहल की शुरुआत की।
- इस योजना का उद्देश्य बाल श्रमिकों को औपचारिक शिक्षा प्रणाली में पुनः शामिल करना है, ताकि उनके सीखने के अधिकार और सम्मानजनक भविष्य को सुनिश्चित किया जा सके।
विश्व बाल श्रम निषेध दिवस
- परिचय:
- विश्व बाल श्रम निषेध दिवस प्रतिवर्ष 12 जून को मनाया जाता है।
- इस दिवस का उद्देश्य बाल श्रम की व्यापकता तथा इसे समाप्त करने के लिये आवश्यक तत्काल कार्रवाई की ओर वैश्विक ध्यान आकर्षित करना है।
- वैश्विक सहयोग:
- यह दिन दुनिया भर की सरकारों, नियोक्ताओं और श्रमिक संगठनों, नागरिक समाज समूहों और नागरिकों को एकजुट करने के लिये एक मंच के रूप में कार्य करता है।
- यह बाल श्रमिकों के सामने आने वाली चुनौतियों को उजागर करने तथा उनके शोषण को समाप्त करने के व्यावहारिक समाधानों की पहचान करने पर केंद्रित है।
- बाल श्रम उन्मूलन और सतत विकास लक्ष्य रूपरेखा:
- संयुक्त राष्ट्र सतत्त विकास लक्ष्य (SDG) 8.7 के अंतर्गत बाल श्रम का उन्मूलन एक प्रमुख उद्देश्य है।
- SDG लक्ष्य 8.7 में निम्नलिखित के लिये तत्काल एवं प्रभावी उपाय करने का आह्वान करता है ताकि:
- जबरन मज़दूरी (Forced Labour) का उन्मूलन किया जा सके,
- आधुनिक गुलामी और मानव तस्करी को समाप्त किया जा सके,
- बाल श्रम के सबसे ख़राब रूपों, जिसमें बाल सैनिकों की भर्ती और उपयोग भी शामिल है, को प्रतिबंधित और समाप्त किया जा सके।
बंधुआ मज़दूरी
- भारत के राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा परिभाषित बंधुआ मज़दूरी, गुलामी का एक रूप है जिसे ऋण बंधन कहा जाता है जो सदियों से जारी है।
- इसे आधुनिक गुलामी का सबसे गंभीर रूप माना जाता है, जहाँ श्रमिकों को कम वेतन पर लंबे समय तक काम करने के लिये मज़बूर किया जाता है। इसमें किसी नियोक्ता द्वारा ऋण चुकाने के लिये एक निश्चित अवधि के लिये बिना वेतन के काम करने के लिये मज़बूर किया जाना शामिल हो सकता है।
बाल श्रम से संबंधित संवैधानिक प्रावधान
- अनुच्छेद 23: यह मानव तस्करी और जबरन श्रम पर प्रतिबंध लगाता है, शोषण तथा अपमानजनक कार्य स्थितियों से सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
- अनुच्छेद 24: यह कहता है कि 14 वर्ष से कम आयु के बच्चे को कोई भी खतरनाक कार्य करने के लिये नियोजित नहीं किया जा सकता।
- अनुच्छेद 39: इसमें उन सिद्धांतों की रूपरेखा दी गई है जिनका राज्य को पालन करना चाहिये, जिसमें पुरुषों और महिलाओं के लिये आजीविका के समान अधिकार, समान कार्य के लिये समान वेतन, श्रमिकों के स्वास्थ्य और बच्चों की भलाई की सुरक्षा तथा बच्चों को स्वस्थ और सम्मानजनक तरीके से विकसित होने के अवसर सुनिश्चित करना शामिल है।